क्रेडिट आधारित आंकलन (Credit based assessmant)
यू.जी.सी. ने देश की शिक्षा में समानता, निपुणता और श्रेष्ठता लाने के लिए कुछ सुझाव दिए जिन्हें 2010-2011 के सत्र से लागू किया जाना था । उच्च शिक्षा की पद्धति में बहुत अधिक विविधता होने के कारण, विश्वविद्यालयों में परीक्षा, मूल्यांकन और ग्रेडिंग पद्धति के बहुविध उपागमों का पालन किया जाता है। जबकि उच्च शिक्षा संस्थानों में परीक्षा और मूल्यांकन विधियों का अभिकल्प जो उनके अपने पाठ्यक्रम और शिक्षण-अधिगम विधियों के अनुकूल हो उसे ग्रहण करने की स्वतन्त्रता और लचीलापन होना चाहिए, पर ग्रेड प्रदान करने की एक ऐसी पद्धति को विकसित करने की आवश्यकता है जो विद्यार्थियों के निष्पादन पर आधारित हो । वर्तमान में विद्यार्थियों के निष्पादन का प्रतिवेदन उनके द्वारा परीक्षा में प्राप्त अंकों या ग्रेड या दोनों पर आधारित है। अंकों को अक्षर ग्रेड में परिवर्तित करने की प्रथा देश में काफी प्रयोग की जा रही है। इससे शिक्षाविदों और नियोक्ताओं को विभिन्न विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों के निष्पादन को समझने में कठिनाई होती है।
ग्रेडिंग पद्धति को परम्परागत आंकिक पद्धति से उत्तम समझा जाता है, अतः उच्च स्तरीय संस्थाओं में इसका पालन किया जा रहा । अतः भावी नियोक्ताओं और देश की संस्थाओं में विद्यार्थियों के निष्पादन को समझने के लिए UGC ने संचयी ग्रेड बिन्दु औसत की गणना का सुझाव दिया जो विद्यार्थियों के परीक्षा में निष्पादन पर आधारित है। इसके लिए UGC ने क्रेडिट आधारित सेमेस्टर पद्धति का सुझाव दिया। इसके अनुसार डिग्री या प्रमाण पत्र पाने के लिए विद्यार्थी को क्रेडिट की एक संख्या पूरी करना आवश्यक होता है।
UGC ने एक ऐसी लचीली पद्धति का सुझाव दिया जिसे पसन्द आधारित क्रेडिट पद्धति का नाम दिया। इसके अन्तर्गत विद्यार्थियों को निम्नांकित सुविधाएँ प्राप्त होती हैं-
(i) अपने स्वयं की गति से सीखने की।
(ii) विश्वविद्यालय द्वारा दिए गए अनेक विकल्पों में से विकल्प चयन करने की सुविधा।
(iii) अधिगम में अन्तरसंकाय उपागम अपनाने की और
(iv) उपलब्ध अध्यापकों में से सर्वोत्तम विशेषज्ञता का प्रयोग करने की । क्रेडिट
(Credits) — क्रेडिट एक प्रकार की भारिता है जो पाठ्यक्रम को पढ़ाने के लिए निर्धारित घण्टों के आधार पर दिए जाते हैं, जो मोडूलर रूप में है। हर पाठ्यक्रम में व्याख्यानों/ट्यूटोरियल/प्रयोगशाला कार्य और अन्य प्रकार के अधिगम के लिए क्रेडिट आवंटित होते हैं जो पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिए आवश्यक होते हैं। सामान्यतः एक क्रेडिट, 15 सम्पर्क घंटों के लिए आवंटित होता है।
SGPA और CGPA की गणना (Computation of SGPA and CGPA)
SGPA विद्यार्थी द्वारा सभी पाठ्यक्रमों में प्राप्त ग्रेड पोन्ट्स और सभी पाठ्यक्रमों प्राप्त क्रेडिट अंकों के गुणनफल के योग का अनुपात है-
SGPA(Si) = Σ(CiXGi)ΣCi
जहाँ Ci, ith पाठ्यक्रम में क्रेडिट के अंक और Gi विद्यार्थी द्वारा ith पाठ्यक्रम में प्राप्त ग्रेड पोइन्ट है।
CGPA की गणना भी इसी प्रकार विद्यार्थी द्वारा सभी सेमेस्टरों के सभी पाठ्यक्रमों को लेकर की जाती है, अर्थात्,
SGPA(Si) = Σ(CiXGi)/ΣCi
जहाँ Si, ith सेमेस्टर का SGPA है और Ci सेमेस्टर का कुल क्रेडिट अंक है। SGPA और CGPA को दो दशमलव बिन्दु तक परिवर्तित कर लेते हैं।
SGPA और CGPA की गणना का उदाहरण
SGPA और CGPA की गणना : SGPA का उदाहरण
पाठ्यक्रम | क्रेडिट | ग्रेड अक्षर | ग्रेड पोईन्ट | क्रेडिट पोईन्ट ( क्रेडिट x ग्रेड) |
पाठ्यक्रम1
पाठ्यक्रम2 पाठ्यक्रम3 पाठ्यक्रम4 पाठ्यक्रम5 पाठ्यक्रम6 |
5
3 2 3 3 4 |
B+
B C A O B |
7
6 5 8 10 6 |
5 x 7 = 35
3 × 6 = 18 2 x 5 = 10 3 × 8 = 24 3 x 10 = 30 4×6=24 |
20 | 141 |
SGPA=141/20 =7.05
CGPA का उदाहरण
सेमेस्टर 1 | सेमेस्टर 2 | सेमेस्टर 3 | सेमेस्टर 4 | सेमेस्टर 5 | सेमेस्टर 6 |
क्रेडिट: 22 | क्रेडिट: 20 | क्रेडिट 25 | क्रेडिट: 28 | क्रेडिट : 23 | क्रेडिट: 24 |
SGPA : 7.05 | SGPA : 7.6 | SGPA : 6.9 | SGPA : 6.7 | SGPA : 6 | SGPA : 7 |
∴CGPA= (22 x 7.05+20×7.6+25×6.9+28×6.7+23×6+24×7) / 22+20+25+28+23+24
(155.1+152+172.5+ 187.6+138+168)/142
973.2/ 142 = 6.85
रूप से वितरित (Normally Distribute) मान लिया जाता है तथा सामान्य-वक्र की विशेषताओं के आधार पर सम्बन्धित समस्याओं को हल करने का प्रयास किया जाता (A Normal Porbability Curve (NPC) is a well defined Uni-model, shaped Curve with Skewness as zero and Kurtosis equal to 263.)
के विस्तार को +3σ एवं 3σ के मध्य माना जाता है।
In NPC area lies between +3σ to -3σ
10. इस वक्र में मध्यमान बिन्दु पर स्थित कोटि की ऊँचाई अधिकतम होती है तथा यह कुल आवृत्तियों (अर्थात् N) की .3989 होती है। इसे सर्वोच्च कोटि कहते है।
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