पर्यावरण शिक्षा की शिक्षण विधियाँ
शिक्षा का माध्यमिक स्तर एक ऐसा स्तर होता है जब बच्चे अधिक उत्साही तथा क्रियाशील होते हैं। वे कोई भी कार्य स्वयं करना पसन्द करते हैं। उनको अच्छे-बुरे, हानि-लाभ आदि की पहचान भी होने लगती है। यदि इस अवस्था में बच्चों को सही दिशा मिले तो भविष्य में ये ही बच्चे अपना, समाज और देश का कल्याण कर सकते हैं।
प्राथमिक स्तर पर बच्चों को पर्यावरण के सम्बन्ध में जो भी जानकारियाँ दी गई हैं या उन्होंने प्राप्त की हैं, उसी ज्ञान को बढ़ाते हुए उनका ही प्रयोगात्मक या व्यावहारिक स्वरूप माध्यमिक स्तर पर प्रदान किया जाता । इस हेतु माध्यमिक विद्यालय के बच्चों के लिए विभिन्न पर्यावरणीय कार्यक्रम आयोजित किये जा सकते हैं, जैसे-
1. पर्यावरण से सम्बन्धित विभिन्न प्रतियोगिताएँ
माध्यमिक विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को पर्यावरण शिक्षा का ज्ञान प्रदान करने तथा रुचि उत्पन्न करने हेतु विभिन्न साहित्यिक एवं सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा सकता है। इन विद्यालयों में पर्यावरण से सम्बन्धित निम्नलिखित प्रतियोगिताएँ कराई जा सकती हैं-
1. पोस्टर प्रतियोगिता- माध्यमिक स्तर पर पोस्टर प्रतियोगिता के अन्तर्गत पर्यावरण से सम्बन्धित विभिन्न विषयों पर विद्यालय स्तर पर, अन्तर विद्यालय स्तर पर पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया जा सकता है। इसके माध्यम से विद्यार्थियों की रुचि, सृजनात्मक तथा कलात्मक क्षमता का पता चलता है। पोस्टर प्रतियोगिता के विषय निम्नलिखित हो सकते हैं-(a) हरी पृथ्वी, स्वच्छ पृथ्वी, (b) ग्लोबल वार्मिंग, (c) प्रदूषण, (d) वृक्षों का महत्त्व, (e) प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, (f) जल ही जीवन है, (8) मानव तथा उसका पर्यावरण, (h) निर्जन/बंजर होती पृथ्वी आदि।
2. कविता प्रतियोगिता- माध्यमिक स्तर पर विद्यार्थियों को पर्यावरण से सम्बन्धित स्वरचित कविता सुनाने या लिखने की प्रतियोगिता कराई जा सकती है जिससे उनकी रुचि, सृजनात्मकता, अभिव्यक्ति क्षमता तथा प्रकृति प्रेम एवं बोध दोनों का विकास होगा।
3. गीत प्रतियोगिता- माध्यमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों हेतु पर्यावरण से सम्बन्धित गीत | प्रतियोगिता का आयोजन किया जा सकता है। जिस प्रकार देश भक्ति गीत देश के प्रति प्रेम तथा भावना को प्रदर्शित करते हैं तथा लोक-गीत, लोक संस्कृति, रीति-रिवाज और परम्पराओं का बखान करते हैं, उसी प्रकार पर्यावरण गीत भी प्राकृतिक प्रेम, सुन्दरता, रमणीय दृश्यों तथा नजारों का वर्णन करते हैं।
4. लघु नाटिका- प्रतियोगिता पर्यावरण सन्देश प्रदान करती हुई या पर्यावरण जागरूकता उत्पन्न करती हुई लघु नाटिकाओं की प्रतियोगिता का आयोजन माध्यमिक स्तर पर किया जा सकता है।
5. वाद-विवाद प्रतियोगिता- माध्यमिक स्तर पर विद्यार्थियों के लिए पर्यावरण के विभिन्न पक्षों में से कोई विषय लेकर वाद-विवाद प्रतियोगिता करवा सकते हैं। वाद-विवाद प्रतियोगिता में एक ही विषय पर ‘पक्ष’ और ‘विपक्ष’ में छात्रों के विचार, भावनाएँ, ज्ञान, समझ तथा अभिव्यक्ति क्षमता का पता चलेगा।
6. आशुभाषण प्रतियोगिता- आशुभाषण प्रतियोगिता में पर्यावरण के विभिन्न पक्षों को समाहित करते हैं। इसमें पर्यावरण के विभिन्न विषयों को एक-एक अलग-अलग पर्ची पर लिखकर सभी पर्चियों को अलग-अलग मोड़कर एक बक्से या मटकी में रखकर हिला देते हैं। एक प्रतियोगी आकर एक पर्ची उठाता है तथा जो विषय उस पर्ची पर लिखा होता है, उस पर प्रतियोगी को अपने विचार व्यक्त करने होते हैं। इस प्रतियोगिता से बच्चों के ज्ञान भण्डार, अभिव्यक्ति चिन्तन क्षमता तथा आत्मविश्वास का पता चलता है।
2. पर्यावरण जन-जागृति कार्यक्रम
माध्यमिक स्तर पर बच्चों द्वारा निम्नलिखित पर्यावरणीय जन-जागृति कार्यक्रम आयोजित किये जा सकते हैं-
1. प्रशिक्षण कार्यक्रम-इसके अन्तर्गत छात्रों को पर्यावरण के विभिन्न पक्षों, घटनाओं आदि को प्रदर्शित करने हेतु चित्र, आर्ट, मॉडल, उपकरण आदि बनाने का प्रशिक्षण दिया जा सकता है।
2. नुक्कड़ नाटक- विद्यार्थियों द्वारा नुक्कड़ नाटकों का प्रदर्शन करके भी जन-जागृति लाई जा सकती है।
3. पारिस्थितिकी विकास शिविर- माध्यमिक विद्यालयों में छात्रों को पर्यावरण से सम्बन्धित विभिन्न जानकारियाँ देने के लिए ‘पारिस्थितिकी विकास शिविर लगवाने चाहिए।
4. पर्यावरण मैगजीन का प्रकाशन- माध्यमिक विद्यालयों में पर्यावरण मैगजीन का प्रकाशन छात्रों द्वारा किया जा सकता है जिसमें पर्यावरण के विभिन्न पक्षों पर आधारित छात्रों की कहानियाँ, कविताएँ, महत्त्वपूर्ण तथ्य, आँकड़े, स्लोगन, घटनाएँ, गीत, स्तुति आदि हों।
5. स्वच्छता अभियान- विद्यालय में स्वच्छता अभियान’ चलाकर छात्रों में स्वच्छता तथा साफ-सफाई की आदतों का विकास किया जा सकता है। यही अभियान छात्र बस्तियों में चलाकर जन साधारण को जागरूक कर सकते हैं।
6. प्रदर्शनी- माध्यमिक विद्यालयों में प्रदर्शनी के माध्यम से जन-जागृति उत्पन्न की जा सकती है। इसमें छात्रों द्वारा पर्यावरण से सम्बन्धित प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है। प्रदर्शनी के अन्तर्गत निम्न वस्तुओं का प्रदर्शन कर सकते हैं-
(अ) पर्यावरण के विभिन्न पक्षों को प्रदर्शित करते चार्ट, (ब) फोटोग्राफ्स, (स) मॉडल, (द)पर्यावरण सन्देश, (य) पर्यावरण से सम्बन्धित फिल्म का प्रदर्शन, (र) पर्यावरणीय प्रतियोगिता का आयोजन, (ल) पर्यावरणविदों के चित्र।
3. सामूहिक क्रियाकलाप
माध्यमिक विद्यालयों में पर्यावरण से सम्बन्धित निम्नलिखित सामूहिक क्रिया-कलाप कलाए जा सकते हैं-
1. दत्त कार्य- माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों को पर्यावरण से सम्बन्धित विभिन्न विषयों पर Assignment देकर सामूहिक रूप से कराया जा सकता है।
2. प्रयोगात्मक कार्य- पर्यावरण के क्षेत्र के अन्तर्गत कई विषय समाहित होते हैं, जैसे भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, भूगोल, सामाजिक विषय आदि। अतः इनसे सम्बन्धित प्रयोगात्मक कार्य तथा पर्यावरण की विभिन्न घटनाओं को प्रदर्शित करने वाले प्रयोगात्मक कार्य विद्यार्थियों से कराए जा सकते हैं।
3. प्रोजेक्ट कार्य- माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों को समूहों में बाँटकर पर्यावरण से सम्बन्धित प्रोजेक्ट कार्य दिये जा सकते हैं। प्रोजेक्ट के विषय अग्रलिखित हो सकते हैं (अ) किसी क्षेत्र में फसल के नष्ट होने के कारण, (ब) विद्यालय में उद्यान निर्माण, (स) खाद्य सामग्रियों में मिलावट की जाँच करना।
4. पर्यावरण मेले का आयोजन-माध्यमिक स्तर के बच्चों द्वारा पर्यावरण मेले का आयोजन किया जा सकता है। इनमें विभिन्न स्टाल लगाकर पर्यावरण से सम्बन्धित विभिन्न सामग्रियों तथा क्रिया-कलापों का प्रदर्शन किया जा सकता है।
5. भ्रमण- माध्यमिक स्तर के छात्रों को प्राकृतिक वातावरण, औद्योगिक विकास, प्रदूषण, प्राकृतिक घटनाओं आदि की जानकारी हेतु भ्रमण पर ले जा सकते हैं जिससे वे स्वयं अवलोकन, निरीक्षण, परीक्षण आदि कर सकें और उनको प्राप्त ज्ञान स्थायी हो।
4. पर्यावरण विचार
विनिमय कार्यक्रम माध्यमिक विद्यालयों में पर्यावरणीय विचार-विनिमय कार्यक्रमों के अन्तर्गत निम्नलिखित कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं
1. कार्यशाला- माध्यमिक स्तर पर विद्यार्थियों हेतु पर्यावरण विषय से सम्बन्धित कार्यशाला का आयोजन भी किया जा सकता है। इसके अन्तर्गत पर्यावरण शिक्षक या विशेषज्ञ द्वारा 2 या 3 दिन के समय में छात्रों को पर्यावरण के सम्बन्ध में विभिन्न जानकारियाँ दी जाती हैं तथा छोटे-छोटे समूहों में विभिन्न क्रियाकलाप कराए जा सकते हैं, जैसे- पर्यावरण से सम्बन्धित पोस्टर बनाना, स्लोगन तैयार करना, मॉडल बनाना, गीत लिखना, कविता लिखना या फिर विद्यालय में उद्यान बनाना विद्यालय की साफ-सफाई, साज-सज्जा आदि ।
2. सेमिनार- माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों हेतु पर्यावरण के किसी पक्ष पर सेमिनार का आयोजन विद्यालय स्तर या अन्तर विद्यालय स्तर पर किया जा सकता है। इसमें किसी एक विषय पर छात्र अपने विचार लिखकर भेजते हैं और सेमिनार के निश्चित दिन और समय पर वे उनको व्यक्त करते हैं। इस प्रकार इस विषय से सम्बन्धित विभिन्न तथ्य, आँकड़े तथा नवीन बातें सामने आती हैं और बच्चे नवीन बातों को ग्रहण करते हैं अर्थात् उनके सीखने की प्रक्रिया भी प्रभावशाली बनती है। सेमिनार के लिए पर्यावरण के विषय निम्नलिखित हो सकते हैं-
(अ) रासायनिक खादें वरदान या अभिशाप, (ब) प्रकृति के साथ हमारा सामन्जस्य, (स) प्राकृतिक वातावरण और वन्य जीव, (द) वनों का विनाश जीवन का विनाश, (य) गर्म होती पृथ्वी को शीतलता की आवश्यकता, (र) प्रदूषण नियन्त्रण कानून कितने उपयोगी ? (ल) जल संकट, (व) पर्यावरण संरक्षण के उपाय, (स) पर्यावरण संरक्षण और हमारे दायित्व ।
3. संगोष्ठी- माध्यमिक स्तर पर विद्यार्थियों हेतु संगोष्ठी भी कराई जा सकती है। इसमें पर्यावरण के किसी विषय पर विशेषज्ञ द्वारा चर्चा की जाती है।
5. प्रदर्शन- माध्यमिक विद्यालयों में पर्यावरण से सम्बन्धित सामग्री का प्रदर्शन निम्न प्रकार से कर सकते हैं-
(i) पर्यावरण से सम्बन्धित फिल्म विद्यालय में बच्चों को दिखाई जा सकती है।
(ii) विभिन्न चित्रों को एकत्रित करके उसे भी डिस्प्ले करके बच्चों को दिखाकर जानकारी दी जा सकती है।
(iii) कार्टून फिल्म दिखाकर भी बच्चों को पर्यावरण की जानकारी दी जा सकती है।
(iv) विद्यालयों में पर्यावरण विषय पर ही बनी हुई कोई भी डाक्यूमेंट्री फिल्म बच्चों को दिखाई जा सकती है।
(v) स्लाइड प्रोजेक्टर की सहायता से, पर्यावरण पर बनी स्लाइड बच्चों को दिखाई जा सकती है।
(vi) विद्यालयों में छात्रों के समक्ष पर्यावरण के किसी क्षेत्र की वीडियो रिकार्डिंग दिखायी जा सकती है।
(vii) पर्यावरण पर बनी ऐनीमेशन फिल्म भी विद्यालय में बच्चों को दिखाई जा सकती है।
(viii) शिक्षक द्वारा अपने पर्यावरण के किसी टॉपिक को पावर प्रेजेन्टेशन की सहायता से आसानी से बच्चों को समझाया जा सकता है।
6. पौधरोपण
शिक्षकों तथा बच्चों द्वारा विद्यालय तथा आस-पास के क्षेत्र में पौधरोपण किया जा सकता है। और उन पौधों की देखभाल की जिम्मेदारी भी छात्रों को दी जा सकती है।
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