शिक्षण अधिगम में कम्प्यूटर की उपयोगिता
कम्प्यूटर एक मशीन संचालित माध्यम है। यह कठोर उपागम है। पिछले कुछ दशकों से विकसित देशों में शिक्षण अधिगम में सबसे अधिक प्रयोग किया जाने वाला यन्त्र कम्प्यूटर ही है। कम्प्यूटर स्व अनुदेशानात्मक प्रणाली पर आधारित है। इसके द्वारा विद्यार्थी प्रतिपुष्टि आसानी से प्राप्त कर सके है। भारत में शिक्षा के क्षेत्र में इसका उपयोग अभी कम है। परन्तु अनेक शिक्षा संस्थाओं में इसका उपयोग किया जाने लगा है। यह अनुदेशन व अभिक्रमण सॉफ्टवेयर अथवा मृदुल उपागम से सम्बन्धित है। इनपुट यूनिट में एक में की-बोर्ड होता है जिसके द्वारा अनुदेशन दिया जाता है जो कि अनुदेशन के अनुसार जानकारी को संग्रह विश्लेषण के साथ उस पर नियन्त्रण रखता है। आऊटपुट युनिट संग्रहित डाटा से प्राप्त करती है। व इसे कम्प्यूटर स्क्रीन पर पढ़ा जा सकता है तथा प्रिन्टर पर लिखित रूप से निकाला जा सकता है
कम्प्यूटर का प्रयोग विशिष्ट कार्यों के क्रियान्वयन तक ही सीमित नहीं रह गया है। अब सूचना क्रांति की दिशा में कम्प्यूटर की अदभुत उपयोग क्षमता सामने आई है। आज समूचा विश्व कम्प्यूटर जाल या नेटवर्क से जुड़ गया है। कोई भी व्यक्ति अपने कम्प्यूटर को इंटरनेट से जोड़कर घर बैठे विश्व के किसी भी कोने में स्थित कम्प्यूटर में सुरक्षित जानकारी मात्र कुछ सैकेण्डों में हासिल कर सकता है। यही नहीं दूर-दराज स्थित किसी दुकान से मनचाही वस्तु की खरीद-फरोख्त के आर्डर, विभिन्न देशी-विदेशी शैक्षिक संस्थाओं से सम्बन्धित जानकारी कम्प्यूटर बटनों के निर्देश पर प्राप्त करना सम्भव हो गया है। इंटरनेट प्रणाली को सूचना समुद्र की भांति समझा जा सकता है, जिससे वांछित सूचनाएँ एकत्र की जा सकती है। इंटरनेट पद्धति में सम्पूर्ण सूचनाएँ कम्प्यूटरों में भरी होती है। इन्हें तकनीकी भाषा में ‘वेब सर्वर’ कहा जाता है। ये सभी कम्प्यूटर एक दूसरे से जुड़े होते है और सम्पूर्ण नेटवर्क को ‘वर्ल्ड वाइड वेब’ के नाम से जाना जाता है। इस पूरी प्रणाली में प्रत्येक कम्प्यूटर में निहित जानकारी को होम पेज के नाम से जाना जाता है। अगर इस होम पेज को एक पुस्तक, वेब साइट को पुस्तक अलमारी और वेब सर्वर को पुस्तकालय के रूप में देखा जाये तो इंटरनेट सिस्टम को पुस्तकालयों से बनी एक विशाल लाइब्रेरी के रूप में देखा जा सकता है।
कम्प्यूटर का उपयोग (Use of Computer )
शिक्षण अधिगम में कम्प्यूटर का महत्वपूर्ण स्थान है। इसके उपयोग को निम्नलिखित प्रकार से स्पष्ट किया गया है-
(1) कम्प्यूटर में विद्यार्थियों से सम्बन्धित जानकारी रखी जा सकती है।
(2) किसी भी पूर्व अर्जित ज्ञान का अभ्यास करने के लिए कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा सकता है।
(3) इसके द्वारा विद्यार्थियों की प्रगति व विकास की जानकारी प्राप्त होती है।
(4) कम्प्यूटर से जो कुछ भी पूछा जाता है उसका वह तुरन्त जवाब देता है।
(5) विद्यार्थियों को कम्प्यूटर गेम की सहायता से सिखाया जा सकता है।
(6) कम्प्यूटर द्वारा विद्यार्थी करके सीखते है जिससे वह कठिन समस्याओं का समाधान करने का प्रयास करते है।
(7) कम्प्यूटर के द्वारा व्यक्तिगत व सामूहिक शिक्षण करना सम्भव है।
(8) कम्प्यूटर के द्वारा विद्यार्थियों को सीखने के पर्याप्त अवसर मिलते है और उन्हें सीखने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
(9) कम्प्यूटर के द्वारा विद्यार्थियों को तुरन्त प्रतिपुष्टि प्राप्त होती है।
(10) शिक्षण अधिगम का ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जहाँ कम्प्यूटर का प्रयोग न किया जाता हो।
कम्प्यूटर की सीमाएँ (Limitations of Computer )
(i) यह एक महंगा उपकरण है इसलिये सभी स्कूल इसका प्रयोग नहीं कर सकते। इसका रख-रखाव भी कठिन होता है।
(ii) कम्प्यूटर द्वारा कार्य करते हुए विद्यार्थी चुप रहते है जिससे सूचनाएँ उन पर थोंपी जाती है।
(iii) कम्प्यूटर द्वारा विद्यार्थियों की भावनाओं व संवेगों की ओर कोई ध्यान नही दिया जाता है।
(iv) कम्प्यूटर के उपयोग के लिए विकसित तकनीकी की जानकारी होनी चाहिए, जो प्रायः नही होती।
(v) कम्प्यूटर कभी अध्यापक का स्थान नही ले सकता।
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