कागज पर ड्राफ्टिंग
कागज पर ड्राफ्टिंग- कागज पर ड्राफ्टिंग का अभ्यास करना एक अच्छा प्रारम्भ है। कागज पर ड्राफ्टिंग दो प्रकार से की जाती है-
(1) पूरे स्केल में ड्राफ्टिंग- पूरे नाप की ड्राफ्टिंग इंच के नापों या सेंटीमीटर के नापों में बड़े भूरे कागज पर तैयार की जाती है। अभ्यास के निमित्त अखबारी कागज का प्रयोग किया जा सकता है। ड्राफ्टिंग के निमित्त विशेष प्रकार की लाइनों वाले ड्राफ्टिंग पेपर भी मिलते हैं। इनके अभाव में भूरे कागज या सादे कागज का प्रयोग किया जा सकता है। ड्राफ्टिंग के लिए कागज को ड्राफ्टिंग टेबल पर बिछाकर पिन लगा देना चाहिए। ड्राफ्टिंग टेबल के अभाव में किसी भी बड़े टेबल या डाइनिंग टेबल का उपयोग किया जा सकता है। कागज के किनारों को चिपकने वाले टेप (Adhesive tape) की सहायता से टेबल में चिपका दें, जिससे कागज सरकने न पाए। ड्राफ्टिंग पेपर की लम्बाई और चौड़ाई, परिधान की कुल लम्बाई और अधिकतम चौड़ाई वाले भाग से एक-एक इंच अधिक होनी चाहिए तभी परिधान का पूरा खाका खींचना सम्भव हो पाएगा। कुछ लम्बाई के आधार पर यह निश्चित हो जाना आवश्यक है कि कागज पर पूरा ड्राफ्ट आ सकेगा अथवा नहीं।
ड्राफ्टिंग के निमित्त टेलर्स स्केल ‘एल’ स्क्वायर, मापक, पट्टी, टेलर्स कर्व, लाल- नीली पेंसिल, कागज कांटने की कैंची, मार्किंग हील और स्केल ट्राइएंगल की आवश्यकता होती है। इनकी सहायता से रेखाएँ सीधी और आकृतियाँ सही बनती हैं। कागज पर बनी पूरे स्केल की ड्राफ्टिंग को काटकर ही पेपर पैटर्न (Paper pattern) तैयार किया जाता है।
(2) छोटे स्केल की ड्राफ्टिंग- नोट बुक, कॉपी, फाइल या प्रैक्टिकल कॉपी पर छोटे स्केल की ड्राफ्टिंग बनाई जाती हैं। इसके निमित्त स्केल ट्राइ-एंगल (Scale triangle), पेंसिल तथा रबर का उपयोग किया जाता है। पूरे नाप का 1/4, 1/8 या 1/12वाँ भाग स्केल के आधार पर रेखांकित किया जाता है। एक सेंटीमीटर को एक इंच मानकर भी ड्राफ्टिंग की जाती है। इस प्रकार इंच में लिए गए नाप सेंटीमीटर में आवृत्त हो जाते हैं।
ड्राफ्टिंग करते समय कटाई-रेखा तथा सिलाई-रेखा को अलग-अलग दिखाना चाहिए। मुख्य लाइनों को गहरा तथा सहायक लाइनों को हल्का खींचना चाहिए। ड्राफ्टिंग में प्लीट, डार्ट, चुन्नटें, आदि के निशान भी दिये जाते हैं।
कपड़े पर ड्राफ्टिंग
कुछ लोग ड्राफ्टिंग सीधे कपड़े पर करते हैं। कपड़े पर ड्राफ्टिंग के अन्तर्गत सिलाई, कटाई, प्लीट, डार्ट, चुन्नटे, हेम आदि के चिन्ह दिये जाते हैं। कपड़े पर टेलर्स चॉक की सहायता से निशान लगाए जाते हैं। ड्राफ्टिंग के निमित्त कपड़े को उल्टा बिछाएँ तथा उल्टी ओर से ड्राफ्टिंग करें। इससे चॉक के निशान अन्दर की ओर रह जाते हैं।
प्रिंटेड कपड़ों पर सीधी ओर से पैटर्न बिछाकर ड्राफ्टिंग करना चाहिए। इससे नमूनों का सही संतुलन और सौन्दर्य प्राप्त किया जा सकता है।
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