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मतदाता जागरूकता पर निबंध | Matdata Jagrukta Nibandh | Matdata Jagrukta essay in Hindi

मतदाता जागरूकता पर निबंध
मतदाता जागरूकता पर निबंध

मतदाता जागरूकता पर निबन्ध लिखिए।

मतदाता जागरूकता पर निबंध | Matdata Jagrukta Nibandh | Matdata Jagrukta essay in Hindi.

मतदाता जागरूकता पर निबन्ध- संसार में अनेक प्रकार की शासन-व्यवस्थाएं प्रचलित है। उनमें लोकतंत्र या जनतंत्र एक ऐसी शासन-व्यवस्था का नाम है, जिसमें जनता के हित के लिए, जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि ही सारी व्यवस्था का संचालन किया करते हैं। इसी कारण जिन देशों में इस प्रकार की सरकारों की व्यवस्था है, राजनीतिक शब्दावली में उन्हें लोक-कल्याणकारी राज्य और सरकार कहा जाता है। यदि लोक या जनता द्वारा निर्वाचित सरकार लोक-कल्याण के कार्य नहीं करती, तो उसे अधिक से अधिक पांच वर्षों के बाद बदला भी जा सकता है। पाँच वर्षों एक बार चुनाव कराना लोकतंत्र की पहली और आवश्यक शर्त है। चुनाव में प्रत्येक बालिग अपनी इच्छानुसार अपने मत (वोट) का प्रयोग करके इच्छित व्यक्ति को जिता और अनिच्छित को पराजित करके सत्ता से हटा सकता है। इस प्रकार लोकतंत्र में मतदान और चुनाव का अधिकार होने के कारण प्रत्येक नागरिक परोक्ष रूप से सत्ता और शासन के संचालन में भागीदारी भी निभाया करता है। इन्हीं तथ्यों के आलोक में ‘लोकतंत्र में चुनाव का महत्त्व’ रेखांकित किया जाता है और जा सकता है। यहाँ भी इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखकर विवेचन किया गया है।

राष्ट्रीय मतदाता दिवस 2023


दिवस

राष्ट्रीय मतदाता दिवस
दिन 25 जनवरी
उद्देश्य मतदान के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए

कब शुरू हुआ

साल 2011 

लोकतंत्र में अब प्रायः सारी राजनीतिक गतिविधियां वोटों के गणित पर ही आधारित होकर संचालित होने लगी हैं। लोकहित की बात पीछे छूट गई है। अब अक्सर चतुर-चालाक राजनीतिज्ञ जनता का मत चुनाव के अवसर पर पाने के लिए अनेक प्रकार के सब्जबाग दिखाया करते हैं। जनता को तरह-तरह के आश्वासन और झांसे भी दिया करते हैं। अब यह मतदाता पर निर्भर करता है कि वह उनके सफेद झांसे में आता है कि नहीं, इसे इस परम्परा की एक सीमा भी कहा जा सकता है। फिर भी निश्चय ही आज का मतदाता बड़ा ही जागरूक, सजग और सावधान है। वह लोकतंत्र और चुनाव दोनों का अर्थ और महत्त्व भली प्रकार समझता है। अतः चुनाव के अवसर पर वह सही व्यक्ति को वोट देकर लोकतंत्र की रक्षा तो कर ही सकता है। उसके जनहित में, विकास में भी सहायता पहुँचा सकता है। अतः चुनाव के समय की घोषणाओं को ही उसे सामने नहीं रखना चाहिए, बल्कि नीर-क्षीर विवेक से काम लेकर उपयुक्त, ईमानदार और जनहित के लिए प्रतिबद्ध व्यक्ति के पक्ष में ही मतदान करना चाहिए तभी सच्चे अर्थों में वास्तविक लोकतंत्र की रक्षा सम्भव हो सकती है।

चुनाव, क्योंकि लोकतंत्र की अनिवार्य शर्त और सफलता की कसौटी भी है, अतः प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य हो जाता है कि वह उसके प्रति सावधान रहे। कई बार ऐसा भी होता है कि कुछ लोग यह सोचकर चुनावों के समय मत प्रयोग नहीं भी करते कि हमारे एक मत के न डलने से क्या बनने-बिगड़ने वाला है? पर वस्तुतः बात ऐसी नहीं। कई बार हार-जीत का निर्णय केवल एक ही वोट पर निर्भर हुआ करता है। हमारे एक वोट के न डालने से अच्छा उम्मीदवार हार और अयाचित उम्मीदवार जीत सकता है। मान लो, हमारी तरह यदि अन्य कई लोग भी वोट न डालने की मानसिकता बनाकर बैठ जाएं तब चुनाव क्या एक खिलवाड़ बनकर नहीं रह जाएगा। सजग सावधान और जागरूक मतदाता ही चुनावों को सार्थक बनाने की भूमिका निभा सकता है। अतः अपने मत का प्रयोग अवश्य, परन्तु सोच-समझकर करना चाहिए। यही इसका सदुपयोग सार्थकता और हमारी जागरूकता का परिचायक भी है।

चुनाव लोकतंत्र के नागरिकों को पाँच वर्षों में एक बार अवसर देते हैं कि अयोग्य एवं स्वार्थी प्रशासकों या प्रशासक दलों को उखाड़ फेंका जाए। योग्य और ईमानदार लोगों या दलों को शासन सूत्र संचालन की बागडोर सौंपी जा सके। राजनीतिक दलों और नेताओं को उनकी गफलत के लिए सबक सिखाया और जागरूकता के लिए विश्वास प्रदान किया जा सके। लोकतंत्र की सफलता के लिए सही राजनीति और लोगों का, उचित योजनाओं का चयन एवं विकास सम्भव हो सके। यह वह अवसर होता है कि जब विगत वर्षों की नीति और योजनागत सफलताओं-असफलताओं का लेखा-जोखा करके नवीन की भूमिका बांधी जा सके। यदि हम लोकतंत्र के वासी और मतदाता ऐसा कर पाते हैं, तब तो लोकतंत्र में चुनाव का महत्त्व असंदिग्ध बना रह सकता है, अन्यथा वह एक बेकार के नाटक से अधिक कुछ नहीं। जागरूक नागरिक होने के कारण हमें उन्हें केवल नाटक नहीं बनने देना है, बल्कि जन-जीवन का संरक्षक बनाना है। अब तक भारतीय लोकतंत्र सोलह बार चुनाव का दुश्य देख चुका है। इनमें से सन् 1996 में सम्पन्न चुनाव सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण और स्मरणीय कहा जाता है।

भारत सरकार ने वर्ष 2011 साल से हर साल 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला किया। 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाता है क्योंकि 25 जनवरी, 1950 को, हम गणतंत्र राष्ट्र बनने के एक दिन पहले चुनाव आयोग की स्थापना हुई थी। हम 2011 से यह दिन मना रहे हैं। राष्ट्रीय मतदाता दिवस का विचार एक आम वोटर कैप्टन चाँद ने 2010 में दिया था। चुनाव आयोग ने सुझाव स्वीकार किया और इसमें सुधार करके 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस शुरू किया। 2011 में यह पहिली बार मनाया गया, इस साल हम 8वां राष्ट्रीय मतदाता दिवस मना चुके हैं।

पहले मतदाता की पात्रता आयु 21 वर्ष थी, लेकिन 1988 में इसे 18 वर्ष तक घटा दिया गया गया था। इस बदलाव को शामिल किया गया क्योंकि दुनिया भर में कई देशों ने आधिकारिक मतदान उम्र के रूप में 18 वर्ष की सीमा को अपनाया था। उसी समय भारतीय युवा साक्षर और राजनैतिक रूप से जागरूक हो रहा था। 61वें विधेयक संशोधन, 1998 ने भारत में मतदाता की पात्रता उम्र कम कर दिया।

भारत 50% से अधिक आबादी 35 साल के उम्र के नीचे की है और इसका एक बड़ा हिस्सा 18 साल का पड़ाव पार कर रहा है। उन्हें जागरूक करना और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बनाना बहुत महत्त्वपूर्ण है। उन्हें अपने अधिकारों और दायित्वों का एहसास कराना बहुत जरूरी है। इस तरह से हम लोकतंत्र में लोगों की भागीदारी बढ़ा सकते हैं।

पीएम नरेन्द्र मोदी के ‘मन की बात’ रेडियो प्रसारण पर 2018 नए साल का भाषण हुआ। भाषण में उन्होंने नए पात्र मतदाताओं का स्वागत किया, जो 1 जनवरी को 18 साल के हो गए। उन्होंने उन्हें ‘न्यू इण्डिया वोटर्स’ कहा और उन्हें पंजीकृत होने के लिए आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा, “इस शताब्दी के मतदाता के रूप में, आपको भी गर्व महसूस करना चाहिए। आपका वोट नए भारत का आधार साबित होगा। वोट की शक्ति लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है। लाखों लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए मतदान सबसे प्रभावी उपकरण है। “

राष्ट्रीय मतदाता दिवस समारोह पूरे भारत में 7 लाख से अधिक स्थानों पर मनाया जाता है। हर साल पात्र मतदाता प्रतिज्ञा लेते हैं, फोटो मतदाता पहचान पत्र प्राप्त करते हैं और उन्हें एक पुस्तिका दी जाती है जो उन्हें अपने अधिकार और दायित्वों पर जानकारी देती है। ऐसे दिनों का जश्न मनाना बहुत महत्त्वपूर्ण है, इससे देश में लोकतंत्र की ताकत और लोगों का राष्ट्र निर्माण में योगदान बढ़ेगा। नोट- हमने यह जानकारी निबन्ध प्रारूप में दी है लेकिन आप भाषण के लिए समान सामग्री का उपयोग करते हैं, पैराग्राफ, लेख के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। हाँ, आपको तदनुसार शैली और संरचना को संशोधित करना होगा। भारत के राष्ट्रीय मतदाता दिवस के बारे में पूछे जाने वाले कुछ अन्य सामान्य प्रश्न यहाँ दिए गए हैं। राष्ट्रीय मतदाता दिवस कब और क्यों मनाया जाता है? युवा, पात्र भारतीय मतदाताओं को लोकतांत्रिक राजनीतिक प्रक्रिया में सक्रिय भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाता है। यह 25 जनवरी, 2011 से हर साल मनाया जाता है।

राष्ट्रीय मतदाता दिवस कब मनाया जाता हैं?

राष्ट्रीय मतदाता दिवस 25 जनवरी, 2011 से हर साल मनाया जाता है।

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