हाशियाकरण की रोकथाम (Prevention of Marginalization)
हाशियाकरण की रोकथाम या उन्मूलन – शिक्षा का सार्वभौमिकरण करने के लिये हाशियाकरण का उन्मूलन या रोकथाम करना बहुत आवश्यक है। हाशियाकरण का उन्मूलन निम्न प्रकार किया जा सकता है-
(1) मौलिक अधिकार –
हमारे संविधान में बहुत से ऐसे प्रावधान हैं जो देश को लोकतांत्रिक बनाते है। वह अधिकार देश के सभी नागरिकों को समान रूप से प्राप्त हैं। इन्हीं अधिकारों को हम मौलिक अधिकार कहते हैं। हाशिये पर खड़े लोग इन प्रावधानों का प्रयोग कई तरीके से कर सकते हैं, जैसे-अपने ऊपर हुए जुल्मों की शिकायत सरकार से करके उसका समाधान प्राप्त कर सकते हैं। हमारे संविधान में निम्न अधिकार दिये गये हैं-
(i) अनुच्छेद 17 के अनुसार अस्पृश्यता पर रोक है ताकि दलितों को सार्वजनिक संसाधनों, मन्दिरों और शिक्षा पाने जैसे अधिकारों से कोई न रोक सके।
(ii) अनुच्छेद 15 में भारत के किसी भी नागरिक या व्यक्ति से जाति, धर्म , लिंग या जन्मस्थान के आधार पर कोई भी भेदभाव नहीं कर सकता ।
अत: किसी भी व्यक्ति को धर्म या जाति के आधार पर यदि लगता है कि उसके मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है तो वह व्यक्ति कानून के द्वारा न्याय प्राप्त कर सकता है।
(2) सामाजिक न्याय और कानून-
भारत में सभी नागरिकों को समान रूप से अधिकार प्राप्त हैं। सरकार समाज की बुराइयों को खत्म करने के लिये तथा समाज को प्रोत्साहित करने के लिये विभिन्न कानून बनाती है। ये कानून विभिन्न समितियों के सर्वे के आधार पर होते हैं जो न्याय व्यवस्था को सभी लोगों की पहुँच तक आसान बनाते हैं। संविधान के अनुसार- हमारी राज्य और केन्द्र सरकार विभिन्न प्रकार की योजनाओं का निर्माण जन-जातीय, दलितों और अल्पसंख्यकों को ध्यान में रखकर करती है ताकि सामाजिक न्याय को प्रोत्साहित किया जा सके। जैसे विभिन्न प्रकार की सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया गया है तथा सम्बन्धित क्षेत्र में न्यूनतम अंकों को कम करके और आधारभूत सामाजिक सुविधाओं को उपलब्ध कराया जा रहा है।
(3) अधिकारों की रक्षा-
सरकार द्वारा बनाये गये कई कानून हाशिये पर खड़े लोगो की मदद करते हैं जिससे सामाजिक न्याय को बढ़ावा मिलता है। ऐसे कानूनों में अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 आता है। यह सरकार द्वारा बनाया गया एक ऐसा : कानून है, जिसमें हर रोज अपमान और असमानता के व्यवहार को रोकने के लिये ठोस कार्यवाही की जा सकती है। इस कानून का प्रयोग हाशिये पर खड़ा कोई भी व्यक्ति कर सकता है ताकि सामाजिक न्याय को बढ़ावा दिया जा सके। इस कानून के कुछ मुख्य बिन्दु निम्नलिखित हैं-
(i) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति किसी भी नागरिक को कोई भी अखाद्य या गंदा पदार्थ खाने को विवश नहीं कर सकता ।
(ii) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को नग्न करने या चेहरे पर रंग लगाना मना है।
(iii) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की किसी भी महिला को अपमानित नहीं किया जा सकता।
(iv) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को आवंटित जमीन पर जबरदस्ती कब्जा नहीं किया जा सकता आदि।
प्रश्न. हाशियाई वर्गों ने मौलिक अधिकारों को किन दो रूपों में इस्तेमाल किया है ?
उत्तर- हाशियाई वर्गो ने मौलिक अधिकारों को निम्न दो रूपों में इस्तेमाल किया है मौलिक अधिकारों पर जोर देकर उन्होंने सरकार को अपने साथ हुये अन्याय पर ध्यान देने के लिये मजबूर किया है।
उन्होंने इस बात के लिये दबाव डाला है कि सरकार इन कानूनों को लागू करे। कई बार हाशियाई वर्गो के संघर्ष की वजह से ही सरकार को मौलिक अधिकारों की भावना के अनुरूप नये कानून बनाने पड़े हैं।
प्रश्न. सामाजिक न्याय को प्रोत्साहित करने के लिये सरकार द्वारा कौन-कौन से कदम उठाये गये हैं ?
उत्तर- सामाजिक न्याय को प्रोत्साहित करने के लिये सरकार द्वारा उठाए गये कदम – ये अग्रवत है-
1. कई स्थानों पर दलितों और आदिवासियों के लिये सरकार की ओर से मुफ्त या रियायती दरों पर उनकी अच्छी शिक्षा के लिये छात्रावास खोले गये हैं।
2. आरक्षण की व्यवस्था भी इन लोगों तक सामाजिक न्याय देने के उद्देश्य से की गयी है।
3. शिक्षण संस्थानों में और सरकारी नौकरियों में दलितों और आदिवासियों की सीटों के आरक्षण की व्यवस्था की गई है।
4. शिक्षण संस्थानों में इन वर्गों के विद्यार्थियों को सरकार विशेष छात्रवृत्ति भी देती है।
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