कृषि आय क्या है?(What is Agricultural Income?)
कृषि आय क्या है? What is Agricultural Income?— आयकर अधिनियम की धारा 2 (1A) के अनुसार कृषि आय से आशय है-
(1) भारत में स्थित एवं कृषि उद्देश्यों के लिए प्रयुक्त भूमि से प्राप्त किराया अथवा लगान।
(2) ऐसी भूमि से प्राप्त आय जो कृषि करने से हो या प्राप्त उपज को बाजार में विक्रय योग्य बनाने के लिए हो या भूमि का किराया प्राप्त करने वाले को उसके द्वारा प्राप्त उपज को विक्रय करने से हो।
(3) ऐसी भूमि से प्राप्त किराया एवं कृषि भवन से प्राप्त आय जो उसके अधिकर एवं स्वामित्व में हो किन्तु निम्नलिखित शर्तें पूरी करता हो—
(A) भूमि पर उपजकर्ता का अधिकार हो ।
(B) ऐसा भवन कृषि भूमि पर या उसके बिल्कुल निकट स्थित होना चाहिए।
(C) ऐसी पर भारत में लगान लगता हो अथवा कोई अन्य कर लगता हो जिसे सरकारी अधिकारियों द्वारा लगाया एवं वसूल किया जाता हो। यदि कर नहीं लगता तो ऐसी भूमि शहरी सीमा के बाहर होनी चाहिए अर्थात् ऐसी भूमि 10,000 से कम आबादी वाले क्षेत्र में स्थित हो तथा ऐसी भूमि स्थानीय सीमाओं से 8 किलोमीटर से दूर के क्षेत्र में स्थित हो।
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निम्न दशाओं में कृषि भूमि पूँजी सम्पत्ति मानी जायेगी
A. यदि कृषि भूमि 10,000 से अधिक की जनसंख्या वाले क्षेत्र में स्थित हो या नगर पालिका अथवा कैन्टोनमेण्ट की सीमा से 8 किमी. दायरे के अन्दर स्थित हो ।
B. यदि कृषि भूमि आकाशीय मार्ग से (Aerially) नापी जाती है तो नगरपालिका या कैण्टोनमेण्ट बोर्ड की सीमा से 2 किमी. दायरे के अन्दर स्थित हो तथा वहाँ की जनसंख्या 10,000 से अधिक हो किन्तु 1 लाख से अधिक न हो।
C. यदि कृषि भूमि आकाशीय मार्ग से नापी जाती है तो नगरपालिका या कैण्टोनमेण्ट बोर्ड की सीमा से 6 किमी. के दायरे के अन्दर स्थित हो तथा वहाँ भी जनसंख्या 1 लाभ से अधिक हो किन्तु 10 लाख से अधिक नहीं हो।
D. यदि कृषि भूमि आकाशीय मार्ग से नापी जाती है तो नगर पालिका या कैण्टोनमैण्ट बोर्ड की सीमा से 8 किमी. दायरे के अन्दर स्थित हो तथा वहाँ की जनसंख्या 10 लाख से अधिक हो ।
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कृषि आय की विशेषताएँ (Features of Agricultural Incoine)
(1) कृषि आय कृषि भूमि से प्रत्यक्ष रूप से उत्पन्न होनी चाहिए। कृषि से अप्रत्यक्ष रूप में उत्पन्न आय कृषि आय नहीं मानी जाती। उदाहरण के लिये कृषि फार्म के प्रबन्धक का वेतन संलग्न कम्पनी के अंशों पर प्राप्त लाभांश आदि।
(2) कृषि आय भारत में स्थापित कृषि भूमि से प्राप्त होनी चाहिए। विदेश में स्थित कृषि भूमि से प्राप्त आय कृषि आय नहीं मानी जायेगी। उदाहरण के लिए पाकिस्तान में स्थित कृषि भूमि से प्राप्त आय।
(3) कृषि भूमि का प्रयोग कृषि कार्यों में किया जाता हो जैसे- भूमि को जोतना, उसमें बीज बोना, खाद डालना, पानी देना आदि।
(4) भूमि से आय प्राप्तकर्ता का भूमि में व्यक्तिगत हित होना चाहिए अन्यथा भूमि से प्राप्त आय कृषि आय नहीं मानी जायेगी। भूमि का मालिक या उसका किरायेदार भूमि में व्यक्तिगत हित रखता है। एक व्यक्ति जो खड़ा फसल को खरीदता है और उसे बेचकर लाभ भूमि अर्जित करता है, भूमि में व्यक्तिगत हित नहीं रखता अतः ऐसे व्यक्ति द्वारा कमाया गया लाभ कृषि आय नहीं माना जायेगा ।
कृषि आय के प्रकार (Kinds of Agricultural Income)
आयकर अधिनियम की धारा 2 (1A) के अनुसार कृषि आय के निम्न प्रकार हैं-
1. भूमि से प्राप्त किराया अथवा प्राप्ति (Rent and Revenue Derived from Land) – कोई भी किराया या प्राप्ति जो कृषि भूमि से उत्पन्न हुई हो वो कृषि भूमि कही जाती है। किराये से आशय कृषि भूमि के मालिक द्वारा कृषि भूमि के उपयोगकर्ता से मुद्रा के रूप में प्राप्त आय से है। अन्य प्राप्ति का आगम का आशय भूमि के मालिक की प्राप्त अन्य आय और प्राप्ति से है जैसे- कृषि उपज में प्राप्त हिस्सा।
2. कृषि क्रिया करने से आय (Income from Agricultural Activities)- कोई भी आय जो कृषि क्रिया करने से उत्पन्न हुई हो, कृषि आय समझी जाती है। कृषि क्रियायें जैसे— कृषि भूमि को जोतना, उस पर बीज बोना, उस पर पानी देना, उस पर खाद्य देना एवं अन्य इसी प्रकार की क्रियायें हैं। ऐसी उपज हो ऐसी क्रियाओं के कारण उत्पन्न नहीं हुई हो वरन् स्वतः ही उत्पन्न हुई हो उन्हें बेचने से प्राप्त आय कृषि आय नहीं मानी जाती। जैसे— जंगली घास बेचने से आय, जंगली बाँस बेचने से आय आदि।
3. कृषि उपज को विक्रय योग्य बनाने से आय (Income from Making Produce Marketable)- यदि कृषि उपजकर्ता या कृषि भूमि में व्यक्तिगत हित रखने वाला कोई व्यक्ति कृषि उपज को विक्रय योग्य बनाने के लिये कोई क्रिया करता है तो ऐसी क्रिया से उत्पन्न आय कृषि आय समझी जाती है। ये क्रियायें मुख्य रूप से कपास, चाय, तम्बाकू, कॉफी, धान, चना, गेहूँ, दाल आदि को उपज को विक्रय योग्य बनाने के लिये की जाती हैं। उदाहरण के लिये कपास को ओटकर रुई बनाना, तम्बाकू को सुखाना आदि।
4. कृषि उपज को बेचने से आय (Income from Sale of Agricultural Produce)- कृषि उपजकर्ता द्वारा या कृषि भूमि में व्यक्तिगत हित रखने वाले व्यक्ति द्वारा कृषि उपज को बेचने से उत्पन्न आय कृषि आय मानी जाती है।
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अंशतः कृषि आय क्या है?
अंशतः कृषि आय- कुछ आय ऐसी होती है जो न तो पूर्णरूप से कृषि आय समझी जा सकती है और न जिन्हें व्यापार सम्बन्धी लाभों के अन्तर्गत ही रखा जा सकता है। ऐसी आयो में कुछ तत्त्व कृषि के होते हैं और कुछ व्यापार से सम्बन्धित। ऐसी स्थिति में कर योग्य आय ज्ञात करने के लिए कुछ राशि में से उपज का औसत बाजार मूल्य घटा दिया जाता है।
1. चाय बागान से आय- भारत में चाय उत्पादन एवं विक्रय से होने वाली आय का 60% भाग कृषि आय मानी जायेगी, जबकि 40% आय कर-योग्य आय होगी। कृषि आय की गणना करते समय उन समस्त पौधों को लगाने का व्यय भी लागत में से घटा दिया जाता है। जो मरे हुए पौधों के स्थान पर लगाये गये हों।
2. चीनी मिल यदि गन्ना उत्पादक हो- ऐसी चीनी मिलों की आय, जो अपने स्वयं के खेत पर गन्ना उगाती है। इनकी कुल आय में एक अंश कृषि आय का होता है तथा शेष आय व्यापारिक आय या कर योग्य आय होती है। कर योग्य आय का अंश मालूम करने के लिए चीनी मिल द्वारा स्वयं अपने फार्म पर उत्पादित माल का बाजार मूल्य, जिसे कि चीनी मिल ने कच्चे माल के रूप में काम लिया है, घटा दिया जाता है। ऐसे माल को पैदा करने अथवा कृषि करने के व्ययों पर ध्यान नहीं दिया जाता है। भूमि से प्राप्त किराया जो कि कृषि उद्देश्य हेतु दी गयी हो।
गैर कृषि आय
निम्न प्रकार की आय यद्यपि जमीन से सम्बन्धित है तथापि यह जमीन के कृषि कार्यों में प्रयोग न होने के कारण कृषि आय नहीं कही जा सकती। अतः इन्हें गैर कृषि आय कहा जाता है। उदाहरणतः
(i) हाट-बाजारों से होने वाली आय
(ii) पत्थरों की खानों से होने वाली आय;
(iii) खानों की अधिकार-शुल्क (Royalty) से आय;
(iv) कृषि उपज को संगृहीत करने के लिए भण्डार के रूप में प्रयोग में लायी हुई भूमि से आय;
(v) सिंचाई के लिए पानी देने की आय; उदाहरणार्थ, किसी ट्यूब-वेल या कुएं से सिंचाई के लिए पानी देने से जो आय होती है क्योंकि ऐसी आय कृषि कार्य से उत्पन्न नहीं हुई है|
(vi) स्वयं उग आयी हुई घास, पेड़ अथवा बांस से आय;
(vii) मछली क्षेत्रों से होने वाली आय;
(viii) उस मिट्टी की आय जो ईंट बनाने के लिए बेच दी गयी है;
(ix) कृषि फार्म के मैनेजर को मिलने वाला पारिश्रमिक;
(x) कृषि कार्य में लगी हुई कम्पनी से लाभांश की आय;
(xi) खड़ी फसल के क्रेता को आय;
(xii) डेरी-फार्म, मुर्गी-पालन आदि से आय; तथा
(xiii) कृषि भूमि के किराये की बकाया पर ब्याज से आय।
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