राजनीति विज्ञान / Political Science

आतंकवाद की परिभाषा तथा आतंकवाद का स्वरूप एवं समाधान

आतंकवाद की परिभाषा तथा आतंकवाद का स्वरूप एवं समाधान
आतंकवाद की परिभाषा तथा आतंकवाद का स्वरूप एवं समाधान

शाब्दिक रूप में Terror शब्द की व्युत्पत्ति लैटिन भाषा से हुई तथा तथापि वर्तमान समय में यह शब्द यूरोप की अन्य भाषाओं में भी प्रचलित हो गया है। इस शब्द से व्युत्पन्न Terrorism (आतंकवाद) और ‘Act of Terrorism’ (आतंकवादी कृत्य) अब बहुत प्रचलित हो गये हैं।

आतंकवाद की परिभाषा (Definition of Terrorism)

कतिपय विद्वानों ने आतंकवाद की व्याख्या करते हुए इसे सामाजिक खतरा उत्पन्न करने के कृत्य के रूप में बताया है तथापि कुछ परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-

प्रो० शदुलेस्कू के अनुसार, “आतंकवाद मूलतः सम्पत्ति तथा जीवन को भारी में नुकसान पहुँचाने में समर्थ बम तथा ऐसी ही अन्य युक्ति या विस्फोटों के रूप में स्वयं को प्रकट करता है।”

एडवांस लर्नर्स डिक्शनरी ऑफ करेण्ट इंगलिश के अनुसार, “राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए हिंसा एवं भय का प्रयोग करना आतंकवाद है।”

ग्रान्ट वाडला के अनुसार, “राजनीतिक आतंकवाद किसी व्यक्ति अथवा किसी समूह द्वारा सत्ता के पक्ष अथवा विरोध में हिंसा का प्रयोग की धमकी है।”

भारत सरकार के अनुसार, “सरकार अथवा लोगों को आतंकित करने, विभिन्न वर्गों में वैमनस्य बढ़ाने तथा शान्ति भंग करने के उद्देश्य से बम विस्फोट करने, आग्नेयास्त्रों का प्रयोग करने, सम्पत्ति नष्ट करने, रसायन अथवा रासायनिक अस्त्र इस्तेमाल करने तथा आवश्यक सेवाओं में गड़बड़ी करने के उद्देश्य से जो भी कार्य किये जायेंगे उन्हें आतंकवादी कार्य माना जायेगा।”

आतंकवाद का स्वरूप एवं समाधान (The Nature of Terrorism and So lution)

आज आतंकवाद ही अपने जनकों के लिए, ‘भस्मासुर’ का रूप ले चुका है। इसकी मिसाल है पाकिस्तान और अमरीका की घटनाएँ। सर्वप्रथम हम पाकिस्तान की चर्चा करें।

पाकिस्तान ने अपना पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो का स्वागत जहाँ फूल-मालाओं से किया वहीं उनका स्वागत भीषण आतंकवादी विस्फोट के साथ भी किया जिसमें करब डेढ़ सौ समर्थकों की घटनास्थल पर ही मौत हो गयी। आतंकवाद के सौदागरों ने यह दिखला दिया कि उनकी पहुँच से कोई भी परे नहीं है, चाहे वह पाकिस्तान हो या अफगानिस्तान या भारत या अमरीका।

विश्व में आतंकवाद अनेक स्तरों पर सक्रिय है। सुविधा की दृष्टि से इसे अनेक श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है-

(1) क्षेत्रीय या राज्य स्तरीय

(2) राष्ट्रीय स्तर पर

(3) सीमा पार से

(4) उपमहाद्वीपीय एवं महाद्वीपीय।

(5) अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर

इसके अतिरिक्त इसे लघु उत्तरीय और वृहद् स्तरीय श्रेणियों में भी रखा जा सकता है। इसका श्रेणी निर्धारण इसकी कार्य शैली, प्रभाव क्षमता, कार्य क्षेत्र, संसाधन, नेतृत्व, चरित्र, विचारधारा व लक्ष्य समर्थन दायरा जैसे कारकों पर निर्भर करता है। मिसाल के लिए इस्लाम आतंकवाद और फासीवाद आतंकवाद को अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद या वृहद्स्तरीय आतंकवाद की श्रेणी में रखा जा सकता है। लिट्टे को प्रायद्वीपीय आतंकवादी संगठन कहा जा सकता है। उल्फा जैसे संगठनों को स्थानीय या सीमापारीय या मध्य स्तरीय श्रेणी में रखा जा सकता है। बिहार की रणवीर सेना जैसी जाति आधारित हिंसक सेनाओं को स्थानीय या लघु स्तरीय आतंकवादी कहा जा सकता है। लातिन प्रदेशों में सक्रिय उग्रवादी संगठनों को वृहत् स्तरीय कहा जा सकता है।

भारत में वृहत् स्तर पर आतंकवादी घटनाएँ सीमा पार द्वारा समर्थित हैं अर्थात् भारत के आतंकवादी परिदृश्य की कहानी अन्तर्राष्ट्रीय परिदृश्य से भिन्न नहीं है, बल्कि दोनों परिदृश्यों में गहरा रिश्ता है। इस रिश्ते की त्रासद पराकाष्ठा 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की हत्या और 1991 में उनके पुत्र व पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की लिट्टे मानव बम द्वारा उड़ाए जाने में दिखाई देती है। सीमापारीय आतंकवाद की बलि चढ़ चुके हैं पूर्व थल सेनाध्यक्ष जनरल वैद्य सहित अनेक निर्वाचित जनप्रतिनिधि (मंत्री, सांसद, विधायक) हजारों मासूम नागरिक, विदेशी पर्यटक आदि। 1999 में पाक प्रायोजित अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद सीमित खुली जंग कारगिल लड़ाई में बदल जाता है। वर्ष 2000 के मध्य में सीमापारीय भाड़े के आतंकवादी अमरनाथ तीर्थयात्रियों और बिहार के श्रमिकों को भून डालते हैं। एक सौ से ज्यादा लोग मारे जाते हैं। वर्ष का प्रत्येक माह रक्तरंजित दिखाई देता है।

लगभग यही हाल सीमा पार देश पाकिस्तान का हो गया है। इस्लामी आतंकवादियों ने पाकिस्तान के फौजी सदर जनरल मुशर्रफ पर भी पिछले दो वर्ष में कई हमले किए हैं। इतना ही नहीं इस्लामाबाद और रावलपिण्डी में भी आतंकवादी विस्फोटों के माध्यम से दर्जनों सहधर्मियों की जानें ली हैं। इसी वर्ष इस्लामाबाद-रावलपिण्डी क्षेत्र में स्थित लाल मस्जिद में छिपे आतंकवादियों ने पाकिस्तानी राष्ट्र राज्य को सीधे धमकी दी थी। फलस्वरूप, इनके खिलाफ पाकिस्तानी फौज को कार्रवाई करनी पड़ी थी। इस कार्रवाई में दर्जनों कट्टरवादी मजहबवादी आतंकी वहाँ ढेर हो गये थे। आज भी पाकिस्तान के कई सीमान्त क्षेत्रों में आतंकवादियों ने पाकिस्तानी फौज के खिलाफ मोर्चाबन्दी कर रखी है।

उपरोक्त तथ्यों के विवेचन से यह स्पष्ट होता है कि आतंकवाद का समाधान बम एवं गन में ही छिपा है, शासकों की यह रणनीति खोखली साबित हो चुकी है। अब परम्परागत शासन शैली की परिधि से बाहर निकलकर इस समस्या का समाधान खोजा जाना चाहिए। जब एक नई विश्व व्यवस्था की परिकल्पना की जा रही है तब इसकी पहली शर्त होनी चाहिए कि हर प्रकार के आतंकवाद से मुक्त परिवेश का निर्माण।

इस परिवेश का सृजन उदारीकरण एवं वैश्वीकरण के युग में संभव है। वैश्वीकरण केवल आर्थिक प्रक्रिया मात्र या संचारों से सम्बन्धित प्रक्रिया नहीं है, यह वस्तुतः विश्व के सभी भागों में रहने वाले लोगों के मध्य सामाजिक, आर्थिक, व्यापारिक एवं सांस्कृतिक सम्बन्धों को बढ़ाने की व्यापक प्रक्रिया है। यह विचारधारा सबके लिए स्वतंत्रता, अन्तर्राष्ट्रीयता, मुक्त व्यापार एवं मुक्त आर्थिक सम्बन्धों की पक्षधर है। इसके अन्तर्गत ऐसे नियमों को क्रियान्वित किया जाता है, जिससे विश्व के सभी लोगों का सामाजिक व आर्थिक एकीकरण सम्भव हो सके तभी जाकर आतंकवाद मुक्त समाज का सपना साकार हो सकता है।

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