एक उत्तम निदर्शन की आवश्यक विशेषताएं
निदर्शन का उत्तम/प्रतिनिधित्वपूर्ण होना अध्ययन की यथार्थता और सफलतार्थ दोनों ही दृष्टि से अत्यावश्यक है, क्योंकि सामाजिक घटनाओं के विषय में अनुसंधानकर्ता का निष्कर्ष उतना ही यथार्थ होगा, जितना कि उसका निदर्शन। एक उत्तम निदर्शन में अधोलिखित विशेषताओं का होना जरूरी है-
1. निदर्शन सही प्रतिनिधित्व करने वाला होना चाहिए- एक अच्छे निदर्शन की पहली आवश्यक विशेषता यह है कि उसको समग्र का सही और उचित प्रतिनिधि होना चाहिए। निदर्शन का प्रतिनिधित्वपूर्ण होना दो बातों पर निर्भर है-पहली यह कि अध्ययन विषय के तथ्यों में एकरूपता किस मात्रा में पाई जाती है, और दूसरी यह कि निदर्शन के चुनाव में किस प्रणाली को अपनाया गया है। अतः समग्र में पाए जाने वाले विभिन्न वर्गों का ध्यान रखते हुए ही निदर्शन को चुनना चाहिए तथा अध्ययन की विषय की प्रकृति, क्षेत्र के अनुरूप निदर्शन प्रणाली अपनानी चाहिए।
2. निदर्शन का आकार पर्याप्त होना चाहिए- अच्छे निदर्शन को आकार की दृष्टि से पर्याप्त होना आवश्यक है। पर्याप्त का अर्थ यह नहीं है कि समग्र में से आधी से अधिक इकाइयों को चुन लिया जाये। उदाहरण के लिए, तीन हजार छात्रों में से केवल तीन का चयन करना, निदर्शन का पर्याप्त आकार नहीं है, क्योंकि मात्र तीन छात्र ही तीन हजार छात्रों की विशेषताओं का सही प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते। निदर्शन का आकार कम से कम इतना होना आवश्यक है। कि उससे यथार्थ परिस्थिति का सही-सही मूल्यांकन किया जा सके।
3. निदर्शन को सभी पूर्वाग्रहों एवं पक्षपातों से स्वतंत्र होना चाहिए- अनुसंधानकर्ता अध्ययन सम्बन्धी निदर्शन का चुनाव करते समय सभी प्रकार के पूर्वाग्रह एवं पक्षपात से पूर्णतः अलग रहना चाहिए। उसे न तो अपनी रुचि के अनुसार महत्वपूर्ण इकाइयाँ चुननी चाहिए और न ही महत्वहीन इकाइयों को छोड़ना चाहिए। निदर्शन की वस्तुनिष्ठता के लिए उसे सभी प्रकार के पक्षपातों से परे रहकर ही निदर्शन का चुनाव करना चाहिए, अन्यथा यथार्थ निष्कर्षों की प्राप्ति, सम्भव न होगी। अनुसंधानकर्ता को निदर्शन चुनते समय पूर्व-धारणा, निजी स्वार्थ, मूल्य, आदर्श से भी पृथक रहना आवश्यक है।
4. निदर्शन को अध्ययन विषय के अनुकूल होना चाहिए- निदर्शन को अध्ययन- विषय के अन्तर्निहित उद्देश्य के अनुकूल होना भी आवश्यक है, क्योंकि इसी अनुकूलता के आधार पर निदर्शन की विश्वसनीयता का मूल्यांकन/मापन हो सकता है। निदर्शन के अध्ययन- विषय के अनुकूल होने पर अनुसंधानकर्ता को ध्यान इधर-उधर नहीं बँटता, साथ ही साथ निष्कर्षों के यथार्थ होने की सम्भावनाओं में भी वृद्धि होती है।
5. निदर्शन को सामान्य ज्ञान और तर्क के उपयोग पर आधारित होना चाहिए- देखा गया है कि केवल नियमबद्ध निदर्शन का चुनाव करने पर भी अच्छे निदर्शन की प्राप्ति नहीं हो पाती। नियमों के साथ-साथ यह भी आवश्यक है कि अनुसंधानकर्त्ता स्वयं भी निर्देशन के चुनाव में अपने सामान्य ज्ञान को भी प्रयोग करें, ताकि जनसंख्या (समग्र) की प्रमुख विशेषताओं के बारे में उसे जानकारी प्राप्त हो सके और वह उसी आधार पर उचित निदर्शन का चुनाव कर सके। स्पष्ट है कि सामान्य ज्ञान और तर्कधारित उपयोग का सहारा प्राप्त करके अच्छे निदर्शन की प्राप्ति हो सकती है।
6. निदर्शन को व्यावहारिक अनुभवों पर आधारित होना चाहिए- एक अच्छा निदर्शन यदि अन्य अनुसंधानकर्ता के व्यावहारिक अनुभवों के उपयोग पर आधारित हो, तो वह अच्छा निदर्शन सिद्ध हो सकता है। कई भी नौसिखिया अच्छे एवं प्रतिनिधित्वपूर्ण निदर्शनों का चुनाव असफलतापूर्वक नहीं कर सकता, क्योंकि इस कार्य के लिए पर्याप्त अनुभव की आवश्यकता है। ये अनुभव अध्ययन विषय की प्रकृति के बारे में एक अन्तर्दृष्टि / सूझ पनपाते हैं तथा इस अन्तर्दृष्टि से प्रतिनिधित्वपूर्ण निदर्शन का चुनाव करने में पर्याप्त सहायता प्राप्त होती है। उदाहरण के लिए, सभी व्यक्ति दाल-चावल का नमूना देखकर ही अच्छी दाल-चावल नहीं क्रय कर पाते, क्योंकि इसके लिए पर्याप्त अनुभव होना अत्यावश्यक है। स्पष्ट है कि अच्छा निदर्शन व्यावहारिक अनुभवों के उपयोग पर आधारित होता है।
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