प्लेटो: समकालीन परिस्थितियाँ
समकालीन परिस्थितियाँ
(Contemporary Situations)
समकालीन परिस्थितियाँ किसी भी विचारक को समझने के लिए उसके वातावरण के बारे में समझना आवश्यक होता है। प्लेटो के विचार भी तत्कालीन वातावरण से अवश्य प्रभावित हुए हैं। प्लेटो ने अपने समय के नगर राज्यों, विशेषकर एथेन्स में कुछ त्रुटियाँ देखी जिन पर उसने अपनी रचनाओं में विचार किया है। उस समय एथेन्स में वातावरण निम्नलिखित परिस्थितियों पर आधारित था :-
1. व्यक्तिवाद का अतिरेक अथवा स्वार्थ का प्रभुत्व (Excessive Individualism or Dominance of Selfishness) :
उस समय व्यक्तिवाद चरम सीमा पर था। लोग अपने अपने स्वार्थों की पूर्ति में लगे हुए थे। सत्तारूढ़ शासक वर्ग अपने राजनीतिक अधिकारों का प्रयोग अपने आर्थिक हितों की पूर्ति के लिए कर रहा था। राजनीतिक पदों की कोई पवित्रता नहीं थी। वे शासक वर्ग के हितों को बढ़ाने वाले थे। राजनीति में सोफिस्टों का ही प्रभाव था। सोफिस्टों के अनुसार राज्य व्यक्तियों का एक समूह मात्र था और इसका लक्ष्य व्यक्ति था। व्यक्तिवाद की इस भावना ने एथेन्स को विरोधी नगरों में बाँट दिया था। नगर राज्यों में अल्पतन्त्रीय सरकारें थीं और उनकी स्थिति प्रजातन्त्रीय नगरों से भी बुरी थी। शासक दल धनी वर्ग का प्रतिनिधि था। हितों की आपसी टक्कर ने राजनीतिक अस्थिरता फैला रखी थी। अल्पतन्त्रों और प्रजातन्त्रों में पाई जाने वाली राजनीति धनलिप्सा और स्वार्थ सिद्धि का उपकरण मात्र थी। परस्पर मतभेदों ने एथेन्स का परस्पर विरोधी राज्यों में बाँट रखा था। प्लेटो के शब्दों में- “प्रत्येक राज्य में दो भिन्न-भिन्न राज्य थे – अमीरों का राज्य तथा गरीबों का राज्य।” प्लेटो ने देख लिया था कि इस समस्या का भूतकाल स्वार्थ की प्रवृत्ति अथवा धनलिप्सा था। अतः इस बुराई को दूर करने के लिए प्लेटो ने शासकों के लिए धन, सम्पत्ति अथवा घर-बार अपनाने के अधिकार का विरोध किया।
2. अव्यवसायवादी हस्तक्षेप (Amateurish Meddlesomeness) :
उस समय एथेन्स में अव्यवसायवादी हस्तक्षेप की मनोवृति थी तथा यह लॉटरी की प्रथा में व्यक्त होती थी। लॉटरी द्वारा किसी भी अज्ञानी या मूर्ख व्यक्ति को राजनीतिक क्रियाओं के लिए चुन लिया जाता था। प्लेटो इस दोष से अच्छी तरह परिचित था। वह कार्यात्मक विशिष्टीकरण का सुझाव देता है जिसका तात्पर्य था कि प्रत्येक व्यक्ति वहीं कार्य करे जिसके लिए वह अपने स्वभाव एवं आत्मा के अनुसार योग्य हो और जिसमें उसे कुशलता व दक्षता प्राप्त हो। वह दूसरे के क्षेत्र में हस्तक्षेप न करे। उसका विचार था कि शासकों को दर्शनशास्त्र तथा राज्य शासन की कलाओं का विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि ‘अव्यवसायीवादी हस्तक्षेप का सिद्धान्त’ नष्ट हो सके और शासन क्रियाओं में योग्य व्यक्ति ही भाग ले सके।
3. अज्ञानता का शासन (Rule of Ignorance) :
एथेन्स में प्लेटो के समय शासन पर अज्ञानी व मूर्ख राजाओं का अधिकार था। अपनी अज्ञानता के कारण उन्होंने सुकरात को भी मृत्यु-दण्ड दे दिया था। इस घटना से प्लेटो बहुत दुखी था। ‘तीस निरंकुशों’ के शासन के अन्त पर स्थापित प्रजातान्त्रिक शासन पहले वाले ही दोषों से ग्रसित था। शासक वर्ग लॉटरी द्वारा चुना जाता था। मूर्ख व अयोग्य व्यक्ति भी इस पद पर आसीन हो सकता था। प्लेटो ने ‘सद्गुण ही ज्ञान है’ की उक्ति के आधार पर दार्शनिक राजा का सुझाव दिया। प्लेटो का प्रमुख उद्देश्य अज्ञानी शासकों के शासन को स्पष्ट करना था।
4. आर्थिक असमानता (Economic Inequality) :
प्लेटो के समय में शासक वर्ग धनी वर्ग का ही प्रतिनिधित्व करता था। राजनीति धन कमाने का साधन थी। जनता में अमीर-गरीब का अन्तर शीर्ष पर था। शासक वर्ग धन-लिप्सा के कारण जनता का शोषण कर रहा था। स्वार्थ की भावना जनकल्याण की भावना से सर्वोपरि थी। अल्पतन्त्र व प्रजातन्त्र दोनों लटा के शासक राजनीति को आर्थिक लाभ का साधन मानते थे। आर्थिक असमानता ही सामाजिक संघर्ष का प्रमुख कारण थी। बार्कर के शब्दों में- “अल्पतन्त्रों और प्रजातन्त्रों में पाई जाने वाली राजनीति तथा धन-लिप्सा के मिश्रण से उत्पन्न संभ्रान्ति ही नागरिक कल हों अथवा सामाजिक संघर्ष का प्रमुख कारण थी।”
5. राजनीतिक अस्थिरता (Political Instability) :
प्लेटो के समय में एथेन्स में राजनीतिक वातावरण दूषित हो चुका था। यूनान छोटे-छोटे राज्यों में बँट गया था। सभी राज्य स्वार्थ सिद्धि की प्रवृत्ति पर आधारित थे। राज्य भी उप-राज्यों में बँटा हुआ था। शासन की बागडोर अयोग्य शासकों के हाथों में थी। निरन्तर राजनीतिक विरोध की स्थिति बनी रहती थी। प्लेटो ने अपने जीवनकाल में ही 30 वर्षों तक एथेन्स को स्पार्टा तथा फ्लीयोनेशिया के साथ संघर्षरत देखा था। क्रान्ति या विद्रोह द्वारा एथेन्स में तीस “निरंकुशों के शासन की स्थापना हुई थी। जनता व शासक हिंसात्मक कार्यों व असंवैधानिक कार्यों में लिप्त थे। निरन्तर राजनीतिक अस्थिरता का वातावरण बना रहता था। इससे दुखी होकर प्लेटो ने दार्शनिक राजा का शासन स्थापित करने की बात कही ताकि इस राजनीतिक अस्थिरता के वातावरण को खत्म किया जा सके।
उपर्युक्त विश्लेषण से स्पष्ट हो जाता है कि प्लेटो ने तत्कालीन परिस्थितियों से प्रभावित होकर अपने प्रसिद्ध ग्रन्थ रिपब्लिक (Republic) की रचना की और तत्कालीन एथेन्स की समस्त बुराइयों को दूर करने के लिए सुझाव प्रस्तुत किए।
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