विश्व बैंक क्या है? -World Bank in Hindi
विश्व बैंक क्या है? (World Bank) – 1994 में आयोजित ब्रेटनवुड्स अन्तर्राष्ट्रीय मौद्रिक सम्मेलन में जिन दो संस्थाओं की स्थापना का निश्चय किया गया था उनमें अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तो सदस्य देशों के अस्थायी भुगतान असन्तुलन को ठीक करने के लिए बनाया गया था परन्तु युद्ध जनित अव्यवस्था को दूर करने तथा अविकसित और अल्पविकसित देशों को विकास करने के लिए दीर्घकालीन पूँजी की भी आवश्यकता थी। इसकी पूर्ति के लिए अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक अथवा विश्व बैंक की स्थापना की गर्यो विश्व बैंक ने जून 1946 से कार्य करना आरम्भ किया। विश्व बैंक तथा अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष दोनों पूरक संस्थायें हैं।
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विश्व बैंक समूह में विश्व बैंक तथा उसकी सहयोगी संस्था अन्तर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA) के साथ ही दो संस्थाओं का और समावेश होता है, वे हैं- अन्तर्राष्ट्रीय वित्त निगम एवं बहुपक्षीय गारण्टी अभिकरण। इस प्रकार विश्व बैंक समूह में निम्नांकित संस्थाओं का समावेश है
1. अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक।
2. अन्तर्राष्ट्रीय वित्त निगम ।
3. अन्तर्राष्ट्रीय विकास संघ।
4. बहुपक्षीय विकास संघ। विश्व बैंक के द्वारा की गयी प्रगति का अध्ययन निम्न बिन्दुओं के अन्तर्गत किया जा सकता है-
1. ऋणों की प्रगति, 2. सहायता क्लबों की स्थापना, 3. विवादों का निपटारा, 4. वित्तीय साधनों की प्राप्ति, 5. पर्यावरण संरक्षण, 6. प्रशिक्षण संस्थान, 7. तकनीकी सहायता, 8. अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं की स्थापना में सहयोग, 9. अर्धविकसित देशों को उचित वित्तीय सहायता।
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विश्व बैंक के उद्देश्य
ब्रेटनवुड्स समझौते के अन्तर्गत IBRD की स्थापना 1945 में IMF की पूरक संस्था के रूप में की गई इसको अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर विश्व बैंक के नाम से जाना जाता है।
विश्व बैंक के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित है-
(i) इसका मुख्य उद्देश्य युद्ध से जर्जर हुई अर्थव्यवस्था का पुनर्निर्माण करना तथा अल्पविकसित देशों के विकास में योगदान देना था।
(ii) यह सदस्य देशों में उत्पादन कार्यों में वृद्धि के लिए पूँजी निवेश में सहायता करता है तथा उत्पादन परिसम्पत्तियों के सृजन के लिए पूँजी उपलब्ध कराता है।
(iii) यह सदस्य देशों में निजी विदेशी पूँजी निवेश को प्रोत्साहित करता है। इस उद्देश्य से निजी ऋणों अथवा पूँजी निवेश के लिए गारण्टी प्रदान करता है अथवा इसमें सफलता न मिलने पर स्वयं के साधनों से उपयुक्त शर्तों पर उत्पाद कार्यों के लिए ऋण उपलब्ध कराता है।
(iv) यह अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के दीर्घकालीन सन्तुलित विकास तथा भुगतान सन्तुलन की समस्या के उद्देश्य से पूँजी निवेश को प्रोत्साहित करता है।
विश्व बैंक के कार्य
विश्व बैंक निम्नलिखित कार्य सम्पन्न करता है
1. स्वयं के कोष से ऋण देना- प्रत्येक सदस्य राष्ट्र विश्व बैंक को निर्धारित चन्दे की राशि का भुगतान करता है। विश्वा बैंक इससे एक कोष की स्थापना करता है तथा इस कोष से जरूरतमंद सदस्य राष्ट्रों को ऋण प्रदान करता है।
2. उधार ली गयी पूँजी से ऋण देना- विश्व बैंक पूँजी बाजार से ऋण लेकर भी सदस्य देशों को ऋण प्रदान करता है ।
3. गारण्टी देकर ऋण दिलाना– विश्व बैंक किसी सदस्य देश के निजी निवेशकर्ताओं को गारण्टी देकर उनकी पूँजी को किसी अन्य देश को उधार दिला सकता है, परन्तु गारण्टी देने से पूर्व बैंक को उन दोनों देशों से अनुमति प्राप्त करनी पड़ती है।
4. तकनीकी सहायता – विश्व बैंक के पास अनेक देशों के विशेषज्ञ होते हैं जोसमय-समय पर अपनी सेवाएँ सदस्य राष्ट्रों को प्रदान करते रहते हैं। 5. प्रशिक्षण- विश्व बैंक सदस्य राष्ट्रों के अधिकारियों को विकास योजनाओं के निर्माण एवं उन्हें क्रियान्वित करने के लिए प्रशिक्षण देता है।
6. अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं का हल- अन्तर्राष्ट्रीय समस्याएँ सुलझाने में भी विश्व बैंक मदद करता है ।
विश्व बैंक के महत्त्व
(1) वित्तीय सहायता- भारत को अपनी विकासात्मक योजना के लिए विश्व बैंक से काफी ऋण प्राप्त हुए हैं ।
(2) तकनीकी सहायता- वित्तीय सहायता के अतिरिक्त विश्व बैंक ने भारत को (अ) तकनीकी परामर्श, (ब) निरीक्षण व दल विशेषज्ञों की सेवाएँ तथा (स) प्रशिक्षण की व्यवस्था से लाभांवित किया है।
(3) विदेशी विनिमय के संकट में सहायता- भारत के सामने अभी तक जब कभी विदेशी विनिमय का संकट आया, विश्व बैंक ने आशातीत सहायता की।
(4) मानवीय विकास परियोजाएँ- विश्व बैंक भारत को शिक्षा व स्वास्थ्य परियोजनाओं में सहायता दे रहा है।
(5) बहुराष्ट्रीय निवेश गारण्टी एजेन्सी- इसका उद्देश्य विकासशील देशों में निजी क्षेत्र के विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए जोखिम के विरुद्ध गारण्टी देना है।
(6) सामान्य ऋणों की सुविधा।
(7) जनसंख्या नियन्त्रण सहायता।
(8) गैर-सरकारी संगठनों की सहायता- विश्व बैंक द्वारा जनकल्याण के कार्यों से सम्बन्धित कई गैर-सरकारी संगठनों को भी वित्तीय सहायता दी गयी है।
(9) विश्व बैंक की सहायक संस्थाओं की सदस्यता से लाभ- विश्व बैंक का सदस्य होने के कारण भारत को उसकी सहायक संस्थाओं का सदस्य बनाने का भी लाभ प्राप्त हुआ है।
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