मानसिक आयु और बुद्धि-लब्धि
बुद्धि परिक्षणों द्वारा प्राप्त परिणाम या फलांक अपने नाप में अर्थहीन एवं निरर्थक होते हैं, जब तब की उसकी तुलना किसी प्रतिमान या मानक से न की जाए और उनके आधार पर व्याख्या न की जाय। बिने, टरमेन, थार्नडाइक आदि ने मानसिक योग्यताओं को व्यक्त करने के लिए “मानसिक आयु” का प्रत्यय मनोवैज्ञानिक जगत को दिया। सर्वप्रथम स्टर्न ने “बुद्धि लब्धि” का प्रत्यय दिया तथा बाद में टरमन ने भी मानसिक आयु के स्थान पर “बुद्धि लब्धि” द्वारा बुद्धि की मात्रा को व्यक्त करने को उपयुक्त घोषित किया। आजकल मानसिक योग्यताओं को व्यक्त करने को उपयुक्त घोषित किया। आजकल मानसिक योग्यताओं को व्यक्त करने की अधिक प्रचलित “ईकाइयाँ मानसिक आयु” और “बुद्धि लब्धि हैं।
मानसिक आयु
बुद्धि परीक्षणों के महत्व, उनकी प्रयोजनशीलता एवं सार्थकता का विकास “मानसिक आयु’ सम्बन्धी धारणा अधिक गतिशील हुआ। मानसिक आयु, किसी विशेष अवसर पर, बालक विकास के किस स्तर पर पहुॅचा है इस बात की ओर संकेत करती है तथा उस स्तर पर उसकी मानसिक परिवक्वता का मापन करती है। अमुक अवसर पर बालक के मानसिक विकास के स्तर की मात्रा या मानसिक परिपक्वता इस आधार पर व्यक्त की जाती है कि समान वर्षायु के औसत बालक का आपेक्षित विकास क्या है।
“मानसिक आयु” किसी व्यक्ति द्वारा उपलब्ध विकास की वह सीमा है जिसकी किसी आयु विशेष में उससे अपेक्षा की जाती है तथा जो उसके निष्पादन द्वारा जानी जाती है। जैसे यदि किसी बुद्धि परीक्षण में 11 वर्षायु के बालक की मानसिक आयु 10 वर्ष है तथा 9 वर्षायु के बालक की भी मानसिक आयु 10 वर्ष है तो दूसरा बालक पहले की अपेक्षा मानसिक रूप से अधिक विकसित है। इससे स्पष्ट है कि मानसिक आयु, विकास के स्तर या परिपक्वता का मापन है न कि बुद्धि की मात्रा का
बुद्धि-लब्धि
किसी भी व्यक्ति के प्रतिभा की मात्रा की मात्रा को व्यक्त करना बुद्धि-लब्धि द्वारा ही सम्भव है अर्थात बुद्धि-लब्धि किसी व्यक्ति की मानसिक अभिवृद्धि की मात्रा या उपलब्धि को व्यक्त करती है। बुद्धि लब्धि ज्ञात करने के लिए मानसिक आयु में वर्षायु से वास्तविक आयु भाग देकर 100 से गुणा कर देते हैं।
बुद्धि लब्धि ज्ञात करने का सूत्र
बुद्धि लब्धि ज्ञात करने का सूत्र है –
बुद्धि-लब्धि = (मानसिक आयु / वास्तविक आयु)× 100
जैसे – यदि किसी 10वर्ष के बालक की मानसिक आयु 11 वर्ष है तो उसकी बुद्धि-लब्धि 110 होगी।
बुद्धि-लब्धि = 11/10 × 100 = 110
बुद्धि लब्धि एक प्रतिशत मान है परन्तु गणना में एक निश्चित सीमा के बाद परीक्षार्थी की वास्तविक आयु नहीं ली जाती। यह भिन्न भिन्न परीक्षणों में परीक्षण निर्माता के दृष्टिकोण पर निर्भर करती है। माजक के रूप में अधिकतम वास्तविक आयु उतनी ही ली जाती है जितनी की परीक्षण बनाने वाले की दृष्टि से अधिकतम मानसिक परिपक्वता हो। टरमन (1916 ई0) के सुझाव के अनुसार अधिकतम वर्षायु 15 है गणना में 13 वर्ष तक सम्पूर्ण वर्षायु ली जाय तथा 16 वर्ष या इससे अधिक के लिए केवल 15 वर्ष ही ली जाये 13 एवं 16 वर्ष के मध्य की अवस्था के लिये एवं उसके अतिरिक्त उम्र का 2/3 लिया जाय।
टरमन और रॉबिन्स द्वारा निर्मित एवं डा० मेरिल द्वारा स्वीकृत सूची में “बुद्धि-लब्धि” एवं प्रतिभा की मात्रा का सम्बन्ध व्यक्त किया गया है जिसके आधार पर बुद्धि परीक्षण द्वारा प्राप्त परिणामों की व्याख्या करना सरल हो जाता है। उसका विवरण निम्नलिखित है।
बुद्धि-लब्धि | प्रतिमा |
140 – 169 | अत्यधिक प्रखर |
120 – 139 | प्रखर |
110 – 119 | औसत से ऊपर |
90 – 109 | औसत |
80-89 | औसत से नीचे |
70 – 79 | सीमावर्ती हीनता |
50 – 69 | मूर्ख |
24 – 49 | मूढ़ |
0-24 | जड़ |
Important Links
- परिवार का अर्थ एवं परिभाषा | परिवार के प्रकार | परिवार के कार्य
- संयुक्त परिवार का अर्थ, परिभाषा विशेषताएं एवं संयुक्त परिवार में आधुनिक परिवर्तन
- परिवार की विशेषताएँ | Characteristics of Family in Hindi
- परिवार में आधुनिक परिवर्तन | Modern Changes in Family in Hindi
- परिवार की उत्पत्ति का उद्विकासीय सिद्धान्त
- जीववाद अथवा आत्मावाद | Animism in Hindi
- हिन्दू धर्म की प्रकृति | हिन्दू धर्म की प्रमुख मान्यताएँ | हिन्दू धर्म स्वरूप
- भारतीय समाज पर हिन्दू धर्म का प्रभाव | Impact of Hindusim on Indian Society in Hindi
- धार्मिक बहुलवाद | Religious Plyralism in Hindi
- जादू और विज्ञान में संबंध | जादू और विज्ञान में समानताएँ
- जादू की परिभाषा | जादू के प्रकार | Magic in Hindi