वाचन अथवा पठन से आप क्या समझते हैं?
साधारणतया अंग्रेजी के Reading शब्द के लिये हिन्दी में दो शब्दों का प्रयोग होता है। वे दो शब्द हैं- वाचन और पठन। मूलत: इन दोनों क्रियाओं में थोड़ा अन्तर है। पठन का अर्थ व्यापक है और वाचन का अर्थ है, जोर-जोर से पढ़ना, जिसका आनन्द श्रोता भी ले सकें।
वाचन की मुद्राएँ
वाचन के दो प्रमुख आधार हैं- (1) वाचन मुद्रा तथा (2) वाचन शैली।
1. वाचन मुद्रा – वाचन मुद्रा से हमारा आशय बैठने, खड़े होने, वाचन सामग्री को हाथ में पकड़ने तथा भावों के अनुकूल आँखों, हाथों और अंगों का संचालन करने से है।
2. वाचन शैली – वाचन शैली से हमारा आशय कण्ठ साधकर भाव के अनुसार उचित उतार-चढ़ाव के साथ पढ़ने के ढंग से है।
उचित वाचन मुद्रा के साथ जो व्यक्ति वाचन सामग्री को भावों के अनुसार अंगों का संचालन करते हुए पढ़ता है, वह श्रोताओं को बरबस ही अपनी ओर आकृष्ट कर लेता है। एक अच्छा वाचनकार आगे चलकर अच्छा वार्ताकार, प्रभावशाली वक्ता और एक सफल अभिनेता हो जाता है।
वाचन की विशेषताएँ
अत्यन्त सुन्दर शैली में लिखी हुई वाचन सामग्री साधारण पाठक के मुख से निकलकर नीरस और निरर्थक प्रतीत होती है। इसके विपरीत साधारण-सी वाचन सामग्री को भी अच्छा वाचक प्रभावोत्पादक ढंग से प्रस्तुत कर श्रोताओं का मन मोह लेता है।
अत: अच्छे वाचन की निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिये-
(1) अच्छा वाचन आरोह-अवरोह के साथ प्रभावोत्पादक ढंग से किया जाता है।
(2) प्रत्येक शब्द को अन्य शब्दों से अलग करके उचित बल और विराम के साथ पढ़ना, अच्छे वाचन का दूसरा गुण है।
(3) वाचक अपने वाचन में आवश्यकतानुसार भाव-भंगिमाओं का प्रदर्शन करता है।
(4) वह वाचन में सुस्वरता के साथ प्रवाह बनाये रखता है।
वाचन में अशुद्ध उच्चारण के कारण
वाचन में अशुद्ध उच्चारण के निम्नलिखित कारण हैं-
1. क्षेत्रीय प्रभाव – अशुद्ध उच्चारण के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-पंजाब में क, ख, ग, घ के बदले का, खा, गा एवं घा का उच्चारण किया जाता है। बंगाल में व के स्थान पर हर जगह ब का उच्चारण किया जाता है। गुजरात और मारवाड़ में ऐ, औ और न के बदले ए ओ, बोला जाता है। तमिल में थ के बदले त बोला जाता है।
2. अशुद्ध उच्चारण वाले व्यक्तियों के साथ सम्पर्क-अशुद्ध उच्चारण वाले व्यक्तियों के सम्पर्क में आकर शुद्ध उच्चारण करने वाला व्यक्ति भी अनुकरण द्वारा अशुद्ध उच्चारण सीख जाता है और बड़ा होने पर, डिब्बे को डिब्बा ही कहता है।
3. भौगोलिक प्रभाव – अरब के निवासी दिन-रात धूप और लू से बचने के लिये सिर पर कपड़ा लपेटे रहते हैं। गला कसा रहने के कारण उनके द्वारा ए और अ औ बोले जाने लगे हैं। अतः भौगोलिक प्रभाव से भी स्वर यन्त्र की बनावट में अन्तर आ जाता है।
4. अक्षरों और मात्राओं का अस्पष्ट ज्ञान- जब बालकों को अक्षरों का शुद्ध ज्ञान नहीं कराया जाता तो उच्चारण में वे अशुद्धियाँ करते ही हैं।
5. शारीरिक विकार – शारीरिक विकार भी जब उच्चारण यन्त्र में पैदा हो जाते हैं, जो उच्चारण को अशुद्ध बना देते हैं। ये विकार कण्ठ, तालू, होंठ, दाँत आदि में होते हैं।
6. मानसिक असन्तुलन- संकोच और भय के साथ बोलने से उच्चारण गलत हो जाता है। और अति शीघ्र बोलने से भी उच्चारण में दोष आ जाता है।
वाचन में अशुद्ध उच्चारण को दूर करने के उपाय
अशुद्ध उच्चारण को दूर करने लिये निम्नलिखित उपायों का प्रयोग करना चाहिये-
1. शुद्ध बोलने के लिये उपकरणों का प्रयोग- उच्चारण शिक्षा में ग्रामोफोन, टेपरिकॉर्डर, रेडियो आदि का प्रयोग किया जाना चाहिये।
2. ध्वनि तत्त्व का ज्ञान देना- प्राथमिक कक्षा के शिक्षकों को छात्रों को यह बताना चाहिये कि कौन-सी ध्वनि कहाँ पैदा होती है ? किस अक्षर के बोलने में जीभ, होंठ आदि की क्या स्थिति होती है? अक्षरों का उच्चारण उनके नियत स्थान में ही होना चाहिये ।
3. शब्दोच्चारण की शिक्षा अलग से नहीं देनी चाहिये-शिक्षण के साथ-साथ ही यह प्रक्रिया चलनी चाहिये ।
4. अक्षरोच्चारण के नियमों की यथा-समय जानकारी देना – अध्यापक द्वारा अक्षर उच्चारण की जानकारी यथा समय देना, अच्छे शिक्षण का प्रतीक है।
- उपभोक्ता की अवधारणा | उपभोक्ता जागरूकता का अर्थ
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के द्वारा उपभोक्ताओं को कौन-कौन से अधिकार दिये गये हैं?
- उपभोक्ताओं के शोषण के उन्मूलन के उपाय
Related Link
- सुदूर-पूर्व एशिया की प्रमुख वनस्पतियाँ | Major Plants of Far-East Asia in Hindi
- प्रादेशिक तथा क्रमबद्ध उपागम | Regional and Systematic Approach in Hindi
- एशिया की जलवायु | Climate of Asia Continent in Hindi
- प्राकृतिक प्रदेशों के सीमांकन के आधार | Criteria of Delimitation of Natural Regions in Hindi
- सांस्कृतिक प्रदेश का अर्थ एंव विश्व के आधुनिक सांस्कृतिक परिमंडल | Meaning of cultural region and modern cultural circles of the world in Hindi
- कर्मोपलक्षी एवं कार्यात्मक प्रदेशों में विभेद | Distinction between functional and functional regions in Hindi
- आर्थिक प्रदेशों के सीमांकन के आधार एवं विशेषताएँ | Basis and features of demarcation of economic territories
- प्रदेश की परिभाषा तथा इसके प्रकार | Definition of region and its types in Hindi
Disclaimer