रेडियो की उपयोगिता
रेडियो (Radio)- शैक्षिक तकनीकी के इस युग में रेडियों एक प्रभावशाली श्रव्य साधन के रूप में कक्षा शिक्षण में बहुत उपयोगी है। रेडियों की उपयोगिता के सम्बन्ध में रिनोल्ड ने अपने विचार व्यक्त करते हुए लिखा है, “रेडियो शिक्षा का एक महत्वपूर्ण साधन है। कक्षा शिक्षण के पूरक के रूप में इसकी सम्भावनाएँ बहुत बढ़ जाती है। इसकी शिक्षण संभावनाएँ स्कूल दिवस में पाँच या छ: घन्टे तक ही सीमित नही है। यह प्रातः काल से देर रात तक उपलब्ध रहता है। यह समुदायों के प्रौढ़ो तथा बालको को संसार के कला और ज्ञान के उत्तम भंडार से परिचित कराता है। किसी दिन शैक्षिक उपयोग में इसका प्रयोग इतना सामान्य हो जाएगा जितना कि पाठ्य पुस्तके तथा श्यामपट्ट का है। रेडियों वास्तव में केवल स्कूली बच्चे को ही नही वरन् जन-साधारण को भी शिक्षित करने का एक उपयोगी साधन है।” रेडियों पर शैक्षिक पाठों के प्रसारण से दूर-दराज के छात्रों को अत्यधिक लाभ पहुँचा है। रेडियों पर शिक्षा शास्त्रीयों और अन्य विद्वानो के भाषण प्रसारित किये जाते है जिसका लाभ सभी विद्यार्थी उठाते है। आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले पाठो की सूची बहुत पहले से ही प्रसारित कर दी जाती है। अत: स्कूल के मुख्याध्यापक तथा विषय से सम्बन्धित अध्यापकों को आकाशवाणी के शैक्षिक कार्यक्रमों का पहले ही ज्ञान होना चाहिए। रेडियों के शिक्षा के प्रसार में एक और लाभ है कि इससे किसी विशेष भाषण या किसी कलाकार की रचना को बार-बार सुना जा सकता है। रेडियों द्वारा चुनाव, नागरिक कर्त्तव्य, अधिकार, देश की समस्याओं का विवेचन आदि से सम्बन्धित कार्यक्रम का सामाजिक अध्ययन के शिक्षण के लिए बहुत महत्व है।
रेडियों प्रसार के प्रकार (Types of Radio Broadcast )
रेडियो प्रसारण दो प्रकार के होते हैं-
( 1 ) साधारण प्रसारण (Simple Broadcast):- इस प्रसारण के अन्तर्गत साधारण घटनाओं तथा स्थितियों की सामान्य जानकारी दी जाती है।
(2) शैक्षिण प्रसारण ( Educational Broadcast):- ये प्रसारण विशेष रूप से छात्रों के लिये तैयार किये जाते है। ये प्रसारण रेडियो-पाठों के रूप में शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए किए जाते है।
सामाजिक अध्ययन में रेडियों की उपयोगिता ( Use of Radio in Social Studies) –
(i) रेडियों द्वारा प्रसिद्ध वैज्ञानिको, शिक्षा-शास्त्रियों व कलाकारों के विचारो, भाषाओं तथा उनकी कलाकृतियों के बारे में सुनने का अवसर मिल जाता है, जो कि प्रत्येक व्यक्ति या छात्र को व्यक्तिगत रूप से सम्भव नही।
(ii) रेडियो प्रसारण कक्षा में शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति में अध्यापक को बहुत अधिक सहायता प्रदान करते हैं।
(iii) दूर-दराज के क्षेत्रों में जहाँ शैक्षिक सुविधाएँ बहुत सीमित है, रेडियो प्रसारणों का अधिक महत्व है।
(iv) कम खर्चीला होने के कारण प्रत्येक व्यक्ति इससे लाभ उठा सकता है।
(v) रेडियो प्रसारणो से अध्यापक स्वंय भी ज्ञान प्राप्त करता है। कई नए तथ्यों तथा प्रत्ययो एंव सिद्धान्तों का ज्ञान अध्यापक को होता है।
(vi) बढ़ती हुई जनसंख्या के संदर्भ में भी रेडियों का शिक्षण के क्षेत्र में शैक्षिक सुविधाओं में प्रयोग दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
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