विद्यालय के मूलभूत उपकरण, प्रकार एवं रखरखाव
विद्यालयी उपकरण (School Equipment) – विद्यालय में फर्नीचर के अतिरिक्त अन्य शैक्षिक सामग्री का भी महत्व होता है। शिक्षण करते समय अध्यापक को निम्नलिखित शैक्षिक उपकरणों की आवश्कयता पड़ती है-
श्यामपट्ट (BlackBoard) – शिक्षण में श्यामपट्ट का विशेष महत्व होता है। कक्षा में शिक्षण करते समय अध्यापक को इसकी अत्यधिक आवश्यकता होती है। इसकी सहायता से अध्यापक अपने पाठ का शिक्षण सुगमतापूर्वक करता है। यह शिक्षण कार्य को आगे बढ़ाने में बहुत सहायक होता है। श्यामपट्ट निम्नलिखित पाँच प्रकार के होते हैं-
दीवार श्यामपट्ट (Wall Black Board) – इस प्रकार के श्यामपट्ट दीवार में बना होता है। यह सीमेण्ट से बनाया जाता है। यह श्यामपट्ट अन्य श्यामपट्टों से सस्ता पड़ता है। इसके प्रयोग में कुछ कठिनाई अवश्य होती है। जब श्यामपट्ट पर नीचे तक लिख दिया जाता है तो नीचे के शब्द बालकों को दिखाई नहीं देते। छात्र बार-बार खड़े होकर पूछते हैं।
लपेट श्यामपट्ट (Roller black board)- इस प्रकार के श्यामपट्ट प्रायः प्रशिक्षण विद्यालयों में प्रयुक्त किये जाते हैं। प्रशिक्षण विद्यालयों के छात्रों द्वारा इनका प्रयोग किया जाता है । यह काले कपड़े का होता है। इस श्यामपट्ट में यह सुविधा होती है कि शिक्षक इस पर अपने घर से चित्र या मानचित्र बना लाता है। सारांश आदि भी लिखकर ला सकता है। इसके द्वारा समय की बचत हो जाती है। कक्षा में अध्यन के समय जब आवश्यकता होती है तभी इसका प्रयोग किया जा सकता है।
विज्ञान सामग्री- विज्ञान सामग्री का उपकरणों में महत्वपूर्ण स्थान है। आज के युग में प्रत्येक विद्यालय में विज्ञान प्रशिक्षण सामग्री होनी चाहिए। यह विद्यार्थियों के व्यावहारिक ज्ञान को बढ़ाता है।
भवन-निर्माण : प्रकार एवं रखरखाव
(School Building : Types and maintenance)
विद्यालय भवन में सामान्य कक्षा-कक्षों के अलावा कुछ विशिष्ट कक्षों का होनाभी आवश्यक है। इन विशिष्ट कक्षों में विज्ञान-कक्ष , उद्योग-कक्ष, गृह विज्ञान-कक्ष, भूगोल-कक्ष, चित्रकला-कक्ष, जलपान-कक्ष इत्यादि सम्मिलित किये जाते है। इनकी रचना के समय उनके शिक्षण की आवश्यकताओं को ध्यान में रखना चाहिए।
(1) विज्ञान-कक्ष-
छात्रों को विज्ञान का व्यावहारिक ज्ञान देने के लिए विज्ञान प्रयोगशाला नितान्त आवश्यक है। इस प्रयोगशाला में विज्ञान की सभी वस्तुओं को सुरक्षित रखने की पूर्ण व्यवस्था होनी चाहिए। विद्यालय भवन के एक कोने में विज्ञान भवन की स्थिति ठीक रहती है। इससे गन्दी गैस तथा अन्य अनावश्यक पदार्थों को सम्पूर्ण वातावरण गन्दा नहीं होता तथा कभी-कभी दुर्भाग्यवश आग इत्यादि की दुर्घटना का भी अधिक प्रभाव सम्पूर्ण भवन पर नहीं पड़ता है।
विज्ञान कक्ष अन्य सामान्य कक्षों की तुलना में अधिक बड़ा होना चाहिए। इसकी चौड़ाई तथा लम्बाई सामान्यतया 30’x40′ ठीक रहती है। किन्तु विद्यालय की आवश्यकतानुसार इस में कमी-वेशी की जा सकती है।
विज्ञान- कक्ष में प्रकाश, हवा तथा पानी की विशेष व्यवस्था करनी चाहिए। अन्य कमरों की अपेक्षा इस कमरे में प्रकाश की व्यवस्था अधिक अच्छी होनी चाहिए। कमरे में एक-दो वाश बेसिन तथा कुछ पानीदानों (Sink) की व्यवस्था आवश्यक है। विज्ञान-कक्ष के साथ ही मिला हुआ छोटा-सा भण्डार कक्ष (Store) भी आवश्यक है। इस कमरे में 10’x4’x3′ की कुछ मेजें तथा आवश्यक मात्रा में छात्रों के बैठने के लिए स्टूल्स होने चाहिए। इस कक्ष में अपेक्षाकृत कुछ अच्छे और बड़े लेखन-पटों (Chalk boards) की आवश्यकता होती है।
विज्ञान-कक्ष में अनेक काँच के दरवाजे लगी अल्मारियाँ भी आवश्यक हैं जिनमें विज्ञान का सामान तथा उपकरण रखे जा सकें।
(2) गृह विज्ञान-कक्ष-
बालिका विद्यालयों तथा सह-शिक्षा विद्यालयों में जहाँ बालिकाओं का गृहविज्ञान विषय के शिक्षण की व्यवस्था है, वहाँ पृथक, से एक गृहविज्ञान-कक्ष होना चाहिए। गृहविज्ञान-कक्ष इस प्रकार का हो जिसमें सभी आवश्यक उप-विषयों का शिक्षण सुविधा से हो सके। गृहविज्ञान की छात्राएं पाकशास्त्र, कपड़ों की सिलाई, कढ़ाई, धुलाई. गृह-परिचार्य आदि पढ़ती हैं अत: गृहविज्ञान-कक्ष में इनके शिक्षण के लिए आवश्यक एव समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। क्योंकि पाक-शास्त्र, धुलाई, कढ़ाई आदि सभी की प्रकृति पृथक्-पृथक् हैं। अत: उनका शिक्षण कक्षा-कक्ष में सम्भव नहीं है। इसके लिए कम-से-कम तीन कमरे तथा एक भण्डार-कक्ष आवश्यक है। इस कमरे में पाक-विद्या की शिक्षा दी जा सके और दूसरे कमरे में धुलाई की व्यवस्था हो तथा तीसरे कमरे में सिलाई, प्राथमिक चिकित्सा तथा गृह परिचयों की शिक्षा दी जा सके। भण्डार में पाक-विद्या का आवश्यक समान रखा जाय। अन्य दोनों कमरों के किवाड़ लगी अल्मारियाँ पर्याप्त मात्रा में होनी चाहिए जिससे उनमें धुलाई, प्राथमिक चिकित्सा आदि से सम्बन्धित सामग्री सुविधापूर्वक रखी जा सके।
धुलाई-कक्ष (Laundry) में पर्याप्त मात्रा में सिंक हो और पानी की अच्छी सुविधा हो। इस कमरे के आगे पकड़े सुखाने के लिए पर्याप्त मात्रा में जगह होनी चाहिए। इस कमरे में बिजली की व्यवस्था कपड़ों पर इस्त्री करने के लिए होनी चाहिए।
पाक विद्या-कक्ष का आकार थोड़ा बड़ा हो और उसमें धुआँ निकलने का स्थान हो, इससे सम्बन्धित भण्डार-कक्ष हो जिसमें रसोई से सम्बन्धित सामग्री रखी जा सके। इसमें पर्याप्त मात्रा में भेजे तथा स्टूल होने चाहिए।
तीसरे कक्ष में सिलाई, प्राथमिक चिकित्सा, गृह-परिचर्या तथा गृह-विज्ञान की सैद्धान्तिक कक्षाएँ हो सकती हैं। बड़े-बड़े विद्यालयों में प्रत्येक के लिए अलग-अलग कमरों का प्रावधान होता है।
3. भूगोल-कक्ष-
भूगोल विषय में छात्रों को अनेक प्रयोगात्मक कार्य करने पड़ते अत: इसका भी पृथक से कक्ष होना चाहिए। इस कक्ष में भूगोल शिक्षण की आवश्यक सामग्री होनी चाहिए।
भारत तथा विश्व आदि के मानचित्र लटकाने के लिए उपयुक्त व्यवस्था होनी चाहिए। नक्शे आदि बनाने को ट्रेसिंग टेबिल तथा अन्य उपकरण भी आवश्यक हैं। भौगोलिक तथ्यों से सम्बन्धित प्रारूप (Models), ग्लोब, प्रोजेक्टर इत्यादि को रखने की पूर्ण व्यवस्था हो।
4. प्रधानाध्यापक-कक्ष-
विद्यालय भवन में प्रधानाध्यापक के कक्ष की स्थिति बड़ी महत्वपूर्ण है। प्रधानाध्यापक का कक्ष ऐसी महत्वपूर्ण जगह पर होना चाहिए जहाँ से वह सम्पूर्ण विद्यालय पर दृष्टि रख सके तथा जहाँ से उसकी उपस्थिति का सबको आभास हो सके। उसका कार्यालय मुख्य मार्ग के सहारे ऐसे स्थान पर हो जहाँ आगन्तुक सरलता से पहुँच सके। प्रधानाध्यापक का कक्ष पर्याप्त बड़ा हो, जिससे कक्ष में अतिरिक्त कुर्सियाँ तथा अन्य साज-सज्जा रखी जा सके। कक्ष सुन्दर तथा आकर्षक हो। यदि साधन अनुमति दें, तो कक्ष से ही लगे हुए स्नान-कक्ष तथा विश्राम-कक्ष भी बना दिए जाएँ।
5. मुख्य कार्यालय-
विद्यालय का मुख्य कार्यालय यथासम्भव प्रधानाध्यापक के कक्ष के पास ही होना चाहिए। साधन होने पर कार्यालय के दो कमरे हों। कमरे में सामान्य-प्रशासन तथा दूसरे कमरे में लेखा से सम्बन्धित लिपिक आदि बैठे। मुख्य कार्यालय के एक ओर बरामदा होना अनविार्य है जिसमें आवश्यक मात्रा में काउण्टर बने हों जिससे छात्र कार्यालय कक्ष में आकर काउण्टर से ही अपना काम कर लें। कार्यालय से ही संलग्न सुविधा-कक्ष की भी व्यवस्था हो।
6. शिक्षक वर्ग-कक्ष-
विद्यालय भवन में शिक्षक वर्ग के लिए पृथक एक कमरा हो जिसमें अपने रिक्त कालांशों में बैठकर शिक्षक विश्राम अथवा अन्य कार्य कर सकें। यह कमरा इतना बड़ा हो कि सभी शिक्षक बैठ सके। कमरे में पर्याप्त अल्मारियाँ तथा फर्नीचर हो। अल्मारियों में शिक्षक अपना सामान सुरक्षित रख सके। इसके लिए ताला लगाने की व्यवस्था हो।
7. सभागार-
विद्यालय में पर्याप्त बड़ा सभागार होना जरूरी है। इतना बड़ा हो जिसमें समस्त छात्रों की सभा बुलाई जा सके। इसका आकार छात्रों की संख्या पर निर्भर करता है। हाल में एक मंच, माइक, पंखे, संचालन आदि की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
8. जलपान गृह-
विद्यालय-प्रांगण में एक स्वच्छ जलपान गृह अवश्य होना चाहिए। जलपान गृह विद्यालय भवन के पृष्ठ भागों में रखा जाय। इस भवन खण्ड में दो हिस्से हों, एक वह जहाँ छात्र जलपान ग्रहण करें तथा दूसरा वह जहाँ सामान एकत्रित व तैयार किया जा सके। सुविधानुसार स्टोर व अध्यापक कक्ष पृथक् भी किए जा सकते हैं। इसमें हाथ धाने को स्थान (Wash Basin) हो। यह गृह साथ-सुथरा व गन्दगी से रहित होना चाहिए। इन व्यवस्थाओं के अलावा विद्यालय प्रांगण में पुस्तकालय, साइकिल-स्टैण्ड, शौचालय व स्टोर की भी व्यवस्था होनी चाहिए। इतनी व्यवस्थाओं के साथ ही साथ विद्यालय में बगीचे, घास के मैदान व खेलकूल के मैदानों की व्यवस्था भी आवश्यक है।
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