श्रव्य साधन (Audio Aids in Hindi)
श्रव्य सामग्री का वर्गीकरण निम्नलिखित है-
(1) रेडियो (Radio)
(2) टेप रिकॉर्डर (Tape-Recorder)
(3) ग्रामोफोन (Gramophone)
रेडियो (Radio)
रेडियो विद्युत एवं बैटरी से चलने वाला उपकरण है जिसका प्रयोग श्रव्य सहायक सामग्री के रूप में किया जाता है। सन् 1895 ई० में इटली के इंजीनियर मारकोनी द्वारा इसका आविष्कार किया गया था। इसके माध्यम से शैक्षिक नाटक कविताएँ, महापुरुषों की जीवनी उनके प्रेरणा प्रसंग, खोज, आविष्कार, वार्तालाप, सामान्य ज्ञान इत्यादि का प्रसारण किया जाता है तथा नियमित एवं निश्चित समय के अनुसार विभिन्न कक्षाओं के लिए भिन्न-भिन्न विषयों पर शैक्षिक कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। आकाशवाणी (A.I.R.) तथा बी.बी.सी. लन्दन अपने यहाँ से वैज्ञानिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं समसामयिक महत्व के व्याख्यान, वाद-विवाद, नाटक आदि प्रसारित करते रहते हैं। रेडियो प्रसारण दो प्रकार के होते हैं-
(1) केन्द्रीय प्रसारण (Central Relay)– इसके अंतर्गत साधारण घटनाक्रम तथा स्थितियों की सामान्य जानकारी दी जाती है।
(2) शैक्षिक प्रसारण ( Educational Relay)– इसके अंतर्गत भिन्न-भिन्न कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए शैक्षिक कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं।
ये कार्यक्रम पाठों के रूप में शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए तैयार किए जाते हैं। रेडियो में बालक, युवा वर्ग, प्रौढ़ वर्ग तथा वृद्धजनों के लिए अलग-अलग कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं।
रेडियो का शैक्षिक महत्व (Educational Importance of Radio)
रेडियो का शैक्षिक महत्व इस प्रकार है-
(1) रेडियो के द्वारा दुर्गम स्थानों पर भी सभी समुदाय के बालकों एवं बड़े लोगों को ज्ञान, कला व संसार के बारे में अद्यतन (Updated) जानकारी मिलती है।
(2) ऐसे स्थान जहाँ पर आज भी बिजली उपलब्ध नही है वहाँ पर बालकों को शैक्षिक ज्ञान व मनोरंजन रेडियो के द्वारा प्राप्त होता है।
(3) रेडियो प्रसारण से शैक्षिक एवं अन्य क्षेत्रों से सम्बंधित अद्यतन जानकारी प्राप्त होती है।
(4) इसके प्रयोग से कक्षा शिक्षण में विविधता आती है तथा कक्षा की नीरसता दूर होती है। छात्रों में शिक्षण के प्रति रुचि उत्पन्न होती है।
(5) रेडियो प्रसारण के माध्यम से शिक्षक को भी ज्ञान प्राप्त होता है जो शिक्षण कार्य के लिए बहुत उपयोगी होता है।
(6) रेडियो के माध्यम से छात्र अद्यतन क्षेत्रीय, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं की जानकारी प्राप्त करते हैं।
(7) रेडियो से भाषण, संगीत व अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रम रिकॉर्ड कर उन्हें आवश्यकतानुसार शिक्षा में प्रयोग किया जा सकता है।
(8) रेडियो में नियमित रूप से समाचार प्रसारित किए जाते हैं उनसे छात्र महत्वपूर्ण समाचारों को नोट कर स्वयं को अद्यतन (Updated) रख सकते हैं।
टेपरिकार्डर (Tape-Recorder)
टेपरिकार्डर एक ऐसा साधन है जिसमें विभिन्न विषयों से सम्बन्धित विचारों को रिकार्ड कर लिया जाता है और श्रवणेन्द्रियों के माध्यम से शैक्षिक सूचनाएँ छात्रों तक पहुँचाई जाती हैं। शिक्षा के क्षेत्र में टेपरिकार्डर का प्रयोग उच्चारण सम्बन्धी दोषों को दूर करने में किया जाता है। एक शब्द को बार-बार सुनवाकर छात्रों को उसके शुद्ध उच्चारण का अभ्यास कराया जाता है। अध्यापकों को स्कूलों में समय-समय पर आपेक्षित होने वाले कार्यक्रमों, सम्मेलनों, कार्यशालाओं, विचार गोष्ठियों आदि की कार्यवाही को रिकार्ड करने में इसकी सहायता ली जाती है। ये दो प्रकार की होती हैं-
(1) कैसैट टाइप – यह प्रायः पारिवारिक तथा शैक्षिक उपयोग के लिए प्रयोग किए जाते हैं। इनमें एक खाली कैसेट लगाकर हम किसी भी प्रकार की आवाज रिकॉर्ड कर सकते हैं। इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना सुविधाजनक होता है। ये बैट्री या विद्युत से संचालित होते हैं।
(2) स्थूल टाइप- यह बड़े आकार के होते हैं तथा केवल विद्युत से संचालित होते हैं। इन्हें सरलता से एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं ले जाया जा सकता है।
शिक्षा में टेप रिकॉर्डर की उपयोगिता (Educational Utility of Tape- Recorder)
शिक्षा में टेप रिकॉर्डर की उपयोगिता निम्नलिखित है-
(1) शिक्षा से सम्बन्धित किसी भी प्रसारण को रिकॉर्ड कर आवश्यकतानुसार सुना जा सकता है।
(2) उच्चारण सम्बन्धी दोषों को दूर करने में इसका प्रयोग बहुत लाभदायक है। बार-बार उच्चारण करके छात्रों को शुद्ध उच्चारण का अभ्यास कराया जा सकता है।
(3) देश-विदेश के महान व्यक्तियों के भाषण एवं व्याख्यानों को रिकॉर्ड कर छात्रों को सुनाया जा सकता है।
(4) कोई भी अध्यापक अपने शिक्षण कार्य, व्याख्यान आदि को रिकॉर्ड कर स्वयं का मूल्याकंन कर सकता है।
(5) फिल्म पट्टियों तथा स्लाइडों के लिए व्याख्यात्मक वर्णन तैयार करनें में यह सहायक होता है।
(6) टेप रिकॉर्डर का प्रयोग उपचारात्मक शिक्षण, कौशल अधिगम अभ्यास कार्य तथा पुनर्बलन के क्षेत्र में भी किया जा सकता है।
(7) टैप रिकॉर्डर के माध्यम से शिक्षक उपयोगी शिक्षण सामग्री किसी भी समय रिकॉर्ड तथा सुविधानुसार उपयोग कर सकता है।
(8) एक बार रिकॉर्ड किया गया टेप यदि प्रयोग में नहीं आ रहा है तो पुरानी रिकार्डिंग को निकालकर उसमें पुनः नयी सामग्री रिकॉर्ड की जा सकती है।
(9) इसके प्रयोग से छात्रों में अनुशासनहीनता की समस्या को काफी सीमा तक हल किया जा सकता है।
(10) इस यंत्र के द्वारा विद्यालय में आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों को रिकॉर्ड किया जा सकता है।
ग्रामोफोन तथा लिंग्वाफोन (Gramophone and Linguaphone)
ग्रामोफोन भी रेडियो की भाँति शिक्षण का एक महत्वपूर्ण उपकरण है। ग्रामोफोन द्वारा बालकों को भाषण तथा गाने की शिक्षा दी जाती है तथा ग्रामोफोन द्वारा बालकों का उच्चारण शुद्ध भाषा उच्चारण की शिक्षा दी जाती है। अतः शिक्षक को उक्त दोनों उपकरणों का शिक्षण के समय आवश्यकतानुसार प्रयोग करना चाहिए। आधुनिक शिक्षा में ग्रामोफोन का प्रयोग काफी बढ़ता जा रहा है। फिर भी ये दोनों उपकरण शिक्षक का स्थान किसी भी दशा में नहीं ले सकते हैं। ऐसी स्थिति में शिक्षक को चाहिए कि वह इन उपकरणों का प्रयोग करने के पश्चात बालक के सामने विषय को अवश्य स्पष्ट कर दे, जिससे वे ज्ञान को सफलतापूर्वक ग्रहण कर सकें।
ग्रामोफोन के शैक्षिक लाभ (Educational Advantages of Gramophone)
इसके निम्नलिखित लाभ हैं-
(1) इसके द्वारा दूरस्थ स्थानों में बैठे व्यक्ति भी लाभ उठा सकते हैं।
(2) ग्रामोफोन द्वारा महान विभूतियों की आवाज, भाषण व वाक्य जो जीवन की सच्चाई है, उन्हें सुन पाते हैं।
(3) उच्च स्तर के ज्ञानवर्धक नाटक विद्यार्थियों को सुनाकर उनके विकास में सहायक सिद्ध होते हैं।
(4) इसकी सहायता से सामूहिक रूप से ज्ञान प्रदान किया जाता है।
(5) इसके उपयोग से बालकों की कल्पना शक्ति तीव्र हो जाती है।
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