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वैश्वीकरण की आवश्यकता क्यों हुई?

वैश्वीकरण की आवश्यकता क्यों हुई?

वैश्वीकरण की आवश्यकता क्यों हुई?

वैश्वीकरण को आवश्यकता
Need of Globlisation

वैश्वीकरण की आवश्यकता क्यों हुई? यह कैसे हुआ ? यह एक मुख्य प्रश्न है। जब तक किसी वस्तु की आवश्यकता नहीं होती तब तक उसके जन्म की सम्भावना नहीं होती। दूसरे शब्दों मे, आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है।’ इसी अवस्था में निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से वैश्वीकरण की आवश्यकता पर विचार करने की आवश्यकता है-

1. सन्तुलन स्थापना के लिये (For balance foundation) — वैश्वीकरण की आवश्यकता विश्व में बढ़ते हुए राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय असन्तुलन को देखते हुए उत्पन्न हुई है । इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये सभी देशों की दृष्टि एक-दूसरे की ओर देख रही है। परिणामस्वरूप वैश्वीकरण का जन्म सम्भव हुआ है ।

2. पर्यावरण संरक्षण के लिये (For environment protection) — विभिन्न देशों द्वारा किये जा रहे परमाणु परीक्षण एवं प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के कारण पर्यावरण में असन्तुलन की स्थिति उत्पन्न हुई, जो मानव समाज के लिये पूर्णत: घातक सिद्ध हो रही है । इस समस्या के समाधान को वैश्वीकरण ने किस सीमा तक खोज निकाला है ।

3. आर्थिक संरक्षण के लिये (For economic protection) — जिन देशों के पास आर्थिक संसाधन उपलब्ध नहीं हैं। वह अपना विकास किस प्रकार करेंगे? उन देशों के सामने यह समस्या निरन्तर बढ़ती जा रही है । इस समस्या को समाप्त करने के लिये विकासशील देश आगे आये और उनकी सहायता की । अतः इस आवश्यकता के कारण भी वैश्वीकरण को बढ़ावा मिला।

4. स्वास्थ्य सुधार के लिये (For health reformation) — बहुत से देश विश्व में इस प्रकार हैं कि वे अपनी जनता के लिये उचित स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं करा पाते । ऐसी स्थिति में उनके नागरिक कुपोषण का शिकार हो जाते हैं । इस समस्या के समाधान हेतु सम्पन्न देशों द्वारा उनकी सहायता की जाती है । यह वैश्वीकरण के द्वारा ही सम्भव हुआ है। भारत में पल्स पोलियो अभियान इसी का प्रमुख उदाहरण है । विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) इस दिशा में अनेक कार्य कर रहा है।

5. प्राकृतिक संसाधनों के समान वितरण के लिये (For equal distribution of natural resources) — प्राकृतिक संसाधनों की दृष्टि से भी देशों की स्थिति एक जैसी नहीं है। किसी देश में तेल भण्डार हैं तो किसी देश में कोयला का भण्डार है। वैश्वीकरण के माध्यम से ही समस्त देश एक-दूसरे को आवश्यकतानुसार तेल एवं कोयला उत्पादन करके वितरित करते हैं । ईरान द्वारा गैस देने का भारत के लिये प्रस्ताव इसी का उदाहरण है।

6. तकनीकी शिक्षा के विकास के लिये (For development of technical education) — तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में असमानता की स्थिति होने के कारण वैश्वीकरण को आवश्यकता हुई; जैसे—जापान तकनीकी शिक्षा की दृष्टि से बहुत आगे है। उसने भारत में मारुति उद्योग के लिये अपनी तकनीक प्रदान करके भारत को भी लाभान्वित किया है ।

7. सदृढ़ अर्थव्यवस्था के लिये (For strong economy) — आज के युग में यदि कोई देश अपनी अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाना चाहता है तो उसको किसी न किसी विकासशील देश से व्यापार एवं सहयोग की आवश्यकता अवश्य होगी । इस प्रकार की विचारधारा ने वैश्वीकरण को जन्म दिया है।

8. गरीबी उन्मूलन के लिये (For poverty abolition) — बहुत से देशों में नागरिक गरीबी रेखा के नीचे जीवन जी रहे हैं, उनके जीवन-स्तर को ऊँचा उठाने के लिये विश्व बैंक एवं अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष जैसे संगठनों द्वारा अनेक प्रयास किये जा रहे हैं । प्रयासों के परिणामस्वरूप वैश्वीकरण का जन्म हुआ।

9.बेरोजगारीकी समाप्ति के लिये (For abolition of unemployment) — जनसंख्या प्रधान देशों में बेरोजगारी की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है । सम्पन्न देशों द्वारा उद्योगों में अपनी पूँजी विनिवेश करके वहाँ के व्यक्तियों को रोजगार प्रदान कराया जा रहा है । यह व्यवस्था वैश्वीकरण के जन्म के कारण ही सम्भव हुई है ।

10. सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास के लिये (For social and cultural development)— विभिन्न प्रकार के देशों की सामाजिक व्यवस्था एवं सांस्कृतिक व्यवस्था को जानने के लिये अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें एक-दूसरे की परम्परा एवं नियमों की जानकारियों का आदान-प्रदान होता है । यह सभी व्यवस्थाएँ वैश्वीकरण के माध्यम से सम्भव हुई हैं।

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