राजनीति विज्ञान / Political Science

उदारवाद के मुख्य चरणों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।

अनुक्रम (Contents)

उदारवाद के मुख्य चरण

उदारवाद के मुख्य चरण- उदारवाद एक राजनीतिक विचारधारा है। 17वीं- 18वीं शताब्दियों का उदारवाद शास्त्रीय/आरंभिक/नकारात्मक उदारवाद कहलाता है-

लॉक, स्मिथ व बेन्थम का समय। इस दौर का उदारवाद को आवश्यक बुराई मानता है, अहस्तक्षेपवाद का समर्थन करता है, बाजारी नियमों का अनुसरण करता है, स्वतंत्र व स्वायत्त व्यक्ति को मान्यता देता है। 19वीं व 20वीं शताब्दियों में उदारवाद अपने सकारात्मक रूप में प्रवेश करता है। इसे आधुनिक उदारवाद भी कहा जा सकता है। मिल, ग्रीन, लास्की, मैकाइवर, हॉबहाउस आदि ऐसे उदारवाद के प्रवक्ता है। आधुनिक उदारवाद राज्य को सकारात्मक अच्छाई। मानता है; राज्य के कार्यों में कल्याणकारिता लाने हेतु वृद्धि करता है, बाजारी समाज को नियमित करता है, वैयक्तिता में सामाजिकता के प्रवेश को महत्व देता है। 1960-70 के दशकों में उदारवाद अपने बहुलवादी चरण में प्रवेश करता है जहां व्यक्ति का स्थान समूह/समुदाय/संगठन ले लेते हैं तथा जो राज्य से व्यक्ति की भांति स्वतंत्रता व स्वायत्ता की मांग करते हैं। इस बहुलवादी उदारवाद (समर्थन बैन्टले, डहल आदि) राज्य समूहों में राजनीतिक शक्ति को लेकर खींचा-तानी होती रहती है। जो उदारवाद के 1970 के बाद के चरणों में स्वतंत्रतावाद, नवउदारवाद, समुदायवाद, गणतंत्रवाद आदि का वर्णन किया जा सकता है।

शास्त्रीय उदारवाद व आधुनिक उदारवाद में भेद किया जा सकता है। हेवुड इन दोनों के बीच भेद को तालिका के रूप में बताता है।

उदारवाद के विभिन्न रूपों की चर्चा की जाती है। राजनीतिक उदारवाद का विश्वास कि व्यक्ति ही राज्य व समाज को आधार प्रदान करते हैं। व्यक्तियों से समाज बनता है तथा उनकी सहमति से सरकार का गठन तथा उसका संचालन होता है। उदारवाद का यह रूप सार्वजनिक वयस्क मताधिकार का समर्थन करता है। लैंगिक समानता, समान अधिकार, राजनीतिक व नागरिक स्वतंत्रताएं, उत्तरदायी व जनमत अनुकूल सरकार, संवैधानिकवाद, स्वतंत्र व निरपेक्ष चुनाव, प्रेस व आदि राजनीतिक उदारवाद के लक्षण हैं। सांस्कृतिक उदारवाद व्यक्तियों के उन अधिकारों पर बल देता है जिनके अंतर्गत उन्हें चिंतन-मनन व आस्था मान्यताओं की स्वतंत्रता होती है। उदारवाद का यह रूप साहित्य व कला में सरकार के हस्तक्षेप की मनाही करते हैं। आर्थिक उदारवाद को शास्त्रीय उदारवाद अथवा मानचेस्टर उदारवाद भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत व्यक्ति व व्यक्तियों के समूहों को आर्थिक प्रतिबंधों से अधिकतम मुक्ति देने के प्रयास किए। जाते हैं। अहस्तक्षेपी पूंजीवाद आर्थिक उदारवादी का एक मुख्य पहलू है। इस प्रकार के उदारवाद में बाजार की स्वतंत्रता पर बल दिया जाता है तथा व्यक्ति की आर्थिक गतिविधियों में उनकी पहल को महत्व प्राप्त होता है। स्पष्ट है कि आर्थिक उदारवाद न्यूनतम राज्य का समर्थन करता है।

उदारवाद त्रुटियों से मुक्त नहीं है। क्योंकि उदारवाद निजी सम्पत्ति का समर्थक है। इसलिए वह पूंजीपतियों की राजनीतिक विचारधारा है। उदारवाद स्वतंत्रता पर जोर देते हुए समानता की अनदेखी करता है। मार्क्सवादी उदारवाद के प्रबल आलोचक हैं और उनका मानना है कि यह विचारधारा पूंजीवाद की असंगतियों को दूर करने में असफल रही है । उदारवाद के सिद्धांतों में विरोधाभास देखा जा सकता है। एक ओर उदारवाद सामान्य हित की बात करता है तो दूसरी ओर वह निजी सम्पत्ति को पवित्रता का गुणगान करता है तथा उस पर किसी भी प्रकार के प्रतिबंध को नहीं करता। एक ओर उदारवाद स्वतंत्रता का दम भरता है और दूसरी ओर वह पूंजीवाद का खुला समर्थन करता है जिसके चलते शोषण व असमानता जैसी त्रुटियों का बोलबाला रहता है। वस्तुतः उदारवादी स्वतंत्रता, खोखली स्वतंत्रता बतायी जाती है। उदारवादी के बारे में कहा जा सकता है कि “लोगों को भूमि का टुकड़ा चाहिए और उदारवादी कहता है कि आओं हम ‘भूमि का विभाजन करें। लोगों को खाना चाहिए और उदारवादी कहता है कि आओ हम संसार को स्वतंत्र करें, लोगों को शांति व्यवस्था चाहिए और उदारवादी कहता है कि आओ हम शास्त्रों का निर्माण करें।”

इसे भी पढ़े…

Disclaimer

Disclaimer: Sarkariguider does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: guidersarkari@gmail.com

About the author

Sarkari Guider Team

Leave a Comment