B.Ed. / BTC/ D.EL.ED / M.Ed.

मृदा प्रदूषण के कारण (Causes of soil pollution)

मृदा प्रदूषण के कारण
मृदा प्रदूषण के कारण

अनुक्रम (Contents)

मृदा प्रदूषण के कारण (Causes of soil pollution)

वर्तमान में जिस तीव्र गति से जनसंख्या में वृद्धि हो रही है, नगरीकरण तथा औद्योगीकरण की प्रक्रिया चल रही है, उसके कारण मृदा प्रदूषण भी तीव्र गति से हो रहा है। आज अधिकाधिक जनसंख्या के भरण-पोषण के लिये मृदा से अधिकतम उपज प्राप्त करना स्वाभाविक हो गया है जिसके लिये अनेक प्रकार के रसायनों की खोज की जा रही है इन रसायनों के लगातार प्रयोग करने से मृदा के सामान्य भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणों का ह्रास होता जा रहा है। यही कारण है कि देश के अनेक भागों की मृदाओं में क्षारीय एवं अम्लीय गुणों का विकास हो रहा है और उक्त क्षेत्रों की मृदा अनुपजाऊ होती जा रही है तथा कई क्षेत्रों में तो ऊसर भूमि का विकास होता जा रहा है। मृदा प्रदूषण के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

1. भौतिक कारण- मृदा प्रदूषण के भौतिक कारणों में मृदा अपरदन तथा मृदा अवनयन सम्मिलित हैं। मृदा अपरदन को प्रभावित करने में मूलाधार वर्षा, तापमान, वायु, स्थालाकृतिक एवं वानस्पतिक कारकों का विशेष योगदान होता है।

2. जैविकीय कारक- इसके अन्तर्गत सूक्ष्म जीवों तथा अवांछित पौधों को सम्मिलित किया जाता है। इसके चार प्रमुख प्रकार हैं-

  1. मनुष्य द्वारा परित्यक्त रोगजनक सूक्ष्म जीव।
  2. पालतू मवेशियों द्वारा परित्यक्त रोगजनक सूक्ष्म जीव।
  3. मृदा में पूर्व से ही विद्यमान रोगजनक सूक्ष्म जीव तथा
  4. आँतों में रहने वाली बैक्टीरिया एवं प्रोटोजोआ। ये जीव आहार श्रृंखला के माध्यम से मानव शरीर में भी प्रवेश कर जाते हैं।

3. नगरीय एवं औद्योगिक अपशिष्ट- नगरीय एवं औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों से मुख्यत: लवण, लौह पदार्थ, सीसा, ताँबा, पारा, ऐल्युमिनियम, प्लास्टिक, सड़ा-गला कचरा, कागज आदि सम्मिलित हैं। खेतों में डम्पिंग करने तथा सीवेज के जल से फसलों की सिंचाई के कारण मिट्टियों के भौतिक एवं रासायनिक गुण परिवर्तित हो जाते हैं।

4. वायुजनिक कारण- इसमें वायु प्रदूषण सम्मिलित है। घरों,स्वचालित वाहनों, ताप शक्ति संयन्त्रों तथा कल-कारखानों की चिमनियों से उत्सर्जित धुएँ की विशेष भूमिका होती है। ये प्रदूषक पहले वायुमण्डल में पहुँचते हैं तथा बाद में इनका भूतल पर अवपात होता है। ये प्रदूषक मिट्टियों में मिलकर उन्हें प्रदूषित कर देते हैं।

5. जीवनाशी रसायनों में वृद्धि- जीवनाशी रसायन तथा रासायनिक उर्वरकों का अधिक उपयोग मृदा प्रदूषण के सबसे बड़े कारक हैं। यद्यपि इनका प्रयोग फसल की अधिकतम उपज के लिये आवश्यक है परन्तु इनका अत्यधिक प्रयोग मृदा को अनुर्वर बना देता है। ये तत्त्व मिट्टी की गुणवत्ता में धीरे-धीरे परिवर्तन लाकर उसे अनुपजाऊ बना देते हैं। नाभिकीय विस्फोटों के कारण मृदा करणों में रेडियोधर्मी तत्त्वों की सक्रियता आरम्भ हो जाती है जिसके कारण मिट्टी के मौलिक भौतिक एवं रासायनिक गुणों में परिवर्तन हो जाता है। इसके कारण मिट्टी में पनपने वाले कुछ सूक्ष्म जीवाणु भी नष्ट हो जाते हैं तथा मिट्टी की उर्वरा शक्ति का पूर्णत: अथवा आंशिक हो जाता है।

Important Links

Disclaimer

Disclaimer: Sarkariguider.in does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment