अधिगम असमर्थ बच्चों की पहचान (Identification of Learning Disabled Children)
अधिगम असमर्थ बच्चों की पहचान (Identification of Learning Disabled Children)- अधिगम असमर्थी की पहचान उतनी जल्दी नहीं हो पाती है। अधिगम असमर्थी बच्चे एक सामान्य जीवन जीते हैं और इन्हें अपने दैनिक कार्यों में किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता है। इन्हें केवल सोचने, समझने, लिखने व भाषा सम्बन्धी कठिनाइयाँ होती हैं।
इस प्रकार बच्चों की पहचान सामान्यतः
इस प्रकार बच्चों की पहचान सामान्यतः परीक्षण रहित प्रविधियों (Non-testing devices) व परीक्षणयुक्त प्रविधियों (Testing devices) को अपनाकर की जा सकती है।
परीक्षण रहित प्रविधियाँ (Non-testing devices)-
इस प्रकार की प्रविधियों में अधिगम अक्षमता की पहचान हेतु हम निरीक्षण, साक्षात्कार, चैकलिस्ट व रेटिंग स्केल आदि तकनीकों का प्रयोग करते हैं। यद्यपि कुछ व्यवहारगत विशेषताओं का वर्णन इस प्रकार है जो अधिगम असमर्थी बालकों को सामान्य से भिन्न बनाती हैं-
(1) देखने, सोचने व समझने की योग्यता में कमी।
(2) मौलिक अनुदेशनों को समझने व याद रखने की अक्षमता होती है।
(3) ये दायें, बायें, ऊपर व नीचे आदि के बोध में कठिनाई का सामना करते हैं।
(4) ये एक कार्य से दूसरे कार्य को करने में कठिनाई पाते हैं।
(5) ऐसे बालक थोड़े-से परिवर्तन से परेशान हो जाते हैं।
(6) वे किसी एक बात पर स्थिर नहीं रहते। प्रत्येक कार्य को तैयार हो जाते हैं, लेकिन कर नहीं पाते।
(7) वे किसी भी कार्य को अधिक समय तक ध्यानपूर्वक नहीं कर सकते तथा उनका ध्यान इधर-उधर भटकता रहता है।
(8) अमूर्त प्रत्ययों को समझने में बहुत कठिनाई का सामना करते हैं।
(9) इनके पास सामान्यतः सीमित शब्द व अंक होते हैं।
(10) ये सामान्य से ज्यादा उत्तेजित होते हैं। ये कक्षा में थोड़े समय भी शान्त नहीं बैठ सकते।
(11) विद्यालय में तथा कक्षा कार्य में इनकी क्रियाएँ निम्न स्तर की होती हैं।
(12) पढ़ते समय पंक्तियों को छोड़ देता है या उन्हें दो बार पढ़ लेता है।
परीक्षणयुक्त प्रविधियाँ (Testing Devices)-
विभिन्न प्रकार की परीक्षणयुक्त प्रविधियों द्वारा अधिगम असमर्थ बच्चों की पहचान की जाती है। इस प्रकार की प्रविधियों द्वारा गणित व भाषा सम्बन्धी नेत्रों में आने वाली कठिनाइयों का निदान किया जाता है। यदि बच्चों की अधिगम सम्बन्धी कठिनाइयों का समय से निदान नहीं किया जाये तो बच्चों को स्कूल में असफलता का सामना करना पड़ता है। प्राथमिक व माध्यमिक स्तर पर अधिगम असमर्थ बच्चों को पहचानना आसान होता है, क्योंकि इस स्तर पर विभिन्न प्रकार के उपकरणों की उपलब्धता, अध्यापक निरीक्षण व उपलब्धि सूचकांक आदि प्रयोग किये जा सकते हैं। अतः इस प्रकार की प्रविधियों में वे सभी प्रकार के परीक्षण शामिल किये जा सकते हैं जिनका औपचारिक रूप से प्रयोग अधिगम अक्षमता के मापन हेतु वैसे ही किया जाता है जैसे कि बुद्धि परीक्षणों का बुद्धि मापन हेतु किया जाता है। इस कार्य हेतु निम्न प्रकार के परीक्षण काम में लाये जाते हैं-
प्रामाणिक निदानात्मक परीक्षण-
इन परीक्षणों की सहायता से हम बालकों को अधिगम कठिनाइयों और अक्षमताओं के बारे में उचित जानकारी इकट्ठी कर सकते हैं। इस प्रकार के परीक्षणों में निम्न नाम गिनाये जा सकते हैं-
1. ड्यूरेल द्वारा निर्मित ‘ड्यूरेल ऐनालाइसिस ऑफ रीडिंग डिफीकल्टी’ (Durell Analysis of Reading Difficulty, 1980)
2. सूचना पठन सूची (Information Reading Inventory) के द्वारा पठन कौशल पढ़ने का स्तर, त्रुटि के प्रकार और व्यवहारगत विशेषताओं को आसानी से मापा जा सकता है।
3. गेट्स व मैककिलोप (Gates and McKillop) द्वारा निर्मित ‘The Gates
McKillp Reading Dignostic Test’, 1981.
योग्यता परीक्षण (Ability Test) –
योग्यता परीक्षण द्वारा बालक की अधिगम व बोध सम्बन्धी प्रक्रियाओं के सम्पादन में असमर्थता का गहनता से पता लगाने की चेष्टा की जाती जाती है।
दैनिक मूल्यांकन प्रणाली-
विद्यालयों में ऐसे प्रबन्ध किये जा सकते हैं जिससे कि बालकों की ज्ञान, कौशल और क्रियात्मक क्षेत्रों की उपलब्धि का दैनिक मूल्यांकन रिकॉर्ड उपलब्ध रहे। इस प्रकार के मूल्यांकन द्वारा हमें बालकों की अधिगम सम्बन्धी अक्षमताओं का लगातार बोध होता रहे।
उपलब्धि परीक्षण-
इन परीक्षणों का उपयोग बच्चों के ज्ञान, कौशल व अन्य व्यवहार क्रियाओं के प्रदर्शन सम्बन्धी उपलब्धियों के स्तर को जानने हेतु किया जाता है।
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