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संचयी अभिलेख (cumulative record)- अर्थ, परिभाषा, आवश्यकता और महत्व, उद्देश्य, विशेषताएँ, उपयोग, लाभ, सीमाएं

संचयी अभिलेख

संचयी अभिलेख

संचयी अभिलेख (cumulative record) – यह एक व्यक्तिगत शिक्षार्थी के आँकलन से संबद्ध सूचना का एक अभिलेख है। समय- समय पर विविध स्रोतों, तकनीकों, परीक्षणों, साक्षात्कारों, अवलोकनों, केस अध्ययन से प्राप्त सूचना को एक संचयी अभिलेख कार्ड पर एक सारांश के रूप में एकत्रित किया गया होता है, अतः इसका तब उपयोग किया जा सकता है जब शिक्षार्थी को शैक्षणिक या व्यावसायिक समस्या के समाधान के लिए परामर्श की आवश्यकता होती है।

संचयी अभिलेख को “शिक्षार्थियों के निर्देशन के लिए अनिवार्य सूचना का उपयोग करने, नत्थी करने और अभिलेख करने की एक विधि” के रूप में परिभाषित किया गया है। एक संचयी अभिलेख कार्ड निम्नलिखित बिन्दुओं पर सूचना की आपूर्ति करता है:

क) वैयक्तिकः (i) नाम, (ii) जन्म तिथि, (iii) जन्म स्थान, (iv) लिंग, (v) रंग, और (vi) निवास।

ख) घरः (i) अभिभावक के नाम, (ii) अभिभावक के व्यवसाय, (iii) अभिभावक (जिन्दा या मृत), (iv) आर्थिक स्थिति, (v) सहोदरों की संख्या, बड़े या छोटे, और (vi) घर पर
बोली जाने वाली भाषा।

ग) परीक्षण स्कोरः (i) सामान्य बुद्धि, (ii) उपलब्धि, (iii) अन्य परीक्षण कोर, और (iv)
व्यक्तित्व के गुण।

घ) विद्यालय की उपस्थितिः (i) प्रत्येक वर्ष उपस्थिति, अनुपस्थिति के दिन, और (ii) तिथि के साथ विद्यालय में गए दिन।

ङ) स्वास्थ्यः (i) शारीरिक निःशक्तताओं का रिकार्ड, टीकाकरण (वैक्सीन) का रिकार्ड, बीमारियों का रिकार्ड।

च) विविधः (i) व्यावसायिक योजना, (ii) पाठ्यचर्या के अतिरिक्त गतिविधियाँ, (iii) अध्ययन के दौरान रोजगार, और (iv) परामर्शदाता की टिप्पणी।

यदि हम संचयी अभिलेख कार्ड में दर्ज सामग्रियों का विश्लेषण करते हैं तो हम पाते हैं कि एक केस अध्ययन में केवल ऐसी ही सामग्रियाँ सम्मिलित हैं या दर्ज रहती हैं। अमानकीकृत तकनीकों जैसे, जाँच सूची, प्रश्नावली, आत्मकथा के माध्यम से संग्रहित आँकड़ों का रिकार्ड कार्ड फाइल में जगह नहीं पाते हैं। यह अवश्य याद रखना चाहिए कि सूचना की रिकार्डिंग उतनी महत्वपूर्ण नहीं है जितना कि सूचना का उपयोग।

संचयी अभिलेख की आवश्यकता और महत्वः

शिक्षार्थियों के बारे में संचयी अभिलेख शिक्षकों, परामर्शदाताओं और प्रशासकों को उपयोगी सूचना प्रदान करते हैं। निर्देशन में संचयी अभिलेखों की आवश्यकता और महत्व को नीचे बताया गया है:

निर्देशन में महत्व

i) निर्देशन के मूलभूत सिद्धान्त और पूर्व धारणाएँ व्यक्तिगत विभिन्नताओं को ध्यान में रखने पर केन्द्रित हैं। प्रत्येक व्यक्ति दूसरों से कुछ मनोवैज्ञानिक लक्षणों, गुणों या विशेषताओं में भिन्न होते हैं। उदाहरणार्थ कोई दो व्यक्ति एक समान नहीं होते हैं। वे एक-दूसरे से मनोवृत्तियों, अभिरूचियों और योग्यताओं में भिन्न होते हैं। संचयी अभिलेख ऐसी व्यक्तिगत विभिन्नताओं को प्रकट करती है और विविध स्तरों पर शिक्षार्थियों के विकास के लिए आवश्यक वृत्तिक सहायता की मात्रा और प्रकृति को प्रदर्शित करते हैं।

ii) संचयी अभिलेख व्यक्तिगत शिक्षार्थी के शैक्षणिक विकास का स्थायी इतिहास है। यह उनकी उपस्थिति, स्वास्थ्य, उपलब्धि और विद्यालयी जीवन के अन्य विविध पहलुओं को प्रदर्शित करता है। चूंकि यह शिक्षार्थी विशेष के भविष्य की आवश्यकताओं का विश्लेषण करने में उपयोगी है अतः उचित शैक्षणिक एवं व्यावसायिक निर्देशन उनकी आवश्यकताओं के आधार पर दिया जा सकता है। उदाहरणार्थ – यदि यह शिक्षार्थी के शारीरिक विकास में कमजोरी को प्रदर्शित करता है तो उन कमियों को दूर करने के कदम सुझाए जा सकते हैं।

शिक्षण में महत्व

i) एक शिक्षार्थी का व्यक्तिगत संचयी अभिलेख, यदि उसकी उपलब्धियाँ उसकी मानसिक योग्यताओं के अनुपात में है तो इसे प्रदर्शित करता है। यदि शिक्षार्थी की उपलब्धियाँ कम हैं तो उसे निर्देशन दिया जा सकता है कि उसकी कमी के उपचार के लिए क्या कदम उठाया जाना चाहिए।

ii) विभिन्न शिक्षार्थियों का संचयी अभिलेख, शैक्षणिक अभिरूचियों एवं मानसिक योग्यताओं के अनुरूप शिक्षार्थियों को वर्गीकृत करने में शिक्षक की सहायता करता है।

iii) एक कक्षा के विभिन्न शिक्षार्थियों का संचयी अभिलेख, शिक्षार्थियों की आवश्यकताओं को समझने में नए शिक्षक की सहायता करता है।

iv) एक व्यवहार की समस्या या एक शैक्षणिक समस्या का विश्लेषण करने के ये उपचारी उपकरण हैं। उदाहरणार्थ- एक शिक्षार्थी शैक्षणिक निष्पादन में पीछे क्यों है? उसके पिछड़ेपन को दूर करने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

v) संचयी अभिलेख शिक्षार्थियों के बारे में शिक्षक को बताते हैं कि किस शिक्षार्थी को व्यक्तिगत ध्यान की आवश्यकता है।

vi) संचयी अभिलेख शिक्षार्थियों की व्यक्तिगत रिपोर्ट लिखने में शिक्षकों की सहायता करता है और प्रधानाचार्य की सहायता अधिक वस्तुनिष्ठता से चरित्र प्रमाणपत्र लिखने में करता है।

vii) शिक्षक विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को को चिहिनन्त कर सकते हैं और तदनुसार शिक्षण को समायोजित कर सकते हैं।

viii) केस अध्ययन तैयार करने में संचयी अभिलेख शिक्षकों के लिए बहुत उपयोगी हैं क्योंकि संग्रहित सामग्रियों में बहुत समानता होती है।

प्रशासकों के लिए महत्व

संचयी अभिलेख एक शिक्षार्थी के अपराधी व्यवहार को समझने में परिवीक्षा अधिकारी एवं बाल न्यायालयों को पर्याप्त सूचना प्रदान करते हैं। शिक्षकों एवं परामर्शदाताओं के लिए उन कारणों से संचयी अभिलेख रखना आवश्यक होता है जिन कारणों से एक चिकित्सक संचयी अभिलेख रखता है। एक लंबी अवधि तक रखे गए अभिलेख ग्राहक की वृद्धि एवं विकृति की कहानी कहते हैं।

एक अच्छे संचयी अभिलेख की विशेषताएँ

एक अच्छे संचयी अभिलेख की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं:

1) एकत्रित की गई सूचना पूर्ण, समग्र और पर्याप्त होनी चाहिए ताकि वैध अनुमान लगाए जा सके। प्रगति रिपोर्ट की अपेक्षा इसे अधिक समग्र होना चाहिए। चूंकि अभिलेख एक शिक्षार्थी की शैक्षणिक वृद्धि का एक स्थायी इतिहास होता है अतः इसे एक शिक्षक या एक निर्देशक के लिए आवश्यक सभी प्रकार की सार्थक सूचना प्रदान करनी चाहिए।

उदाहरणार्थ इसे व्यावसायिक निर्देशन में शिक्षार्थी की आवश्यक व्यावसायिक योजनाओं, व्यावसायिक पसंदों, संपत्तियों एवं दायित्वों को प्रदर्शित करना चाहिए।

2) उल्लेखित सूचना वैध एवं सत्य होनी चाहिए। दूसरों से प्राप्त किसी सूचना की सीमित वैधता एवं विश्वसनीयता हो सकती है। संचयी अभिलेख का एक समग्र मॉडल तैयार करने से पूर्व, उदाहरणार्थ उच्च विद्यालय का एक शिक्षार्थी जिसे नौकरी की आवश्यकता है के लिए यह निर्णय करना चाहिए कि एक ऐसी अनुसूची के लिए सामग्री आवश्यक क्या है। मापन के अन्य उपकरणों के समान, एक संचयी अभिलेख केवल तभी वैध हो सकता है जब यह वही मापता है जो मापना वांछित है।

3) सूचना को विश्वसनीय होने के लिए शिक्षकों द्वारा संग्रहित और तत्पश्चात् संपादित होना चाहिए। संचयी अभिलेख की विश्वसनीयता शिक्षार्थी की वृद्धि के विभिन्न पहलुओं पर सावधानी के साथ सूचना संग्रह एवं समायोजन पर निर्भर करती है। अतः संग्रहित सभी सूचनाओं को शिक्षार्थी के वैयक्तिक संपर्क के परिणाम के रूप में आना चाहिए न केवल एक शिक्षक बल्कि बहुत शिक्षकों द्वारा जो शिक्षार्थी के साथ निकट संपर्क में आते हैं। दूसरों से प्राप्त सूचना को सत्यापित किया जाना चाहिए।

4) एक संचयी अभिलेख को समय-समय पर पुनः मूल्यांकित किया जाना चाहिए।

5) एक संचयी अभिलेख को वैकल्पिक और वैयक्तिक मतों एवं पूर्वधारणाओं से मुक्त होना चाहिए। यदि आँकड़ों के संग्रह में पूर्वाग्रह, पसंद और नापसंद आते हैं तो अभिलेख अविश्वसनीय हो जाएगा।

6) इसे उपयोगी होना चाहिए। एक संचयी अभिलेख कार्ड, फोल्डर या बुकलेट जैसा हो सकता है। फोल्डर वाले संचयी अभिलेख बहुत अधिक लोकप्रिय हैं क्योंकि वे शिक्षार्थी के बारे में समग्र सूचना को जोड़ने की स्वीकृति देते हैं।

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