पर्यावरण विधि (Environmental Law)

अलनीनो क्या है? भारतीय मानसून पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है?

अलनीनो क्या है?
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अलनीनो क्या है? El-Nino Effect in Hindi

अलनीनो क्या है? El-Nino Effect in Hindi – पृथ्वी की जलवायु को बदलने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अलनिनों निभाता है। तीन से सात साल के अन्दर पर आने वाला अलनीनों सारी दुनिया के मौसम में खलबली मचा देता है।

स्पेनिश भाषा में अलनिनों ‘बालक’ कहते हैं वही सारी दुनिया में मौसमी उत्पत्ति मचाता है। इसका असली नाम “अलनीनों” है। पेरू तट के मछेरों ने क्रिसमस के समय आए तूफान को देखकर इसे अलनीनों का नाम दिया था।

अक्टूबर, 1997 में कैलिफोर्निया तट पर 10 फुट ऊंची तक लहरें टकराई। नोरा हरीकेन आने वाले जाड़े के मौसम में तबाही का रिहर्सल किया। मौसमविदों ने देखा कि जब अलनीनों आता है तो प्रशान्त महासागर, में गरम पानी की धारा बहने लगती है। साथ ही पूर्वी प्रशान्त सागर में तूफान आता है, खाड़ी देशों में बाढ़ आती है तथा इण्डोनेशिया में सूखा पड़ता है।

अमेरिकी वैज्ञानिकों का कहना है कि अलनीनों बालक क्राइस्ट को कहते हैं और यह नाम मछेरों ने रखा क्योंकि यह घटना क्रिसमस के समय होती आई है। वस्तुत: अलनीनों पूर्वी प्रशान्त महासागर को नियमित रूप से गरम रखने वाली मौसमीय घटना है जो पृथ्वी के चारों और वर्षा को प्रभावित करती है।

मौसम विदों ने 1982-84 के अलनीनों के समय तक प्रशांत महासागर की और कोई ध्यान नहीं दिया। अब वे सतर्क हो गये हैं। प्रशांत महासागर में अनेक नौकाएं हवा, धारा तथा जल का तापमान मापती हैं और उपग्रह द्वारा आंकड़े कम्प्यूटरों तक भेजती हैं। इन सूचनाजों ने निर्धारित किया कि अलनीनों पृथ्वी के तीन चौथाई हिस्से में मौसम को संचालित करता है। यह सही है कि ऋतुओं के कारण मौसम गदलता है, लेकिन इसके बाद अलनीनों ही है जो पृथ्वी के जलवायु को बदलने की सबसे शक्तिशाली भूमिका निभाता है।

अलनीनों का उल्टा लानीना है। अलनीनों जब हलता है, तब लानीना आता है समुद्र का पानी ठण्डा हो जाता है। अलनीनों का अर्थ है अधिक अजीब मौसम। यह दुर्लभ प्रजातियों के लिए खतरा बन जाता है, महामारियाँ फैलाता है और इस प्रकार अर्थव्यवस्था पर बोझ बन जाता है। वास्तव में उग्र मौसम आदमी के स्वास्थ्य के लिए खराब है। बाढ़ और सूखें में मच्छरों के घर बन जाते हैं जो अपने साथ मलेरिया, पीत ज्वर, डेंगू ज्वर आदि रोग लाते हैं।

1982-83 के अलनीनों के दौरान ही भारत तथा अन्य देशों में मलेरिया रोग में वृद्धि हुई थी। कुछ वैज्ञानिकों का मत है कि भूमंडलीय गरमाहट (global warming) का असर अलनीनों पर पड़ सकता है। कोलंबिया विश्व विद्यालय के एक मौसमविद् का कहना है कि अलनीनों चक्र में परिवर्तन तथा इसके कारण उग्र मौसम पृथ्वी गरमाहट के स्पष्ट संकेत देते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि अलनीनों से सारी पृथ्वी पर वर्षा के स्वरूपों में परिवर्तन होता आया है। अलनीनों के शुरू होने पर वर्षा का आरंभ, उसकी गति, उसमें वृद्धि और कमी तथा समाप्ति तक हो सकती है।

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