पॉजिटिव पेरेंटिंग क्या है? बच्चों को सुधारने के लिए क्या कार्य करना चाहिए।
पॉजिटिव पेरेंटिंग क्या है? (Positive Parenting in Hindi)- पॉजिटिव डिसिप्लिन या पेरेंटिंग एक अनुशासन मॉडल है जिसका इस्तेमाल स्कूलों द्वारा पेरेंटिंग में किया जाता है जो व्यवहार के सकारात्मक बिन्दुओं पर केन्द्रित होता है। यह इस विचार पर आधारित है कि कोई बुरे बच्चे नहीं हैं, बस अच्छे और बुरे व्यवहार हैं। • बच्चों को सुधारने के उपाय- यह किट-किट करने के बजाय मौन रहना अच्छा, नहीं बोलना अच्छा। बच्चे सुधरने के बजाय बिगड़ते हैं, इसलिए एक अक्षर भी मत कहना। बिगड़े उसकी जिम्मेदारी अपनी है। यह समझ में आए ऐसी बात है न ?
आप कहो कि ऐसा मत करना, तब वह उल्टा ही करता है। ‘करूंगा, जाइए जो करना है करो।’ उल्टा वह ज्यादा बिगड़ता है। बच्चे अपनी आबरू मिट्टी में मिला देते हैं। इन भारतीयों को जीना भी नहीं आया! बाप होना नहीं आया और बाप बन बैठे हैं। इसलिए ऐसे-वैसे मुझे समझाना पड़ता है, पुस्तकें प्रकाशित करनी पड़ती हैं। वर्ना जिसने अपना ज्ञान लिया हैं, वे तो बच्चों को बहुत अच्छा बना सकते हैं। उसे बिठाकर, हाथ फेरकर पूछो कि ‘बेटा, तुझे, यह भूल हुई, ऐसा नहीं लगता।
यह इण्डियन फिलॉसफी (भारतीय तात्विक समझ) कैसी होती है? माता-पिता में से एक डाँटने लगे तब दूसरा, बच्चे का बचाव करता है। इसलिए वह कुछ सुधर रहा हो, तो सुधरना तो एक ओर रहा, ऊपर से बेटा समझता है कि ‘मम्मी अच्छी है और पापा बुरे हैं, बड़ा हो जाऊँगा तब इन्हें मारूँगा।”
बच्चों को सुधारना हो तो हमारी आज्ञानुसार चलो। बच्चों के पूछने पर ही बोलना और उन्हें यह भी कह देना कि मुझे नहीं पूछो तो अच्छा। बच्चों के सम्बन्ध में उल्टा विचार आए तो तुरन्त उसका प्रतिक्रमण कर डालना।
किसी को सुधारने की शक्ति इस काल में खत्म हो गई है। इसलिए सुधारने की आशा छोड़ दो। क्योंकि मन-वचन-काया की एकात्मवृत्ति हो, तभी सामने वाला सुधर सकता है। मन में जैसा हो, वैसा वाणी में निकले और वैसा ही वर्तन हो, तभी सामने वाला सुधरेगा। इस काल में ऐसा नहीं है। घर में प्रत्येक व्यक्ति के साथ कैसे व्यवहार हो, उसकी ‘नोर्मेलिटी’ (समानता) ला दो। आचार, विचार और उच्चार में सीधा परिवर्तन हो तो खुद परमात्मा बन सकता है और उल्टा परिवर्तन हो तो राक्षस भी बन सकता है। लोग सामनेवाले को सुधारने के लिए सब फ्रेक्चर कर डालते हैं। पहले खुद सुधरे तो ही दूसरों को सुधार सकता है। लेकिन खुद के सुधरे बगैर सामनेवाला कैसे सुधरेगा ?
आपको बच्चों के लिए भाव करते रहना है कि बच्चों की बुद्धि सीधी हो । ऐसा करते-करते बहुत दिनों के बाद असर हुए बिना नहीं रहता। वे तो धीमे-धीमे समझेंगे, आप भावना करते रहो। उन पर जबरदस्ती करोगे तो उल्टे चलेंगे। तात्पर्य यह कि संसार जैसे-तैसे निभा लेने जैसा है।
बेटा शराब पीकर आए और आपको दुःख दें, तब आप मुझे कहो कि यह मुझे बहुत दुःख देता है तो मैं कहूँ कि गलती आपकी है, इसलिए शान्ति से चुपचाप भुगत लो, बिना भाव बिगाड़े। यह भगवान महावीर का नियम है और संसार का नियम तो अलग है। संसार के लोग कहेंगे कि ‘बेटे की भूल है।’ ऐसा कहनेवाले आपको आ मिलेंगे और आप भी अकड़ जाओगे कि ‘बेटे की ही भूल है, यह मेरी समझ सही है।’ बड़े आए समझवाले! भगवान कहते हैं, ‘तेरी भूल है।’
आप फ्रेन्डशिप ( मित्रता ) करोगे तो बच्चे सुधरेंगे। आपकी फ्रेन्डशिप होगी तो बच्चे सुधरेंगे। लेकिन माता-पिता की तरह रहोगे, रोब जमाने जाओगे, तो जोखिम है। फ्रेन्ड (मित्र) की तरह रहना चाहिए। वे बाहर फ्रेन्ड खोजने न जाए इस प्रकार रहना चाहिए। अगर आप फ्रेन्ड हैं, तो उसके साथ खेलना चाहिए, फ्रेन्ड जैसा सब करना चाहिए ! तेरे आने के बाद हम चाय पिएँगे, ऐसा कहना चाहिए। हम सब मिलकर चाय पिएँगे। आपका मित्र हो इस प्रकार व्यवहार करना चाहिए, तब बच्चे आपके रहेंगे। नहीं तो बच्चे आपके नहीं होंगे, सचमुच कोई बच्चा किसी का होता ही नहीं। कोई आदमी मर जाए तो, उसके पीछे उसका बेटा मरता है कभी? सब घर आकर खाते-पीते हैं। ये बच्चे नहीं हैं, ये तो सिर्फ कुदरत के नियमानुसार (सम्बन्ध के तौर पर) दिखाई देते हैं इतना ही। ‘योर फ्रेन्ड’ (आपका मित्र) के तौर पर रहना चाहिए। आप पहले तय करो तो फ्रेन्ड के तौर पर रह सकते हो। जैसे फ्रेन्ड को बुरा लगे ऐसा नहीं बोलते, वह उल्टा कर रहा हो तो हम उसे कब तक समझाते हैं कि वह मान जाए तब तक और न माने तो फिर उसे कहते हैं कि ‘जैसी तेरी मरजी।’ फ्रेन्ड होने के लिए मन में पहले क्या सोचना चाहिए? बाह्य व्यवहार में ‘मैं उसका पिता हूँ’, परन्तु अन्दर से मन में हमें मानना चाहिए कि मैं उसका बेटा हूँ। तभी फ्रेन्डशिप हो पाएगी, नहीं तो नहीं होगी। पिता मित्र कैसे होगा? उसके लेवर (स्तर) तक आने पर। उस लेवल तक किस प्रकार आएँ? वह मन में ऐसा समझे कि ‘मैं इसका पुत्र हूँ।’ यदि ऐसा कहे तो काम निकल जाए। कुछ लोग कहते हैं और काम हो भी जाता है।
- नवाचार का अर्थ, परिभाषा एवं नवाचार की विशेषताएँ | नवाचार की अवधारणा पर निबन्ध
- नवाचार का उद्देश्य व आवश्यकता | Aims and Need of Innovation in Hindi
- Important Links
- शैक्षिक प्रशासन का अर्थ एंव परिभाषा | Meaning and Definitions of Educational Administration
- शिक्षा की गुणवत्ता के मापदण्ड का अर्थ, उद्देश्य एंव समुदाय की भूमिका
- विद्यालय को समुदाय के निकट लाने के उपाय | ways to bring school closer to the community
- भारत और सामुदायिक विद्यालय | India and Community School in Hindi
- विद्यालय प्रयोजन के लिए स्थानीय संसाधनों के प्रयोग | Use of Local Resources
- विद्यालय व सामुदायिक सम्बन्धों की नूतन स्थिति क्या है?
- विद्यालय सामुदायिक को स्थापित करने के उपाय | Measures to establish a school community
- समुदाय का अर्थ एंव इसके प्रभाव | Meaning and Effects of Community in Hindi
- पाठ्य-सहगामी क्रियाओं का अर्थ, उद्देश्य, महत्व एवं संगठन के सिद्धान्त
- अध्यापक की व्यावसायिक अभिवृद्धि का अर्थ एंव गुण | Qualities of teacher’s Professional growth
- आदर्श अध्यापक के गुण | Qualities of an Ideal Teacher in Hindi
- एक आदर्श अध्यापक के महत्व | Importance of an ideal Teacher in Hindi
- अध्यापक के गुण, भूमिका और कर्त्तव्य | Qualities, roles and Duties of Teacher in Hindi
- विद्यालय संगठन में निरीक्षण का क्या महत्त्व है? Importance of inspection in school organization
- विद्यालय के प्रधानाध्यापक के कर्त्तव्य और उत्तरदायित्व | Duties and Responsibilities of School Headmaster
- एक योग्य प्रधानाध्यापक में किन-किन गुणों का होना आवश्यक है? विस्तृत विवेचना कीजिए।
- निरौपचारिक शिक्षा की परिभाषा, उद्देश्य, विशेषताएँ
- पुस्तकालय का महत्त्व | Importance of Library in Hindi
- विद्यालय पुस्तकालय की वर्तमान दशा-व्यवस्था और प्रकार का वर्णन कीजिए।
- विद्यालय पुस्तकालय का क्या महत्व है? What is the Importance of school library?
- विद्यालय छात्रावास भवन | School Hostel Building in Hindi
- छात्रावास अधीक्षक के गुण एवं दायित्व | Qualities and Responsibilities of Hostel Superintendent
- विद्यालय-भवन तथा विद्यालय की स्थिति की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- विद्यालय-भवन के प्रमुख भाग | Main Parts of School Building in Hindi
- Disclaimer
- Disclaimer: Sarkariguider does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com