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भूमि एवं मृदा प्रदूषण का अर्थ | Meaning of Soil Pollution

भूमि एवं मृदा प्रदूषण का अर्थ
भूमि एवं मृदा प्रदूषण का अर्थ

भूमि एवं मृदा प्रदूषण का अर्थ
Meaning of Soil Pollution

भूमि एवं मृदा प्रदूषण का अर्थ- पौधों की जड़ें मिट्टी से पोषक तत्त्वों का अवशोषण करती हैं। जड़ों की सक्रियता बनाये रखने के लिये उन्हें आवश्यकतानुसार जल तथा ऑक्सीजनयुक्त वायु प्राप्त होती रहनी चाहिये। प्रदूषित वायु और जल के कारण मृदा भी प्रदूषित हो जाती है। वर्षा इत्यादि के जल के साथ ये प्रदूषक पदार्थ मिट्टी में भी आ जाते हैं; जैसे-वायु में सल्फर डाइऑक्साइड वर्ष के जल के साथ मिलकर सल्फ्यूरिक अम्ल में परिवर्तित हो जाती है। इस प्रकार जनसंख्या की वृद्धि के साथ साथ अधिक कृषि उत्पादन प्राप्त करने के लिये भूमि की उर्वरता बढ़ाने या बनाये रखने के लिये उर्वरकों एवं कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। ये सभी पदार्थ मृदा में हानिकारक प्रभाव डालते हैं। इस प्रकार का प्रदूषण पौधों की वृद्धि को रोकने, कम करने या मानव की मृत्यु का कारण बन सकता है।

मिट्टी एक स्वनिर्मित तत्त्व है। मिट्टी के ऊपर इतना अधिक बोझ बढ़ गया है कि यह कभी खाली नहीं छोड़ी जाती। यदि मिट्टी को थोड़े समय के लिये परती पर खाली छोड़ दिया जाय तो उसमें पोषक तत्त्व स्वयं उत्पन्न हो जाते हैं। यदि मिट्टी में गोबर, पेड़े-पौधों की पत्तियाँ,जड़ें एवं डण्ठल आदि सड़ जाते हैं तो उसमें जीवांशों की कमी नहीं होने पाती। वास्तव में मानव ने आज मिट्टी को नष्ट करने में कोई कमी नहीं छोड़ी। वह उसे विश्राम ही नहीं करने देता जिससे उसकी पुनः स्वस्थ रहने की क्षमता क्षीण हो गयी है। वह मिट्टी की प्रदूषित जल से सिंचाई भी करने लगा है। इससे मिट्टी के अन्तर्गत जीवाणु अपनी सक्रियता सही ढंग से संजोकर नहीं रख पाते।

वायु में विद्यमान प्रदूषक तत्त्व वर्षा जल के साथ मिट्टी में प्रवेश कर जाते हैं। इससे मिट्टी की अम्लता बढ़ जाती है। यह अम्लता मिट्टी के स्वास्थ्य के लिये घातक सिद्ध हुई है। मिट्टी में अम्लता का सान्द्रण फसलों के लिये हानिकारक होता है। नार्वे, स्वीडन, फिनलैण्ड आदि देशों में अम्लीय वर्षा (Acid rain) के कारण वनों की भारी क्षति हुई है। अम्लीय वर्षा के कारण कनाडा के ओण्टारियो एवं क्यूबेक प्रान्तों की मिट्टी में पी.एच. मान में भारी कमी हो गयी है। कल-कारखानों से उत्सर्जित क्लोरीन एवं नाइट्रोजन गैसें जल से संयुक्त होकर मिट्टी को प्रदूषित करती हैं। इससे मिट्टी का रासायनिक संघटन भी बदल जाता है। कोयला खानों तथा तापीय ऊर्जा संयन्त्रों से उत्सर्जित कणिकीय ठोस पदार्थों के मिट्टी में प्रवेश भी यह प्रदूषित हो जाती है। इन कणिकीय पदार्थों के सान्द्रण में वृद्धि होने से मिट्टी के भौतिक एवं रासायनिक गुणों में परिवर्तन हो जाता है। ताँबा तथा अभ्रक की खानों से निकल धात्विक कणिकीय पदार्थों से भी मिट्टी के भौतिक एवं रायनिक गुणों में परिवर्तन आ जाता है। मिट्टी में मैग्नेसाइट एवं धूल के कण मिलने पर क्षारीयता बढ़ जाती है। क्षारीयता के कारण मिट्टी में पोटाश, कैल्शियम, फॉस्फोरस तथा मैग्नीशियम के तत्त्वों में कमी आ जाती है।

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