यूरोप के स्थलाकृतिक स्वरूपों में स्थानिक विविधता है। ” व्याख्या कीजिए।
यूरोप के स्थलाकृतिक स्वरूप
यूरोप के विभिन्न भागों में स्थलाकृतिक विविधता पायी जाती है। यूरोप के उत्तरी-पश्चिमी तथा दक्षिणी भाग में अनेक पर्वत श्रेणियां हैं जिनकी चोटियां हिमाच्छादित रहती हैं और उनमें गहरे खड्ड (गार्ज) मिलते हैं। पर्वत श्रेणियों के मध्य पठार और समतल घाटियां पायी जाती हैं। उत्तरी यूरोप का भूभाग प्लिस्टोसीन हिमयुग के हिमनदन (glaciation) से प्रभावित है जहाँ यू आकार घाटियां, हिमोढ़, सर्क और गोलाकार पर्वत शिख मिलते हैं। दक्षिण यूरोप आल्पस, पिरेनीज आदि पर्वत श्रेणियां पूर्व-पश्चिम दिशा में स्थित हैं। महाद्वीप का सर्वाधिक निचला भाग कैस्पियनसागर की उत्तरी-पूर्वीतटीय भाग है जो समुद्रतल से 28 मीटर तक नीचा है। इसी प्रकार फ्रांस और जर्मनी के उत्तर में निम्न भूमि पायी जाती है जिस पर बेल्जियम डेनमार्क और नीदरलैंड देश स्थित हैं। पूर्वी यूरोप लगभग समतल है। स्थलाकृति के आधार पर यूपरोप को निम्नलिखित भागों में विभक्त किया जा सकता है।
- उत्तरी-पश्चिमी पर्वतीय प्रदेश,
- मध्यवर्ती पर्वतीय पठारी प्रदेश,
- दक्षिणी पर्वतीय प्रदेश,
- मध्यवर्ती मैदानी प्रदेश।
(1) उत्तरी-पश्चिमी पर्वतीय प्रदेश
(North-Western Mountain Region)
यूरोप के उत्तरी-पश्चिमी भाग में स्थित यह पर्वतीय प्रदेश पूर्व कैम्ब्रियन या कैलिडोनियर युग की कठोर शैलों से निर्मित हैं जो भूकंप से बहुत कम प्रभावित है। इसके अंतर्गत ब्रिटिश द्वीप समूह, नार्वे और स्वीडेन के पर्वतीय भाग सम्मिलित हैं। दीर्घकाल से अपक्षय तथा अपरदन होते रहते से अपक्षय तथा अपरदन होते रहते से ये पर्वत श्रेणियाँ अधिक घर्षित हो चुकी हैं और अवशिष्ट पर्वत के रूप में विद्यमान हैं। इनके शिखर प्रायः गोलाकार और चपटे हैं। उत्तरी पश्चिमी पर्वतीय प्रदेश को दो उप प्रदेशों में विभक्त किया जा सकता है-
(1) स्कैण्डनेवियाई पर्वत और (2) ब्रिटिश पर्वत ।
(1) स्कैण्डनेवियाई पर्वत क्रम के अंतर्गत नार्वे, स्वीडन तथा डेनमार्क की पर्वत श्रेणियां सम्मिलित हैं। इन पर्वत श्रेणियों का विस्तार पूर्व में फिनलैंड से लेकर पश्चिम में स्कैण्डनेविया प्रायद्वीप के पश्चिमी भाग तक है। अत्यधिक हिमनदन के कारण इन पर्वत श्रेणियां के शिखर सपाट और गोलाकार हो गये हैं। इस प्रदेश में एस्कर, हिमोढ़, सर्क, हिमानी झीलें पायी जाती हैं। तटीय भागों में हिमानी द्वारा निर्मित गहरी तथा जलमग्न घाटियां पायी जाती हैं जिन्हें फियोर्ड (Fiod) के नाम से जाना जाता है। नार्वे तथा स्वीडेन के तटीय भाग असंख्य फियोर्ड से भरे हुए
(2) ब्रिटिश पर्वत स्काटलैंड, इंगलैंड तथा आयरलैंड में फैले हुए हैं। ये पर्वत प्राचीन रवेदार कठोर शैलों से निर्मित हैं तथा हिमनियों द्वारा अधिक अपरदित होकर नीचे हो गये हैं। इनमें यू-आकार की घाटियां तथा गोल एवं सपाट शिखर पाये जाते हैं। कुछ विद्वान इसे मध्य अटलांटिक कटक का ही आगे बढ़ा हुआ भाग मानते हैं। ब्रिटिश द्वीप के तटीय भाग नीचे हैं। और वहां नदियों द्वारा निर्मित रिया तट पाये जाते हैं। इंग्लैंड के मध्य में उत्तर-दक्षिण दिशा में पीनाइन श्रेणी (Preine Range) स्थित है जो प्राचीन रवेदार शैलों से निर्मित है।
(2) मध्यवर्ती पर्वतीय पठारी प्रदेश
(Middle-Mountain Plateau Region)
इसके अंतर्गत पश्चिम में आइबेरिया प्रायद्वीप से लेकर पूर्व में चेक गणराज्य तथा जर्मनी के बोहमिया उच्चभूमि तक के पर्वतीय तथा पठारी भाग सम्मिलित हैं। फ्रांस का मध्यवर्ती पठार तथा वासजेज पठार इसी भाग में स्थित हैं। यह प्रदेश एक विषम धरातल वाला है जहाँ हरसीनियन काल में निर्मित पर्वत श्रेणियां स्थित हैं। हरमीनियन हलचल आज से लगभग 2400 लाख वर्ष पहले घटित हुई थी। ये पर्वत श्रेणियां बहुत प्राचीन हैं और घिस कर काफी नीची हो गयी हैं तथा अवशिष्ट पर्वत के रूप में विद्यमान हैं। ये परवर्ती अलाइन हलचलों से अप्रभावित रहे हैं। स्पेन के मेसिटा तथा फ्रांस के मध्यवर्ती पठार, ब्रिटेनी प्रायद्वीप राइन उच्च प्रदेश, ब्लैक फारेस्ट, वासजेज, बोहेमिया पठार इसी पर्वतीय पठारी प्रदेश के अंग हैं।
(3) दक्षिणी पर्वतीय प्रदेश
(Southern Mountain Region)
इसके अंतर्गत दक्षिणी यूरोप की अल्पाइन पर्वत श्रेणियाँ सम्मिलित हैं। ये नवीन वलित पर्वत हैं जो मुलायम के समकालीन हैं। इनमें आल्पस पर्वत सर्वप्रमुख है जिसके नाम पर इन्हें अल्पाइन पर्वत श्रेणियों के नाम से जाना जाता है। इन पर्वत श्रेणियों के शिखर ऊँचे तथा नुकीले है। इस प्रदेश के प्रमुख पर्यवदा आल्पस, अल्पाइन, बलकान, दिनारिक, कार्योधयन, काकेशस आदि हैं। इन नवीन मोड़वार पर्वत श्रेणियों में हिमानियों के घर्षण से निर्मित यू-आकार चाटिया, सर्व, हिमानी झीलें आदि मूआकृतियां पायी जाती हैं। ल्यूकेन झील, ज्यूरिख झील, जेनेवा झील आदि हिमानी झीलों के उदाहरण हैं।
अल्पाइन पर्वत श्रेणियों की उत्पत्ति पूर्व-पश्चिम विस्तृत भूसन्नति में दीर्घकाल तक नदियों द्वारा लाये गये मलावों के निक्षेप के उत्थान से हुआ है। ये पर्वत विश्व के सर्वाधिक नवीन और वलित पर्वत हैं जो सामान्यतः पूर्व से पश्चिम दिशा में स्थित हैं। इनकी कुछ शाखाएँ अन्य दिशाओं में भी पायी जाती हैं जैसे इटली का एपीनाइन पर्वत जो उत्तर-दक्षिण दिशा में स्थित है। प्रमुख अल्पाइन पर्वतों का विवरण अग्रांकित हैं।
1. पिरेनीज पर्वत- यह पर्वत स्पेन और फ्रांस के मध्य उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित है। इसका विस्तार पश्चिम में बिस्के की खाड़ी से लेकर पूर्व में भूमध्य सागर तक है। यह एक मोड़दार पर्वत है जिसका सर्वोच्च शिखर पिको डी अनेटो (34.4 मीटर) इसके पश्चिमी भाग में स्थित है। इसका उत्तरी ढाल अधिक शीतल रहता है और केवल इसी ढाल पर ग्लेशियर पाये जाते हैं।
2. आल्पस पर्वत- यह नवीन मोड़दार पर्वत है जिसकी कई समानांतर श्रेणियां हैं जो पूर्व-पश्चिम दिशा में फैली हुई हैं। इसका सर्वोच्च शिखर माउण्ट ब्लांक है जो सागर तल से 4807 मीटर ऊँचा है। लगभग 22.5 हजार वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैले हुए आल्पस पर्वत में अनेक ग्लेशियर, निलंबी घाटियां (hanging valleys), शृंग (homs) आदि पाये जाते हैं। आल्पस पर्वत का विस्तार फ्रांस और स्विटजरलैंड (जूरा पर्वत) में है। इसका दक्षिणी-पश्चिमी भाग फ्रांस में और उत्तरी-पश्चिमी भाग स्विट्जरलैंड में है।
फ्रांस में आल्पस पर्वत का विस्तार लीयन से दक्षिण की ओर है जहां 200 मीटर तक ऊँची पर्वत श्रेणियां है। आल्पस का सर्वोच्च शिकर माउण्ट ब्लांक इसी भाग में है। स्विटजरलैंड में जूरा पर्वत के नाम से विख्यात आल्पस पर्वत की ऊँचाई 1000 मीटर तक पायी जाती है। इस प्रकार आल्पस का पश्चिमी भाग पूर्वी भाग की अपेक्षा अधिक ऊँचा है। स्विटजरलैंड के लगभग 75 प्रतिशत भूभाग पर आल्पस पर्वतों का विस्तार है। आल्पस के उत्तरी ढाल का अपवाह उत्तर की ओर और दक्षिणी ढाल का अपवाह दक्षिण की ओर है। इसी भाग से निकलने वाली रोन तथा राइन नदियां विपरीत दिशाओं क्रमशः दक्षिण और उत्तर दिशा में बहती हैं। आल्पस पर्वत अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विख्यात हैं।
(4) मध्यवर्ती मैदानी प्रदेश
(Middle Plain Region)
उत्तरी-पश्चिमी यूरोप के उच्च पर्वतीय भागों तथा दक्षिणी एवं मध्य यूरोप के पर्वतीय तथा पठारी भागों में मध्य पश्चिम में फ्रांस से लेकर पूर्व में यूराल पर्वत तक विशाल समतल मैदान का विस्तार है जिसे उत्तर यूरोप का विशाल मैदान कहा जाता है। इस मैदान की चौड़ाई पश्चिमी भाग में पोलैंड तक कम है किंतु इसका पूर्वी भाग (रूस का मैदान) अधिक विस्तृत है। धरातलीय विशेषता के आधार पर इस विशाल मैदान को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है- (क) पश्चिमी तथा मध्यवर्ती मैदान, और (ख) रूसी मैदान।
(अ) पश्चिमी तथा मध्यवर्ती मैदान- इस मैदान का विस्तार पश्चिम में इंग्लैंड और (फॉस मैदान है जिस पर हिमनदियों के हिमोढ़ निक्षेप और नदियों के जलोढ़ निक्षेप पाये जाते हैं। इसका अधिकांश भाग टर्शियरी युग की परतदार शैलों से निर्मित हैं। प्रमुख मैदान निम्नलिखित हैं।
दक्षिणी इंग्लैंड के मैदान का ढाल पश्चिम से पूर्व की ओर है और टेम्स नदी इसके मध्य से प्रवाहित होती हुई उत्तरी सागर में गिरती है।
फ्रांस के मैदान का विस्तार इसके उत्तरी-पश्चिमी भाग पर जिसका ढाल पश्चिम तथा उत्तर की ओर है। इस पर उत्तर से दक्षिण की ओर क्रमशः सीन, ल्वायर तथा गैरोन नदियां बहती हैं।
बेल्जियम और नीदरलैंड अत्यंत निचले भूभाग हैं जिन्हें निम्न भूमि के नाम से जाना जाता है।
जर्मनी में राइन, वेसर तथा एल्ब प्रमुख नदियां हैं जो दक्षिण से उत्तर की ओर बहती हुई। उत्तरी सागर में गिरती हैं। इनके बेसिनों में जलोढ़ के निक्षेप मिलते हैं।
पोलैंड में ओडर तथा वेश्तुला के मैदान हैं जिनका ढाल दक्षिण से उत्तर की ओर है।
(ब) रूसी मैदान- इस मैदान का विस्तार बाल्टिक सागर और कार्पेथियन पर्वत के पूर्व में है। मास्को इस मैदान के मध्य में स्थित है और उच्च प्रदेश होने के कारण यह जलविभाजक का कार्य करता है। इसके दक्षिण भाग का ढाल उत्तर से दक्षिण की ओर और उत्तरीय भाग का ढाल दक्षिण से उत्तर की ओर है। उत्तरी हिमानी घर्षित निम्न प्रदेश है जिस पर बहने वाली नदियां बाल्टिक सागर और श्वेत सागर (आर्कटिक महासागर) में गिरती हैं। दक्षिणी मैदान में नीस्टर, नीपर, डॉन और वोल्गा कैस्पियन सागर में गिरती है। नीपर नदी के ऊपरी भाग में प्रिपेट दलदल स्थित है। रूसी मैदान पश्चिमी तथा मध्यवर्ती मैदानों की तुलना में ऊंचा है। रूस का दक्षिणी मैदानी भाग अपेक्षाकृत अधिक उपजाऊ है।
Related Link
- एशिया की जनसंख्या का वितरण, घनत्व एंव कारण | Distribution, Density and Causes of Population of Asia in Hindi
- एशिया महाद्वीप के उच्चावय भौगोलिक | Altitude geography of the continent of Asia in Hindi
- आस्ट्रेलिया के आर्थिक आधार | Australia’s economic base in Hindi
- खनिज तेल का पश्चिमी एशिया की राजनीतिक से सम्बन्ध | The relation of mineral oil to the politics of West Asia in Hindi
- एशिया महाद्वीप की भू-वैज्ञानिक संरचना के लक्षण | Characteristics of the geological structure of the continent of Asia in Hindi
- खनिज एवं शक्ति संसाधन | Mineral and Power Resources in Hindi
- पूर्वी एशिया का एक विशद प्रादेशिक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- पश्चिमी एशिया का एक विशद् प्रादेशिक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- यूरोप में आर्थिक विकास का एक भौगोलिक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- यूरोप के स्थलाकृतिक स्वरूप | Topographical features of Europe in Hindi
- यूरोप में जनसंख्या वितरण के स्थानिक प्रतिरूप | Spatial Patterns of Population Distribution in Europe in Hindi
- भूमध्यसागरीय क्षेत्र का भौगोलिक अध्ययन | Geographical study of the Mediterranean region in Hindi
Important Links
- सुदूर-पूर्व एशिया की प्रमुख वनस्पतियाँ | Major Plants of Far-East Asia in Hindi
- प्रादेशिक तथा क्रमबद्ध उपागम | Regional and Systematic Approach in Hindi
- एशिया की जलवायु | Climate of Asia Continent in Hindi
- प्राकृतिक प्रदेशों के सीमांकन के आधार | Criteria of Delimitation of Natural Regions in Hindi
- सांस्कृतिक प्रदेश का अर्थ एंव विश्व के आधुनिक सांस्कृतिक परिमंडल | Meaning of cultural region and modern cultural circles of the world in Hindi
- कर्मोपलक्षी एवं कार्यात्मक प्रदेशों में विभेद | Distinction between functional and functional regions in Hindi
- आर्थिक प्रदेशों के सीमांकन के आधार एवं विशेषताएँ | Basis and features of demarcation of economic territories
- प्रदेश की परिभाषा तथा इसके प्रकार | Definition of region and its types in Hindi
- व्यावहारिक जीवन में मूल्य की अवधारणा | Concept of value in Practical life
- सभ्यता एवं संस्कृति का मूल्य पद्धति के विकास में योगदान
- संस्कृति एवं शैक्षिक मूल्य का अर्थ, प्रकार एंव इसके कार्य
- संस्कृति का मूल्य शिक्षा पर प्रभाव | Impact of culture on value Education in Hindi
- संस्कृति का अर्थ, परिभाषा तथा मूल्य एवं संस्कृति के संबंध
- मूल्य शिक्षा की विधियाँ और मूल्यांकन | Methods and Evaluation of value Education
- मूल्य शिक्षा की परिभाषा एवं इसके महत्त्व | Definition and Importance of value Education
Disclaimer