मनोवैज्ञानिक परीक्षण क्या है? (Psychological test)
मनोवैज्ञानिक परीक्षण एक ऐसा मानकीकृत उपकरण है जिसके द्वारा शाब्दिक या अशाब्दिक अनुक्रियाओं या अन्य व्यवहारों से सम्पूर्ण व्यक्तित्व के एक या एक से अधिक पहलुओं का वस्तुनिष्ठ ढंग से मापन किया जाता है।
संक्षेप में, मनोवैज्ञानिक परीक्षण वे मानकीकृत परीक्षण हैं जिनके द्वारा व्यक्तियों (छात्रों) की मानसिक शक्तियों एवं गुणों का मापन किया जाता है।
यहाँ पहली बात यह समझ लेनी चाहिए कि मानकीकृत परीक्षण का अर्थ है- वैध, विश्वसनीय और वस्तुनिष्ठ परीक्षण और दूसरी बात यह समझ लेनी चाहिए कि किसी एक मनोवैज्ञानिक परीक्षण से व्यक्ति अथवा व्यक्तियों की किसी एक ही मानसिक शक्ति अथवा गुण का मापन किया जा सकता है।
मनोवैज्ञानिक परीक्षणों के उद्देश्य और कार्य (Aims and Functions of Psychological Tests)
मनोवैज्ञानिक परीक्षणों के निम्नलिखित उद्देश्य एवं कार्य होते हैं-
(1) व्यक्तियों (छात्रों) की मानसिक शक्तियों और गुणों का मापन करना।
(2) व्यक्तियों (छात्रों) की मानसिक शक्तियों और गुणों की तुलना करना।
(3) व्यक्तियों (छात्रों) की मानसिक शक्तियों और गुणों के आधार पर उनका वर्गीकरण करना।
(4) व्यक्तियों (छात्रों) की मानसिक शक्तियों और गुणों के आधार पर उनके विषय में भविष्यवाणी करना।
मनोवैज्ञानिक परीक्षणों के प्रकार (Types of Psychological Tests)
मनोवैज्ञानिक परीक्षणों को दो आधारों पर वर्गीकृत किया जाता है- एक प्रयोज्यों की संख्या के आधार पर और दूसरे परीक्षणों की प्रस्तुति के स्वरूप के आधार पर।
प्रयोज्यों की संख्या के स्वरूप के आधार पर इन्हें दो वर्गों में विभाजित किया जाता है- व्यक्तिगत परीक्षण और सामूहिक परीक्षण।
और परीक्षणों के प्रस्तुतीकरण के स्वरूप के आधार पर भी इन्हें दो वर्गों में विभाजित किया जाता है- शाब्दिक परीक्षण और अशाब्दिक परीक्षण।
विशेष – (1) कुछ मनोवैज्ञानिक परीक्षण ऐसे भी होते हैं जिन्हें व्यक्ति और समूह दोनों पर प्रशासित किया जा सकता है। इन्हें हम व्यक्तिगत एवं सामूहिक परीक्षण कह सकते हैं।
(2) इसी प्रकार कुछ परीक्षण ऐसे होते है जिनमें शाब्दिक और अशाब्दिक दोनों प्रकार के पद होते हैं। इन्हें हम शाब्दिक – अशाब्दिक परीक्षण कह सकते हैं।
मनोवैज्ञानिक परीक्षणों की उपयोगिता (Utility of Psychological Tests)
वर्तमान में मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का प्रयोग किसी न किसी रूप में सभी क्षेत्रों में किया जाता है। इन क्षेत्रों में मुख्य क्षेत्र है— शिक्षा, उद्योग, व्यवसाय और सैन्य।
शिक्षा के क्षेत्र में उपयोगिता
मनोवैज्ञानिक परीक्षणों द्वारा छात्र अथवा छात्रों की मानसिक शक्तियों और गुणों का मापन किया जाता है और इन मापन के परिणामों के आधार पर-
(1) उनका विद्यालय में प्रवेश हेतु चयन किया जाता है।
(2) प्रवेश के बाद उनका वर्गीकरण किया जाता है।
(3) छात्रों की तुलना की जाती है।
(4) छात्रों को शैक्षिक, व्यावसायिक एवं व्यक्तिगत निर्देशन एवं परामर्श दिया जाता है।
(5) छात्रों विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने के अवसर दिए जाते हैं।
(6) छात्रों की कठिनाइयों का निदान कर उनका उपचार किया जाता है।
(7) विशिष्ट छात्रों की पहचान कर उनकी विशिष्ट शिक्षा की व्यवस्था की जाती है।
(8) छात्रों के साधारण मानसिक रोगों—तनाव, कुण्ठा, और दुश्चिन्ता का पता लगाया जाता है और उनका उपचार किया जाता है।
(9) छात्रों के गम्भीर मानसिक रोगों का पता लगाया जाता है और उन्हें विशेषज्ञों द्वारा उपचार कराने की सलाह दी जाती है।
(10) समस्या बालकों की पहचान की जाती है और उनका उपचार किया जाता
(11) छात्रों के विषय में भविष्यवाणी की जाती है।
उद्योग के क्षेत्र में उपयोगिता
किसी भी उद्योग की सफलता दो साधनों पर निर्भर करती है- वस्तुगत संसाधन और मानव संसाधन उद्योगों के लिए उपयुक्त संसाधन की व्यवस्था करने में मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का प्रयोग निम्नलिखित रूप में किया जाता है-
(1) कर्मचारियों का चयन किया जाता है।
(2) कर्मचारियों की पदोन्नति की जाती है।
(3) अधिकारियों का चयन किया जाता है।
(4) अधिकारियों की पदोन्नति की जाती
(5) कर्मचारियों की समस्याओं को समझा जाता है और उनका समाधान किया जाता है।
व्यवसाय के क्षेत्र में उपयोगिता
किसी भी व्यवसाय की सफलता उस व्यवसाय में लगे व्यक्तियों की कार्य प्रणाली एवं कार्यक्षमता पर निर्भर करती है। इस क्षेत्र में मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का प्रयोग निम्नलिखित रूप में किया जाता है-
(1) योग्य एवं कर्मशील कर्मचारियों का चयन किया जाता है।
(2) कर्मचारियों का कार्य विभाजन किया जाता है।
(3) कर्मचारियों को एक कार्य क्षेत्र से दूसरे कार्य क्षेत्र में लगाया जाता है।
(4) कर्मचारियों की पदोन्नति की जाती है।
(5) कर्मचारियों की समस्याओं को समझा जा सकता है और उनका समाधान किया जाता है।
सैन्य के क्षेत्र में उपयोगिता
इस क्षेत्र में मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का प्रयोग निम्नलिखित रूप में होता है-
(1) सेना में प्रवेश के इच्छुक व्यक्तियों की मानसिक शक्तियों एवं गुणों का मापन कर उनके परिणाम के आधार पर उनका चयन किया जाता है।
(2) सैनिकों का कार्य विभाजन किया जाता है।
(3) अधिकारियों का चयन किया जाता है।
(4) अधिकारियों का कार्य विभाग किया जाता है।
(5) कार्यरत व्यक्तियों की समस्याओं को समझा जाता है और उनका समाधान किया जाता है।
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