सांविधिक प्राधिकार किसे कहते है? statutory authority in tort in hindi
सांविधिक प्राधिकार (Statutory Authority)- विधान मण्डल द्वारा प्राधिकृत कार्य से क्षति होती है तो वह बाद योग्य नहीं होती। जब कोई कार्य किसी अधिनियम के प्राधिकार से किया जाता है तो यह एक पूर्ण प्रतिरक्षा के रूप में मान्य है और क्षत पक्षकार को उस उपचार के अतिरिक्त कोई अन्य उपचार नहीं मिल सकता, जो स्वयं उस संविधि में प्रदान किया गया है। सांविधिक प्राधिकार द्वारा प्रदत्त यह उन्मुक्ति न केवल उस हानि के लिए प्राप्य है, जो ऐसे प्राधिकार के प्रयोग के परिणामस्वरूप हो सकती है। अतः यदि किसी रेल-पथ का निर्माण किया जाता है, तो वह किसी प्राइवेट भूमि के साथ हस्तक्षेप भी हो सकता है। जब रेलगाड़ियाँ चलती हैं, तब उनके शोर, प्रकम्पन, धुएँ, और चिनगारियों के उड़ने आदि से भी कुछ हानि हो सकती है। ऐसे किसी प्रकार के हस्तक्षेप से, चाहे वह भूमि का हस्तक्षेप हो अथवा आनुषंगिक हानि, उसे अपकृत्य मानकर कोई भी कार्यवाही नहीं की जा सकती। किन्तु यदि उसके लिए क्षतिपूर्ति के भुगतान की अधिनियम में व्यवस्था की गयी है तो केवल उसके लिए वाद लाया जा सकता है।
बाधन बनाम टैपफ वेल रेल कम्पनी के वाद में प्रतिवादी रेल कम्पनी के एक इंजन से निकली हुई चिंगारी ने वादी के जंगल में आग लगा दी, जो रेलवे लाइन के बगल में था। इस कम्पनी को रेलगाड़ियाँ चलाने का प्राधिकार प्राप्त था। यह धारित किया गया कि चूंकि प्रतिवादी ने चिनगारियों का निकलना रोकने के लिए पर्याप्त सावधानी बरती थी, और उन लोगों ने उस कार्य के अतिरिक्त कोई अन्य कार्य भी नहीं किया था, जिसके लिए उन्हें प्राधिकृत किया गया था, अतः वे उत्तरदायी न थे।
इसी प्रकार हैम्मरस्मिथ रेल कम्पनी बनाम ब्राण्ड के वाद में रेलगाड़ियों के चलने के कारण उससे उत्पन्न शोर, प्रकम्पन और धुएँ से वादी की सम्पत्ति के मूल्य में बहुत अधिक कमी हो गई। वह रेल-पथ जिस पर ये गाड़ियाँ चलती थीं, सांविधिक प्राधिकार से निर्मित किये गये थे। संविधि द्वारा प्राधिकृत गाड़ियों के कारण जो क्षति हुई थी, वह चूंकि आवश्यकतः आनुषंगिक थी, इसलिए यह धारित किया गया कि क्षतिपूर्ति के लिए कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती।
यह आवश्यक है कि विधान मण्डल द्वारा प्राधिकृत कार्य सावधानी पूर्वक किया जाये, अतः “यदि कोई विधान-मण्डल द्वारा प्राधिकृत कार्य असावधानी से किया जाता है तो उसके लिए कार्यवाही की जा सकती है। स्मिथ बनाम लन्दन एण्ड साउथ वेस्टर्न रेलवे कम्पनी के वाद में रेलवे कम्पनी के कर्मचारियों ने घास और बाड़ों के काट-छांट के ढेर को उपेक्षा के साथ रेल- पथ के समीप छोड़ दिया। एक इंजन में निकली हुई चिनगारियों के कारण इस ढेर में आग लग गयी, और वह आग रेल-पथ से 200 गज दूर हवा के तेज झोंकों के कारण वादी की झोपड़ी तक पहुँच गई। झोपड़ी जलकर राख हो गई। चूँकि यह रेल कम्पनी के कर्मचारियों की उपेक्षा का एक मामला था, अतः रेल कम्पनी उत्तरदायी मानी गई।
निरंकुश और सशर्त प्राधिकार
संविधि द्वारा प्राधिकृत कार्य से चाहे भले ही अपदूषण अथवा कोई अन्य हानि होने से प्रतिवादी उत्तरदायी नहीं होता। द्वितीय स्थिति में अर्थात् जब संविधि द्वारा दिया गया प्राधिकार सशर्त होता है, तो शर्त यह हो सकती है कि प्राधिकृत कार्य केवल तभी किया जाए जब उससे कोई अपदूषण अथवा कोई अन्य हानि कारित न हो। ऐसी शर्त अभिव्यक्त अथवा विवक्षित हो सकती है। मेट्रोपॉलिटन एसाइलम डिस्ट्रिक्ट बनाम हिल के वाद में अपीलकर्ता को, जो एक चिकित्सा-प्राधिकारी था, चेचक-चिकित्सालय स्थापित करने के लिए सशक्त किया गया था। इन्होंने एक आवासीय क्षेत्र में चिकित्सालय का निर्माण इस प्रकार किया कि उस क्षेत्र के वासियों में प्रति रोग फैलने का खतरा विद्यमान हो गया। इसे एक अपदूषण माना गया और अपीलकर्ता के विरुद्ध चिकित्सालय को हटाने के लिए व्यादेश जारी किया गया। इस वाद में सांविधिक प्राधिकार को इस अर्थबोध के अन्तर्गत सशर्त माना गया कि वे केवल उसी स्थिति में चिकित्सालय का निर्माण कर सकते हैं जिससे कि उसके निर्माण से किसी प्रकार के अपदूषण का सृजन न हो। रेल-अधिनियमों के अन्तर्गत सामान्यतः रेल-निर्माण को निरंकुश प्राधिकार प्रदान किया गया। गाड़ियों के चलने से चाहे अपदूषण कारित हो, रेल कम्पनी उसके लिए उत्तरदायी नहीं होती।
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