मॉडल (Models)
मॉडल ( Models ) – मॉडल उसी चित्र का एक स्थूल रूप है जिसके द्वारा वस्तु का प्रतिरूप, लम्बाई, चौड़ाई, ऊँचाई व मोटाई को ध्यान में रखकर बनाया जाता है। यह लकड़ी, मिट्टी, प्लास्टर ऑफ पेरिस या लोहे के बने होते है। जिन बड़ी आकर वाली वस्तुओ को हम कक्षा में नही ला सकते, उनका छोटा रूप मॉडल के नाम से लाकर दिखाया जा सकता है। उदाहरण के लिए बड़ी-बड़ी मशीनो, रेल के इंजन, हवाई जहाज, ऐतिहासिक महल, पढ़ाते समय उसका मॉडल ही प्रयोग में लाया जाता है। विश्व के प्रमुख शिक्षा शास्त्री “मॉडलों की परिभाषा, पहचान योग्य वास्तविक वस्तुओं के त्रि-आयामीय प्रतिरूप के रूप में दी जा सकती है। ” मॉडल को देखकर विद्यार्थियों को असली वस्तु का ज्ञान शीघ्रता से हो जाता है। चित्र ” केवल कक्षा में उस वस्तु का ज्ञान ही दे पाते है परन्तु मॉडल से हमें अन्य बातों का भी आकार देखकर ज्ञान प्राप्त होता है। यह अधिक प्रभावपूर्ण होते है। देखने में सुन्दर व शिक्षाप्रद साधन कहे जाते है।
मॉडल का प्रयोग शिक्षा में तो होता ही है, साथ ही साथ व्यापारिक प्रतिष्ठानों में भी इन्हें रखा जाता है इन्हें देखकर बच्चों मे स्वंय कार्य करने की प्रवृत्ति विकसित हो जाती है।
सामाजिक अध्ययन के शिक्षण में प्राय: इस बात पर बल दिया जाता है कि विद्यार्थियों का जहाँ तक संभव हो प्रत्यक्ष अनुभव कराया जाए। भाखंड़ा बांध, ताजमहल, गंगा नदी आदि की जानकारी देने के लिए यदि विद्यार्थियों को इन स्थानो पर ले जाया जाए तो विद्यार्थियों को ज्ञान प्राप्त करने में अधिक सुविधा होगी। परन्तु इस स्थानों पर जाना इतना आसान नहीं, इस अभाव की पूर्ति के लिए शिक्षण में मॉडलो का प्रयोग किया जाता है। मॉडल किसी वस्तु, स्थान, व्यक्तित्व तथा घटना का प्रतिरूप होता है जिसे कक्षा में ले जाना सम्भव है। यह वास्तविकता का प्रतिनिधित्व करते हैं। किसी वस्तु के मॉडल से तात्पर्य उस वस्तु की उपयुक्त एंव सुविधाजनक दृष्टि से अच्छी तरह से नकल की हुई ऐसी बनावट या प्रतिरूप से है जिसे प्रदर्शित कर अच्छी तरह उस वस्तु या उसकी प्रक्रिया के बारे में जानकारी हो सके। इस प्रकार स्वाभाविक परिस्थितियों में उपलब्ध वास्तविक वस्तुओं एंव उनकी प्रक्रियाओं के बारे में अप्रत्यक्ष ज्ञान प्रदान करने की दृष्टि से पदार्थों और नमूनों के बाद त्रि-आयामी साधन का विशेष रूप से महत्व है वह मॉडल ही है।
मॉडल की शैक्षिक उपयोगिता (Educational use of Model)
शैक्षिक उपयोगिता के दृष्टिकोण से मॉडल के प्रयोग से निम्नलिखित लाभ है-
(1) मॉडल के द्वारा जटिल से जटिल रचना और कार्य प्रणाली के अध्ययन करने में सहायता मिलती है। इससे हम वस्तुओं तथा उनकी प्रतिक्रयाओं की जानकारी आसानी से दे सकते है।
(2) मॉडल सामाजिक अध्ययन सीखने की प्रक्रिया को रोचक तथा सजीव बनाते है। परिणामस्वरूप विद्यार्थियों में पाठ के प्रति आकर्षण पैदा हो जाता है।
(3) विभिन्न विषयों में ऐसे त्रि-आयामी पदार्थों के बारे में जानकरी प्रदान करने के लिए जिन्हें न तो चित्र, चार्ट आदि के द्वि-आयामी साधनो द्वारा पढ़ाया जा सकता है और न जिनके लिए वास्तविक वस्तु या नमूने इत्यादि की व्यवस्था की जा सकती है, मॉडलों का उपयोग उपयुक्त माना जाता है।
(4) मॉडल विद्यार्थियों की सृजनात्मक शक्ति का विकास करते है तथा शिक्षण प्रक्रिया में विद्यार्थियों को सहभागी बनाने में भी सहायता प्रदान करते है।
(5) मॉडल बड़ी वस्तुओं को छोटे रूप में प्रदर्शित कर ज्ञान प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करते है। उदाहरण के लिये पृथ्वी का आकर तथा उससे सम्बन्धित आवश्यक जानकारी प्राप्त करने के लिए उसके छोटे प्रतिरूप ग्लोब का प्रयोग करना उचित रहता है। इस प्रकार इनका प्रयोग काफी प्रभावपूर्ण सिद्ध हुआ है।
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