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बालक पर समुदाय के प्रभाव | Impact of Community on Child in Hindi

बालक पर समुदाय के प्रभाव
बालक पर समुदाय के प्रभाव

अनुक्रम (Contents)

बालक पर समुदाय के प्रभाव (Impact of Community on Child)

बालक पर समुदाय के प्रभाव- बालक की शिक्षा में समुदाय का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। वृद्धि और विकास के साथ-साथ बालक का विचरण क्षेत्र भी बढ़ता जाता है। परिवार से निकलकर बालक पास-पड़ोस, गली-मुहल्ले में आना-जाना आरम्भ कर देता है। आस-पास के हमउम्र बालकों से मित्रता बढ़ती है, खेल जैसे सामान्य हित की पूर्ति के लिए मित्र – मण्डली बन जाती है। एक-दूसरे से आमने-सामने का सम्बन्ध बन जाता है। बालक अपने समूह में बहुत कुछ सीखता है, कुछ आदतें धारण करता है और कुछ आदतें त्याग देता है। उसकी भाषा-व्यवहार सभी पर मित्रों का प्रभाव पड़ता है। उनमें एक ‘हम भावना’ का विकास होता है।

सामुदायिक सम्पर्क, समूह गत्यात्मकता तथा सामूहिक क्रियाएँ बालक को इस प्रकार का नियंत्रित व्यवहार सिखा देती हैं कि वह समुदाय विशेष की वांछित गतिविधियों में प्रतिभागिता करने लगता है और वह जिस समुदाय का सदस्य होता है, उसके व्यवहार-आचरण में उस समुदाय की विशेषताएँ परिलक्षित होने लगती हैं।

समुदाय बालक पर विविध रूपों से प्रभाव डालता है। इस प्रभाव का उल्लेख निम्नवत् किया जा सकता है-

1. शारीरिक विकास पर प्रभाव (Impact on Physical Development)- ग्राम पंचायत गाँव की सफाई, चिकित्सा की व्यवस्था करते हैं। नगरों में विभिन्न प्रकार के बाग-बगीचे, उद्यान एवं विभिन्न प्रकार के खेलकूद की सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं, जो बालकों के स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यावश्यक हैं।

2. सामाजिक प्रभाव (Social Impact) – ग्रामीण और दोनों समुदायों में विभिन्न प्रकार के धार्मिक और सामाजिक उत्सवों की परम्परा होती है, जिससे उस समुदाय के बच्चे अपने समुदाय के कुछ सामान्य रीति-रिवाज, आचार-विचार सीखते हैं। दानकर्म करना, निर्धनों की सहायता करना सीखते हैं। समुदाय द्वारा बहुत-से मेलों, प्रदर्शनियों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, विविध विषयों और समस्याओं पर चर्चा सभाओं, सम्मेलनों का आयोजन किया जाता है, जिससे बालक समुदाय के विचार, आदर्श और आकांक्षाओं को समझते हैं, उनके परस्पर सम्बन्ध और व्यवहार, उठने-बैठने, बोलने-चालने, वेशभूषा, खाने-पीने के तौर-तरीके, शैली व शऊर सीखते हैं।

3. मानसिक प्रभाव (Mental Impact)- समुदाय विविध प्रकार की शिक्षण संस्थाएँ, वाचनालय, पुस्तकालय आदि की स्थापना करता है। नगरीय समुदाय में सिनेमा, नाट्यशाला, संगीत-नृत्य कला केन्द्र आदि संस्थापित करते हैं। ये सभी बालक के मानसिक विकास में योगदान देते हैं।

4. राजनैतिक प्रभाव (Political Impact) – समुदाय के वरिष्ठ सदस्य जिस राजनैतिक विचारधारा के पोषक होते हैं या जिस दल के अनुयायी होते हैं, उस समुदाय के बालक भी उन्हीं के विचारों पर चलने लगते हैं। समुदाय के सदस्य जब कभी किसी मुद्दे पर हड़ताल, प्रदर्शन, बंद, घेराव तथा धरना आदि करके सरकार या प्रशासन पर दबाव बनाने का प्रयास करते हैं तो देखा जाता है कि उस समुदाय के बच्चे भी शामिल हो जाते हैं। हालांकि बच्चे न तो मुद्दों को समझते हैं और न ही दबाव बनाने की गम्भीरता को समझते हैं, वे तो उल्लास और मनोरंजन के लिए शामिल हो जाते हैं या फिर बड़े लोग संख्या बढ़ाने के चक्कर में बच्चों को शामिल कर लेते हैं। कोई भी स्थिति हो, बच्चों पर इन सब चीजों का प्रभाव अवश्य पड़ता है।

जिन समुदायों के सदस्य जनतंत्र में आस्था रखते हैं, उनके बच्चों में भी धार्मिक सहिष्णुता और समन्वय की भावना पैदा होती है, उनमें राष्ट्रीय मन का निर्माण होता है। सहयोग, दया, ईमानदारी, भाईचारे जैसे गुणों का विकास होता है।

5. आर्थिक प्रभाव (Economic Impact)- नगरीय और ग्रामीण समुदायों में अलग-अलग प्रकार का आर्थिक जीवन होता है। कोई समुदाय कृषि में, कोई व्यापार में, कोई उद्योग आदि में लगा रहता है। उस समुदाय के बच्चे भी अक्सर उसी व्यवसाय में जाने का विचार बना लेते हैं। परंतु आज के परिवर्तनशील युग में समुदाय के सदस्य अपने बच्चों को नौकरी की तरफ उन्मुख करने में अधिक रुचि ले रहे हैं।

6. नैतिक प्रभाव (Moral Impact) – समुदाय को बड़े सदस्यों से बड़े सहयोग, सहिष्णुता, दया, ईमानदारी आदि गुण सीखते हैं। जिन समुदायों में व्यवस्था, एकता और संगठन बनाये रखने का प्रयास किया जाता है, वहाँ ‘हम की भावना’ या सामुदायिक भावना होती है। यदि किसी बड़े नगर में व्यक्ति अपने गाँव के किसी व्यक्ति को देख लेता है तो उल्लास से भर जाता है, कुशलक्षेम पूछता है, भले ही गाँव में रहते हुए दोनों में आमने-सामने का सम्पर्क कम रहा हो। इस तरह समुदाय निश्चित भौगोलिक क्षेत्र के कारण सबको दु:ख-सुख से जोड़ता है।

7. सांस्कृतिक प्रभाव (Cultural Impact) – समुदाय की संस्कृति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बालक के व्यक्तित्व को आच्छादित करती रहती है। प्रत्येक समुदाय की प्रथाएँ, परम्पराएँ, धर्म, विश्वास, कला व ज्ञान आदि होते हैं। समुदाय अपनी भौतिक या ‘अभौतिक दोनों ही प्रकार की संस्कृतियों को नई पीढ़ी को हस्तान्तरित करता है। बालक अपने धर्म, आचार, कला, परम्पराओं आदि को वरिष्ठ सदस्यों से सीखता है और उसी के अनुरूप व्यवहार करता है।

8. नकारात्मक प्रभाव (Negative Impact)- समुदाय का विशिष्ट नाम, निश्चित भौगोलिक क्षेत्र, अलिखित सामान्य नियम व रीति-रिवाज संकीर्ण विचारों को जन्म देते हैं तथा संघर्ष की स्थिति पैदा करते हैं। एक समुदाय के बालक दूसरे समुदाय के बालकों को पृथक् समझते हैं। इसी भावना के वशीभूत होकर असहयोग दर्शाते हैं। अन्य बालकों के साथ समंजन नहीं कर पाते हैं।

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