आयात प्रतिस्थापन नीति-Import Substitution in Hindi
Import Substitution in Hindi – आयात प्रतिस्थापन का आशय है कि जो उत्पादन हम बाहर से आयात करते हैं उसे घर पर अपने देश में ही तैयार किया जाये। दूसरे शब्दों में जो माल बाहर से आयात करते थे उसका अपने ही देश में उत्पादन आयात प्रतिस्थापन कहलाएगा। आयात प्रतिस्थापन का उद्देश्य वस्तु का निर्माण कर आयात की समस्या से बचना होता है।
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वास्तव में आयात प्रतिस्थापन से जहाँ एक ओर घरेलू उद्योगों को बढ़ावा मिलता है वहीं दूसरी ओर आयातित माल के विकल्प के रूप में अपने देश में बना हुआ माल बाजार में उपलब्ध में रहता है। आयात प्रतिस्थापन नीति भुगतान सन्तुलन में भी काफी हद तक सहायक होती है क्योंकि देश की विदेशी मुद्रा की बचत होती है और हमें आयात के लिए विदेशी मुद्रा की आवश्यकता कम पड़ती है। इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि- आयात प्रतिस्थापन एक ऐसी प्रक्रिया है | जिसके अन्तर्गत देश में ऐसी वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है जो आयातित वस्तुओं के समान होती हैं अथवा उनका निकट स्थानापन्न होती हैं। भुगतान शेष की प्रतिकूलता को कम करने के लिए जहाँ एक ओर निर्यात बढ़ाने के उपाय किये जाते हैं वहीं आयात को कम करना भी आवश्यक है। यदि आयात बढ़ते रहे तो निर्यात सम्वर्द्धन के सभी उपाय निष्फल हो जाते हैं । अतएव भारत में आयातों को सीमित रखने का बड़ा महत्त्व है। आयात कम करने का एक उपाय आवश्यकताओं को कम करना हो सकता है, किन्तु दूसरा अधिक कारगर उपाय आयाजित वस्तुओं के प्रतिस्थापन स्वदेश में ही तैयार करना है। इस प्रक्रिया को “आयात प्रतिस्थापन’ कहते हैं।
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आयात प्रतिस्थापन का महत्व या लाभ
एक देश में आयात प्रतिस्थापन की भूमिका और क्षेत्र को उस देश की औद्योगिक प्रगति एवं व्यापार नीतियों के सन्दर्भ में देखा जाना चाहिए ताकि सीमित विनियोग साधनों से अधिकतम प्रतिफल प्राप्त हो सके। इसके लिए ऐसे उपायों की आवश्यकता होती है जिससे विनियोग उन क्षेत्रों में हो सके जहाँ उत्पादन बढ़े एवं आयात प्रतिस्थापन किया जा सके। आयात प्रतिस्थापन एवं निर्यात प्रोत्साहन में अधिक निकट सम्बन्ध होता है, इसलिए आयात प्रतिस्थापन को प्रभावशाली बनाने तथा निर्यातों का विस्तार करने के लिए निरन्तर औद्योगिक विकास होना आवश्यक है। इसका प्रभाव यह होगा कि घरेलू तकनीकी विकसित होगी एवं आयात प्रतिस्थापन तथा निर्यातों को प्रोत्साहन मिलेगा और निर्यातों में वृद्धि होगी।
आयात प्रतिस्थापन कार्यक्रम के अन्तर्गत व्यक्तियों, फर्मों और संस्थाओं को भारत में ही उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। विदेशी वस्तुओं के भारतीय स्थानापन्न खोजने के प्रयत्न किये जाते हैं। विदेशी मशीनों के कल-पुर्जों का निर्माण भारत में ही किया जाता है। जो व्यक्ति अथवा संस्थाएँ इस कार्य में सफलता प्राप्त करते हैं, उन्हें पुरस्कृत किया जाता है तथा योग्यता के प्रमाण-पत्र दिये जाते हैं। अनुसन्धान करने वाली संस्थाओं को आर्थिक सहायता दी जाती है।
विदेशी विनिमय संकट और विदेशी सहायता की अनिश्चितता के कारण भारत निर्यात में लगा है। सुरक्षा सामग्री की 80 प्रतिशत आवश्यकता पूर्ति घरेलू उत्पादन से होने लगी है, आयात प्रतिस्थापन की आवश्यकता बढ़ गयी है।
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