औद्योगिक अनुज्ञापन नीति का अर्थ-Meanings of Industrial lieancing Policy in Hindi
औद्योगिक अनुज्ञापन नीति का अर्थ (Meanings of Industrial lieancing Policy) – औद्योगिक अनुज्ञापन नीति, उद्योगों के विकास एवं संचालन पर नियन्त्रण रखने की एक प्रणाली है। यह एक ऐसी व्यवस्था है, जिसके माध्यम से औद्योगिक विकास को राष्ट्रीय नितियों एवं लक्ष्यों के अनुरूप ढाला जा सकता है। यह औद्योगिक उपक्रमों की स्थापना एवं प्रस्तार पर नियन्त्रण रखने का एक महत्त्वपूर्ण शस्त्र है जिससे आर्थिक विकास को वांछित दिशाओं में प्रोत्साहित किया जा सकता है। यह उद्योगों के साधनों एवं गतिविधियों के नियमन की विधि है। इसका उद्देश्य देश के विकास को राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप निर्धारित करना है ।
भारत की नयी अनुज्ञापन नीति के उद्देश्य
1. औद्योगिक अनुज्ञापन से मुक्ति – 1991 की नीति के अन्तर्गत 18 प्रमुख उद्योगों को छोड़कर अन्य सभी उद्योगों को अनुज्ञापन से मुक्त किया गया था। अगस्त, 1997 ई० तक 9 उद्योगों को अनुज्ञापन की परिधि से निकाल लिया गया है तथा बाद के तीन वर्षों में चार और उद्योगों को । सन् 2000 में केवल निम्नलिखित 5 उद्योग ऐसे थे जिनके लिए अनुज्ञापन प्राप्त करना अनिवार्य है-
(i) तम्बाकू के ऐल्कोहालिक पेयों का आसवन (Distillation) व इनसे शराब बनाना (ii) सिगार एवं सिगरेट तथा विनिर्मित तम्बाकू के अन्य विकल्प (iii) इलेक्ट्रॉनिक एयरोस्पेस व सभी प्रकार के सुरक्षा उपकरण (iv) औद्योगिक विस्फोट-डिटोनेटिव फ्यूज, सेफ्टी-फ्यूज, गन पाउडर, नाइट्रोसेल्यूलोज तथा माचिसों साहित औद्योगिक विस्फोटक सामग्री तथा (v) खतरनाक रसायन ।
इसे भी पढ़े…
2. सार्वजनिक या सरकारी क्षेत्र के लिए उद्योग-सार्वजनिक क्षेत्र के लिए आरक्षित उद्योगों की श्रेणी में पहले 17 उद्योग थे, अब धीरे-धीरे इनकी संख्या कम करके केवल 4 उद्योगों को ही इस श्रेणी में रखा है। ये उद्योग निम्नलिखित हैं- (i) रक्षा उत्पादन (ii) परमाणु ऊर्जा (iii) रेलवे परिवहन तथा (iv) परमाणु ऊर्जा आदेश 1953 में विनिर्दिष्ट खनिज ।
3. खनिज उद्योगों को निजी क्षेत्र के लिए खोलना – 26 मार्च, 1993 ई० से उन 13 खनिजों को जो पहले सरकारी क्षेत्र के लिए आरक्षित थे निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया गया है।
4. अनुज्ञापन से मुक्त उद्योगों को स्मरण-पत्र प्रस्तुत करना- अब जिन नयी इकाइयों को स्थापित करने या उनका विस्तार करने के लिए लाइसेंस मुक्त कर दिया गया है, उन्हें औद्योगिक अनुमोदन सचिवालय में निर्धारित प्रारूप में एक स्मरण-पत्र प्रस्तुत करना होगा। इसके साथ हजार रुपये का शुल्क भी जमा करना पड़ेगा। इस प्रक्रिया का अब पर्याप्त सरलीकरण कर दिया गया है।
इसे भी पढ़े…
समानान्तर अर्थव्यवस्था का अर्थ | समानान्तर अर्थव्यवस्था के कारण | समानान्तर अर्थव्यवस्था के प्रभाव
अनुज्ञापन प्रणाली में सुधार के सुझाव (Suggestion)
अनुज्ञापन प्रणाली देश के औद्योगिक विकास को गति देने का महत्त्वपूर्ण उपकरण है। इसके दोषों को दूर करने हेतु महत्त्वपूर्ण सुझाव अग्रलिखित हैं-
1. सुदृढ़ औद्योगिक योजना- अनुज्ञापन प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में एक सुदृढ़ एवं सुविचारित योजना बनायी जानी चाहिए। इसके अन्तर्गत आवेदन-पत्रों के मूल्यांकन हेतु मापदण्डों का निर्धारण एवं निश्चित निर्देशक तत्वों का निर्माण किया जाना चाहिए।
2. चयन की वैज्ञानिक विधि- अनुज्ञापत्रों को स्वीकृत करने में उचित तकनीकी एवं आर्थिक आधार अपनाये जाने चाहिए। केवल क्रम का आधार (Sequential Basis) न लेकर इकाई की सम्भावित क्षमता को आँका जाना चाहिए। इस सम्बन्ध में इकाई से विभिन्न सूचनाएँ में माँगी जा सकती हैं।
इसे भी पढ़े…
3. सुधरी हुई प्रक्रिया – अनुज्ञापन प्रक्रिया में प्रशासनिक सुधार किये जाने चाहिए। अनावश्यक औपचारिकताओं को त्यागकर स्वीकृति के निर्णय तुरन्त लिए जाने चाहिए। इस सम्बन्ध में उद्योग मन्त्रालय राज्य स्तर पर अपनी विकेन्द्रित एजेन्सियों की स्थापना कर सकता है।
4. प्रादेशिक कोटा- प्रादेशिक सन्तुलित विकास की दृष्टि से अनुज्ञापनों के क्षेत्रीय कोटा निश्चित किए जाने चाहिए। आवेदन-पत्रों पर उसी आधार पर विचार किया जाना चाहिए। इससे क्षेत्रीय सन्तुलित विकास को बढ़ावा मिलेगा।
5. लघु इकाइयों को आर्थिक सुविधाएँ- लघु इकाइयों के प्रोत्साहन हेतु उन्हें अधिक प्रोत्साहन दिये जाने चाहिए। इनके लिए आरक्षित वस्तुओं की सूची में वृद्धि की जानी चाहिए।
इसे भी पढ़े…
- औद्योगिक रुग्णता का अर्थ, लक्षण, दुष्परिणाम, कारण, तथा सुधार के उपाय
- राजकोषीय नीति का अर्थ, परिभाषाएं, उद्देश्य, उपकरण तथा विशेषताएँ
- भारत की 1991 की औद्योगिक नीति- मुख्य तत्व, समीक्षा तथा महत्त्व
- मुद्रास्फीति या मुद्रा प्रसार की परिभाषा, कारण, परिणाम या प्रभाव
- मुद्रा स्फीति के विभिन्न रूप | Various Types of Inflation in Hindi
- गरीबी का अर्थ एवं परिभाषाएँ | भारत में गरीबी या निर्धनता के कारण अथवा समस्या | गरीबी की समस्या को दूर करने के उपाय
- बेरोजगारी का अर्थ | बेरोजगारी की प्रकृति | बेरोजगारी के प्रकार एवं विस्तार
- सामाजिक अन्याय का अर्थ | सामाजिक अन्याय को समाप्त करने के उपाय
- भुगतान सन्तुलन | व्यापार सन्तुलन और भुगतान सन्तुलन में अन्तर | Balance of Payment in Hindi
- सार्वजनिक क्षेत्र या सार्वजनिक उपक्रम अर्थ, विशेषताएँ, उद्देश्य, महत्त्व
- सार्वजनिक क्षेत्र (Public Sector) के उद्योगों से आशय | क्या सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण कर दिया जाना चाहिए?
- उद्योग का अर्थ | पूँजी बाजार के प्रमुख उद्योग | Meaning of Industry in Hindi
- भारत की राष्ट्रीय आय के कम होने के कारण | भारत में राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने के सुझाव
Important Links
- बचत के स्रोत | घरेलू बचतों के स्रोत का विश्लेषण | पूँजी निर्माण के मुख्य स्रोत
- आर्थिक विकास का अर्थ | आर्थिक विकास की परिभाषा | आर्थिक विकास की विशेषताएँ
- आर्थिक संवृद्धि एवं आर्थिक विकास में अन्तर | Economic Growth and Economic Development in Hindi