पाठ्यक्रम मूल्यांकन योजना के चरण/अवयव अथवा तत्त्व (Steps/Components/Elements of Curriculum Evaluation Plan)
पाठ्यक्रम मूल्यांकन की रूपरेखा के निम्नलिखित सोपान / अवयव / तत्त्व होते हैं-
1. मूल्यांकन का तर्कधार (Rational of Evaluation)- पाठ्यक्रम मूल्यांकन के तर्काधार के चरण/अवयव निम्नलिखित होते हैं- (1) मूल्यांकन की आवश्यकता, (2) मूल्यांकन की विधि, (3) मूल्यांकन द्वारा प्राप्त किये गये उपयोगों (Uses) को दर्शाता है।
2. मूल्यांकन अध्ययन के उद्देश्य (Objectives of Evaluation Study)- किसी भी कार्य अथवा योजना के लागूकरण से पूर्व उसके उद्देश्यों का ज्ञान होना बहुत आवश्यक होता है। पाठ्यक्रम मूल्यांकन के संदर्भ में भी कुछ उद्देश्य निर्धारित किये जाते हैं। पाठ्यक्रम का मूल्यांकन करते समय यह निर्धारित किया जाता है कि पाठ्यक्रम के उद्देश्यों के स्तर पर निर्धारण किस प्रकार किया जाये ?
3. पाठ्यक्रम विवरण (Curriculum Description )- इस चरण / अवयव में पाठ्यक्रम का सम्पूर्ण विवरण निम्न प्रकार होना चाहिए- (1) पाठ्यक्रम के उद्देश्य, (2) पाठ्यक्रम का दर्शन तथा विषय-वस्तु, (3) प्रक्रियाएँ एवं विधियाँ एवं (4) उन अधिगमकर्त्ताओं का शारीरिक, बौद्धिक एवं सामाजिक विवरण जिनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पाठ्यक्रम का निर्माण किया गया है, यह उसमें सम्मिलित रहता है।
4. मूल्यांकन डिजाइन (Evaluation Design)- रूपरेखा का पाठ्यक्रम में बहुत ही महत्त्व है। किसी भी कार्य के आरम्भ या नियोजन के समय उसकी रूपरेखा बनाना आवश्यक है। पाठ्यक्रम मूल्यांकन प्रक्रिया भी इसका अपवाद (Exception) नहीं है। पाठ्यक्रम के मूल्यांकन का प्रारूप (डिजाइन) निर्मित करने में निम्नलिखित तत्त्व महत्त्वपूर्ण हैं-
(i) वे परिस्थितियों जिनके कारण पाठ्यक्रम के मूल्यांकन कार्य का विकास किया गया।
(ii) मूल्यांकन प्रतिमान जिसका पाठ्यक्रम मूल्यांकन में प्रयोग किया जाना है।
(iii) मूल्यांकन प्रारूप की उपयुक्तता ।
(iv) प्राप्त उद्देश्यों का निर्धारण।
(v) सूचनाओं के स्रोत
(vi) सूचनाएँ एकत्रित करने की प्रभावशाली विधियाँ।
(vii) आँकड़ों के विश्लेषण की प्रविधियाँ ।
(viii) घटनाओं का क्रम एवं स्थिति का निर्धारण ।
(ix) बजट / वित्त व्यवस्था ।
5. मूल्यांकन रिपोर्ट (Evaluation Report)- पाठ्यक्रम मूल्यांकन का अन्तिम सोपान अथवा चरण/अवयव मूल्यांकन की रिपोर्ट तैयार करना होता है। इस रिपोर्ट में सम्पूर्ण मूल्यांकन कार्यक्रम के परिणाम होते हैं। इससे यह ज्ञात होता है कि पाठ्यक्रम के उद्देश्य कहाँ तक प्राप्त हुए हैं और भविष्य में अध्ययन के लिए किस प्रकार के सुझाव दिये जा सकते हैं। यह ज्ञान आवश्यक है।
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