B.Ed. / BTC/ D.EL.ED / M.Ed.

शिक्षा में निजी प्रयास एवं नवाचार | Private Initiatives & Innovation in Education in Hindi

शिक्षा में निजी प्रयास एवं नवाचार
शिक्षा में निजी प्रयास एवं नवाचार

शिक्षा में निजी प्रयास एवं नवाचार (Private Initiatives & Innovation in Education)

शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार लाने के लिए अनेक निजी प्रयास किये गये हैं इनमें प्रथम (Pratham) प्रमुख नवाचार हैं-

प्रथम (Pratham)

‘प्रथम’ भारत के शिक्षा से वंचित छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने वाला सबसे बड़ा गैर-सरकार संगठन (NGO) है। इसकी स्थापना यूनिसेफ (UNICEF) के सहयोग से बम्बई (मुम्बई) शहर में वर्ष 1994 में झुग्गी-झोंपड़ी में पूर्व विद्यालयी छात्रों को शिक्षा देने हेतु की गई थी। इसके संस्थापक डॉ० माधव चवन हैं। मुम्बई में यह संगठन 3-11 वर्ष के आयु वर्ग के 1,00,000 बच्चों को शिक्षा सुविधाएँ प्रदान करता है। वर्ष 1994 से अब तक संगठन की भौगोलिक सीमाओं तथा क्षेत्र में पर्याप्त विस्तार हो गया है, जिसके अन्तर्गत भारतवर्ष के 19 राज्यों में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र के करोड़ों बच्चों को शिक्षा प्रदान की जा रही है। प्रथम संस्था समय-समय पर विभिन्न सर्वेक्षण करवाती है, जिनसे बालकों की शिक्षा सम्बन्धी समस्याओं का
पता चलता है। प्रथम की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2009 में कक्षा 5 के 52% छात्र कक्षा 2 की पुस्तक पढ़ सकते थे जबकि वर्ष 2013 में घटकर यह केवल 47% रह गया है। वर्ष 2009 में कक्षा 3 के 36.5% बच्चे ही गणित के घटाने के सवाल हल कर पाये थे। वर्ष 2013 में यह आँकड़ा घटकर 18.9% रह गया। प्रथम ने अपने सर्वेक्षणों में मुख्य रूप से पाया कि वर्तमान विद्यालयों में भारतवर्ष में मुख्यतः तीन स्तरों पर कमियाँ पाई जाती हैं, जो कि शैक्षिक पिछड़ेपन के जिम्मेदार हैं, उनमें प्रमुख हैं- बच्चों में शिक्षा के प्रति दायित्व रुचि का उत्पन्न न हो पाना, जिससे उन्हें पाठ्यक्रम बोझिल व नीरस लगता है, साथ ही विद्यालय जाने के प्रति उचित प्रेरणा भी नहीं मिल पाती। दूसरा, विद्यालयों में मूलभूत ढाँचागत संसाधनों की कमी होना है, जिसमें अध्यापक, पाठ्यक्रम एवं पाठ्येत्तर गतिविधियों का उचित समन्वय नहीं हो पाता है। तीसरे स्तर पर शिक्षा का उचित प्रबन्धन न पाना है, जिसमें जहाँ विद्यालयों की अति आवश्यकता है, वहाँ विद्यालयों का न होना है। उपरोक्त स्तरों पर कमियों को पहचानकर वर्तमान में प्रथम द्वारा कई उपचार कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

प्रथम संस्था का दृष्टिकोण (Vision of Pratham Education)

प्रथम संस्था का दृष्टिकोण (Vision) है- “Every Child in School & Learning Well.” इस संगठन की अवधारणा है कि शिक्षा प्रत्येक बच्चे का मौलिक अधिकार है तथा कोई भी छात्र शिक्षा से केवल इसलिए वंचित न रह पाये, क्योंकि उसके पास अपने सपनों को पूरा करने के लिए साधन उपलब्ध नहीं हैं। प्रथम के कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य वंचित बच्चों का नामांकन करना तथा उनके अधिगम स्तर को उच्च करना है। शुरुआती वर्षों में इसमें मुम्बई की झुग्गी-झोंपड़ियों में रहने वाले पूर्व विद्यालयी छात्रों को शिक्षित करने से अपना कार्य शुरू किया। इसके लिए प्रत्येक समुदाय के अन्दर स्थित मन्दिर या किसी स्थानीय कार्यालय या किसी के घर को स्थान के रूप में चुना गया। इसमें कार्य करने वाले कार्यकर्त्ता भी समुदाय के ही सदस्य होते हैं, जिनको पूर्व बाल्यावस्था शिक्षा प्रदान करने हेतु प्रशिक्षित किया जाता है। उनको शिक्षण सहायक सामग्री भी उपलब्ध कराई जाती है। इस प्रकार से प्रारम्भ में स्थापित की गई बालवाड़ियाँ जल्द ही विभिन्न स्थानों में फैल गईं।

धीरे-धीरे इस संस्था ने ‘बालसखी’ कार्यक्रम के द्वारा ऐसे बच्चे जो स्कूल से बाहर थे या ड्रॉप-आउट (Drop-out) थे, उनके लिए उपचारात्मक शिक्षण प्रारम्भ किया। जल्द ही ऐसे बच्चों को मुख्यधारा के स्कूल में शामिल कर लिया गया। प्रथम सरकारी प्रयासों में सहयोग देने का कार्य भी करती है।

1. प्रथम योजना के उद्देश्य- प्रथम के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-

(i) विद्यालयों में छात्र नामांकन में वृद्धि करना।

(ii) विद्यालय एवं समुदाय में सीखने को प्रोत्साहन देना।

(iii) ऐसे बच्चे जो स्कूल नहीं आ सकते, उनके लिए शिक्षा संचार (Education Net) उपलब्ध कराना

(iv) ऐसे मॉडल की स्थापना करना, जिससे बड़े स्तर पर प्रभाव पड़े।

प्रथम के मुख्य कार्यकर्ताओं के साथ अधिक संख्या में सामाजिक कार्यकर्त्ता, समुदाय के लोग, विभिन्न व्यवसायी एवं शिक्षा कर्मी इत्यादि जुड़े हैं। इसका कार्य क्षेत्र यूनाइटेड किंगडम व यू०एस०ए में भी फैला है तथा कई सहयोगी मल्टीनेशनल एवं व्यवसायी संस्थाएँ भी इसे सहायता प्रदान करती हैं। वर्ष 2000 में प्रथम को विश्व बैंक और जापान सरकार द्वारा विश्व की तीन प्रमुख विकास परियोजनाओं में रखा गया।

2. प्रथम द्वारा चलाये जा रहे कार्यक्रम- प्रथम द्वारा निम्नलिखित कार्यक्रम चलाये जाते हैं-

(i) रीड इण्डिया (Read India)

(ii) बालवाड़ी एक पूर्व स्कूल कार्यक्रम

(iii) बालसखी उपचारात्मक शिक्षा कार्यक्रम

(iv) अधिगम सहायता कक्षायें (Learning Support Classes )

(v) शहरी अधिगम केन्द्र (Urban Learning Centre)

(vi) असर (ASER- The Annual Status of Education Report) सर्वेक्षण

(vii) पी०सी०वी०सी० (PCVC-Pratham Council for Vulnerable Children)

(viii) कम्प्यूटर सहायक अनुदेशन (Computer Aided Instruction)

(ix) प्रथम पुस्तकें

(x) उर्दू कार्यक्रम ।

प्रथम की कार्य प्रणाली (Work System of Pratham)

प्रथम, बड़े स्तर पर परिवर्तन लाने के लिए सभी राज्य की सरकारों के साथ मिलकर कार्य करता है, इसलिए ‘रीड इण्डिया’ (Read India) नामक योजना के तहत विभिन्न शहरों को म्यूनिसिपिल निकायों में काम करने हेतु एक मेमोरेण्डम पर हस्ताक्षर किये गये हैं। प्रथम स्थानीय समुदाय स्तर पर कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करता है, जिनमें महिलाओं को भी काफी हद तक भागीदार बनाया गया है, जिससे महिला सशक्तीकरण के प्रयासों को भी काफी बल मिला है।

शिक्षा में सुधार हेतु प्रथम अपने ‘असर’ (ASER) सर्वेक्षण के जरिये सशक्त आवाज बन गया है। ‘असर’ (Annual Status of Education Report-ASER) प्रथम द्वारा करवाया जाने वाला एक व्यापक सर्वेक्षण है जो कि विभिन्न राज्य सरकारों एवं केन्द्र सरकार द्वारा सन्दर्भ में लिया गया है। इससे प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर ही विभिन्न योजनाओं को बनाया जाता है। प्रथम के वरिष्ठ टीम सदस्य विभिन्न सरकारी योजनाओं के सलाहकार मण्डल में भी रहे हैं, यथा-सर्व शिक्षा अभियान। असर सर्वेक्षण केवल नामांकन प्रतिशत ही नहीं बताता वरन् शिक्षा व्यवस्था में गुणवत्ता है। साथ ही नागरिकों में बालकों के स्तर पर क्या कमी रह गई है, इस पर भी प्रकाश डालता अधिगम स्तर के सम्बन्ध में जानकारी भी देता है, साथ ही जागरूकता फैलाने का कार्य करता है।

रीड इण्डिया -प्रथम (Read India – Pratham)

रीड इण्डिया, प्रथम का ही एक मुख्य कार्यक्रम है। असर के वर्ष 2005 तथा 2006 के सर्वेक्षण के नतीजों में पाया गया कि विद्यालय में 2-5 वर्ष तक रहने के बावजूद, काफी प्रतिशत बच्चे ऐसे थे जो पढ़ना, लिखना तथा सामान्य गणित की जानकारी नहीं रखते थे। सर्वेक्षण के नतीजों के अनुसार, दूसरी कक्षा के केवल 15% तथा तीसरी कक्षा के 25% बच्चे ही पहली कक्षा का पाठ पढ़ पाये। इसी प्रकार दूसरी कक्षा के केवल 17% तथा तीसरी कक्षा के केवल 32% बच्चे ही घटाने का अभ्यास कर पाये। इस समस्या को दूर करने हेतु, जनवरी, 2007 में प्रथम ने 6-14 वर्ष के बच्चों को पढ़ने, लिखने तथा प्रारम्भिक गणित सिखाने हेतु ‘रीड इण्डिया’ कार्यक्रम की शुरुआत की। इस कार्यक्रम को 19 राज्यों के 600 जिलों में हजारों कार्यकर्ताओं तथा सरकारी विद्यालय तन्त्र द्वारा कार्यान्वित किया गया, इसके मुख्य उद्देश्य हैं-

1. प्रथम कक्षा के छात्र कम-से-कम वर्णमाला तथा गिनती के बारे में जान जाएँ।

2. कक्षा दो के बच्चे कम-से-कम शब्द पढ़ लें तथा साधारण गणित हल कर लें।

3. कक्षा 3-5 तक के बच्चे पाठ को साधारण गति से पढ़ लें तथा गणितीय समस्याओं को आत्म-विश्वाल से सुलझा सकें।

रीड इण्डिया अभियान स्कूल अध्यापकों एवं आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा चलाया जाता है, जिनको प्रथम की टीम द्वारा प्रशिक्षित किया जाता है। स्कूल के अध्यापक, स्कूल के अन्दर कार्य करते हैं, जबकि स्वयं सेवक एवं आँगनवाड़ी कार्यकर्ता बच्चों एवं उनकी समस्याओं के साथ स्कूल से बाहर कार्य करते हैं।

प्रथम का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण विद्यालयी शिक्षा उपलब्ध कराना है, जो कि निःसंदेह शिक्षा के सार्वभौमीकरण की दिशा में सराहनीय प्रयास है। इसलिए इस संस्था ने सरकारी एवं गैर सरकारी सहयोग से अपने कार्यक्रमों को एक प्रभावी मॉडल के रूप में तैयार किया गया है, जो बुनियादी जैसे बालवाड़ी कार्यक्रम से लेकर नवाचारी शिक्षा; यथा-कम्प्यूटर शिक्षा, उपचारात्मक शिक्षा तक विस्तृत है। इसने अपनी आकर्षक पुस्तकें भी तैयार की हैं, जो कम लागत की भी हैं, जिससे बच्चों में पढ़ने की आदत विकसित हो सकेगी। इस प्रकार प्रथम, निरक्षर एवं ग्रामीण वंचित बालकों में शिक्षा की अलख जगाने का सराहनीय कार्य कर रहा है।

एडूकॉम्प योजना का भारत में सभी को शिक्षा सुलभ कराना तथा शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाने से सम्बन्धित समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करना है। एडूकॉम्प द्वारा अपव्यय एवं अवरोधन की समस्या का समाधान भी किया जा सकता है। यह बाल केन्द्रित शिक्षा पद्धति है, जिसमें शिक्षण अधिगम के लिए कम्प्यूटर का प्रयोग किया जाता है। एड्रकॉम्प का प्रचार-प्रसार अभी तक केवल बड़े-बड़े नगरों तक ही सीमित है। ग्रामीण अंचल एवं छोटे नगरों के बालक अभी तक इन सुविधाओं से वंचित हैं। शासन द्वारा ऐसे प्रयास किये जाने चाहिए कि सम्पूर्ण देश के बालक इससे लाभान्वित हो सकें।

Important Links…

Disclaimer

Disclaimer:Sarkariguider does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment