जादू की परिभाषा
जादू में व्यक्ति अलौकिक शक्ति को अपने वश में लाने का प्रयत्न करता है और उसके द्वारा अपनी मनोकामना को पूरी करवाना चाहता है। वह अलौकिक शक्ति को आदेश देता है। जादू-टोना इत्यादि के द्वारा आदिम समाज के लोग अपने कार्यों का संपादन करते थे, वर्तमान समाज में भी इसका काफी प्रचलन है। मैक्डोनेल, हेगेल तथा फ्रेजर ने धर्म की उत्पत्ति का मूल जादू-टोने को माना है। फ्रेजर का मानना है कि प्रारंभिक स्तर पर आदिकालीन मनुष्य जादू-टोने के माध्यम से प्रकृति को नियंत्रित करता रहा होगा। एक समय बाद जादू-टोने की असफलता के कारण मनुष्य ने एक अलौकिक शक्ति पर विश्वास किया होगा। डा. श्यामाचरण दुबे (मानव और संस्कृति) उस शक्ति विशेष को जादू कहते हैं जिससे अति मानवीय अर्थात् अलौकिक जगत पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सके तथा उसकी क्रियाओं को अपनी इच्छानुसार अच्छे व बुरे शुभ या अशुभ उपयोग में लाया जा सके। मैलिनोवास्की ने अपनी कृति Magic Science and Religion and other Essays में लिखा है कि ‘विशुद्ध व्यवहारिक क्रिया का योग जादू है जिन्हें कि उद्देश्यों की पूर्ति के साधन के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।’
फ्रेजर ने The Golden Bough में लिखा है कि जादू मनुष्य के विश्वासों तथा व्यवहारों का वह संग्रह है जिस पर किसी प्रकार की आलोचना व पुनः परीक्षण नहीं हो सकता। वे जादू को एक आभासी विज्ञान एवं आभासी कला (Pseudo Art) मानते हैं।
इस प्रकार जादू में कुछ विशिष्ट उपायों एवं पद्धतियों द्वारा अतिमानवीय शक्ति को वश में किया जाता है और उससे अपने मनोवांछित कार्यों की पूर्ति करवायी जाती है।
जादू के प्रकार
फ्रेजर के अनुसार जादू के निम्नलिखित दो प्रकार है –
1 – अनुकरणात्मक जादू (Imitative Magic)
इस प्रकार का जादू इस मान्यता पर आधारित है कि समान क्रिया के समान परिणाम उत्पन्न होते हैं। जब एक प्रकार की विशिष्ट क्रिया की जाती है तो उसी प्रकार के परिणाम प्राप्त होते हैं। इस प्रकार यह समानता के नियम पर आधारित है। इसे बिम्बवादी या होम्योपैथिक जादू भी कहते हैं। डा. एस. सी. दुबे ने लिखा है कि गेलेलारी समाज में जब युवक अपनी प्रेमिका के घर मिलने जाता है तब श्मशान की मिट्टी लेकर जाता है ताकि उसके माता-पिता गहरी नींद में सोते रहे तथा वह बिना किसी बाधा के अपनी प्रेमिका से बात कर सके।
2 – सांसर्गिक जादू (Contagious Magic)
इस प्रकार का जादू इस मान्यता पर आधारित होता है कि जब कोई वस्तु किसी एक वस्तु के संपर्क में आ जाती है है तब वह हमेशा उसके संपर्क में रहती है, इस प्रकार यह जादू संपर्क के नियम पर आधारित होता है। उदाहरण के लिये अगर किसी व्यक्ति के बाल काट कर रख लिये जाएँ तो जादूगर के मंत्रों के साथ उन बालों को कष्ट पहुँचाया जाये तो उस संबंधित व्यक्ति को कष्ट होगा।
मैलिनोवास्की के अनुसार जादू दो प्रकार के हो सकते हैं –
1. सफेद जादू- इसका उद्देश्य दूसरों की भलाई करना होता है और उसे सामाजिक स्वीकृति प्राप्त होती है।
2. काला जादू- दूसरों को हानि पहुँचाने के लिये किया जाता है।
डा० एस. सी. दुबे ने जादू को तीन भागों में विभाजित किया है –
1. संवर्द्धक जादू- इस प्रकार के जादू का उद्देश्य किसी वस्तु का उत्पादन बढ़ाना, वर्षा लाना एवं व्यापार में लाभ कमाना होता है।
2. संरक्षक जादू- इसका उद्देश्य दूसरे जादूगर से किये गये जादू रक्षा, संपत्ति की सुरक्षा एवं दुर्भाग्य से बचाना है।
3. विनाशक जादू- इसका उद्देश्य दूसरों को मारना या हानि पहुँचाना व बीमार करना होता है।
फ्रेजर जादू को विज्ञान की अवैध बहन मानते हैं। जादू के क्षेत्र में सहानुभूति का नियम जेम्स फ्रेजर का है।
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