पर्यावरण क्लब के निर्माण में शिक्षकों की भूमिका
चूँकि इको क्लब एक अनौपचारिक एवं स्वैच्छिक संगठन है जहाँ विद्यार्थी एवं शिक्षक पर्यावरण से सम्बन्धित सभी गतिविधियों का संचालन करते हैं। पाठ्य सहगामी क्रियाओं के रूप में तो निःसंदेह इसके निर्माण में शिक्षकों की बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इस सम्बन्ध में स्पष्टीकरण हेतु दिये गये प्रमुख बिन्दु इस प्रकार हैं-
(1) स्थानीय, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर घटने वाली घटनाओं को सूचीबद्ध करवा कर उस घटना के कारण एवं निवारण के लिए किए जाने वाले प्रयासों का वर्णन विद्यार्थियों द्वारा करवाकर उसे पर्यावरण क्लब में संग्रहित किया जा सकता है।
(2) विभिन्न प्रकार के मॉडल, कल-कारखानों, बाँध, जल-विद्युत परियोजनाओं, ऊर्जा के वैकल्पिक साधन, वृक्षारोपण, मृदा का संरक्षण, नैतिकता से सम्बन्धित विभिन्न तथ्य, विभिन्न प्रकार के पर्यावरणीय मूल्य, हमारी संस्कृति एवं सभ्यता से सम्बन्धित कई बातों को मूर्त रूप प्रदान करने के लिए विद्यार्थियों को प्रेरित किया जा सकता है। जो कहीं आशु उपकरण के रूप में हो सकता है तो कहीं चित्र या चार्ट के रूप में वास्तविकता का वर्णन कर सकता है।
(3) पर्यावरण क्लब में हरियाली का महत्ता विभिन्न प्रकार के पोस्टर अथवा चित्र के माध्यम से भी बताया जा सकता है।
(4) शिक्षक न सिर्फ पाठ्यसहगामी क्रियाओं द्वारा बच्चों में पर्यावरण का बोध करवा सकते हैं बल्कि उन्हें इस बात की जानकारी भी दे सकते हैं कि जीने के लिए जितना जरूरी जल, वायु, भोजन एवं आवास है उतना ही जरूरी हमारा पर्यावरण भी है क्योंकि हमें हमारे पर्यावरण से ही जीने के लिए सभी आवश्यक वस्तुओं की प्राप्ति होती है। कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि पर्यावरण क्लब एक ऐसी जगह है जहाँ पर्यावरण के विभिन्न घटकों को विभिन्न रूपों में संग्रहित कर उसकी महत्ता का बोध करवाया जा सकता है। विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से इस क्लब के उद्देश्यों को जन समूह के समक्ष लाया जा सकता है ताकि जन-जन में जागरूकता फैले और सभी प्राकृतिक पर्यावरण की मौलिकता को बनाये रखने के लिए कृतसंकल्प हों। यहाँ भी शिक्षक की महत्त्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि शिक्षक विद्यार्थियों के पथ प्रदर्शक होते हैं जैसी सलाह विद्यार्थियों को मिलेगी वो वैसा ही काम करेंगे। शिक्षक अगर समर्पित होकर पर्यावरण क्लब का निर्माण करेंगे तो निःसंदेह उन्हें विद्यार्थियों के साथ उनके अभिभावकों का भी पूरा सहयोग मिलेगा।
(5) शिक्षक विद्यार्थियों को इस बात के लिए प्रेरित कर सकते हैं कि पिछले बीस वर्षों में तापक्रम एवं वर्षा की मात्रा का तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत कर उसे चित्र एवं चार्ट के माध्यम से प्रदर्शित करें।
(6) वनों की स्थिति का तुलनात्मक अध्ययन कर वर्तमान में उसकी स्थिति का एक समीक्षात्मक चार्ट बनाकर घटते जंगल से उपजी प्राकृतिक विसंगतियों की चित्रमयी प्रस्तुति विद्यार्थियों द्वारा तैयार करने में भी शिक्षक की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
(7) पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी से सम्बन्धित बातों को जन सामान्य तक पहुँचाने शिक्षक, विद्यार्थियों के साथ विभिन्न प्रकार के क्रियाकलाप, जैसे- विभिन्न प्रकार की पर्यावरणीय चर्चाओं, विषय-विशेषज्ञों के भाषण, लेख प्रतियोगिता, कार्टून एवं चित्र प्रतियोगिता, प्रभात फेरी, अन्य संस्थाओं के विद्यार्थियों तथा समाज के प्रबुद्ध लोगों के माध्यम से जन-जागरण हेतु पद यात्रा इत्यादि का आयोजन कर लोगों को पर्यावरण संरक्षण एवं सतत् विकास के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
(8) शिक्षक अपने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हैं कि विभिन्न प्रकार के मॉडल, चार्ट और चित्र इत्यादि का निर्माण कर पर्यावरण क्लब में उसे संग्रहित करें ताकि न सिर्फ विद्यार्थियों को बल्कि प्रदर्शनी के माध्यम से विभिन्न उम्र एवं स्तर के लोगों को पर्यावरण के बारे में जानकारी प्रदान की जा सकेगी।
(9) शिक्षक पर्यावरण क्लब के निर्माण के दौरान विद्यार्थियों को इस बात के लिए प्रेरित करें कि वे विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों से प्रभावित होने वाले जीव-जन्तुओं, पशु-पक्षियों एवं हम मनुष्यों का चार्ट तैयार करवायें और उसमें इस बात को अवश्य रेखांकित करें कि हम मनुष्य सहित अन्य जीव-जन्तु एवं वनस्पतियों को उससे क्या-क्या नुकसान हो रहा है। उदाहरण के लिए हम निम्न प्रकरणों पर गौर कर सकते हैं-
(i) जल प्रदूषण से प्रदूषित होकर मरने वाले जलीय जीवों को चार्ट एवं चित्र के माध्यम से दर्शाया जा सकता है।
(ii) जल प्रदूषण से हम मनुष्यों में होने वाली बीमारियों को चार्ट के माध्यम से दर्शाया जा सकता है।
(iii) जल प्रदूषण और वनस्पति पर पड़ने वाले असर का रेखांकन किया जा सकता है।
(iv) वायु प्रदूषण से होने वाले असर को चार्ट एवं चित्र के माध्यम से दर्शाया जा सकता है।
(v) वनस्पतियों यानि जंगलों के विनाश को भी चार्ट एवं चित्र के माध्यम से दर्शाया जा सकता है। ऐसी कई घटनाएँ जो दिन-प्रतिदिन घट रही हैं उसे भी चित्रित करवा कर प्रकृति क्लब में रखवाया जा सकता है।
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