अन्वेषणात्मक अथवा निरूपणात्मक प्ररचना
अन्वेषणात्मक अध्ययन में किसी सामाजिक घटना के कारणों की खोज की जाती है। समस्या के चुनाव के पश्चात् उपकल्पना निर्धारित करने के लिए इस प्रकार के अध्ययन का बहुत महत्व है। मान लीजिए किसी विशेष सामाजिक पर्यावरण में मनुष्य की सामाजिक स्थितियों का अध्ययन करना है, तो सबसे पहले उन कारकों का ज्ञान आवश्यक है, जो उस सामाजिक ढाँचे में मनुष्यों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। सामाजिक अनुसंधान का प्रथम चरण समस्या का चुनाव है। समस्या के चुनाव में कई बातों का ध्यान रखना होता है। जैसे समस्या के चुनाव तथा उपयोगी उपकल्पनाओं के निर्माण के लिए अन्वेषणात्मक अध्ययन महत्वपूर्ण है। अन्वेषणात्मक अध्ययनों के लिए कुछ अनिवार्यताओं का पालन करना आवश्यक है। ये अनिवार्यतायें निम्नलिखित है-
अन्वेषणात्मक अनुसंधान प्ररचना की अनिवार्यताएँ
(i) सम्बन्धित साहित्य का अध्ययन- सामाजिक महत्व की किसी भी समस्या के अध्ययन में उससे सम्बन्धित प्रकाशित या अप्रकाशित सामग्री का अवलोकन अत्यन्त आवश्यक है। अनुसंधान रिपोर्टों, पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं, लेखों, आदि की सहायता से समस्या के स्पष्टीकरण तथा उपकल्पना के निर्माण में बहुत सहायता मिलती है।
(ii) अनुभव-सर्वेक्षण- अनुभव सर्वेक्षण का अर्थ उन व्यक्तियों से सम्पर्क स्थापित करना है, जिन्हें सामाजिक व्यवहार के विषय में बहुत अनुभव होता है, किन्तु जो अशिक्षा के कारण अथवा अवसर के अभाव में अपने अनुभूत ज्ञान को लिखित स्वरूप नहीं दे सकते। इन व्यक्तियों के मौखिक ज्ञान से लाभ उठाना अनुसंधानकर्ता के लिए आवश्यक है। इस कार्य में सबसे पहली जरूरत अनुभवी व्यक्तियों का चुनाव है। सूचनादाताओं का चुनाव इस ढंग से करना चाहिए कि समस्या से सम्बन्धित अनुभव और ज्ञान रखने वाले ही व्यक्ति को चुना जा सकें, चाहे वे समस्या के क्षेत्र में कार्य करने वाले उत्तरदायी अधिकारी या कर्मचारी हों अथवा समस्या को विभिन्न दृष्टिकोणों से देखने वाले आलोचक या समर्थक हों। ऐसी अवस्था में समस्या के विषय में वास्तविक जानकारी प्राप्त हो जाती है। इन सूचनादाताओं से प्रश्न करके अनुभव सिद्ध ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक है। स्पष्ट है कि प्रश्नों से सम्बंधित समस्त धारणाओं का स्पष्ट ज्ञान अध्ययनकर्त्ता को होना चाहिए।
(iii) अन्तर्दृष्टि प्रेरक घटनाओं का विश्लेषण- सामाजिक अनुसंधान एक कठिन प्रक्रिया है। यदि अनुसंधानकर्त्ता का उत्साह निरंतर प्रेरित होता रहे, तो वह सफलतापूर्वक अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। अतः अन्वेषणात्मक अध्ययन के लिए ऐसी घटनाओं का अनुशीलन तथा विश्लेषण अत्यन्त आवश्यक और उपयोगी हैं, जो अध्ययनकर्ता की अन्तर्दृष्टि को प्रेरित करती है और उपकल्पना के निर्माण के लिए उपयोगी हैं। सामान्यतः निम्नलिखित घटनायें अनुसंधानकर्ता को प्रेरित करती हैं – (1) सीमांत व्यक्तियों से प्राप्त विवरण (Description by marginal persons), (2) अपरिचितों की प्रतिक्रियायें (Reactions of Strangers), (3) संक्रमणकालीन घटनायें (Transitional Cases), (4) व्याधिकीय घटनाएं (Pathological Cases), (5) स्पष्ट घटनाएँ (Uncomplicated Cases), (6) व्यक्तियों की विशेषताएँ (Features of Individuals), (7) सामाजिक ढाँचे में विभिन्न स्थितियाँ (Position in Social Structure)। इस प्रकार की घटनाओं में वैयक्तिक अध्ययन की गहनता, अनुसंधानकर्त्ता के दृष्टिकोण तथा उसकी एकीकरण शक्तियों को प्रेरणा मिलती है।
अन्वेषणात्मक प्ररचना के प्रकार्य (Functions of Exploratory Design)
1. पूर्व निर्धारित उपकल्पना का तात्कालिक स्थितियों के सन्दर्भ में परीक्षण करना।
2. विभिन्न अनुसंधान-प्रणालियों के प्रयोग की सम्भावनाओं का स्पष्टीकरण करना।
3. सामाजिक महत्व की समस्याओं की ओर अनुसंधानकर्त्ता को प्रेरित करना।
4. विस्तृत अनुसंधान के लिए अपरिचित क्षेत्र में व्यवस्थित उपकल्पना का आधार प्राप्त करना।
5. अनुसंधान कार्य को आरम्भ करना।
6. विज्ञान की सीमाओं में विस्तार करके उसके क्षेत्र का विकास करना।
7. समस्या के व्यवस्थित अध्ययन का केन्द्र निर्धारित करना, अर्थात् यह निश्चित करना कि समस्या के किस पक्ष पर ध्यान केन्द्रित किया जाना है।
अन्वेषणात्मक अनुसंधान अध्ययन की क्रियाओं को पूर्ण करने के लिए; नवीन सिद्धांतों की खोज तथा पूर्व निर्धारित उपकल्पनाओं के परीक्षण के लिए अत्यन्त उपयोगी है। यही कारण है कि सामाजिक अनुसंधान में इस प्रकार के अध्ययन का महत्व अत्यधिक है। रौल्टिन तथा अन्य ने लिखा है- ‘अधिक निश्चित अनुसंधान की दृष्टि से प्रासंगिक उपकल्पना के निरूपण में सहायक अनुभव प्राप्त करने के लिए अन्वेषणात्मक अनुसंधान आवश्यक है।
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