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अनुभव के आधार पर मौलिक लेखन के विषयों का वर्णन कीजिये।

अनुभव के आधार पर मौलिक लेखन के विषय
अनुभव के आधार पर मौलिक लेखन के विषय

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अनुभव के आधार पर मौलिक लेखन के विषय

अनुभवों पर बातचीत के साथ लेखन या लिखना – अनुभव मानव जीवन का अनिवार्य एवं अभिन्न अंग है। जब हम किसी तथ्य विशेष या घटना विशेष का अपने जीवन में अनुभव करते हैं तो उसके सन्दर्भ में लिखने की इच्छा हमारे मन में जाग्रत होती है। विभिन्न प्रकार की घटनाओं एवं कहानियों का आधार अनुभव ही होता है; जैसे- महात्मा गाँधी सत्यता के पुजारी थे। उन्होंने अपने जीवन में यह अनुभव किया कि सत्य का आचरण मानव के विकास के लिये आवश्यक है। इसलिये उन्होंने सत्य के आचरण को प्रभावी बनाने एवं उसका प्रचार करने के लिये विभिन्न प्रकार के नियमों का प्रतिपादन किया तथा उसके महत्त्व को जन सामान्य को समझाया। अत: अनुभव के आधार पर मौलिक लेखन के लिये प्रमुख विषयों को निम्नलिखित रूप में देखा जा सकता है-

1. पारिवारिक अनुभवों के आधार पर लेखन – शिक्षक को चाहिये कि वह छात्रों से उनके विभिन्न प्रकार के पारिवारिक अनुभवों के बारे में बातचीत करे तथा मौखिक रूप से छात्रों के अनुभवों को सुने। इसके पश्चात् उस विषय पर छात्रों को लिखने के लिये प्रेरित किया जाय; जैसे- विद्यालय में छात्रों से पूछा जाय कि सुबह होने पर विद्यालय में प्रवेश करने से पूर्व कौन-कौन सी क्रियाएँ सम्पन्न करते हैं तो छात्र बड़े ही रुचिपूर्ण ढंग से उन क्रियाओं का वर्णन करने लग जायेगा। इसके बाद उन सभी क्रियाओं को छात्रों से लिखने के लिये पृथक् पृथक् रूप से कहा जाय। इससे छात्रों में लिखने के प्रति रुचि विकसित होगी तथा उनमें मौलिक लेखन की अभिव्यक्ति का विकास सम्भव होगा।

2. सांस्कृतिक अनुभव- बालक का सामाजिकता एवं संस्कृति में पूर्ण विश्वास होता है। भारतीय परिवेश का बालक मानवता एवं नैतिकता में पूर्ण विश्वास रखता है क्योंकि नैतिकता एवं मानवता भारतीय संस्कृति का मूल तत्त्व है। बालक को विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक एवं सभ्यता सम्बन्धी कार्यक्रमों में अनेक कार्यक्रम अच्छे लगते हैं जो कि नैतिकता एवं मानवता से सम्बन्धित होते हैं। इन सभी कार्यक्रमों के बारे में सर्वप्रथम मौखिक रूप से छात्रों द्वारा श्रवण करना चाहिये। इसके उपरान्त जो घटना या कार्यक्रम छात्रों को अच्छा लगता है वह लिखने के लिये छात्रों से कहना चाहिये।

3. सामाजिक परम्पराएँ – विभिन्न प्रकार की सामाजिक परम्पराओं का अनुभव भी छात्रों द्वारा अपने जीवन में किया जाता है। जो परम्पराएँ छात्रों के लिये रुचिपूर्ण हों उन परम्पराओं के बारे में सर्वप्रथम छात्रों को मौखिक वर्णन करने का अवसर मिलना चाहिये। इसके उपरान्त लिखने का प्रयास करना चाहिये; जैसे-विभिन्न प्रकार के त्यौहारों के बारे में छात्रों से पूछा जाय कि उनको कौन-सा त्यौहार अच्छा लगता है। इसके उपरान्त किसी एक त्यौहार दीपावली या दशहरा जो भी छात्र के लिये सर्वाधिक रुचिपूर्ण हो, पर लेखन कार्य कराने का प्रयास करना चाहिये। इससे छात्रों में लिखित अभिव्यक्ति का विकास सम्भव होगा।

4. पाठ्यक्रम सम्बन्धी अनुभव- पाठ्यक्रम सम्बन्धी अनुभवों के लेखन में शिक्षक छात्रों से महापुरुषों की जीवनी, त्योहारों पर निबन्ध तथा पालतू जानवरों की उपयोगिता जैसे विषयों पर निबन्ध लिखवाता है जो परीक्षोपयोगी भी होते हैं तथा बालक का मानसिक स्तर भी उच्च बनाते हैं।

5. आत्मिक अनुभव – आत्मिक अनुभवों का सम्बन्ध उच्च स्तरीय घटनाओं से तथा छात्रों के उच्च स्तर से होता है। इसमें तर्क एवं चिन्तन से सम्बन्धित अनुभवों पर विचार किया जाता है। उदाहरणार्थ, बालक जब शिक्षक से पूछता है कि चिड़िया क्यों उड़ती है ? आसमान नीला क्यों है? मानव वृद्ध क्यों हो जाता है ? आदि प्रकार की शंकाओं के बारे में भी छात्रों को लिखने के लिये प्रेरित किया जा सकता है। इसके लिये छात्रों को शिक्षक द्वारा विज्ञान सम्बन्धी साहित्य की ‘ सहायता से तथा उचित निर्देशन एवं परामर्श के माध्यम से भी छात्रों को प्रेरित करने का प्रयास करना चाहिये कि वे इन आत्मिक अनुभवों पर अपने लिखित विचार प्रस्तुत करें।

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