बच्चों की अच्छी परवरिश का तरीका – Bacho Ki Parvarish Kaise Kare
1. बच्चा आपकी खुशकिस्मती है- आप खुशकिस्मत हैं कि खुशियों की पोटली के रूप में एक बच्चा आपके घर में आया है। ना तो बच्चे आपकी जायदाद हैं और ना आप उनके मालिक। बस उनको पालते-पोसते बड़ा होते देखिए और खुश रहिए । उनको अपने आने वाले कल की जमा पूँजी मत समझिए।
2. जो बनना चाहें बनने दें- उनको जो बनना है बनने दें। जिन्दगी की अपनी समझ के मुताबिक उनको ढालने की कोशिश न करें। जरूरी नहीं कि आपने अपनी जिन्दगी में जो किया वही आपका बच्चा भी करे। बच्चे को ऐसा कुछ करना चाहिए जिसके बारे में सोचने तक की हिम्मत आपने अपनी जिन्दगी में नहीं की। तभी यह दुनिया तरक्की कर पाएगी।
3. सच्चा प्यार दें, हर मांगी हुई चीज नहीं- लोग गलती से यह समझते हैं कि अपने बच्चों को प्यार करने का मतलब है उनकी हर मांग पूरी करना। अगर आप उनकी मांगी हुई हर चीज उनको देते हैं तो बड़ी बेवकूफी करते हैं। अगर आप अपने बच्चे से प्यार करते हैं. तो उसे वही दें जो जरूरी है। जब आप किसी से सचमुच प्यार करते हैं तो उसका दुलारा होने की फिक्र किए बिना आप वही करते हैं जो उसके लिए बिलकुल सही है।
4. क्या जल्दी है बड़े होने की- यह बेहद जरूरी है कि बच्चे को बच्चा ही रहने दें, उसे बड़ा बनाने की जल्दी न मचाएं क्योंकि आप बड़े को बच्चा तो बना नहीं सकते। बच्चा जब बच्चे की तरह बर्ताव करता है तो खुशियां फैलाता है। बड़ा होने के बावजूद बच्चे जैसा बर्ताव करता है तो बहुत बुरा लगता है। आराम से बड़ा होने दीजिए, जल्दी क्या है?
5. यह सीखने का वक्त है सिखाने का नहीं- आप जिन्दगी के बारे में जानते ही क्या हैं कि आप अपने बच्चों को सिखा सकें? बस आप उनको जीवन बसर करने के कुछ गुर सिखा सकते हैं। आप खुद को अपने बच्चे के साथ तोल कर देखें कि खुशी और उल्लास की काबिलियत किसमें ज्यादा है। आपके बच्चे में है न? अगर वह आपसे ज्यादा खुश रहना जानता है तो जिन्दगी के बारे में सलाह देने के कौन ज्यादा काबिल है, आप या वह ? जब आपकी जिन्दगी में एक बच्चा आता है तो यह सीखने का वक्त होता है, सिखाने का नहीं। आपकी जिन्दगी में उसके आने के बाद अनजाने ही आप हँसते हैं, खेलते हैं, गाते बजाते हैं, सोफे के नीचे दुबकते हैं और वह सब-कुछ करते हैं जो आप भूल चुके थे। इसलिए यह जिन्दगी के बारे में सीखने का वक्त है।
6. बच्चे सहज ही आध्यात्मिक होते हैं- अगर बच्चों के साथ दखलंदाजी न की जाए तो वे सहज रूप से आध्यात्मिक होते हैं। आम तौर पर माँ-बाप, शिक्षक, समाज, टेलिविजन वगैरह में से कोई-न-कोई उनके साथ दखलंदाजी करता रहता है। ऐसा माहौल बनाइए जहाँ बाहरी दखलंदाजी कम से कम हो और बच्चे को अपनी बुद्धि बढ़ाने का मौका मिले न कि आपके धर्म से पहचान बढ़ाने का बच्चा आध्यात्मिक शब्द का मतलब जाने बिना ही खुद ब खुद आध्यात्मिक हो जायेगा।
7. प्यार भरा और मददगार माहौल बनाइए- अगर आप डरे-सहमें और चिन्तित दिखाई देंगे तो आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि आपके बच्चे खुश होकर जिएंगे। वे भी वही बात सीखेंगे। सबसे अच्छी चीज जो आप उनके लिए कर सकते हैं वह यह कि आप एक प्यार भरा खुशनुमा माहौल बनाएं।
8. गहरी दोस्ती करें- अपने बच्चे पर खुद को थोपना छोड़ दें और उसका बॉस बनने की बजाय उससे गहरी दोस्ती करें। अपने को उससे ऊपर रखकर उस पर शासन ना चलाएं, बल्कि खुद को उससे नीचे रखें ताकि वह आपसे आसानी से बात कर सके।
9. इज्जत की माँग न करें- आप अपने बच्चों से प्यार चाहते हैं न? लेकिन कई माँ-बाप कहते हैं, “मेरी इज्जत करना सीखो।” सिवाय इसके कि आप इस दुनिया में उससे कुछ साल पहले आए, आपका शरीर बड़ा है और आप गुजर बसर करने के कुछ गुर जानते हैं, किस मामले में आप उनसे बेहतर प्राणी हैं?
10. खुद को दिलकश बनाएं- बच्चे पर बहुत-सी चीजों का असर होता है- टीवी, पड़ोसी, स्कूल और लाखों दूसरी चीजें। उसको जो सबसे ज्यादा दिलकश लगेगा वह उसी की तरफ खिंचेगा। माँ-बाप के रूप में आपको कुछ यूं बनना होगा कि उसको आपके साथ रहना, घूमना-फिरना, बातें करना बाकी सब चीजों से ज्यादा दिलकश लगे। अगर आप एक खुशहाल, अक्लमंद और दिलकश इन्सान हैं तो वह किसी और की तरफ नहीं खिंचेगा। वह हर चीज के बारे में आपके ही पास आकर पूछेगा।
पहले अगर आप ईमानदारी से अपने बच्चों की अच्छी परवरिश करना चाहते हैं तो सबसे को एक शान्त और प्रेम से भरपूर इंसान बनाना होगा ।
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