एकीकृत पाठ्यक्रम (Integrated Curriculum in Hindi)
एकीकृत पाठ्यक्रम (Integrated Curriculum) अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition)- वर्तमान समय में मनोविज्ञान के क्षेत्र में अनेक नए प्रयोग हुए तथा अधिगम के अनेक सिद्धान्त प्रतिपादित किये गए। इन्हीं प्रयोगों ने गेस्टाल्टवाद (Gestaltism) अर्थात् पूर्णाकारवाद को जन्म दिया। इस वाद के अनुसार मस्तिष्क एक इकाई है। मस्तिष्क ज्ञान को छोटे-छोटे टुकड़ों में प्राप्त नहीं करता बल्कि उसे पूर्ण रूप से ग्रहण करता है। वही वस्तु या विचार मस्तिष्क में स्थिर होता है जो पूर्ण अर्थ प्रदान करता है।
मनोवैज्ञानिक खोजों ने शिक्षा को पूर्णतः प्रभावित किया है। गेस्टाल्टवाद के अनुसार अमेरिकी विद्यालयों में एकीकृत पाठ्यक्रम का विकास हुआ। एकीकृत पाठ्यक्रम एकीकरण के सिद्धान्त पर आधारित है जिसके अनुसार कोई विचार तथा क्रिया तभी प्रभावशाली एवं उपयोगी होती है जब उसके विभिन्न भागों या पक्षों में एकता होती है।
एकीकृत पाठ्यक्रम से हमारा तात्पर्य उस पाठ्यक्रम से होता है जिसमें उसके विभिन्न विषय एक-दूसरे से इस प्रकार सम्बन्धित होते हैं कि उनके बीच कोई अवरोध नहीं प्राप्त होता बल्कि उनमें एकता होती है। इस प्रकार पाठ्यक्रम के विभिन्न विषयों के ज्ञान को विभिन्न खण्डों में प्रस्तुत न करके, सब विषय मिलकर ज्ञान को एक इकाई के रूप में प्रस्तुत करते हैं। कुछ विद्वानों का मानना है कि ‘ज्ञान एक है।’ इस दृष्टि से पाठ्यक्रम के सभी विषय ज्ञानरूपी इकाई के विभिन्न अंग हैं। पठन-पाठन की सुविधा तथा अन्य व्यावहारिकताओं के कारण शिक्षा के पाठ्यक्रम को विभिन्न विषयों में विभक्त कर दिया है, किन्तु इस विभाजन का अर्थ यह नहीं है कि बालकों को विभिन्न विषयों का अलग-अलग ज्ञान कराया जाए।
शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य बालकों को ज्ञान की एकता से परिचित कराना है। यह उद्देश्य विषयों को अलग-अलग रूप में पढ़ाने से पूर्ण नहीं हो सकता अर्थात् यह कार्य तभी सम्पन्न हो सकता है जबकि विषयों को एक-दूसरे से सम्बन्धित करके पढ़ाया जाए। इसके लिए यह आवश्यक है कि विभिन्न विषयों को इस बार परस्पर सम्बन्धित किया जाए कि उनके बीच किसी प्रकार की दीवार न हो। यह दायित्व शिक्षक का ही है कि वह पाठ्यक्रम के सभी विषयों को सम्बन्धित करे, पाठ्यक्रम की सामग्री का जीवन से सम्बन्ध स्थापित करे तथा प्रत्येक विषय सामग्री में भी सह-सम्बन्ध स्थापित करे। इस प्रकार जो पाठ्यक्रम उक्त सभी प्रकार से युक्त हों, उसे ही ‘एकीकृत पाठ्यक्रम’ की संज्ञा दी जाएगी। सम्बन्धों
हेण्डरसन (Henderson) ने एकीकृत पाठ्यक्रम की परिभाषा इस प्रकार की है “एकीकृत पाठ्यक्रम वह पाठ्यक्रम है जिसमें विषयों बीच कोई अवरोध, रुकावट अथवा दीवार नहीं होती है।”
(“A curriculum in which barriers between subjects are broken down in often called an integrated curriculum.”) -Henderson
हेण्डरसन के अनुसार इस प्रकार का पाठ्यक्रम उन अनुभवों को देता है जिन्हें एकीकरण की प्रक्रिया के लिए सुविधाजनक समझा जाता है तथा जिससे बालक उस पाठ्यवस्तु को सीखते हैं जो अनुभवों को समझने में एवं उनके पुनर्निर्माण में सहायक होती है। इस प्रकार का अनुभव प्रधान पाठ्यक्रम विषय को अलग-अलग रखने तथा उनको शीर्षकों में बाँटने का अन्त करता है एवं ऐसे विषयों को स्थान देता है जो बालक की रुचि के केन्द्र होते हैं।
एकीकृत पाठ्यक्रम की विशेषताएँ (Characteristics of Integrated Curriculum)
एकीकृत पाठ्यक्रम की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(1) एकीकृत पाठ्यक्रम छात्रों के पूर्वज्ञान से नवीन ज्ञान को सम्बन्धित करने में आसानी होती है।
(2) इस पाठ्यक्रम की सफलता के लिए शिक्षक को पर्याप्त एवं व्यापक अध्ययन की आवश्यकता होती है।
(3) इस पाठ्यक्रम से शिक्षकों का उत्तरदायित्व एवं कार्यभार बढ़ जाता है।
(4) इसमें छात्रों की रुचियों को महत्त्व दिया जाता है।
(5) इससे बालकों को जीवनोपयोगी शिक्षा मिलती है।
(6) यह पाठ्यक्रम अनुभव केन्द्रित होता है
(7) इसके माध्यम से छात्र विभिन्न विषयों का ज्ञान एक साथ प्राप्त करते हैं।
(8) इस पाठ्यक्रम में ज्ञान को समग्र रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
प्रचलित पाठ्यक्रम में एकीकरण का अभाव (Lack of Integration in Exising – Curriculum)
भारतवर्ष के स्कूलों में परम्परागत पाठ्यक्रम का प्रचलन है। शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर जो पाठ्यक्रम प्रयोग में लाया जा रहा है, उसमें ज्ञान एवं अनुभव के समग्र रूप को विभिन्न विषयों में बाँट दिया जाता है। अतः ज्ञान में एकता का अभाव रहता है तथा विभिन्न विषय एक-दूसरे से सम्बन्धित नहीं होते हैं। परिणामस्वरूप बालकों को वास्तविक ज्ञान नहीं मिल पाता। उदाहरण के लिए प्राथमिक विद्यालयों में प्रतिदिन लगभग एक घण्टा पुस्तकों को पढ़ने में, 30 मिनट से 40 मिनट तक अंकगणित के प्रश्न हल करने में, 30 मिनट लिखने एवं शब्दों का उच्चारण करने में तथा 20-30 मिनट सुलेख लिखने में व्यतीत किये जाते हैं किन्तु इन सभी क्रियाओं में सामान्य रूप से कोई सम्बन्ध नहीं होता है। इसमें कोई भी विचार छात्रों को एक के साथ नहीं मिल पाता है।
ऐसा देखा जा रहा है कि माध्यमिक स्तर पर भी लगभग यही स्थिति है। बालकों को अनेक विषय पढ़ाये जाते हैं किन्तु उनका एक-दूसरे से सम्बन्ध नहीं होता है। इस स्तर पर सामान्यतया 10 से 12 विषय एवं उप-विषय पढ़ाये जाते हैं। इतने अधिक विषय छात्रों के लिए कठिनाई उत्पन्न करते हैं। भाषा एवं साहित्य का शिक्षक भाषा शिक्षक के समय सामाजिक विषय एवं विज्ञान के बारे में कुछ भी नहीं सोचता है, इसी प्रकार विज्ञान शिक्षक विज्ञान पढ़ाते समय सामाजिक विषयों के सम्बन्ध में बिल्कुल ध्यान नहीं रखता है। अतः छात्र ज्ञान की विभिन्न शाखाओं में कोई सम्बन्ध स्थापित नहीं कर पाते तथा वे उन्हें पूर्णतया पृथक विषय समझते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि बालकों को वास्तविक संसार का बहुत कम ज्ञान होता है। अतः इस परिस्थिति में सुधार लाने के लिए पाठ्यक्रम में एकीकरण आवश्यक है।
एकीकृत पाठ्यक्रम के प्रयोग में कठिनाइयाँ (Difficulties in the Use of Integrated Curriculum)
एकीकृत पाठ्यक्रम के निर्माण एवं प्रयोग में निम्नलिखित कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है-
(1) इस प्रकार के पाठ्यक्रम में शिक्षण में अधिक समय लगता है तथा शिक्षक का कार्य भार बढ़ जाता है।
(2) इस पाठ्यक्रम के सभी विषयों का एक साथ एकीकरण कर सकना असम्भव होता है।
(3) इसके द्वारा छात्रों की विशिष्ट रुचियों का विकास कठिन होता है।
(4) बालकों की रुचियों को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम में एकीकरण बहुत अधिक कठिन है।
(5) इसमें ज्ञान की एक निश्चित रूपरेखा नहीं बन पाती है।
(6) अधिकांश शिक्षक इसके प्रयोग के लिए तैयार नहीं होते तथा इसमें बहुत अधिक असुविधा का अनुभव करते हैं।
(7) माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर पर विषयों का एकीकरण उचित नहीं होता।
(8) इस पाठ्यक्रम के प्रयोग के लिए उपयुक्त शिक्षकों का अभाव है।
इन कठिनाइयों के होते हुए भी एकीकृत पाठ्यक्रम का विचार अपने आप में महत्त्वपूर्ण है। शिक्षकों को पाठ्यक्रम के विषय में एकीकरण का प्रयास करना चाहिए जिससे बालकों को पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने में सरलता हो। इस प्रकार के एकीकृत पाठ्यक्रम द्वारा नवीनता का संचार किया जा सकता है।
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