अपकृत्य विधि (Law of Tort)

अपरिहार्य दुर्घटना क्या है? What is inevitable accident?

अपरिहार्य दुर्घटना क्या है? What is inevitable accident?
अपरिहार्य दुर्घटना क्या है? What is inevitable accident?

अपरिहार्य दुर्घटना क्या है? What is inevitable accident?

अपरिहार्य दुर्घटना का तात्पर्य ऐसी दुर्घटना जो सामान्य एवं युक्तियुक्त सतर्कता द्वारा टाली नहीं जा सकती परन्तु युक्तियुक्त सतर्कता से टाली जा सकती हो तो उसे अपरिहार्य दुर्घटना नहीं कहेंगे। इसका तात्पर्य ऐसी दुर्घटना नहीं है जिसका घटित होना पूर्णतया असम्भव हो, वरन् इसका तात्पर्य यह है कि उसे ऐसी किसी भी सतर्कता द्वारा बचाना सम्भव नहीं था, जिसको कोई युक्तियुक्त व्यक्ति ऐसे कार्य को करते समय बरतता और दुर्घटना को होने से रोकने का उपक्रम करता।” अतः प्रतिवादी यदि यह प्रदर्शित कर सकता था और न ही वह युक्तियुक्त सावधानी बरत कर वादी की क्षति को बचा सकता था, तो यह एक कि न तो उसका आशय वादी को क्षति पहुँचाना उचित प्रतिरक्षा मानी जायेगी। “जिसे किसी ऐसी सतर्कता के बावजूद भी नहीं बचाया जा सकता है जैसा कि एक युक्तियुक्त व्यक्ति से ऐसे कार्य को उसी स्थान पर करते समय आशा की जा सकती है। अपरिहार्य दुर्घटना है।”-पोलक

अपरिहार्य दुर्घटना से तात्पर्य पूर्णतः अपरिहार्य से नहीं है। इस दुर्घटना के बचाव का लाभ लेने के लिए प्रतिवादी को निम्नलिखित दो बातें सिद्ध करनी होंगी-

(1) यह कि प्रतिवादी, वादी को क्षति कारित करने का आशय नहीं रखता था, तथा

(2) यह कि प्रतिवादी युक्तियुक्त सतर्कता के बावजूद, वादी को पहुँची क्षति को निवारित नहीं कर सकता था।

अपरिहार्य दुर्घटना का बचाव मूलतः इस नीति के अनुसरण में है कि मानवीय संव्यवहार में कतिपय दुर्घटनाएं अवश्यम्भावी होती हैं। ऐसी क्षति जो युक्तियुक्त सतर्कता के बावजूद निवारित न की जा सकती हो। कार्यवाही का आधार नहीं हो सकती। विधि यह अपेक्षा करती है कि पीड़ित पक्ष ऐसी क्षति को उठाने के लिए बाध्य है।

इस सिद्धान्त का आधार यह है कि “व्यक्ति को सम्भावित घटनाओं के प्रति सावधान रहना चाहिए, कल्पित घटनाओं के प्रति नहीं।” क्योंकि किसी व्यक्ति से केवल सम्भावित घटनाओं को रोकने की आशा की जा सकती है। ऐसी घटनाओं की नहीं जिनकी वह कल्पना भी नहीं कर सकता। उपर्युक्त कथन लार्ड डूनेडिन ने फर्डन v. हरकोर्ट रिविंगटन के वाद में किया था।

स्टैनले. पावेल के वाद में वादी तथा प्रतिवादी एक ही शिकार पार्टी में थे। प्रतिवादी ने एक गोली चिड़िया मारने के लिए चलाई, गोली एक पेड़ से टकराकर वादी को जा लगी। यह धारित किया गया कि प्रकरण की परिस्थितियों में वादी को कारित क्षति एक अपरिहार्य दुर्घटना का परिणाम थी। अतः प्रतिवादी उत्तरदायी न था।

होम्स v. मेयर के वाद में प्रतिवादी का सेवक सड़क पर प्रतिवादी के घोड़े ले जा रहा था, किन्तु कुत्ते के भौंकने से घोड़े बिदक गये और अनियन्त्रित हो गये। प्रतिवादी के सेवक द्वारा श्रेष्ठतम सतर्कता के बावजूद घोड़े नियन्त्रित नहीं किये जा सके। घोड़े ने वादी को चोटिल कर दिया। प्रतिवादी को अपरिहार्य दुर्घटना का बचाव दिया गया।

अवश्यम्भावी दुर्घटना के प्रतिवाद के मुख्य कारण-

(1) अवश्यम्भावी दुर्घटना से हुए कार्य के प्रति प्रतिवादी का कोई इरादा नहीं होता।

(2) अवश्यम्भावी दुर्घटना का न तो पूर्वानुमान होता है और न ही युक्तियुक्त सावधानी से ऐसी दुर्घटना से बचा ही जा सकता है।

(3) किसी व्यक्ति को ऐसी उपहति के लिये उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है जो उसके कार्य का प्रत्यक्ष परिणाम न हो।

(4) अपकृत्य विधि के अन्तर्गत कोई भी व्यक्ति किसी कार्य को करते समय सामान्य सतर्कता, सावधानी तथा निपुणता के कर्त्तव्याधीन होता है न कि अद्भुत, असाधारण अथवा असामान्य सावधानी बरतने के कर्त्तव्य के अधीन।

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