नवाचार में बाधाएँ (Obstacles in Innovation in Hindi)
नवाचार में बाधाएँ (Obstacles in Innovation)- परिवर्तन युक्त वे सब साधन एवं माध्यम जिन्होंने व्यक्तियों के व्यवहार में नवीनता युक्त तथ्यों, मान्यताओं, विचारों का बीजारोपण करके नवीन प्रवृत्तियों की ओर उन्मुख किया, वे नवाचार कहलाते हैं।
किसी भी नवीन परिवर्तन को अपनाने एवं उसके क्रियान्वयन में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं एवं बाधाओं का वर्णन निम्नलिखित है-
1. अपर्याप्त धन (Insufficient money)- एक नवाचार को प्रारम्भ करने के लिए पर्याप्त धन की आवश्यकता होती है। पर्याप्त धन के अभाव में नवाचार के कार्यक्रमों का संचालन नहीं किया जा सकता है। कई उत्कृष्ट नवाचारों की आवश्यकता है परन्तु धन की कमी के कारण प्रयोग नहीं किये जा पा रहे हैं।
2. समाज का भय (Fear of Society)- मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। सामाजिक प्राणी होने के कारण उसे समाज के मूल्यों, आदर्शों, परम्पराओं का सम्मान करना पड़ता है। वह इनके विरुद्ध नहीं जा सकता है। इन्हीं सामाजिक परम्पराओं के कारण वह कुछ नया सोचने में डरता है। जिससे नवाचार के विकास मे में बाधा उत्पन्न होती है।
3. असफलता का भय (Fear of Failure)- मनुष्य अपना प्रत्येक कार्य किसी सफलता की आशा से करता है। यदि उसे आशा होती है कि किसी नवीन विचार के माध्यम से उसे भविष्य में सफलता प्राप्त होगी तो वह उस विचार को अपने मस्तिष्क में लाता है परन्तु यदि किसी नवीन विचार या कार्य के माध्यम से भविष्य में असफलता का भय होता है तो उस नवीन विचार से वह विरत हो जाता है। यह असफलता का भय नवाचार के मार्ग में बाधा उत्पन्न करते हैं।
4. आत्मविश्वास का अभाव (Lack of Self Confidence)- प्रायः मनुष्य में इतनी योग्यता या क्षमता नहीं होती है कि वह कोई नवीन विचार अपने मस्तिष्क में ला सके। अपनी इस आत्मविश्वास की कमी के कारण भी वह नवाचारों का प्रयोग करने में असमर्थ रहता है।
5. उचित संगठन का अभाव (Lack of Proper Organization)- किसी भी नवाचार का विकास करने के लिए उचित संगठन की आवश्यकता होती है। उचित संगठन के अभाव में नवाचार के मार्ग में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
6. समय का अभाव (Lack of Time)- किसी भी नवाचार को व्यावहारिक जीवन में प्रयोग करने के लिये पर्याप्त समय की आवश्यकता होती है। जब तक किसी व्यक्ति के पास पर्याप्त समय नहीं होगा तब तक कोई नवीन विचार उसके मस्तिष्क में उत्पन्न नहीं होगा। नवीन विचार के उत्पन्न न होने से वह नवीन कार्यों को करने में असमर्थ होगा। अतः नवाचार के मार्ग में सबसे बड़ी कठिनाई समय का अभाव होना है।
7. व्यक्तित्व सम्बन्धी बाधायें (Problems Related to Presonality)- व्यक्तित्व मन और शरीर का गत्यात्मक संगठन होता है। इसमें व्यक्ति की आदतें, मनोवृत्तियों रुचि, नैतिकता क्षमता इत्यादि निहित होती हैं। इसी के आधार पर व्यक्ति अपने वातावरण एव निहित होती हैं। नवाचारों से अन्तःक्रिया द्वारा समायोजन स्थापित करता है। अतः व्यक्तित्व का अपूर्ण विकास भी नवाचार के लिए बाधा उत्पन्न कर सकता है।
8. अज्ञान जनित बाधायें- अज्ञान जनित बाधायें निरक्षता व अन्धविश्वास पर आधारित होती हैं। इसमें किसी नवाचार के बारे में पूर्ण रूपेण जानकारी न होना, मित्रमण्डली द्वारा नवाचारों को महत्त्व न देना, बिना जानकारी के नवाचारों का विरोध करना इत्यादि बातें निहित होती है।
नवाचार की बाधाओं को दूर करने के उपाय-
नवाचार की बाधाओं को दूर करने के उपायों का वर्णन निम्नलिखित है-
1. नवाचार को सफल बनाने के लिये ऐसे परिवेश का निर्माण करना होगा, जिसमें व्यक्ति की आदतों में वांछित परिवर्तन लाया जा सके।
2. नैतिकता की बाधा को दूर करने के लिये ग्रहणकर्ता के मन में नवाचार के प्रति विश्वास जागृत करना होगा।
3. असुरक्षा की भावना के उन्मूलन के लिये अधिकारियों द्वारा ग्रहणकर्ता को संरक्षण दिया जाये जिससे उसका हौसला बढ़े।
4. असफलता की भावना को दूर करने के लिये यह आवश्यक है कि नवाचार के प्रयोग में सुखद अनुभव कराया जाये जिससे ग्रहणकर्ता को यह अनुभूति कराई जा सके कि वह इस कार्य में अवश्य सफल होगा।
5. सामाजिक भय को दूर करने के लिये यह आवश्यक है कि अधिकारियों और कार्यकर्ताओं को इस स्थिति में उसके सामने ऐसे व्यक्तियों के उदाहरण प्रस्तुत करने होंगे जिन्होंने समाज को अनुचित परम्पराओं का उल्लंघन करके सफलतापूर्वक नवाचार को अपनाया है।
6. नवाचार के प्रति अज्ञानता को दूर करने के लिए आवश्यक है कि ग्रहणकर्ता को नवाचार की पूर्ण जानकारी दी जाये जिससे उसकी नवाचार के प्रति भ्रान्ति दूर हो सके।
7. नवाचार की आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए मानव संसाधनों के साथ-साथ व्यक्तित्व सम्बन्धी व सामाजिक भ्रान्तियों को दूर करना अति आवश्यक है तभी नवाचार को सफलता मिल सकती है।
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