आँगनवाड़ी शिक्षा के विषय में आप क्या जानते हैं ?
आँगनवाड़ी (Anganwadi)
आँगनवाड़ी कार्यक्रम समेकित बाल विकास सेवा का केन्द्र बिन्दु है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत पूरक पोषाहार, टीकाकरण, स्वास्थ्य जाँच, स्वास्थ्य परामर्श, स्कूल एवं अनौपचारिक शिक्षा तथा माताओं के लिए स्वास्थ्य तथा पोषाहार शिक्षा जैसी सुविधाएँ एक मुश्त तौर पर उपलब्ध करायी जाती हैं। गर्भवती तथा प्रसूता महिलाएँ और 6 वर्ष तक के बच्चे इस कार्यक्रम का लक्ष्य हैं। समेकित बाल विकास सेवा की सबसे निचले स्तर की इकाई ग्रामीण / जनजातीय इलाकों या झुग्गी झोंपड़ियों में काम करने वाली आँगनवाड़ी या बालवाड़ी हैं। प्रत्येक आँगनवाड़ी के पर्यवेक्षक के लिए एक आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ता होता है।
आँगनवाड़ी शिक्षा का कार्यक्रम राज्य सरकारों तथा स्वैच्छिक दानदाताओं के माध्यम से कार्यन्वित किया जा रहा है। प्रारम्भ में यह कार्यक्रम कुछ ही स्थानों पर प्रायोगिक रूप में चलाया गया; परन्तु अब इसे मलिन बस्तियों, पहाड़ी क्षेत्रों तथा जनजातीय क्षेत्रों तथा कामकाजी बच्चों को शिक्षा में भी शामिल किया गया है। आंगनवाड़ी पर दी जाने वाली 6 सेवाएं इस प्रकार हैं-
1. स्कूल पूर्व शिक्षा, 2. टीकाकरण, 3. वृद्धि निगरानी, 4. अनुपूरक पोषाहार, 5. पोषण व स्वास्थ्य शिक्षा, 6. स्वास्थ्य जाँच।
आँगनवाड़ी के 6 लाभार्थी समूह इस प्रकार हैं-
(1) | (2) | (3) | (4) | (5) | (6) |
0-1 वर्ष के बच्चे | 1-3 वर्ष के बच्चे | 3-6 वर्ष के बच्चे | गर्भवती एवं प्रसूता महिलाये | 15-45 वर्ष की महिलाये | 11-18 वर्ष की किशोरियां |
आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं के उत्तरदायित्व (Responsibilities of a Anganwadi Workers)
आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के विभिन्न क्षेत्रों से सम्बन्धित उत्तरदायित्व निम्नलिखित हैं-
1. पूरक पोषाहार सम्बन्धी उत्तरदायित्व
(i) 0-6 वर्ष के कुपोषित बच्चे, गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपायी माताओं की अपने केन्द्र से सम्बन्धित परिवारों की पहचान करना।
(ii) पूरक पोषाहार का उचित रख-रखाव एवं उन्हें वितरित करना ।
(iii) बच्चों की रुचि एवं खादानुसार पूरक पोषाहार को उन्हें उपलब्ध कराना।
(iv) 0-3 वर्ष तक बच्चों एवं गर्भवती महिलओं का समयानुसार वचन लेखा तैयार करना, कुपोषण की स्थिति पर उनके माता-पिता व अभिभावकों को सूचित करना।
(v) पूरक पोषाहार को स्वच्छता के साथ तैयार कराना तथा बच्चों और गर्भवती महिलाओं व धायी माताओं को खिलाना।
(vi) गम्भीर रूप से कुपोषित बच्चों की पहचान करना, मानक के अनुसार दोगुना राशन देना और चिकित्सीय परीक्षण के लिए डॉक्टर के परामर्श हेतु माता-पिता को तैयार करना ।
2. स्कूल पूर्व शिक्षा से सम्बन्धित उत्तरदायित्व
(i) 3 से 6 वर्ष तक के बालकों के शारीरिक, मानसिक, भावात्मक व संज्ञानात्मक विकास हेतु स्कूल पूर्व शिक्षा की व्यवस्था करना । शैक्षिक गतिविधियों का आधार मनोवैज्ञानिक विधियाँ होनी चाहिए।
(ii) बच्चों में स्वच्छता सम्बन्धी आदतों के विकास के साथ-साथ उनके लिए उपयुक्त खेल की व्यवस्था करना।
(iii) बच्चों को विभिन्न प्रकार की क्रियाओं के माध्यम से क्रियाशील रखना।
(iv) आँगनवाड़ी केन्द्रों पर बच्चों के मनोरंजक व रोधक कार्यक्रमों का आयोजन करना।
3. स्वास्थ्य पोषक एवं जनसंख्या शिक्षा सम्बन्धी उत्तरदायित्व
(i) आँगनवाड़ी कार्यक्रमों द्वारा टीकाकरण, स्वास्थ्य परीक्षण, परिवार कल्याण, पोषण सम्बन्धी चर्चाएँ करना तथा उनकी व्यवस्था करना।
(ii) बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण का रिकॉर्ड रखना।
(iii) शिशु विकलांगता की पहचान करना तथा उसकी रोकथाम के लिए उचित जानकारी प्रदान करना।
(iv) स्कूल पूर्व उपस्थिति पत्रिका तैयार करना।
(v) आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं; जैसे- आँगनवाड़ी सर्वेक्षण, पुष्ताहार संरक्षण एवं वितरण पुस्तिका, टीकाकरण पत्रिका का रख-रखाव व वितरण करना।
(vi) जनसंख्या शिक्षा पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करना ।
शारीरिक एवं मानसिक विकास की दृष्टि से जीवन के प्रारम्भिक वर्षे अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होते हैं, ऐसे समय में बच्चों की उपयुक्त देखभाल, शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण इत्यादि की समुचित व्यवस्था अत्यधिक आवश्यक है। भारत में निर्धनता एवं अज्ञानता होने के कारण समेकित बाल विकास योजना एवं आँगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से बालकों के संतुलित एवं समेकित विकास पर पूरा जोर दिया जा रहा है।
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