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प्लेटो के पत्नियों का साम्यवाद की आलोचना (Criticisms of Communism of Wives)

प्लेटो के पत्नियों का साम्यवाद की आलोचना

प्लेटो के पत्नियों का साम्यवाद की आलोचना

अनुक्रम (Contents)

प्लेटो के पत्नियों के साम्यवाद की आलोचना
 (Criticisms of Communism of Wives)

प्लेटो के पत्नियों के  साम्यवाद (Criticisms of Communism of Wives) की निम्न आधारों पर आलोचना की गई है:-

1. परिवार – एक ऐतिहासिक अनुभव (Family – A Historical Experience) :

प्लेटो ने परिवार नामक संस्था का लोप करके भारी गलती की है। परिवार से ही राज्य व समाज का जन्म हुआ है। परिवार राज्य की छोटी इकाई है। परिवार का अन्त करना मानव समाज के लिए अहितकर होगा क्योंकि :-

(क) परिवार एक ऐतिहासिक संस्था है। इसके पीछे युगों का अनुभव है। इसे समाप्त करने का अर्थ है – पुनः असभ्यता के युग में लौटना।

(ख) राज्य की तरह परिवार भी मानक्-स्वभाव से उत्पन्न संस्था है। राज्य के नाम पर परिवार का अन्त करना सर्वथा अनुचित है।

(ग) परिवार नागरिकता की प्रथम पाठशाला है। परिवार ही बच्चे को सद्गुणी बनाता है। परिवार सहयोग, सहानुभूति दया, परोपकार व अनुशासन जैसे गुणों को सीखा जाता है।

2. पत्नी और परिवार के प्रति प्लेटो के विचार सही तथ्यों पर आधारित नहीं | (Plato’s ideas on Wives and Family are not Based on Correct Fact) :

आलोचकों का कहना है कि स्त्री का बच्चों के प्रति स्नेह और उनके पालन-पोषण की जो स्वाभाविक प्रतीत होती है, उसे न तो शिशु पालन होंने को स्थानान्तरित किया जा सकता है और न ही उन्हें  वही प्यार ही प्राप्त हो सकता है। वैसे भी मातृत्व को समाप्त करना कमी भी एक आदर्श राज्य की नीति नहीं हो सकती बल्कि मातृत्व को राज्य में उचित स्थान को प्राप्त करने का प्रोत्साहन ही प्लेटो के न्याय का सही रूप हो सकता था। मातृत्व एक ऐसी चीज है जिसे माँ के सिवाय कोई दूसरा कृत्रिम तरीके से प्रदान नहीं कर सकता। स्त्री और पुरुष का सम्बन्ध भी पशुओं जैसा सम्बन्ध नहीं है जो सन्तान की उत्पत्ति के लिए ही जुलता हो। उसमें एक पवित्रता है और यह सम्बन्ध जीवनमर के लिए होता है। अतः प्लेटो ने पारिवारिक सम्बन्धों के पीछे की वास्तविकता को नहीं समझा। इसलिए अरस्तू ने इसे एक व्यभिचारी योजना कहा है जिसे कोई भी सभ्य मानव-जाति स्वीकार नहीं करेगी। माता के स्नेह को प्लेटो राज्य की एकता के नाम पर कुर्मान नहीं कर देता है।

3. जो वस्तु सगी की होती है. यह किसी की भी नहीं होती (The Thing That Belongs to AII, Belongs to None) :

अरस्तू का आरोप है कि प्लेटो के साम्यवाद में अभिभावक वर्ग की सारी पत्नियों और सभी बच्चे यदि सभी के हैं तो वापत्तय में वे किसी के नहीं हैं और इसलिए कोई भी उनकी व्यवस्था परवाह उतने प्रेम से नहीं कर सकता जितना परिवार में उन्हें मिलता है।

4. अपराध अधिक होंगे (Crimes will Increase) :

आलोचकों का कहना है कि यदि परिवार व व्यक्तिगत सम्पत्ति न रहेंगे तो पिता-पुत्र, मौं-बेटे, भाई-भाई का रिश्ता समाप्त हो जाएगा और तब समाज में स्वाभाविक होने वाली समस्याओं, झगड़ों या अपराधों को पारिवारिक ढंग से नहीं सुलझाया जा सकेगा। ऐसी स्थिति में अपराध बढ़ेंगे। समाज में नैतिक मूल्यों का पतन हो जाएगा और नागरिक अधिक अपराधों की ओर प्रयत्त होंगे।

5. अमनोवैज्ञानिक तथा अव्यावहारिक (Unpsychological and Impracticable) :

प्लेटो के परिवार के साम्यवाद की योजना अपनी प्रकृति से अमनोवैज्ञानिक और अव्यावहारिक है। यही कारण है कि यह योजना प्लेटो के समय में ही अमान्य हो गई थी और न ही इसे आज तक कहीं लागू किया गया। प्लेटो ने स्वयं भी अपनी ग्रन्थ ‘लॉज’ में अस्थायी विवाह की जगह स्थायी विवाह व निजी परिवार की व्यवस्था को मान्यता दी है।

6. अनावश्यक योजना (Unnecessary Planning) :

अरस्तू का विचार है कि प्लेटो ने न्याय की स्थापना के लिए साधन के रूप में परिवार का साम्यवाद गलत अपनाया क्योंकि प्लेटो जिन दोषों – जैसे लोभ, पक्षपात आदि को दूर करने की बात करता है। उसके लिए तो शिक्षा व्यवस्था का सहारा लेना उचित होता। ये रोग नैतिक रोग के समान हैं और इनका इलाज भौतिक साधन द्वारा नहीं हो सकता।

7. परिवार रहित शासक की व्यावहारिक कठिनाइयाँ (Practical Difficulties for the Ruler) :

पारिवारिक सम्बन्धों । अनभिज्ञ व अनजान शासकों को उत्पादक वर्ग के पारिवारिक विवादों को हल करने का अधिकार है, किन्तु वे इस दृष्टि से अयोग्य ही सिद्ध होंगे, क्योंकि उन्हें स्वयं पारिवारिक जीवन का कोई अनुभव नहीं होता है।

8. अपवित्र यौन समान्च की सम्भावना (Possibility of Immoral Sexual-Relation) :

प्लेटो को परिवार के साम्यवाद में ऐसी यौन सम्भावना भी है जिससे रक्त्त का सम्बन्ध भी हो। इस व्यवस्था में पिता-पुत्री को और भाई-बहिन को नहीं पहचानता। अतः इससे अपवित्र यौन सम्बन्ध की अधिक सम्भावना है जो सामाजिक मापदण्डों के विरुद्ध है। नतिकता इसका कमी समर्थन नहीं कर सकती।

9. पासों के लिए स्थान नहीं (No Place for Slaves) :

प्लेटो ने दास-वर्ग को इस व्यवस्था से पूर्णतः बाहर रखा है। दास प्रथा उस समय की सबसे महत्त्वपूर्ण प्रथा थी। दास एक उपयोगी सामाजिक वर्ग का रूप ले चुका था। उनकी अवहेलना करना सर्वथा गलत है।

10, न्याय सिद्धात के विरुद्ध (Against the Theory of Justice) :
प्लेटो न्याय सिद्धान्त के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्वाभाविक गुण के अनुसार आचरण करना चाहिए, किन्तु प्लेटो का परिवार का साम्यवाद के सिद्धान्त का उल्लंघन करता है। स्त्रियों के लिए स्वाभाविक गुण बच्चों का लालन-पालन है. किन्तु प्लेटो अभिभावक वर्ग की स्त्रियों को इस स्वाभाविक कर्म से वंचित करता है।
11. प्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में बाधक :

प्लेटो राज्य की एकत्ता को साध्य मानकर व्यक्ति को उसका साधनमात्र मान लेता है। वह अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए परिवार की संस्था को राज्य के अधीन कर देता है। अतः यह व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में बाधक है।

12. जीवशास्त्र के नियमों के विरुवा :

प्लेटो की परिवार की साम्यवादी व्यवस्था जीवशास्त्र के नियमों के विरुद्ध है। इसमें कोई गारण्टी नहीं है कि गुणवान माता-पिता की सन्तान भी गुणवान हो। यह पति पशु-विज्ञान में तो लागू हो सकती है, जीवशास्त्र में नहीं।
13. स्त्री-पुरुष में भेद होता है :

प्लेटो स्त्री-पुरुष में लिंग-भेद को छोड़कर अन्य कोई अन्तर नहीं मानता। स्त्री कोमल हृदय होती है, जबकि पुरुष कठोर हृदयी होते हैं। इस तरह के कई अन्तर दोनों में होते हैं।

प्लेटो का पत्नियों का साम्यवाद न ही वांछनीय है और न ही सम्भव । प्लेटो परिवार जैसी महत्त्वपूर्ण संस्था का लोप करता है, जो असम्भव है। परिवार जैसी संस्था के समाप्त होते ही बच्चे सद्गुणी न होकर आपराधिक प्रवृत्ति की ओर प्रवत्त होंगे।

यह सिद्धान्त तर्क की दृष्टि से तो ठीक हो सकता है लेकिन नैतिकता, संस्कृति तथा मनोविज्ञान की दृष्टि से यह कभी मान्य नहीं हो सकता। प्लेटो की सबसे बड़ी उपलब्धि तो यह है कि उसने महिलाओं और पुरुषों की समानता पर जोर दिया है। उसके सारे प्रयास नारी उत्थान के लिए ही हैं। इस कार्य में परिवार की भूमिका काफी महत्त्वपूर्ण सिद्ध हो सकती है, जिसकी प्लेटो ने उपेक्षा की है। यह निर्विवाद सत्य है कि साम्यवादी व्यवस्था का प्रयास प्लेटो की नारी उत्थान के लिए एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण देन है।

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