आवश्यक निर्देशन सेवाएं (Essential Guidance Service)
सेवाओं का एक समूह जो व्यक्तियों को ज्ञान व कौशल का उपयोग जीवन की व्याख्या करने तथा योजना बनाने में सहयोग करती है, निर्देशन सेवाएं कहलाती है। विद्यालय में निर्देशन सेवाएं छात्र तथा शिक्षक दोनों के लिए होती है। विद्यालय में निर्देशन सेवा कार्यक्रम के माध्यम से छात्रों को ज्ञान, कौशल, सामाजिक दृष्टि से जिम्मेदार, परिपक्व (Mature) बनाया जाता है। निर्देशन सेवाओं के माध्यम से शिक्षक छात्रों की वैयक्तिक योग्यता को ध्यान में रखकर उनका अलग-अलग दिशा में विकास कर सकता है। निर्देशन एवं परामर्श सेवाएँ एक संगठित क्रिया-कलाप है जो समावेशी छात्रों की की पूर्ति के लिए सहायता करती है। निर्देशन एवं परामर्श मुख्यतः विद्यार्थी के लिए है लेकिन जब तक विद्यार्थी से सम्बन्धित सभी प्रकार की सेवाओं का आयोजन विद्यालय में नहीं किया जाता है तब तक निर्देशन एवं परामर्श का कार्य सुचारु रूप से नहीं किया जा सकता। समादेशी छात्रों का अध्ययन करते समय निर्देशन एवं परामर्श की दृष्टि से यह आवश्यक है कि उसकी बुद्धि अभिरुचियों, योग्यताओं, शैक्षिक उपलब्धियों एवं व्यक्तित्व सम्बन्धी कुछ सेवाओं का आयोजन करना चाहिए। इन सेवाओं के द्वारा माता-पिता बच्चों के भविष्य की सही योजना बना सकते हैं। निर्देशन सेवाएँ छात्रों की शारीरिक, सामाजिक, भावनात्मक और बौद्धिक विशेषताओं को समझने में सहयोग करती हैं। विद्यालय में दी जाने वाली निर्देशन सेवाऐं निम्न हैं-
(1) अभिविन्यास सेवा (Orientation service)
(2) परामर्श सेवा (Counselling Service)
(3) उपचारात्मक सेवा (Remedial service)
(4) सूचना सेवाएँ (Information services)
(5) नियुक्ति सेवा (Placement Service)
(6) अनुवर्ती सेवा (Follow-up Service)
(7) व्यक्तिगत अनुसूची सेवा (Individual Inventory Service)
(8) आधार सामग्री संग्रह सेवा (Data Collection Service)
(9) व्यवसाय सम्बन्धी सेवा (Occupational Information Service)
(10) मूल्यांकन एवं अनुसन्धान सेवा (Evaluation and Research Service)
अभिविन्यास सेवा (Orientation Service)
अभिविन्यास सेवा- यह सेवा नए छात्रों के आंकलन एवं घर के अतिरिक्त नए वातावरण में परिवर्तित होने में सहायक होती है। विभिन्न तथ्यों पर बात करने से विद्यालय जीवन के समायोजन में सहायक होते हैं तथा विभिन्न कार्यक्रम एवं सेवाएँ निर्देशन केन्द्रों के माध्यम से प्रदान की जाती है तथा उन पर चर्चा भी की जाती है। पुराने छात्र भी छात्र असेम्बली, समूह निर्देशन एवं कक्षा सत्र के माध्यम से निर्देशन कार्यक्रम एवं सेवाओं के साथ पुनः अभिविन्यास कर सकते हैं। किसी भी विश्वविद्यालय या विद्यालय में अलग-अलग परिवेश और पृष्ठभूमि के लोग प्रवेश लेते हैं। अतः यहाँ जनसंख्या एक विषमांगी मिश्रण की तरह होता है जहाँ शहर, गाँव, सुसंगठित परिवार अमीर, गरीब, अधिकारी, किसान, साधारण स्कूल, कॉन्वेन्ट स्कूल के छात्र प्रवेश लेते हैं। अतः इन विद्यालयों में छात्रों की दक्षता को बढ़ाने के लिए उनमें नागरिकता, सामाजिक, व्यावसायिक उत्तरदायित्व की भावना, साहस एवं शिष्टता का विकास करने के पर्याप्त आयोजन होने चाहिए। इन सब का विकास अभिविन्यास सेवा के द्वारा किया जा सकता है।
अभिविन्यास सेवा की आवश्यकता एवं महत्त्व (Need and Importance of Orientation Service)
अभिविन्यास सेवा की आवश्यकता एव महत्त्व को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) अभिविन्यास सेवा शिक्षा के एक स्तर से दूसरे स्तर को जोड़ने के लिए अभिव्यक्ति पथ देती है, जैसे- कस्बे और गाँव को शहर से जोड़ने तथा वैयक्तिक जीवन को विद्यालयी समुदाय से जोड़ना
(2) नव आगन्तुक को प्रत्येक प्रकार की सूचना जैसे विश्वविद्यालय के नियमित कार्यक्रम दिशा-निर्देश, सुविधाएँ तथा कर्मचारी के बारे में सूचना देना
(3) छात्रों को विद्यालयी परिवेश मे समायोजन करने में सहयोग करना जिससे वे कम से कम गलतियों के साथ पूर्ण सन्तुष्टि से सफलता प्राप्त कर सकें।
(4) छात्रों को शैक्षिक सफलता में निम्न प्रकार से सहयोग करना
(i) दक्षता से अधिगम करना, परीक्षा एवं नोट्स बनाने के लिए पर्याप्त नियोजन करने में अभिविन्यास सेवा सहयोग करती है।
(ii) भौतिक सुविधाओं जैसे लाइब्रेरी, हॉस्टल, कक्षा-कक्ष, प्रयोगशाला, छात्र केन्द्र, खेल प्रांगण, स्वीमिंग पूल आदि की सूचना प्रदान करने में अभिविन्यास सेवा सहयोग करती है।
(iii) उपचारात्मक एवं पठन एवं भाषा कार्यक्रम के लिए अभिविन्यास सेवा सुविधाएँ प्रदान करती है।
(5) नए छात्रों का स्वागत विद्यालयी सदस्य के रूप में करना तथा उनको छात्रों के लिए विद्यालय में उपलब्ध सुविधाओं से उनको अवगत कराने में अभिविन्यास सेवा सहयोग करती है।
(6) विद्यालय / विश्वविद्यालय स्व-निर्देशित, बौद्धिक उन्मुख अनुभवों के बारे में नए छात्रों से बात-चीत करने में अभिविन्यास सेवा महत्त्वपूर्ण है।
(7) छात्रों को यह दिखाना कि विश्वविद्यालय जीवन में प्रक्रियात्मक और सामाजिक सुखद अनुभवों के साथ-साथ उच्च रूपवादी उपलब्धि मानक है जो उच्च वैयक्तिक गुणों को परिपूर्ण करते हैं जिनके द्वारा उच्च नैतिक मूल्यों तथा नैतिक मानकों को प्राप्त किया जा सकता है।
(8) विभाग तथा छात्र संघ की ओर नए छात्रों को परस्पर आधिगम प्रक्रिया का अवसर प्रदान करने में अभिविन्यास सेवा महत्त्वपूर्ण है। इसके माध्यम से प्रत्येक समूह एक दूसरे से अच्छी तरह परिचित हो जाते हैं तथा आगे की क्रियाओं में पूर्ण उत्साह एवं सहयोग की भावना से योगदान देते हैं।
अभिविन्यास सेवा के आधारभूत तथ्य ( Basic Elements of Orientation Service)
अभिविन्यास सेवा निम्नलिखित को सम्मिलित कर सकती हैं-
(1) मुद्रित सामग्री का मुद्दा (Issue of Printed Material)- मुद्रित सामग्री में प्रांगण मानचित्र तथा विभाग के हेड एवं स्टॉफ के सदस्यों का नाम मुद्रित एक पत्रक होना चाहिए। इसके अतिरिक्त स्वागत दिनों (सत्र आरम्भ ) के लिए समय सारणी, वार्षिक आयोजनों के लिए कलेण्डर (वार्षिक) जिसमें सभी महत्त्वपूर्ण तिथियों जैसे- रजिस्ट्रेशन की अन्तिम तिथि, परीक्षा, अवकाश आदि की सूचना मुद्रित हो।
छात्रों की विवरणिका पुस्तक जिसमें प्रधानाचार्य या वाइस चांसलर द्वारा स्वागत पत्र, पाठ्यक्रम का संक्षिप्त विवरण डिग्री एवं प्रमाण पत्र के लिए आवश्यक शैक्षिक योग्यता तथा शैक्षिक सूचना जैसे- पाठ्यक्रम में अनिवार्य और वैकल्पिक पाठ्यक्रम के चयन के लिए किसके साथ सम्पर्क करना है आदि का मुद्रण होना चाहिए।
(2) अभिविन्यास दिवस (Orientation Day)- छात्रों को क्लब, सोसाइटी, सांस्कृतिक गतिविधियों, वित्तीय काउंसलिंग, एथेलिटिक टीम, स्वास्थ्य सेवाएँ, सम्माननीय संस्थाएँ, मनोरंजक सुविधाएँ, शौक क्लब, आवास आदि की जानकारी देने के लिए एक दिन निर्धारित किया जाता है, जिसे अभिविन्यास दिवस के रूप में जाना जाता है। इस दिन सभी विभागों के कर्मचारी / सदस्य छात्रों को अपना स्व-परिचय देते हैं। बड़े स्तर के कॉलेज एवं विश्वविद्यालयों में अभिविन्यास दिवस अलग-अलग विभाग (विज्ञान, कला, हिन्दी, वाणिज्य) द्वारा आयोजित किया जाता है। वहीं छोटे कॉलेज में सभी लोग एक साथ इस कार्यक्रम का आयोजन करते हैं।
(3) प्रांगण भ्रमण (Campus Tour)- इस गतिविधि के माध्यम से नए छात्रों को विद्यालय प्रांगण के भौतिक पहलुओं जैसे विभिन्न विभाग (कला ब्लॉक, विज्ञान ब्लॉक, गणित ब्लॉक), प्रशासन ब्लॉक, छात्र केन्द्र आदि की सूचना देने में सहयोगी है। भ्रमण के दौरान वरिष्ठ छात्र या विभाग के सदस्य छात्रों को विद्यालय कार्यालय द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं की जानकारी भी प्रदान करते हैं। प्रांगण भ्रमण के समय छात्रों को अपने विद्यालय मानचित्र भी रखना चाहिए जो उन्हें स्थिति को समझने में सहयोग करता है।
(4) प्रवेश द्वार पर स्वागत डेस्क (Welcome Desk at the Entrance)- नए सत्र के प्रारम्भ में एक सप्ताह के लिए वरिष्ठ छात्रों द्वारा विद्यालय के प्रवेश द्वारा पर एक स्वागत मेज निरन्तर रूप से होनी चाहिए। उन्हें नए छात्रों का अभिवादन “आपका विद्यालय में स्वागत है, हम आपकी कैसे सहायता कर सकते हैं?” इस प्रकार के शब्दों से करना चाहिए। इसके साथ ही उन्हें फोल्डर्स, हैंडबुक भी देने चाहिए तथा उन्हें यह अनुभूति करानी चाहिए कि वे एक समुदाय में सम्मिलित हुए हैं जो उनका स्वागत करता है।
(5) सामुदायिक चाय एवं खेल (Community Tea and Games)- इन सबकी व्यवस्था नए छात्रों को अपने डर एवं चिन्ताओं का निराकरण करने में सक्षम बनाने हेतु किया जा सकता है। चाय के साथ लघु नाटक या व्यंग, संकाय के लिए एक अनौपचारिक वातावरण तथा नए एवं पुराने छात्रों का परिचय देंगे। यदि विद्यालय के संसाधन इसकी आज्ञा नहीं देते तो चाय सहयोगात्मक रूप से प्रबन्धित की जा सकती है।
(6) सामाजिक संध्या कार्यक्रम (Social Evening Programmes)- सामाजिक संध्या कार्यक्रम में प्रमुख रूप से नाटक, प्रदर्शनी, फिल्म दिखाना, तथा अतिथि वक्ताओं द्वारा वार्ता करना आदि सम्मिलित है।
अभिविन्यास से किसी भी संस्थान में एक निरन्तर सेवा के रूप में होना चाहिए। प्रारम्भिक समय में ये कार्यक्रम छात्रों को कॉलेज की सुविधा से अवगत कराने के लिए आयोजित किया जाता था किन्तु बाद में इसको अध्ययन आदतों, पुस्तकालय उन्मुखता तथा नवीन नीतियों से सम्बन्धित सूचना एवं पब्लिक निर्देशन के डायरेक्टर, स्पोर्ट डायरेक्टर, युवा कल्याण सेवाओं आदि के द्वारा पारित सूचनाओं से परिचित कराने के लिए लिए संध्या कार्यक्रमों का आयोजन किया जाने लगा। विदेशी छात्रों को उन्मुख करने में इस कार्यक्रम की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। विदेशी छात्रों को देश के बारे में सामान्य जानकारी की आवश्यकता होती है जहाँ वे पढ़ने जा रहे हैं। इसके बाद उन्हें उस कॉलेज / विश्वविद्यालय के बारे में सूचना की आवश्यकता होती है जहाँ उन्हें पढ़ना है। अतः इन सब की सूचना उनको इस कार्यक्रम के द्वारा प्राप्त हो सकती है। इसके अतिरिक्त वे Studying in India and_toward understanding India पुस्तक जो सांस्कृतिक सम्बन्धों के लिए भारतीय काउंसिल द्वारा प्रकाशित की जाती है, से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
अभिविन्यास सेवा (Orientation Service)
अभिविन्यास सेवा- यह सेवा नए छात्रों के आंकलन एवं घर के अतिरिक्त नए वातावरण में परिवर्तित होने में सहायक होती है। विभिन्न तथ्यों पर बात करने से विद्यालय जीवन के समायोजन में सहायक होते हैं तथा विभिन्न कार्यक्रम एवं सेवाएँ निर्देशन केन्द्रों के माध्यम से प्रदान की जाती है तथा उन पर चर्चा भी की जाती है। पुराने छात्र भी छात्र असेम्बली, समूह निर्देशन एवं कक्षा सत्र के माध्यम से निर्देशन कार्यक्रम एवं सेवाओं के साथ पुनः अभिविन्यास कर सकते हैं। किसी भी विश्वविद्यालय या विद्यालय में अलग-अलग परिवेश और पृष्ठभूमि के लोग प्रवेश लेते हैं। अतः यहाँ जनसंख्या एक विषमांगी मिश्रण की तरह होता है जहाँ शहर, गाँव, सुसंगठित परिवार अमीर, गरीब, अधिकारी, किसान, साधारण स्कूल, कॉन्वेन्ट स्कूल के छात्र प्रवेश लेते हैं। अतः इन विद्यालयों में छात्रों की दक्षता को बढ़ाने के लिए उनमें नागरिकता, सामाजिक, व्यावसायिक उत्तरदायित्व की भावना, साहस एवं शिष्टता का विकास करने के पर्याप्त आयोजन होने चाहिए। इन सब का विकास अभिविन्यास सेवा के द्वारा किया जा सकता है।
अभिविन्यास सेवा की आवश्यकता एवं महत्त्व (Need and Importance of Orientation Service)
अभिविन्यास सेवा की आवश्यकता एव महत्त्व को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) अभिविन्यास सेवा शिक्षा के एक स्तर से दूसरे स्तर को जोड़ने के लिए अभिव्यक्ति पथ देती है, जैसे- कस्बे और गाँव को शहर से जोड़ने तथा वैयक्तिक जीवन को विद्यालयी समुदाय से जोड़ना
(2) नव आगन्तुक को प्रत्येक प्रकार की सूचना जैसे विश्वविद्यालय के नियमित कार्यक्रम दिशा-निर्देश, सुविधाएँ तथा कर्मचारी के बारे में सूचना देना
(3) छात्रों को विद्यालयी परिवेश मे समायोजन करने में सहयोग करना जिससे वे कम से कम गलतियों के साथ पूर्ण सन्तुष्टि से सफलता प्राप्त कर सकें।
(4) छात्रों को शैक्षिक सफलता में निम्न प्रकार से सहयोग करना
(i) दक्षता से अधिगम करना, परीक्षा एवं नोट्स बनाने के लिए पर्याप्त नियोजन करने में अभिविन्यास सेवा सहयोग करती है।
(ii) भौतिक सुविधाओं जैसे लाइब्रेरी, हॉस्टल, कक्षा-कक्ष, प्रयोगशाला, छात्र केन्द्र, खेल प्रांगण, स्वीमिंग पूल आदि की सूचना प्रदान करने में अभिविन्यास सेवा सहयोग करती है।
(iii) उपचारात्मक एवं पठन एवं भाषा कार्यक्रम के लिए अभिविन्यास सेवा सुविधाएँ प्रदान करती है।
(5) नए छात्रों का स्वागत विद्यालयी सदस्य के रूप में करना तथा उनको छात्रों के लिए विद्यालय में उपलब्ध सुविधाओं से उनको अवगत कराने में अभिविन्यास सेवा सहयोग करती है।
(6) विद्यालय / विश्वविद्यालय स्व-निर्देशित, बौद्धिक उन्मुख अनुभवों के बारे में नए छात्रों से बात-चीत करने में अभिविन्यास सेवा महत्त्वपूर्ण है।
(7) छात्रों को यह दिखाना कि विश्वविद्यालय जीवन में प्रक्रियात्मक और सामाजिक सुखद अनुभवों के साथ-साथ उच्च रूपवादी उपलब्धि मानक है जो उच्च वैयक्तिक गुणों को परिपूर्ण करते हैं जिनके द्वारा उच्च नैतिक मूल्यों तथा नैतिक मानकों को प्राप्त किया जा सकता है।
(8) विभाग तथा छात्र संघ की ओर नए छात्रों को परस्पर आधिगम प्रक्रिया का अवसर प्रदान करने में अभिविन्यास सेवा महत्त्वपूर्ण है। इसके माध्यम से प्रत्येक समूह एक दूसरे से अच्छी तरह परिचित हो जाते हैं तथा आगे की क्रियाओं में पूर्ण उत्साह एवं सहयोग की भावना से योगदान देते हैं।
अभिविन्यास सेवा के आधारभूत तथ्य ( Basic Elements of Orientation Service)
अभिविन्यास सेवा निम्नलिखित को सम्मिलित कर सकती हैं-
(1) मुद्रित सामग्री का मुद्दा (Issue of Printed Material)- मुद्रित सामग्री में प्रांगण मानचित्र तथा विभाग के हेड एवं स्टॉफ के सदस्यों का नाम मुद्रित एक पत्रक होना चाहिए। इसके अतिरिक्त स्वागत दिनों (सत्र आरम्भ ) के लिए समय सारणी, वार्षिक आयोजनों के लिए कलेण्डर (वार्षिक) जिसमें सभी महत्त्वपूर्ण तिथियों जैसे- रजिस्ट्रेशन की अन्तिम तिथि, परीक्षा, अवकाश आदि की सूचना मुद्रित हो।
छात्रों की विवरणिका पुस्तक जिसमें प्रधानाचार्य या वाइस चांसलर द्वारा स्वागत पत्र, पाठ्यक्रम का संक्षिप्त विवरण डिग्री एवं प्रमाण पत्र के लिए आवश्यक शैक्षिक योग्यता तथा शैक्षिक सूचना जैसे- पाठ्यक्रम में अनिवार्य और वैकल्पिक पाठ्यक्रम के चयन के लिए किसके साथ सम्पर्क करना है आदि का मुद्रण होना चाहिए।
(2) अभिविन्यास दिवस (Orientation Day)- छात्रों को क्लब, सोसाइटी, सांस्कृतिक गतिविधियों, वित्तीय काउंसलिंग, एथेलिटिक टीम, स्वास्थ्य सेवाएँ, सम्माननीय संस्थाएँ, मनोरंजक सुविधाएँ, शौक क्लब, आवास आदि की जानकारी देने के लिए एक दिन निर्धारित किया जाता है, जिसे अभिविन्यास दिवस के रूप में जाना जाता है। इस दिन सभी विभागों के कर्मचारी / सदस्य छात्रों को अपना स्व-परिचय देते हैं। बड़े स्तर के कॉलेज एवं विश्वविद्यालयों में अभिविन्यास दिवस अलग-अलग विभाग (विज्ञान, कला, हिन्दी, वाणिज्य) द्वारा आयोजित किया जाता है। वहीं छोटे कॉलेज में सभी लोग एक साथ इस कार्यक्रम का आयोजन करते हैं।
(3) प्रांगण भ्रमण (Campus Tour)- इस गतिविधि के माध्यम से नए छात्रों को विद्यालय प्रांगण के भौतिक पहलुओं जैसे विभिन्न विभाग (कला ब्लॉक, विज्ञान ब्लॉक, गणित ब्लॉक), प्रशासन ब्लॉक, छात्र केन्द्र आदि की सूचना देने में सहयोगी है। भ्रमण के दौरान वरिष्ठ छात्र या विभाग के सदस्य छात्रों को विद्यालय कार्यालय द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं की जानकारी भी प्रदान करते हैं। प्रांगण भ्रमण के समय छात्रों को अपने विद्यालय मानचित्र भी रखना चाहिए जो उन्हें स्थिति को समझने में सहयोग करता है।
(4) प्रवेश द्वार पर स्वागत डेस्क (Welcome Desk at the Entrance)- नए सत्र के प्रारम्भ में एक सप्ताह के लिए वरिष्ठ छात्रों द्वारा विद्यालय के प्रवेश द्वारा पर एक स्वागत मेज निरन्तर रूप से होनी चाहिए। उन्हें नए छात्रों का अभिवादन “आपका विद्यालय में स्वागत है, हम आपकी कैसे सहायता कर सकते हैं?” इस प्रकार के शब्दों से करना चाहिए। इसके साथ ही उन्हें फोल्डर्स, हैंडबुक भी देने चाहिए तथा उन्हें यह अनुभूति करानी चाहिए कि वे एक समुदाय में सम्मिलित हुए हैं जो उनका स्वागत करता है।
(5) सामुदायिक चाय एवं खेल (Community Tea and Games)- इन सबकी व्यवस्था नए छात्रों को अपने डर एवं चिन्ताओं का निराकरण करने में सक्षम बनाने हेतु किया जा सकता है। चाय के साथ लघु नाटक या व्यंग, संकाय के लिए एक अनौपचारिक वातावरण तथा नए एवं पुराने छात्रों का परिचय देंगे। यदि विद्यालय के संसाधन इसकी आज्ञा नहीं देते तो चाय सहयोगात्मक रूप से प्रबन्धित की जा सकती है।
(6) सामाजिक संध्या कार्यक्रम (Social Evening Programmes)- सामाजिक संध्या कार्यक्रम में प्रमुख रूप से नाटक, प्रदर्शनी, फिल्म दिखाना, तथा अतिथि वक्ताओं द्वारा वार्ता करना आदि सम्मिलित है।
अभिविन्यास से किसी भी संस्थान में एक निरन्तर सेवा के रूप में होना चाहिए। प्रारम्भिक समय में ये कार्यक्रम छात्रों को कॉलेज की सुविधा से अवगत कराने के लिए आयोजित किया जाता था किन्तु बाद में इसको अध्ययन आदतों, पुस्तकालय उन्मुखता तथा नवीन नीतियों से सम्बन्धित सूचना एवं पब्लिक निर्देशन के डायरेक्टर, स्पोर्ट डायरेक्टर, युवा कल्याण सेवाओं आदि के द्वारा पारित सूचनाओं से परिचित कराने के लिए लिए संध्या कार्यक्रमों का आयोजन किया जाने लगा। विदेशी छात्रों को उन्मुख करने में इस कार्यक्रम की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। विदेशी छात्रों को देश के बारे में सामान्य जानकारी की आवश्यकता होती है जहाँ वे पढ़ने जा रहे हैं। इसके बाद उन्हें उस कॉलेज / विश्वविद्यालय के बारे में सूचना की आवश्यकता होती है जहाँ उन्हें पढ़ना है। अतः इन सब की सूचना उनको इस कार्यक्रम के द्वारा प्राप्त हो सकती है। इसके अतिरिक्त वे Studying in India and_toward understanding India पुस्तक जो सांस्कृतिक सम्बन्धों के लिए भारतीय काउंसिल द्वारा प्रकाशित की जाती है, से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
उपचारात्मक सेवा (Remedial Service)
इस तथ्य में कोई सन्देह नहीं है कि अनेक सक्षम बालकों की क्रिया-पद्धति में बोलने, सुनने, पठन एवं अध्ययन आदतें आदि गम्भीर रूप से बाधा डाल सकती है तथा उनकी प्राप्त योग्यताओं को प्रतिबन्धित करती हैं जिसका उचित व्यक्तित्व के निर्माण में महत्त्वपूर्ण योगदान हो सकता है। उपचारात्मक सहायता का प्रबन्धन इन क्षेत्रों या इन जैसे अन्य क्षेत्रों, कालेजों या विश्वविद्यालयों में बनाए जाने की आवश्यकता है। लगभग समस्त छात्रों अध्ययन कौशल में कुछ प्रशिक्षण से लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
यह प्रयास उनकी पहचान के लिए किए जाने चाहिए जो पठन कौशल एवं मौखिक भाषण क्षमता औसत से कम है। विशिष्ट प्रबन्धन उन्हें इन बाधाओं को दूर करने में सक्षम बना सकता है। टेप रिकार्डर की सहायता से कम कीमत पर वाणी अभिव्यक्ति का प्रबन्धन किया जा सकता है। यह सहायता पूर्व विश्वविद्यालय या टी डी सी छात्रों द्वारा विशेष रूप से आवश्यक होती है। जो प्रथम बार के लिए अंग्रेजी के व्याख्यानों का निराकरण करते हैं। ठीक इसी प्रकार यह सेवा आगे के अध्ययन के लिए विदेश जाने वाले छात्रों हेतु महत्त्वपूर्ण भूमिका रखते हैं।
एक उपचारात्मक सेवा छात्र में अधिगम कौशल या समस्या क्षेत्र में सुधार करती है। उपचारात्मक सेवा छात्रों का वैयक्तिक रूप से शिक्षण प्रदान करते हैं जो विशिष्ट विषय क्षेत्रों में कठिनाई अनुभव करते हैं । उपचारात्मक सेवा व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से प्रदान की जाती है जिसका लक्ष्य वे कमजोरियाँ होती हैं जो अधिगम में छिपी हो सकती हैं।
उपचारात्मक सेवा के लाभ (Advantages of Remedial Service)
उपचारात्मक सेवा के निम्नलिखित लाभ हैं-
(1) मूल कौशल अधिगम (Learning Basic Skills)- निर्देशन एवं परामर्श में छात्रों को मूल कौशलों को सीखने में उपचारात्मक सेवा विशेष लाभदायक है। वे कक्षा में विभिन्न उपकरणों की सहायता से छात्रों को शिक्षा के उच्च स्तर के लिए आधारभूत कौशल प्रदान करते हैं।
(2) पुनर्बलन (Reinforcement)- निर्देशन सेवाओं में उपचारात्मक सेवा के माध्यम से छात्रों को पुनर्बलन प्रदान किया जाता है। प्रायः वे छात्र जो विद्यालय से अधिक समय तक दूर रहने के कारण अपने कौशलों को भूल जाते हैं उन्हें उपचारात्मक शिक्षण द्वारा पुनर्बलन प्रदान किया जाता है। इसके लिए फ्लैशकार्ड, गेम, या मनोरंजन क्रियाएँ प्रयोग की जाती हैं।
(3) सम्प्रेषण कौशल (Communication Skills)- वे छात्र जो वाणी अक्षमता से ग्रसित हैं उन्हें कक्षा में सम्प्रेषण करने में कठिनाई होती है। वाणी विकलांगता विकासात्मक होती है तथा पठन शिक्षण को प्रभावित करता है उपचारात्मक शिक्षण द्वारा विभिन्न फोनिक एवं ध्वनि क्रियाओं द्वारा छात्रों को सम्प्रेषण समस्या तथा वाणी सम्बन्धित समस्याओं के समाधान में सहायक होता है।
(4) व्यवहार एवं प्रेरणा (Behaviour and Motivation)- वे बालक जो अक्षमता के कारण कार्य करने में असमर्थ होते हैं उनमें आक्रामकता के कारण व्यावहारिक समस्याएँ होती हैं। इसके कारण उनमें प्रेरणा की कमी हो जाती है कुल मिलाकर वे अपनी इच्छाएँ त्याग देते हैं। अतः उपचारात्मक सेवा के द्वारा छात्र विभिन्न विषयों का सामान्य ज्ञान प्राप्त कर सकता है जो उन्हें अपर्याप्तता की भावना कम करके व्यवहार एवं प्रेरणा प्रदान करने में लाभदायक होता है।
सूचना सेवा (Information Service)
यह सेवा आमतौर पर कुछ नियमित प्रकार की जानकारी प्रदान करती है। यह सेवा वैध/मान्य सूचना प्रदान करता है जो शैक्षिक, सामाजिक, व्यक्तिगत तथा व्यावसायिक प्रकृति की होती है। इन सूचनाओं के माध्यम से छात्र निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है। इसे समूह परामर्श के द्वारा कार्यान्वित किया जाता है तथा सूचना सामग्री बुलेटिन बोर्ड द्वारा छात्रों को उपलब्ध करायी जाती है। निर्देशन सेवाओं के कार्यक्रम में छात्रों के लिए उपलब्ध जानकारी का वर्गीकरण किया गया है जो निम्नलिखित है-
(1) शैक्षिक जानकारी/सूचना (Educational Information)- यह एक मान्य तथा प्रयोग करने के लिए उपयुक्त सूचना है जो वर्तमान तथा भविष्य के शैक्षिक प्रशिक्षण अवसर तथा सहगामी आवश्यकता व छात्रों की समस्याओं से सम्बन्धित होती है। शैक्षिक सूचना के माध्यम से छात्रों को पाठ्यचर्या को समझने में सरलता होती है।
(2) सामाजिक सूचना (Social Information)- यह अवसर तथा मानव के प्रभाव की एक मान्य/ वैध सूचना है जो छात्रों को स्वयं के बारे में समझने तथा अपने सम्बन्धों को सुधारने में सहयोग करती है।
(3) व्यावसायिक सूचना / जानकारी (Occupational Information)- इसमें नौकरी तथा व्यवसाय की सूचना होती है जिसमें आवेदन योग्यता, मानदेय, कार्य प्रणाली, प्रमोशन, स्रोत की जानकारी सम्मिलित होती है।
सूचना सेवाओं के प्रकार (Types of Information Services)
सूचना सेवाओं के निम्नलिखित प्रकार हैं-
(1) शैक्षिक निर्देशन में सूचना सेवा
(i) शिक्षण अवधि से सम्बन्धित सूचनाएँ।
(ii) शिक्षण संस्थाओं से सम्बन्धित सूचनाएँ।
(iii) विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु निर्धारित शैक्षिक अर्हता सम्बन्धी सूचना
(iv) शिक्षण पद्धतियों, नियुक्त अध्यापकों तथा विभिन्न पाठ्यक्रमों में सफलता सूचक प्राप्तांकों के स्तरों के बारे में सूचना।
(2) व्यावसायिक निर्देशन हेतु सूचना सेवा
(i) किसी व्यवसाय के अन्तर्गत कार्यरत कर्मचारियों, वेतनमान तथा प्रोन्नति सम्बन्धी सूचना।
(ii) कार्यस्थल सम्बन्धित सूचना।
(iii) आवश्यक शैक्षणिक एवं शारीरिक योग्यता की सूचना।
(iv) व्यवसाय के सकारात्मक तथा नकारात्मक पहलुओं की जानकारी ।
सूचना-सेवा कार्य विधि एवं कार्यप्रणाली (Information Service Mode of Operation and Methodology)
सूचना सेवा वैज्ञानिक तथा वस्तुनिष्ठ पद्धति पर कार्य करती है। इस सेवा का प्रमुख कार्य सही, संगत तथा विश्वसनीय सूचनाओं को एकत्र करना तथा उनका वर्गीकरण करना।
सूचना सेवा के सोपान निम्नलिखित हैं-
(1) सूचना का संकलन (Collection of Information)
(2) सूचना प्रदर्शन (Display of Information)
(3) सूचना हस्तांतरण एवं मूल्यांकन (Transfer and Evaluation of Information)
(1) सूचना का संकलन- इसके अन्तर्गत शैक्षिक व्यवसायिक निर्देशन सम्बन्धित सूचनाओं को एकत्र करके उनको वर्गीकृत किया जाता है।
(2) सूचना प्रदर्शन- इस सोपान में एकत्रित सूचनाओं को कम्प्यूटर वीडियो, पुस्तकालय, वाचनालय, नोटिस बोर्ड आदि के माध्यम से प्रेषित किया जाता है।
(3) सूचना हस्तांतरण एवं मूल्यांकन- इसमें सूचनाओं का छात्रों तथा निर्देशन प्रदाता को संप्रेषित किया जाता है तथा सूचनाओं का मूल्यांकन करने के लिए गोष्ठियों का आयोजन किया जाता है।
सूचना सेवाओं का महत्त्व (Importance of Information Service)
निर्देशन की प्रक्रिया में सूचनाओं का महत्त्व अधिक होता है चूँकि व्यक्ति के लिए किसी भी प्रकार के निर्देशन में उससे सम्बन्धित सूचना आवश्यक होती है। इन सूचनाओं के महत्त्व को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है-
(1) ‘सूचना-सेवा’ वैध एवं विश्वसनीय सूचनाएँ प्रदान करती है।
(2) इस सेवा के माध्यम से उपयुक्त तथा सटीक जानकारी प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
(3) सूचनाओं का संप्रेषण कम लागत पर किया जा सकता है।
(4) इन सूचनाओं के आधार पर व्यक्ति उचित निर्णय लेने के लिए सक्षम बनता है।
(5) सूचना – सेवा के द्वारा व्यक्ति में अवसरों को जानने एवं समझने के लिए संवेदनशीलता का विकास किया जा सकता है।
नियुक्ति सेवा (Placement Service)
ये सेवाएँ स्नातक स्तर पर दी जाती हैं। जो छात्र अच्छे रोजगार तथा उसके लाभ से कम परिचित होते हैं उनको ये सेवाएँ अर्थात् जानकारी प्रदान करती है। विद्यालय तथा नौकरी में आने वाली परिस्थिति में कुशल समायोजन करने में ये सेवाएँ महत्त्वपूर्ण होती हैं। नियुक्ति सेवा परामर्श प्रणाली का एक अभिन्न भाग है। प्रत्येक छात्र को उसकी रुचि के अनुसार शिक्षा देनी चाहिए जिससे वे व्यवसायिक नियुक्ति अवसरों का लाभ उठा सकें। नियुक्ति दो प्रकार की होती है- विद्यालय में शैक्षिक नियुक्ति तथा व्यवसायिक नियुक्ति। ये सेवाएँ स्नातक तथा स्नाकोत्तर के स्तर पर रोजगार के अवसर तथा उनसे सम्बन्धित सिफारिशें भी सम्मिलित होती हैं। यह सेवा विद्यार्थियों को रोजगार प्राप्त करने में सहायता करती है।
ओबेराय के अनुसार, “निर्देशन के क्षेत्र में किसी व्यक्ति को आगे प्रशिक्षण में किसी व्यावसायिक परिस्थिति में या अध्ययन के किसी अलग पाठ्यक्रम में अगला कदम उठाने के लिए सहायता प्रदान करने की ओर संकेत करता है। “
एन्ड्रयू एवं विली के अनुसार, “नियुक्ति सेवा से तात्पर्य है, वे सभी क्रियाएँ, जो विद्यार्थी को उसके प्रशिक्षण, सम्पूर्ण या आंशिक रूप से अपनाए व्यवसाय या अतिरिक्त शैक्षिक प्रशिक्षण को चुनने में तथा इसके पश्चात उपयुक्त समायोजन के लिए सहायतार्थ की जाती है।”
According to Andrew and Willey, “Placement refers to all of the activities performed in assisting the student to make an adequate adjustment to the next step in his training whether that he is taking a full or part time job or making a choice of additional educational training.”
फ्रोलिक के अनुसार, “नियुक्ति सेवा का सम्बन्ध विद्यार्थियों को अगला कदम उठाने में सहायता करने से है, चाहे वह कुछ भी हो। इस प्रकार की नियुक्ति सेवा विद्यार्थी को व्यवसाय प्राप्त करने में सहायता करती है, यह पाठ्यक्रम क्रियाओं में विद्यार्थियों को उनका सही स्थान ढूँढने में सहायता करती है।”
According to Frochlich, “Placement is concerned with helping pupils to take the next step, whatever it may be. Such a placement service assists pupils in finding jobs, it also helps them find their place in appropriate extra-curricular activities.”
नियुक्ति सेवा छात्र की योग्यता एवं व्यक्तित्व सम्बन्धी गुणों के अनुसार उचित स्थान पर नियुक्ति कराई जाए जिससे वह सफलतापूर्वक समायोजित हो सके। बिली के मतानुसार, नियुक्ति सेवा उन सभी क्रियाओं की ओर संकेत है जो छात्र के किसी जीविका में या शैक्षिक प्रशिक्षण में प्रवेश के समय सहायतार्थ रूप में दी जाती है जिससे वह इनमें पर्याप्त समायोजन कर सके। नियुक्ति सेवा के अन्तर्गत निम्नलिखत बातें आती हैं-
(1) नौकरियों, छात्रवृत्तियों, प्रतियोगिताओं, कॉलेज प्रवेश की विधियों आदि से सम्बन्धित जानकारी का संकलन, संगठन तथा अनुसरण छात्रों द्वारा कराना।
(2) छात्रों को व्यक्तिगत रूप से जानकारी प्रदान करना।
(3) छात्रों को अपने चयन की नौकरी या शैक्षिक कार्यक्रम में सुविधा देने वाली अन्य विधियों की जानकारी।
नियुक्ति सेवा छात्रों को निम्नलिखित प्रकार से सहायता प्रदान करती है-
(i) विषय तथा पाठ्यक्रम के चयन में सहायता प्रदान करती है। पाठ्य सहगामी क्रियाओं के चयन में सहायता एक कक्षा से दूसरी कक्षा में प्रवेश लेने में सहायता।
(ii) विद्यालय छोड़ने के पश्चात् स्कूल, महाविद्यालय या व्यावसायिक शिक्षा संस्था में प्रवेश लेने में सहायक ।
(iii) शिक्षा तथा प्रशिक्षण लेने के बाद स्थाई नौकरी प्राप्त करने में सहायता।
(iv) छुट्टियों में पूर्णकालिक अथवा अंशकालिक नौकरी प्राप्त करने में सहायता।
(v) ऐसे समूहों का निर्माण करना जो कौशल अथवा ज्ञान अर्जित करने में सहायक हों। संक्षेप में कहा जा सकता है कि यह सेवा सामान्य, प्रतिभाशाली, संवेगात्मक दृष्टि से विचलित, मानसिक दृष्टि से पिछड़े हुए छात्रों के लिए विद्यालय तथा व्यवसाय में अपना उचित स्थान प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होती है।
नियुक्ति सेवा के प्रकार (Types of Placement Services)
नियुक्ति सेवा निम्नलिखित दो प्रकार की होती है-
(1) व्यावसायिक नियोग (Vocational Placement) – किसी छात्र को व्यवसाय जगत में उचित स्थान दिलाने में सहायता प्रदान करने की प्रक्रिया को व्यावसायिक नियोग कहते हैं। छात्र की रुचि, कुशलता, शैक्षिक योग्यता एवं अन्य योग्यताओं के अनुसार ही जीविका में प्रवेश दिलाने का प्रयास किया जाता है। इस प्रकार की सेवा में किसी व्यक्ति को उसकी योग्यता क्षमता के अनुरूप किसी व्यवसाय में प्रवेश लेने के लिए आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराती है।
(2) शैक्षिक नियोग (Educational Placement) – छात्र के एक शैक्षिक अनुभव से अन्य शैक्षिक अनुभव में संतोषजनक विकास करने के लिए सहायता करने की प्रक्रिया को शैक्षिक नियोग कहते हैं। किसी शैक्षिक संस्थान में प्रवेश तथा वहाँ आवश्यक समायोजन करने में शैक्षिक नियोजन की भूमिका महत्त्वपूर्ण है।
नियुक्ति सेवा के उद्देश्य (Objectives of Placement Service)
नियुक्ति सेवा के उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
(1) कक्षा के अतिरिक्त अन्य गतिविधियों में भाग लेने के लिए नियोजन सेवाएँ प्रोत्साहन प्रदान करती हैं।
(2) पूर्ण कालिक एवं अंशकालिक व्यवसाय प्राप्त करने में सहायता प्रदान करती है।
(3) पसंद की संस्था में नाम रजिस्टर कराने में सहायता करती है। 4) नौकरी के लिए आवश्यक तैयारी तथा प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सहायता प्रदान करता है।
नियुक्ति सेवा के कार्य (Functions of Placement Service)
नियुक्ति सेवा के कार्य निम्नलिखित हैं-
(1) विद्यालय में अपव्यय की समस्या का पता लगाना तथा उसका निदान करना।
(2) जो छात्र विद्यालयी शिक्षा को पूर्ण करके नौकरी की तैयारी करते हैं उनको परामर्श देना।
(3) व्यवसायिक सूचनाएँ प्रदान करना।
अनुवर्ती सेवा (Follow-up Service)
अनुवर्ती सेवा का गठन छात्रों को विद्यालय, व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम या जीविका में उत्तम समायोजन कार्यक्रम में सहायता प्रदान करने के लिए आवश्यक सूचनाएँ प्रदान करने की दृष्टि से किया जाता है। नियुक्ति सेवा के मूल्यांकन में अनुगामी सेवा महत्त्वपूर्ण योगदान देती है। अनुवर्ती सेवा को निर्देशन कार्यक्रम जो मिलाना चाहिए वह भली-भाँति नहीं मिल रहा है।
रोयबर, स्मिथ तथा एरिक्सन के अनुसार, “अनुवर्तन सेवा समिति का सम्बन्ध विद्यार्थियों के साथ स्कूल में तथा स्कूल छोड़ने के पश्चात घटित होने वाली घटनाओं के साथ होता है। यह अनुवर्तन सेवा समिति विद्यार्थियों के सम्पूर्ण या उनके शैक्षिक कार्यक्रम के किसी भाग की उन्नति में रुचि रखती है।”
According to Roeber, Smith and Erickson, “The follow-up service committee is concerned with what happens to pupils while in school or after they have left school. It is interested in their progress in relation to total or any part of the educational part.”
डाउनिंग के अनुसार, “अनुवर्तन प्रक्रिया नौजवानों को उनके स्कूल में तथा व्यवसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम या में उत्तम समायोजन के लिए उसकी सहायता के लिए सूचनाएँ प्रदान करने के लिए तैयार किए गए निर्देशन कार्यक्रम का मूलभूत तत्त्व है।”
According to Downing, “The follow-up service is a basic element of the guidance program designed to provide information needed to assist youngsters in making a better adjustment to school, a vocational training programme or a job.”
मायर्स ने अपने लेख में अनुवर्ती क्रिया को ‘निर्देशित परिवार का सौतेला पुत्र कहा है।”
डाउनिंग ने अनुवर्ती सेवा को परिभाषित करते हुए कहा है- “अनुवर्ती सेवा निर्देशन
कार्यक्रम का मूल तत्त्व है और उसका उद्देश्य छात्रों के व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रोग्राम या नौकरी में उत्तम समायोजन प्राप्त करने में सहायता करना है।”
अनुवर्ती सेवाएँ स्नातकों, स्कूल शिक्षार्थियों तथा परामर्श प्राप्त छात्रों पर केन्द्रित हैं। ये सेवाएँ निर्देशन कार्यक्रम तथा शैक्षिक कार्यक्रम का सामान्य तौर पर प्रभावशीलता तथा पर्याप्तता का अनुमान लगाती है। अनुवर्ती सेवाएँ टेलीफोन, पत्राचार, व्यक्तिगत साक्षात्कार तथा प्रश्नावली के माध्यम से दी जाती है। इसके अतिरिक्त विद्यालय प्रमुख, पूर्व छात्र के कांउसलर द्वारा भी अनुवर्ती सेवाएँ प्रदान की जाती हैं। अनुवर्ती सेवाएँ पूर्व छात्रों की सूचनाओं को सुरक्षित रखती है तथा आने वाले छात्रों को इन्हीं सूचनाओं के आधार पर सेवाएँ प्रदान करते हैं। विद्यालय में सेवाएँ छात्रों के समायोजन में सहयोग करती है। छात्र अपने पूर्व छात्र के अनुभव तथा जानकारी का अनुपालन करते हैं। जैसे पाठ्यचर्या को समझने या किसी विषय को समझने के लिए छात्र प्रायः अपने पूर्ववर्ती छात्रों के तरीके को अपना लेते हैं या सीनियर छात्र से सलाह लेते हैं। अतः अनुवर्ती सेवाएँ एक क्रमबद्ध प्रक्रिया होती हैं।
अनुवर्ती सेवा के प्रकार (Types of Follow-up Services)
अनुवर्ती सेवा के प्रकार वैयक्तिक विभिन्नता के आधार पर निम्नलिखित हो सकते हैं-
(1) शिक्षा पूर्ण करने से पूर्व विद्यालय छोड़ने वाले छात्रों की अनुवर्ती सेवाएँ – विद्यालयों में अपव्यय की समस्या गंभीर हो गई है अतः अनुवर्ती सेवाओं का उपयोग अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हो गया है। परामर्शदाताओं द्वारा इन छात्रों व उनके अभिभावकों से सम्पर्क कर उन कारणों का पता लगाना चाहिए जिसके कारण वे अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर रहे हैं।
(2) शिक्षा पूर्ण करके विद्यालय छोड़ने वाले विद्यार्थी- हम्फ्रीज तथा ट्रेक्सलर ने भूतपूर्व छात्रों को अनुवर्ती सेवा प्रदान करने का निम्नलिखित महत्त्व बताया है-
(i) भूतपूर्व छात्रों की उपलब्धियों एवं उनकी स्थिति की समीक्षा करने से प्रशिक्षण और उसके उपयोग के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
(ii) भूतपूर्व छात्रों से प्राप्त सूचनाओं से विद्यालय की शिक्षा एवं प्रशिक्षण के बारे पता लगया जा सकता है।
(3) विद्यालय में अध्ययन कर रहे छात्रों के लिए अनुवर्ती सेवा परामर्शदाता के द्वारा तैयार की गई योजना पर छात्रों ने कितना अमल किया है, उनका वर्तमान में समायोजन किस प्रकार का है आदि प्रश्नों के उत्तर इन अनुवर्ती सेवाओं द्वारा प्राप्त होता है।
अनुवर्तन सेवा की विधियाँ (Techniques of Follow-up Services)
अनुवर्तन सेवा की निम्नलिखित विधियाँ हैं-
(1) प्रश्नावली ( Questionnaire) – एक साथ कई छात्रों को सेवा प्रदान करने के लिए प्रश्नावली विधि का प्रयोग किया जाता है। इसको बनाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि प्रश्नावली संक्षिप्त हो और उसमें अधिक लिखने की आवश्यकता न पड़े। प्रश्न क्लिष्ट नहीं होने चाहिए तथा प्रश्नावली छोटी होनी चाहिए।
(2) चेक लिस्ट (Check List)- इस विधि में कथन अथवा प्रश्नों के सामने सम्भावित हल दिए गए होते हैं और पुराने प्रार्थी अथवा छात्र उन पर चिन्ह लगाते हैं। सामान्यतया चेक लिस्ट भरने में सुविधा जनक होती है।
(3) साक्षात्कार (Interview)- अनुवर्ती सूचनाओं को प्राप्त करने की एक महत्त्वपूर्ण विधि साक्षात्कार है। यह विधि सामूहिक अथवा व्यक्तिगत तौर पर प्रयोग की जा सकती है तथा इसके आधार पर पाठ्यक्रम में सुधार किया जाता है।
(4) पत्र-व्यवहार (Correspondence)- जब किसी छात्र से निजी तौर पर बातचीत नहीं हो पाती या छात्र केवल लिखित रूप में ही प्रतिक्रिया अभिव्यक्त करता है तो ऐसी स्थिति में पत्र-व्यवहार विधि का प्रयोग किया जाता है।
(5) सर्वेक्षण – सर्वेक्षण विधि के अन्तर्गत निम्न कार्य किए जाते हैं-
(i) उन विद्यार्थियों का सर्वेक्षण करना जो अभी विद्यालय में हैं।
(ii) स्कूल को छोड़ने वाले विद्यार्थियों का सर्वेक्षण।
यह सर्वेक्षण दो प्रकार के समूहों का होता है-
(a) स्कूल छोड़ने वाले छात्रों का सर्वेक्षण करना ।
b) उन छात्रों का सर्वेक्षण जो स्कूल की पूर्ण शिक्षा समाप्त करके जाते हैं।
(iii) विद्यार्थियों के साथ समूह सम्मेलन का सर्वेक्षण करना।
(iv) अध्यापक वर्ग के लिए सम्मेलन का सर्वेक्षण करना।
(v) कार्यशालाओं का सर्वेक्षण करना।
अनुवर्ती सेवा का उद्देश्य (Purpose of Follow-up Service)
अनुवर्ती सेवा के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
(1) विभिन्न पाठ्य सहगामी क्रियाओं, कक्षाओं तथा पाठ्य विषयों में छात्रों की प्रगति स्तर निश्चित करना।
(2) व्यक्ति ने जिस जीविका का चयन किया है वह उसमें संतुष्ट है अथवा नहीं।
(3) अग्रिम शिक्षा / प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले प्रार्थियों को प्रगति का पता लगाना एवं असंतोषजनक होने पर उन्हें सहायता देना।
(4) अनुवर्ती आँकड़ों के आधार पर निर्देशन कार्यक्रम की त्रुटियों को ज्ञात करना।
(5) जीविका में प्रवेश करने वाले प्रार्थियों के जीविका स्तर एवं प्रगति को निश्चित करना।
(6) सूचनाएँ प्राप्त करना जिनका उपयोग ऐसे छात्रों की सहायता करने में किया जा सकता है जो भविष्य के बारे में योजना का निर्माण करते हैं।
(7) प्रार्थियों को उनके व्यावसायिक लक्ष्यों के संभावित परिवर्तन और सुधार के लिए सुझाव देना ।
अनुवर्ती सेवा का महत्त्व (Importance of Follow-up Service)
अनुवर्ती सेवा का महत्त्व निम्नलिखित प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) निर्देशन कार्यक्रम में सुधार हेतु अनुवर्ती सेवाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
(2) अध्यापकों को उपयोगी सूचना देने के लिए अनुवर्ती सेवाएँ सहायक होती है।
(3) नियोजन सेवा के मूल्यांकन के माध्यम से नियोजन कार्य में सुधार लाया जा सकता है।
(4) अनुवर्तन सेवा द्वारा विद्यार्थियों के अधूरी शिक्षा छोड़ जाने पर कारणों का पता लगाया जा सकता है और उनके विकास में बाधक तत्त्वों को दूर किया जा सकता है।
(5) विद्यार्थियों के लिए भावी अवसरों की जानकारी होने से शैक्षिक पाठ्यक्रमों में वांछनीय परिवर्तन किया जा सकता है।
(6) अनुवर्ती सेवा के माध्यम से व्यक्ति विद्यार्थी के शैक्षिक व्यवसायिक एवं व्यक्तिगत समायोजन के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
(7) पूर्व विद्यार्थियों से सम्पर्क के द्वारा उनसे सूचनाएँ प्राप्त की जा सकती हैं अथवा उनको सूचनाएँ प्रदान की जा सकती हैं।
(8) अनुवर्ती सेवाओं के माध्यम से सामाजिक सम्बन्धों में सुधार किया जा सकता है।
(9) अनुवर्ती सेवाओं के द्वारा छात्रों की अभिप्रेरणा में वृद्धि किया जा सकता है।
(10) विद्यालयी कार्यक्रम में सुझाए गए परिवर्तनों की सत्यता को प्रमाणित करने में अनुवर्ती सेवाएँ सहयोग करती हैं।
व्यक्तिगत सेवा (Individual Inventory Service)
यह सेवा छात्रों, शिक्षकों तथा काउंसलर के लिए सूचना एकत्र करती है जो छात्रों को स्वयं को समझने तथा शिक्षक काउंसलर, प्रबन्धक व माता-पिता को छात्रों को समझने में सहयोग करती है। यह सूचना परीक्षण तथा गैर-परीक्षण तकनीकों के माध्यम से एकत्र की जाती है। परीक्षण तकनीक में अलग-अलग परीक्षण सम्मिलित होते हैं जैसे मानसिक योग्यता, शैक्षिक योग्यता, उपलब्धि, व्यक्तित्व परीक्षण आदि। गैर परीक्षण तकनीक में इन्वेन्टरी फार्म, साक्षात्कार, चेक लिस्ट तथा रेटिंग स्केल सम्मिलित होती है। उस सूचना को निम्न प्रकार से प्रदर्शित किया जा सकता है।
शैक्षिक एवं व्यावसायिक निर्देशन कार्यक्रम में आत्मविश्लेषण सेवा का प्रमुख उद्देश्य छात्र की इस प्रकार सहायता करना है जिससे वह अपनी शारीरिक एवं मानसिक क्षमताओं तथा व्यक्तिगत विशेषताओं का परिचय प्राप्त कर सके। इस सेवा की सहायता से छात्र अपनी सामर्थ्य तथा शक्तियों का ज्ञान ही नहीं प्राप्त करता बल्कि वह अपनी सीमाओं, दुर्बलताओं, कमियों तथा बाधाओं का भी बोध प्राप्त करता है। आत्म विश्लेषण के द्वारा छात्र अपने जन्मजात तथा अर्जित गुणों का ज्ञान प्राप्त करता है।
आत्म-विश्लेषण सेवा का कार्य केवल कुछ व्यवसायों से सम्बन्धित अनुभव प्रदान करना ही नहीं है बल्कि इसका प्रमुख कार्य अपनी योग्यताओं कमियों, क्षमताओं, दुर्बलताओं, रुचियों, सम्मानों एवं व्यक्तिगत गुणों का ज्ञान कराने में सहायता देना भी है अर्थात् अपने आप को पहचानो, इस सेवा का प्रमुख कार्य है।
वैयक्तिक अनुसूची सेवाओं के प्रकार (Types of Individual Inventory Services)
वैयक्तिक अनुसूची सेवाओं के प्रकार निम्नलिखित हैं-
(1) सामग्री की पहचान- इस प्रकार की सेवा में व्यक्ति की व्यक्तिगत सूचनाओं को बताया जाता है, जैसे नाम, जन्म-स्थान, पता आदि ।
(2) स्वास्थ्य और शारीरिक विकास- इस प्रकार में शारीरिक मापदण्ड से सम्बन्धित प्रश्नों की सूची बनायी जाती है, जैसे- बच्चों की लम्बाई, वजन, क्षमता आदि।
(3) सामाजिक वर्णन- इसके अर्न्तगत समाज, पास-पड़ोस तथा परिवार से सम्बन्धित प्रश्नों की सूची तैयार की जाती है।
(4) उपलब्धियाँ – इस प्रकार के अन्तर्गत छात्रवृत्ति कक्षा तथा स्कूल के बाहर की उपलब्धियाँ सम्मिलित की जाती है।
(5) रुचियाँ – इस प्रकार की अनुसूची में विद्यार्थी अथवा व्यक्ति के पसंद एवं नापसंद से सम्बन्धित सूचनाएँ शामिल की जाती हैं।
(6) व्यक्तिगत और सामाजिक समायोजन- इसके अन्तर्गत व्यक्ति के विकास से सम्बन्धित सूचना / अनुसूची बनायी जाती है।
(7) शैक्षिक और व्यवसायिक शिक्षा एवं व्यवसाय से सम्बन्धित अनुसूचियाँ एवं सूचनाएँ तैयार की जाती है।
आधार सामग्री संग्रह सेवा (Data Collection Service)
प्रो. मायर्स महोदय ने व्यक्तिगत जानकारी को एकत्र करने पर बल दिया है। प्रत्येक व्यक्ति के विषय में निम्नलिखित जानकारी आवश्यक है-
(1) सामान्य सूचनाएँ (General Data)- किसी भी व्यक्ति या छात्र के विषय में ऐसी सामान्य जानकारी रखी जाए जिसके द्वारा उसके पास तक सरलता से पहुँचा जा सके। अतः इस उप-शीर्षक के अन्तर्गत व्यक्ति का नाम, घर का पता, जन्म स्थान तथा जन्मतिथि का उल्लेख हो
(2) स्वास्थ्य जानकारी (Physical Data)- निर्देशन एवं परामर्श के लिए व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य से सम्बन्धित सम्पूर्ण जानकारी को एकत्र करना चाहिए। इसके लिए छात्र की प्रमुख बीमारी की जानकारी तथा छात्र के स्वास्थ्य की जाँच की रिपोर्ट भी एकत्र की जाएँ जिससे कि छात्र का अध्ययन सुचारू रूप से हो सके।
(3) मनोवैज्ञानिक जानकारी (Psychological Data) – छात्र के अध्ययन की दृष्टि से यह आवश्यक है कि उसकी बुद्धि लब्धि एवं अभिरुचि सम्बन्धी मनोवैज्ञानिक जानकारी एकत्रित की जाए।
(4) सामाजिक पर्यावरण की सूचनाएँ (Information of Social Environment) सामाजिक पर्यावरण की जानकारी के लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए-
(i) रहन-सहन की आदतें (Habits of Standard of Living)- इसके अन्तर्गत छात्र के पारिवारिक दृष्टिकोण तथा पारिवारिक जीवन की स्थिति आदि पर ध्यान देना चाहिए।
(ii) अवकाश का सदुपयोग (Utilisation of Holidays)- छात्र अपने अवकाश का सदुपयोग किस प्रकार करता है। उसके शौक कौन-कौन से हैं तथा वह किस चीज का शौकीन है? उसको किस प्रकार के मनोरंजन प्रिय है? आदि बातों पर ध्यान देना चाहिए।
(iii) विश्वास और जीवन-मूल्य (Faith and Life-Values) – छात्र की नैतिक मान्यताएँ क्या हैं? उसकी राजनैतिक विचारधारा क्या है? चाहिए।
(5) शैक्षिक उपलब्धि (Achievement Data)- छात्र का अध्ययन करते समय उसकी शैक्षिक एवं विभिन्न प्रकार की उपलब्धियों की जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।
(6) भावी योजना (Future Plan)- छात्र का अध्ययन करते समय शिक्षक को यह देखना चाहिए कि वह किस उद्देश्य की पूर्ति के लिए शिक्षा प्राप्त कर रहा है। हमें छात्र की शैक्षिक एवं व्यावसायिक आकांक्षाओं की जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है।
व्यवसाय सम्बन्धी सेवा (Occupational Information Service)
सूचनाओं में किसी व्यवसाय एवं कार्य से सम्बन्धित सभी प्रकार की सामग्री का समावेश होना चाहिए। इसमें वे समस्त सूचनाएँ आ जाती हैं जिन्हें कोई छात्र व्यवसाय या कार्य (Job) में जाने से पहले ज्ञात करना चाहता है। व्यवसाय सम्बन्धी सेवा के पक्ष में हॉपोक महोदय ने अपना विचार व्यक्त किया है कि- “किसी भी प्रकार की वह सूचना जो किसी स्थिति, कार्य एवं व्यवसाय से सम्बन्धित हो तथा जो नवीन प्रशिक्षार्थी को उपयोगी हो सकती हो व्यावसायिक सूचना कहलाती है।”
व्यावसायिक सूचना सामग्री के प्रकार (Types of Occupational Information Material)
व्यावसायिक सूचना सामग्री निम्नलिखित प्रकार की हो सकती हैं-
(1) व्यावसायिक पत्रिकाएँ,
(2) व्यावसायिक सूचनाएँ,
(3) व्यवसाय अध्ययन,
(4) जीवनियाँ, एवं
(5) श्रव्य दृश्य सामग्री
व्यावसायिक सूचना की जानकारी निम्नलिखित साधनों द्वारा दी जा सकती है-
(1) स्कूल के विषय,
(2) भ्रमण तथा यात्राएँ,
(3) रोजगार गोष्ठी,
(4) रेडियो तथा टी.वी.
(5) फिल्में,
(6) चार्ट,
(7) पुस्तकालय,
(8) पाठ्यक्रम सम्बन्धी क्रियाएँ एवं
(9) अध्यापक परामर्श या किसी विशेषज्ञ का भाषण
विद्यालय में दी जाने वाली निर्देशन सेवाएँ छात्रों को वैध तथा आवश्यक सूचनाएँ प्रदान करती है। छात्रों के समायोजन के लिए निर्देशन सेवाएँ सहयोगी होती हैं। व्यवसाय चयन तथा उसके लिए आवश्यक योग्यता की जानकारी इन सेवाओं के माध्यम से प्राप्त होती है। अतः निर्देशन सेवाएँ छात्रों के सर्वांगीण विकास में महत्त्वपूर्ण होती हैं।
मूल्यांकन एवं अनुसन्धान सेवा (Evaluation and Research Service)
प्रत्येक निर्देशन कार्यक्रम के पीछे कोई न कोई उद्देश्य निहित होता है। उद्देश्य प्राप्त करने के उपरान्त भी मूल्यांकन की आवश्यकता होती है। इस प्रकार निर्देशन में भी मूल्यांकन एवं अनुसन्धान की आवश्यकता पड़ती है। अतः निर्देशन में मूल्यांकन तथा अनुसन्धान की आवश्यकता निम्नलिखित आधार पर है-
(1) निर्देशन सेवाओं को अधिकाधिक व्यावहारिक उपयोगी एवं सक्षम बनाने के लिए मूल्यांकन एवं अनुसन्धान आवश्यक है।
(2) विद्यालय को अपने निर्देशित कार्यक्रमों के औचित्य का ज्ञान कराना आवश्यक है जो मूल्यांकन एवं अनुसन्धान से ही सम्भव हो सकता है।
(3) मूल्यांकन एवं अनुसन्धान के द्वारा ही उन छात्रों की सफलता प्रगति और संतोष का ज्ञान होता है जिन्हें विद्यालय में कभी निर्देशन सेवाएँ प्रदान की थीं।
(4) मूल्यांकन एवं अनुसन्धान विद्यालय कार्यक्रमों को जन-साधारण तक पहुँचाता है।
(5) मूल्यांकन एवं अनुसन्धान की व्यावहारिक सूचना सेवा, परामर्श सेवा, नियुक्ति सेवा अनुवर्ती सेवा तथा निर्देशन के अन्य क्षेत्रों में भी आवश्यकता होती है।
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