कानून की आवश्यकता क्या है? – What is Necessity? necessity meaning in indian law
आवश्यकता (Necessity)- यदि किसी ऐसे कार्य से क्षति कारित हुई है, जिसे किसी उससे बड़ी क्षति के निवारण की आवश्यकता से अभिभूत किया गया है, तो वह कार्यवाही-योग्य नहीं है, भले ही वह कार्य साशय किया गया हो। आवश्यकता और प्राइवेट प्रतिरक्षा में अन्तर है। आवश्यकता के अन्तर्गत किसी निर्दोष व्यक्ति को हानि पहुँचायी जाती है, जबकि प्राइवेट प्रतिरक्षा के अन्तर्गत हानि इसलिये कारित की जाती है, क्योंकि स्वयं वादी ही अपकारी है। आवश्यकता और अनिवार्य दुर्घटना में भी अन्तर है। आवश्यकता के अन्तर्गत हानि आशयित होता है, जबकि अनिवार्य दुर्घटना के अन्तर्गत हानि रोकने के अधिकतर प्रयास के बावजूद भी हानि कारित हो जाती है।
किसी जलयान को हल्का करने के लिए उस पर लदे माल को जल में फेंकना ताकि जलयान या उस पर सवार यात्री डूबने से बच जाएं, या अग्नि के प्रसार को आगे फैलने से रोकने के लिए किसी मकान को गिराना, इसके उदाहरण हैं। इसी प्रकार, किसी डूबते हुए व्यक्ति को खींच कर जल से बाहर ले आना या किसी अचेतित व्यक्ति का जीवन बचाने के लिए शल्य-चिकित्सा हेतु उसे चिकित्सक के पास ले जाना कार्यवाही योग्य नहीं है। लेघ बनाम ग्लेडस्टोन के वाद में भूख हड़ताल पर बैठे एक कैदी का जीवन बचाने के लिए उसे बलपूर्वक खाना खिलाया गया। संप्रहार (Battery) की कार्यवाही में इस कार्य को उचित प्रतिरक्षा माना गया था।
कोष बनाम शाप के वाद में प्रतिवादी ने वादी की भूमि में आग का प्रसार रोकने के उद्देश्य से वहाँ प्रवेश किया। वादी की बगल वाली भूमि में प्रतिवादी का स्वामी आखेट खेलता था। प्रतिवादी का कार्य अपने स्वामी को वास्तविक और आसन्न खतरे से बचाने के लिए युक्तियुक्ततः आवश्यक माना गया और यह धारित किया गया कि प्रतिवादी अतिचार के लिये उत्तरदायी न थे।
यदि किया गया हस्तक्षेप युक्तियुक्ततः आवश्यक नहीं है, तो प्रतिवादी उत्तरदायी होगा। कार्टर बनाम थामस के वाद में प्रतिवादी ने वादी की भूमि पर सद्भावना के साथ अग्निशमन हेतु प्रवेश किया, परन्तु वहाँ अग्निप्रशासन कार्यकर्ता पहले से ही कार्यरत थे। प्रतिवादी का उस भूमि पर प्रवेश उचित नहीं माना गया और वह अतिचार के लिए उत्तरदायी ठहराया गया। कार्क बनाम ग्रेग्री के वाद में क की मृत्यु के बाद उसकी साली ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से कुछ जवाहरातों को मृतक के कमरे से हटा कर दूसरे कमरे में रख दिया। वहाँ से जवाहरातों की चोरी हो गई। क के निष्पादकों द्वारा क की साली के प्रतिकूल जवाहरातों के अतिचार के लिए की गई कार्यवाही में यह धारित किया गया कि चूंकि जवाहरातों के साथ किया गया हस्तक्षेप युक्तियुक्त आवश्यक नहीं था, अतः वह उत्तरदायी थी।
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