चम्बे की रुमाल (Chamba Rumals In Hindi)
चम्बे की रुमाल (Chamba Rumals) – पंजाब में ‘चम्बे’ के रुमाल कढ़ाई की एक कला है। चम्बे के रुमाल दोहरी सेटिन टाँके (Double satin stitch) से काढ़े जाते हैं जिसे डिजाइन कपड़े के दोनों तरफ बन जाता है। अतः चम्बा रुमाल में सीधा या उल्टा पक्ष (Side) नहीं होता है। डिजाइनों के बाहरी आकार तो गहरे रंगों के होते हैं और उनके अन्दर का पूरा स्थान सादा टाँकों (Running stitch) से भरा होता है, इसमें मानव, पक्षी, पेड़, फूल और मकान आदि सभी के प्रति मूर्तियाँ (Motif) प्रयोग में लाई जाती हैं। इनकी कढ़ाई के विषय बहुधा धार्मिक होते हैं, जैसे- ‘कृष्ण लीला’ या ‘रास’ आदि। कढ़ाई की विशेषता यह है कि कढ़ाई में डिजाइन की आकृतियाँ गतिशील प्रतीत होती हैं, जिसके कारण ‘रुमाल’ कलात्मक दृष्टि से अधिक मूल्यवान हो जाता है।
चम्बा की कढ़ाई टसर सिल्क (Tassar Silk) तथा सूती वस्त्रों पर की जाती है। चटक रंग के रेशमी धागों से नमूने काढ़े जाते हैं। वस्त्रों की पृष्ठभूमि हल्के रंग (क्रीम, सफेद) की रखी जाती है जिस पर अत्यन्त सुन्दर एवं रंग-बिरंगे चटकीले रंगों के धागों से कढ़ाई की जाती है। आजकल ऑरगेन्डी, संश्लेषित एवं मिश्रित वस्त्रों पर भी कढ़ाई होने लगी है।
चम्बा की रुमाल में नमूने अधिकांशतः प्रकृति से लिये जाते हैं, जैसे- दहाड़ता शेर, दौड़ती बकरी, कुलांचे भरता हिरन, नाचते मोर, झूमता हाथी, दौड़ता घोड़ा आदि के चित्रों को वस्त्र पर काढ़ा जाता है। नमूने को दोहरे सैटिन टाँके (Double Satin Stitch) द्वारा भरे जाते हैं। कढ़ाई वस्त्र के दोनों ओर एक समान दिखते हैं। कढ़ाई सूत में गाँठें लगाकर प्रारम्भ नहीं की जाती है। कढ़ाई में इतनी सफाई (Neatness) एवं सूक्ष्मता रहती है कि वस्त्र का उल्टा एवं सीधा पक्ष पहचानना कठिन हो जाता है।
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