समन्वित सामान्य पाठ्यक्रम (Core Curriculum in Hindi)
व्यापक क्षेत्रीय पाठ्यक्रम की तरह ही सामाजिक जीवन की जटिलता तथा विशिष्टीकरण की प्रवृत्ति के परिणामस्वरूप सभी व्यक्तियों को सामान्य जीवन के लिए अधिकाधिक विविध ज्ञान की आवश्यकता ने समन्वित सामान्य (कोर) पाठ्यक्रम को जन्म दिया। समन्वित अथवा केन्द्रीभूत सामान्य पाठ्यक्रम वास्तव में पूर्व वर्णित सामान्य पाठ्यक्रम का ही दूसरा नाम है। इसके अन्तर्गत उस ज्ञान एवं अनुभव को समाहित किया जाता है जो सभी छात्रों के लिए (चाहे वे किसी भी क्षेत्र में प्रवेश करना चाहते हों) सामान्य रूप से आवश्यक समझा जाता है।
समन्वित सामान्य पाठ्यक्रम (कोर करीक्यूलम) की संकल्पना के सम्बन्ध में शिक्षाविदों ने अलग-अलग मत प्रकट किये हैं। वास्तव में ‘कोर करीक्यूलम’ के बारे में किन्हीं दो शिक्षाविदों में भी परस्पर सहमति दिखाई नहीं पड़ती। प्रसिद्ध पाठ्यक्रम विशेषज्ञ हिटडा टाबा का मत इस सम्बन्ध में बहुत स्पष्ट एवं सन्तुलित प्रतीत होता है।
उनके अनुसार कोर करीक्यूलम में समाहित विषय-वस्तु, जीवन के कार्यों, सम-सामयिक समस्याओं, विद्यार्थियों की समस्याओं तथा आवश्यकताओं से सम्बन्धित विषयों में सुसम्बद्धता अर्थात् समवाय (Correlation) पर आधारित होती है। इसके साथ ही इसके कार्यक्रमों को जीवन की समस्याओं तथा छात्रों की अभिरुचियों से भी सम्बद्ध करने का प्रयास किया जाता है जिसका एक स्वाभाविक परिणाम समस्या समाधान विधि है। इसका तात्पर्य यह है कि इसके संगठन का केन्द्र उपर्युक्त विषयों में से कोई भी हो सकता है।
इस प्रकार कोर पाठ्यक्रम का तात्पर्य उस पाठ्यक्रम से है जिसमें कुछ विषय तो ऐसे होते हैं जो सभी बालकों के लिए अनिवार्य होते हैं तथा कई विषय ऐसे होते हैं जिनमें से कुछ को विद्यार्थी अपनी रुचियों एवं क्षमताओं के अनुसार चुन लेते हैं। यह पाठ्यक्रम अमेरिका की देन है। इसका प्रमुख उद्देश्य समस्त बालकों को व्यक्तिगत तथा सामाजिक समस्याओं से सम्बन्धित अनुभव प्रदान करना है जिससे वे वर्तमान एवं भावी समस्याओं का सामना करने के योग्य बना सकें। इसके साथ ही उन्हें ऐसे अनुभव प्रदान करना है जो उन्हें समाज का अच्छा नागरिक बनने में सहायक हो सकें।
कोर पाठ्यक्रम में निम्नलिखित विषयों को अनिवार्य रूप से प्रमुख स्थान दिया है-
(1) स्वास्थ्य शिक्षा एवं शारीरिक प्रशिक्षण- बालकों में (विशेषकर किशोरावस्था में) शारीरिक परिवर्तन एवं विकास तीव्र गति से होता है। ऐसी स्थिति में उन्हें स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा देना अति आवश्यक है। स्वास्थ्य विधि एवं स्वास्थ्य विज्ञान पढ़ाने के साथ-साथ बालकों के लिए व्यायाम, सामूहिक खेल, कुश्ती, तैराकी आदि क्रियाओं का भी आयोजन किया जाना चाहिए।
(2) कला, संगीत एवं प्रयोगात्मक कार्य- किशोर प्रायः भावना एवं कल्पना लोक में विचरण करते रहते हैं, अतः उनके लिए कला, संगीत एवं प्रयोगात्मक कार्यों की परम आवश्यकता होती है। इसलिए पाठ्यक्रम में साहित्य, संगीत, चित्रकला, मॉडलिंग, साज-सज्जा तथा कुछ प्रयोगात्मक क्रियाओं; जैसे- मिट्टी, कागज, लकड़ी, धातु, जिल्दसाजी, कताई बुनाई से सम्बन्धित क्रियाओं को स्थान दिया जाना चाहिए।
(3) विज्ञान- प्रकृति के रहस्यों को जानने, कार्य-कारण सम्बन्धों को स्थापित करने तथा प्राकृतिक संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने की क्षमता विकसित करने की दृष्टि से बालकों को पाठ्यक्रम में विज्ञान का समावेश करना अति आवश्यक है। अतः भौतिकशास्त्र, रसायनशास्त्र, शरीर विज्ञान, वनस्पति शास्त्र आदि विषयों को पाठ्यक्रम में समाविष्ट किया जाना चाहिए।
(4) मानविकी एवं सामाजिक विषय- मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। अतः प्रत्येक बालक को मानवीय एवं सामाजिक विषयों को पढ़ने का अवसर दिया जाना आवश्यक है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए इतिहास, भूगोल, नागरिकशास्त्र, समाजशास्त्र आदि विषयों को अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाना चाहिए।
(5) गणित- संख्यात्मक ज्ञान, तर्कशक्ति एवं अमूर्त विचारों के विकास तथा दैनिक जीवन की गणितीय आवश्यकताओं की पूर्ति के उद्देश्य से बालकों को अनिवार्य रूप से गणित विषय को पढ़ाने की आवश्यकता है।
(6) भाषा- भाषा का ज्ञान एवं प्रयोग मनुष्य की सबसे बड़ी विशेषता है। बालकों के लिए तो भाषा की शिक्षा और अधिक महत्त्व रखती है। बालकों को केवल बोलना ही नहीं सीखना होता है, अपितु अच्छे एवं सही ढंग से बोलना सीखना होता है। अतः बालकों को भाषा की शिक्षा अनिवार्य रूप से दी जानी चाहिए। इसके लिए साहित्यिक पुस्तकों, समाचार पत्रों, कहानी की पुस्तकों, कविता संग्रह आदि का प्रबन्ध करने के साथ-साथ नाटक खेलने, अभिनय करने, वाद-विवाद करने तथा अन्त्याक्षरी करने आदि की भी व्यवस्था होनी चाहिए।
समन्वित सामान्य (कोर) पाठ्यक्रम की विशेषताएँ
कोर पाठ्यक्रम की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
(1) यह पाठ्यक्रम मनोवैज्ञानिक एवं बाल ल-केन्द्रित होता है।
(2) इसमें शिक्षण समस्या केन्द्रित होता है तथा छात्रों को कार्यों एवं समस्याओं को हल करने का अनुभव प्राप्त होता है।
(3) इसमें छात्रों एवं शिक्षकों के सम्बन्ध अधिक घनिष्ठ होते हैं तथा अध्ययन-अध्यापन के साथ-साथ परामर्श भी चलता है।
(4) इसमें समय विभाग चक्र लचीला होता है तथा कालांश बड़े होते हैं।
(5) इसमें विषय-वस्तु के परम्परित विभाग एवं खण्ड समाप्त कर दिये जाते हैं तथा कई विषयों को एक साथ मिलाकर पढ़ाया जाता है।
(6) यह पाठ्यक्रम सभी छात्रों की सामान्य आवश्यकताओं की पूर्ति करने का प्रयास करता है।
(7) यह पाठ्यक्रम सबसे अधिक प्रचलित है।
(8) इसके अन्तर्गत व्यापक निर्देशन कार्यक्रम की व्यवस्था रहती है।
(9) इसमें अधिकतर शैक्षिक कार्यक्रम छात्र और शिक्षक मिलकर आयोजित करते हैं।
(10) इसमें विभिन्न प्रकार के अधिगम अनुभव प्रयुक्त किये जाते हैं।
Important Links…
- पाठ्यक्रम के प्रकार | Types of Curriculum in Hindi
- एकीकृत पाठ्यक्रम अर्थ एवं परिभाषा, विशेषताएँ तथा कठिनाइयाँ
- अधिगमकर्त्ता-केन्द्रित पाठ्यक्रम | विषय-केन्द्रित पाठ्यक्रम
- अनुशासनात्मक या अनुशासन केन्द्रित पाठ्यक्रम का अर्थ तथा सीमाएँ
- स्तरीय अथवा संवर्द्धित पाठ्यक्रम | Enriched Curriculum in Hindi
- त्वरित पाठ्यक्रम | Accelerated Curriculum in Hindi
- सम्मिश्रण या फ्यूजन पाठ्यक्रम | Fusion Curriculum in Hindi
- अन्तःअनुशासनात्मक पाठ्यक्रम एवं बहिअनुशासनात्मक पाठ्यक्रम