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उपधारणा कर सकेगा एवं उपधारणा करेगा | May Presume and Shall Presume

उपधारणा कर सकेगा एवं उपधारणा करेगा
उपधारणा कर सकेगा एवं उपधारणा करेगा

‘उपधारणा कर सकता है’ और ‘उपधारणा करेगा’ की व्याख्या कीजिए। Explain ‘May presume’ and ‘Shall presume’

साक्ष्य अधिनियम की धारा 4 उपधारणा कर सकेगा’, ‘उपधारणा करेगा तथा निश्चयात्मक सबूत शब्दावली की परिभाषा देती है।

उपधारणा कर सकेगा (May Presume) 

साक्ष्य अधिनियम की धारा 4 के अनुसार जहाँ न्यायालय किसी तथ्य की उपधारणा कर सकेगा, वहाँ न्यायालय या तो ऐसे तथ्य को साबित हुआ मान सकेगा यदि और जब तक वह नासाबित नहीं किया जाता है या उसकी सबूत की माँग कर सकेगा। भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 4 का खण्ड (1) प्रावधान करता है कि न्यायालय कुछ परिस्थितियों में किसी तथ्य की उपधारणा कर सकेगा अर्थात न्यायालय उपधारणा करने को बाध्य नहीं है।

इन उपधारणाओं के विषय में न्यायालय को यह विवेकाधिकार है कि चाहे वह उपधारणा (अनुमान) के आधार पर किसी तथ्य को साबित हुआ मान ले या उसके सबूत की माँग करे। (श्रीमती गीता बागची बनाम सुव्रत बागची, एआईआर 1996 कलकत्ता)

उदाहरण – उपधारणा कर सकेगा का एक उदाहरण धारा 144 का दृष्टांत (क) है जो कहता है कि जब किसी व्यक्ति के कब्जे से चोरी का माल चोरी के तुरंत बाद पाया जाता है, तो न्यायालय यह ‘उपधारणा कर सकेगा कि वह चोर है या यह जानते हुए कि माल चोरी का है, उसने प्राप्त किया है। परंतु जिस व्यक्ति के विरुद्ध न्यायालय ने उपधारणा की है, उसे न्यायालय साक्ष्य देकर ऐसी उपधारणा को खण्डित (समाप्त करने का अवसर देगा।

उपधारणा करेगा (Shall Presume)

धारा 4 का खण्ड 2 यह स्पष्ट रूप से कहता है कि ‘जहाँ कहीं इस अधिनियम द्वारा यह निर्दिष्ट है कि न्यायालय किसी तथ्य की उपधारणा करेगा, वहाँ न्यायालय ऐसे तथ्य को साबित मानेगा यदि और जब तक वह नासाबित नहीं किया जाता है।’

यह उपबंध न्यायालय को आदेश देता है कि ऐसे तथ्य को साबित माना जायेगा। की उपधारणायें अनिवार्य प्रकृति की हैं। जिनकी न्यायालय उपधारणा करने को बाध्य है। परंतु विधि की ऐसी उपधारणा को भी साक्ष्य देकर खण्डित या समाप्त किया जा सकता है। अतः उसे विधि की खण्डनीय उपधारणा भी कहा जाता है।

धारा 108 प्रावधान करता है कि जब किसी व्यक्ति के संबंध में यह प्रश्न उठ खड़ा होता है कि कोई मनुष्य जीवित है या मर गया है और यह साबित कर दिया जाता है कि संबंधित व्यक्ति के बारे में सात वर्षों से उन लोगों द्वारा कुछ भी नहीं सुना गया जीवित रहने पर जिनके द्वार स्वाभाविक रूप से सुना जाता है (जैसे-माता, पिता, पत्नी, पुत्र इत्यादि) तो न्यायालय यह उपधारणा करेगा कि उस व्यक्ति की मृत्यु हो चुकी है (उपधारणा करेगा अर्थात् उपधारणा करने को बाध्य है)। परंतु साक्ष्य देकर इस प्रकार की उपधारणा को खण्डित अर्थात् समाप्त किया जा सकता है।

‘उपधारणा करेगा का तात्पर्य यह है कि न्यायालय किसी तथ्य को प्रमाणित या साबित हुआ उपधारित या अनुमान करेगा जब तक वह तथ्य असिद्ध न कर दिया जाये अर्थात् उसका खण्डन न हो जाय।

धारा 79 से 83, धारा 85 89 और 104 में उपधारणा करेगा शब्दावली प्रयोग किया गया है। ये विधि की खण्डनीय उपधारणाएँ हैं।

उदाहरण- यदि किसी दस्तावेज को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किये जाने का आदेश दिया गया हे दस्तावेज न्यायालय में सूचना के पश्चात् भी प्रस्तुत नहीं किया जाता, तो न्यायालय यह अनुमान करेगा कि दस्तावेज विधि द्वारा अपेक्षित प्रकार से प्रमाणित किया गया है और उसको निष्पादित किया गया है (धारा-89)।

उपर्युक्त विवेचन एवं उदाहरण से स्पष्ट है कि ‘उपधारणा कर सकेगा’ अर्थात् तथ्य की उपधारणा हमेशा खण्डनीय होती है।

उपधारणा कर सकेगा एवं उपधारणा करेगा में अन्तर

विधि की उपधारणा एवं तथ्य की उपधारणा में प्रमुख अन्तर निम्नवत है-

उपधारणा कर सकेगा उपधारणा करेगा
1. उपधारणा कर सकेगा न्यायालय को विवेकीय शक्तियाँ प्रदान करता है अर्थात् ऐसी उपधारणा करने या न करने के लिए न्यायालय स्वतंत्र है। क्योंकि यह धारा 4 के पहले भाग से स्पष्ट होता है जिसमें यह कहा गया है कि न्यायालये या तो ऐसे तथ्य को | साबित हुआ मान सकेगा जब तक कि वह नासाबित न कर दिया जाय या उसके सबूत की माँग कर सकेगा। 1. उपधारणा करेगा न्यायालय के लिए बाध्यकारी है इसे धारा 4 के दूसरे भाग के इस शब्द से समझा जा सकता है जिसमें कहा गया कि न्यायालय ऐसे तथ्यों को साबित मानेगा जब तक कि वह नासाबित नहीं किया जाता है।
2. ‘उपधारणा कर सकेगा तथ्य की उपधारणा है इसमें तर्क की शक्ति होती है। 2. उपधारणा करेगा विधि की खण्डनीव उपधारणा है इसमें विधि के नियमों की शक्ति होती है।
3. उपधारणा कर सकेगा विधि नहीं होती। 3. उपधारणा करेगा विधि एक नियम होती है और साथ ही विधि भी होती है।
4. उपधारणा कर सकेगा अलग-अलग तथ्यों पर की जाती है।

 4. उपधारणा करेगा निश्चित होती है और एक ही प्रकार के मामलों में समान रूप से लागू होती है।

5. उपधारणा कर सकेगा प्राकृतिक या स्वाभाविक होती है। 5. उपधारणा करेगा। कृत्रिम या विधि की देन होती है।
6. उपधारणा कर सकेगा के दृष्टांत धारा 86, 87, 88, 90, 114 में मिलते हैं।  6. उपधारणा करेगा के दृष्टांत धारा 79 से  85 (ग), 89 तथा धारा 105, 108 में मिलते हैं।

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