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अनुरूपण का अर्थ, परिभाषा, धारणा, प्रकार, विशेषताएँ, लाभ तथा सीमाएँ

अनुरूपण का अर्थ
अनुरूपण का अर्थ

अनुरूपण का अर्थ (Simulation in Hindi)

‘अनुरूपित शिक्षण’ की संज्ञा दो शब्दों से मिलकर बनी है। आइए, देखें कि अनुरूपण शब्द क्या है—इसका तात्पर्य क्या है?

अनुरूपण की धारणा (Concept of Simulation)

‘लांगमैन डिक्शनरी ऑफ कन्टैपरेरी इंग्लिश’ के अनुसार अनुरूपित का कार्य है किसी वस्तु का प्रभाव या उपस्थिति ।

एडवांस लरनर ऑफ करन्ट इंग्लिश – एक वास्तविक स्थिति में हवाई और दूसरे में इसका अर्थ इस प्रकार सुझाया है, “होने का अभिनय करना, वैसा होने या अनुभव करने का अभिनय करना। “

वैबस्टर शब्दकोश में इसका अर्थ इस प्रकार सुझाया है, “किसी की उपस्थिति या प्रभाव देना। “

फिंक कहते हैं, “ अनुरूपण वास्तविकता का नियंत्रित प्रतिनिधित्व होता है।”

थॉमस और डीमर (Thomas and Deemer) के अनुसार, “वास्तविक के बिना सार (essence) प्राप्त करना, अनुरूपित करना है। “

हारमैन (Harmann) के शब्दों में, “अनुरूपण में वास्तविकता के महत्त्वपूर्ण भाग निहित होते हैं किन्तु समूची वास्तविकता नहीं अनुरूपण यथार्थ जीवन के प्रतिरूपों (Counterparts) की भांति दिखाई नहीं देना चाहिए किन्तु उन्हें वास्तविक वस्तुओं की तरह अभिनय करना आवश्यक होता है। “

टॉन्से (Tansey’s) का विचार है, “अनुरूपण में वे सभी संयुक्त (inclusive) निबन्ध (terms) हैं, जिसमें ऐसी सक्रियता निहित होती है जो कृत्रिम वातावरण पैदा करती है या जो प्रतिभागियों की सक्रियता में कृत्रिम अनुभव प्रदान करती है।”

मेगारी (Meggary) के अनुसार, “अनुरूपण शिक्षण व अधिगम की वह तकनीक है जिसमें छात्रों को वास्तविक जीवन की चुनिंदा घटनाओं के तत्वों, प्रक्रियाओं या स्थितियों के साथ विशेष भूमिका निभाने के लिए या विशेष लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किया जाता है। अनुरूपण का प्रयोग छात्रों व अध्यापकों, दोनों की आवश्यकताओं और हित साधन ..के लिए महान प्रेरणा प्रदान कर सकता है। “

शब्द-कोष के अनुसार, ‘अनुरूपित’ शब्द का अर्थ है वास्तविकता की तरह प्रतीत होना । यह नई बात सीखने के लिए अभिनय करने की कला है। अनुरूपण की विधि उतनी ही प्राचीन है जितना इस पृथ्वी पर मनुष्य । वास्तव में यह क्रमबद्ध रूप में प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् प्रसिद्ध हो गई। विमान चालकों को कार्यालय में मॉडल और नक्शों के द्वारा प्रशिक्षण दिया जाने लगा उन्हें कार्यालय में वास्तविक उड़ान का अनुभव दिया जाने लगा। इस प्रकार वे मानसिक परिस्थिति के लिए पूर्ण रूप से तैयार थे।

घर में, प्रतिदिन बच्चे अपने माता-पिता, अध्यापक अथवा अन्य लोगों की नकल करते है। कभी-कभी बच्चे समूह में, बैठते हैं—एक बालक अध्यापक बनता है और दूसरे बालकों को कक्षा में बैठने का अभ्यास कराता है। उस परिस्थिति में बालक भिन्न-भिन्न प्रकार के अभिनय करते हैं। उनका व्यवहार और उनकी क्रियाएँ उसी समान होती हैं जिन्हें वे विद्यालय मैं देखते हैं।

दूरदर्शन की प्रसिद्धि से, बालकों को नए प्रकार के अनुभवों से जानकारी करवाई जाती है। वे नई परिस्थितियों को देखने की योग्यता रखते हैं। यह आवश्यक है कि बालकों को स्वस्थ, सकारात्मक (Positive) और निर्माणकारी सीखने की परिस्थितियों से जानकारी कराई जाए। दूसरे की नकल करना और दूसरों की नकल करते हुए अभिनय करना बालकों का स्वाभाविक गुण है।

अनुरूपण की विधि से विभिन्न क्षेत्रों में लाभकारी उद्देश्य प्राप्त किए जाते हैं । सिपाहियों को इससे युद्ध की विधि सिखाई जाती है। मॉक पार्लियामेंट उन विद्यार्थियों को प्रशिक्षण देता है जो भविष्य में सफल नेता बनना चाहते हैं। पॉयलट, जलनायकों और गोताखोरों को प्रशिक्षण देने के लिए प्रयोगशाला के मॉडलों का प्रयोग किया जाता है। चिकित्सक अपने व्यवसाय में सफल बनने के लिए तथा उत्तम प्रशिक्षण के उद्देश्य से कुछ पशुओं पर कार्य करता है। दशहरे से पूर्व कुछ लोग अभिनय करते हैं और इस प्रकार रामायण जनता के समक्ष प्रस्तुत की जाती है। वास्तव में अनुरूप विधि विभिन्न प्रकार के सीखने वालों और प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों के लिए उपयोगी है।

अनुरूपित खेल की परिभाषा यह है कि यह एक पूर्ण सम्प्रेषण की विधि और भावी भाषा है जिसमें विशिष्ट भाषा का खेल और विभिन्न अंतः क्रिया के साथ उचित सम्प्रेषण की तकनीकी है।

अनुरूपण के प्रकार (Types of Simulation)

होरमैन ने अनुरूपण के निम्नलिखित प्रकार दिए हैं-

1. अभिज्ञान अनुरूपण (Identity Simulation) — अभिज्ञान अनुरूपण में वास्तविक पद्धति (System) को नए नमूने (Model) की तरह प्रयुक्त किया जाता है।

2. पुनरावृत्ति अनुरूपण (Replication Stimulation) – पुनरावृत्ति अनुरूपण में पद्धति के संचालित नमूने का प्रयोग साधारण वातावरण में किया जाता है।

3. प्रयोगशाला अनुरूपण (Laboratory Simulation) – प्रयोगशाला अनुरूपण पुनरावृत्ति प्रयोगशाला में की जाती है जिसमें वास्तविक जीवन की विशेषताओं का प्रतिनिधित्व होता है।

4. कम्प्यूटर अनुरूपण (Computer Simulation) — कम्प्यूटर अनुरूपण के द्वारा वास्तविक पद्धति का सार प्रतिवेदन (Abstract representation) कम्प्यूटर प्रयोग करके किया जाता है।

5. विश्लेषणात्मक अनुरूपण (Analytical Simulation)- विश्लेषणात्मक अनुरूपण में गणितीय नमूनों (Models) का प्रयोग होता है और विश्लेषणात्मक साधनों द्वारा समाधान। प्राप्त किए जाते हैं।

शिक्षण में अनुरूपण (Simulation in Teaching)

शिक्षण में अनुरूपण ने कुछ समय पूर्व ही प्रवेश किया है। इसका अनुदेशन (Instruction) के विभिन्न स्तरों पर प्रयोग किया जाता है। मान लीजिये कि एक शिक्षक को प्रशिक्षित किया जाता है तथा कुछ सैद्धान्तिक शिक्षण भी किया जाता है और उसे शिक्षण के अभ्यास के लिए विद्यालय भेजा जाता है। वह वहाँ न्याय नहीं कर पाएगा। उसे अनुरूपित परिस्थितियों में प्रशिक्षण देने की आवश्यकता होगी। उसे कृत्रिम बनाए गये कक्षा वातावरण में अध्यापक का अभिनय करने दीजिये। उसे वहाँ सीखने दीजिये और उसके बाद ही उसे शिक्षण के लिए विद्यालय भेजिये । इस प्रकार अध्यापक अच्छी प्रकार से पढ़ा सकेगा।

अनुरूपित शिक्षण की परिभाषा (Definition of Simulated Teaching)

अनुरूपित शिक्षण सीखने और प्रशिक्षण की वह प्रविधि है जो अभिनय के द्वारा व्यक्ति के समस्या समाधान व्यवहार के लिए योग्यता का विकास करती है।

अनुरूपित शिक्षण सीखने और प्रशिक्षण की प्रविधि है जिससे सीखने वाले के व्यवहार में कृत्रिम रूप से निर्मित परिस्थितियों में क्रमबद्ध और संगठित सीखने वाले अनुभवों के द्वारा वांछनीय परिवर्तन लाया जाता है।

“अनुरूपण भूमिका निर्वाह करने वाली एक शिक्षण व्यूह रचना है जिसके अन्तर्गत अधिगमकर्त्ता कृत्रिम रूप से निर्मित वातावरण में अपनी भूमिका निभाता है।” अनुरूपण अभिनय की कला है जिसमें विशिष्ट सम्प्रेषण (Communication) कौशल के विकास अथवा अभ्यास के लिए कृत्रिम परिस्थितियों में शिक्षण की प्रक्रिया की जाती है।

स्टोन (Stone) के अनुसार, “अनुरूपण प्रविधि कृत्रिम अवस्था में अक्सर विद्यार्थियों को एक ही कमरे में सीखने, स्वयं शिक्षण का अभ्यास करने और उन्हें शिक्षण में व्याख्या देने के लिए एकत्रित करती है। अनुरूपित शिक्षण कृत्रिम परिस्थितियों में अध्यापक द्वारा शिक्षण के लिए प्रशिक्षण है। यह शिक्षकों के पहले सोपानों को सरल बनाकर उन्हें वास्तविक परिस्थिति पर बल दिये बिना जटिल कौशल के सीखने के योग्य बनाता है। विद्यार्थी को केवल यह बताना उचित समझा जाता है कि कक्षा का शिक्षण तथा नियंत्रण कैसे किया जाए, ठीक उसी तरह जैसे एक-एक विमान चालक को नकली नियंत्रण का अभ्यास कराया जाता है न कि वह हवा में उड़ रहा होता है। तब उसे बताया जाए कि उसे कैसे क्या करना चाहिए।”

अनुरूपित शिक्षण से शिक्षण व्यवहार के स्वरूप अच्छी प्रकार सिखाये जा सकते हैं। हैं अध्यापक बनने से पूर्व कुशल बनने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। अनुरूपित शिक्षण एक छात्र अध्यापक शिक्षक का कार्य करता है और दूसरे छात्र अध्यापक विद्यार्थी बनते हैं। इस परिस्थिति में अध्यापक विद्यार्थियों को विद्यालयी विद्यार्थी समझकर पढ़ाता है।

इस प्रशिक्षण प्रणाली के विभिन्न नाम हैं जैसे अभिनय करना (Role playing), पॉयलट प्रशिक्षण (Pilot Training), प्रयोगशाला पद्धति, अनुरूपित सामाजिक कौशल प्रशिक्षण (एस.एस.एस.टी, S.S.S.T.)।

जे. ब्रूनर के शोधकार्य के अनुसार, “अधिगम की प्रक्रिया एवं बनावट का मस्तिष्क में गहराई तक बोध कराने हेतु अनुरूपण सहायक होता है।”

गार्डन (1968) के अनुसार, “उच्चतर अधिगम हेतु अनुरूपण मेधावी (gifted) एवं धीमी गति से सीखने वाले (slow learners) छात्रों के लिए अत्यन्त उपयोगी है।”

अनुरूपित शिक्षण तकनीक की विशेषताएँ (Characteristics of Simulated Teaching Technique)

अनुरूपित शिक्षण तकनीक या अनुरूपित सामाजिक कौशल प्रशिक्षण ( SSST) की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-

1. यह तकनीक पहले से ही (in advance) अच्छी व्यवस्थित योजना की मांग करती है। प्रशिक्षण प्रक्रिया के दौरान जो कुछ भी करना होता है उसे अच्छी तरह पहले ही निर्धारित किया जाता है। सही समय पर की गई योजना उद्देश्यों की पूर्ति सुनिश्चित करती है।

2. इस तकनीक के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में छात्रों की सही भागीदारी सफलता को सुनिश्चित करती है। सहभागी छात्रों से सहायक आचरण (व्यवहार) की आशा की जाती है और इस तकनीक द्वारा सीखने के लिए वे प्रतिबद्ध होने चाहिए।

3. अनुरूपित शिक्षण में प्रतिपुष्टि (feedback) महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शिक्षण में हुई दृष्टिगत कमियों को बताया जाता है और उपयुक्त सुझाव दिये जाते हैं। प्रतिपुष्टि सकारात्मक और सृजनात्मक होती है।

4. निरीक्षक इस तकनीक के सुचारू कार्यान्वयन के लिए सही वातावरण बनाने में सहायता करता है। सही रूप में एक अच्छे प्रदर्शन द्वारा वह सुनिश्चित करता है कि अधिगमकर्त्ता इसका निष्ठापूर्वक उत्साह के साथ अनुकरण करें और इस प्रकार इच्छित उद्देश्यों में सफलता प्राप्त की जाती है।

5. पहले अधिगमकर्त्ता लघु समस्याओं का सामना करते हैं। धीरे-धीरे वे गम्भीर समस्याओं के अभ्यस्त बनाये जाते हैं। यह सब उनके अधिगमन को सही अर्थों में अच्छा बनाता है। बाद में वे अधिगमकर्त्ता किसी भी प्रकार की चुनौतियों का सामना करने को तैयार होते हैं।

6. अनुरूपित शिक्षण, प्रणाली उपागम पर आधारित है। जब यह योजना लागू होती है। तो निरीक्षक का पूरा-पूरा नियंत्रण होता है। स्वभाविकतः प्रत्येक व्यक्ति का प्रयास लक्ष्य प्राप्ति का होता है।

7. प्रशिक्षण कृत्रिम परिस्थितियों में दिया जाता है। अतः वहाँ वास्तविक स्थितियों के लिए खतरा नहीं होता। कृत्रिम प्रयासों से अधिगमकर्त्ता को पूरी तरह प्रशिक्षित किया जाता है और किसी प्रकार की शंका या समस्या से रहित होकर उन्हें वास्तविक स्थितियों का सामना करने के लिए तैयार किया जाता है।

8. अधिगम में आई कठिनाईयों के अनुरूप समय का सही समायोजन किया जाता है। इस प्रकार यह शिक्षण एक लचीली प्रणाली है। उद्देश्यों को दृष्टिगत रखते हुए स्थितियों के अनुरूप समय को बढ़ाया या घटाया जा सकता है।

अनुरूपित प्रविधि की मान्यताएँ (Assumptions of Simulated Technique)

अनुरूपित प्रविधि निम्नलिखित सिद्धान्तों पर आधारित हैं-

1. शिक्षण के आधारभूत सिद्धान्तों की व्याख्या, सुधार तथा अभ्यास किया जा सकता है।

2. तुरन्त प्रतिपुष्टि (feedback), सम्प्रेषण कौशल (Communication Skill) में ज्यादा सुधार करती है।

3. अध्यापक व्यवहार के विभिन्न स्वरूपों को महत्त्व मिलता है क्योंकि प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले अध्यापक को अभिनय देखने और अभिनय करने में सहायता प्रदान करते हैं जिसकी उसे अत्यन्त आवश्यकता होती है।

यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि अनुरूपण अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम में सबसे महत्त्वपूर्ण चीजें निम्नलिखित हैं-

(i) प्रदर्शन पाठ (Demonstration Lesson)

(ii) व्याख्या पाठ (Discussion Lesson)

(iii) शिक्षण अभ्यास (Teaching Practice)

उपर्युक्त सबके लिए अध्यापक प्रशिक्षण महाविद्यालयों को विद्यालयों पर निर्भर करना पड़ता है । निःसन्देह, ये अनुरूपित स्थितियों में ही सम्भव है । परन्तु अन्ततः अध्यापक को सफल बनाने के लिए विद्यालय अति आवश्यक है।

बाधाएँ (Obstacies) :

उपर्युक्त अभ्यास में निम्नलिखित बाधाएँ हैं—

1. अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए विद्यालयों की आवश्यकता होती है। वे विद्यालयों पर निर्भर होते हैं। विद्यालयों के अधिकारी शिक्षण क्रियाओं का कितना स्वागत करते हैं, यह महत्त्वपूर्ण है। प्रायः अधिकारी अपने मन से इसे नापसन्द करते हैं। कुछ मुख्य अध्यापक स्पष्ट कहते हैं कि वे पूर्णतया इसे पसन्द करते हैं और इनका स्वागत करते हैं।

2. शिक्षण के अभ्यास के लिए जो शिक्षण प्रशिक्षण विद्यालय में किया जाता है उससे बालकों के साथ अन्याय होता है। अध्यापक प्रशिक्षणार्थी होते हैं, उनकी शिक्षण प्रणाली में परिपक्वता नहीं होती। यह स्तर से निम्न कोटि की हो सकती है जिसमें विद्यार्थी को कोई लाभ नहीं पहुँचता। सीखने वाले इसे समय का नष्ट होना समझते हैं।

3. शिक्षण के लिए पर्याप्त समय होना चाहिए। प्रायः कुछ समय के लिए किया गया शिक्षण अभ्यास ढोंग जान पड़ता है। यह पर्याप्त नहीं है।

अनुरूपित शिक्षण कुछ सीमा तक अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम में सहायता करता है। प्रशिक्षण कार्यक्रम से सम्बन्धित अधिकारी अपने शिक्षण-प्रशिक्षण महाविद्यालय में कृत्रिम परिस्थितियाँ उत्पन्न करते हैं और वे कॉलेज में ही प्रशिक्षण का अधिकांश भाग पूरा कर सकते हैं जिसमें विद्यालय और विद्यालय के बाहर नहीं होते । अध्यापक प्रशिक्षणार्थी तत्पश्चात् तभी विद्यालय में भेजे जा सकते हैं, जब उन्हें शिक्षण प्रणालियों से पूरी तरह अवगत किया जा चुका हो और उन्हें कक्षा की परिस्थितियों में असफल होने का भय न हो।

अनुरूपित प्रशिक्षण की विधि (Procedure of Simulated Training)

अनुरूपित प्रविधि में अध्यापकीय प्रशिक्षण के समय शिक्षण के सामाजिक कौशलों का विकास किया जाता है। क्रूकशैंक (Cruickshank) के अनुसार तीन मुख्य भूमिकाएँ हैं— 1. अध्यापक, 2. विद्यार्थी, 3. निरीक्षक।

शिक्षण की प्रक्रिया में तीन तत्व होते हैं जो इस प्रकार हैं- (i) निदानात्मक (Diagnosing), (ii) नियमित करना (Prescription), (iii) मूल्यांकन (Evaluation)

शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में तीनों तत्वों का अपना-अपना महत्त्व है। सर्वप्रथम अध्यापक सीखने वालों को जानने का प्रयास करता है। इस स्तर पर वह विद्यार्थियों को उचित रूप से सिखाने के लिए सुझाव देता है। इस स्तर पर, शिक्षक को यह देखना पड़ता है कि विषय-वस्तु शिक्षार्थियों के लिए उचित है। तब वह विद्यार्थियों को विषय-वस्तु का ज्ञान देने के लिए उचित शिक्षण विधियाँ अपनाता है। इसके पश्चात् विद्यार्थियों का मूल्यांकन किया जाता है। जिससे अध्यापक को अपने शिक्षण की सफलता और असफलता तथा विद्यार्थियों की सफलता अथवा कमजोरियों की जानकारी हो जाती है।

अनुरूपित प्रविधि के सोपान (Steps in Simulation Technique)

फ्लैन्डर ने 6 सोपान बताएँ हैं जिनका अनुसरण प्रायः अनुरूपित प्रशिक्षण प्रविधि में किया जाता है :

पहला सोपान : भूमिकाओं की नियुक्ति करना (Assignment of Roles) — छात्र अध्यापकों को अध्यापक विद्यार्थी और निरीक्षण की भूमिका करने का काम दिया जाता है प्रत्येक छात्र अध्यापक को एक के पश्चात् दूसरी भूमिका तीनों रूपों में निभानी पड़ती है यह बारी-बारी से की जाती है।

दूसरा सोपान : अभ्यास किए जाने वाले कौशल का निर्णय लेना (Deciding the Skill in the Practised) — छात्राध्यापकों के द्वारा अभ्यास किये जाने वाले कुछ सामाजिक कौशलों की चर्चा की जाती है। इस स्तर पर अनुरूपित प्रविधि द्वारा अभ्यास किए जाने वाले कौशल का निर्णय लिया जाता है, उसकी योजना बनाई जाती है और तैयार की जाती है। छात्र अध्यापक इच्छा और वृद्धि के अनुसार विकास का चयन करता है।

तीसरा सोपान : कार्य की तैयारी (Preparation of Work Schedule) — अभ्यास के लिए कार्य की सफलता के लिए कार्य की विस्तृत रूप-रेखा तैयार की जाती है। यह निर्णय कर लिया जाता है कि किस प्रकार प्रत्येक व्यक्ति बारी-बारी से शिक्षण और निरीक्षण का कार्य करेगा।

चौथा सोपान : निरीक्षण की प्रविधि निश्चित करना ( Determining the Technique of Observation) — अध्यापक पाठ के निरीक्षण की विधि का निर्णय लेता है कि किस प्रकार से विभिन्न प्रकार के आँकड़े (data) का निरीक्षण करना और रिकॉर्ड करना है। इस स्तर पर आँकड़ों की व्याख्या की विधि का निर्णय चर्चा द्वारा किया जाता है।

पाँचवाँ सोपान : प्रथम अभ्यास पाठ का संगठन (Organising the First Practice Lesson)- पहला अभ्यास पाठ प्रारम्भ हो जाता है और अध्यापक के व्यवहार के निर्णय के लिए निरीक्षण रिकॉर्ड किया जाता है। इसके बाद चर्चा और प्रतिपुष्टि (feedback) की जाती है और पाठ के सुधार के लिए सुझाव दिये जाते हैं।

छठा सोपान: विधि में परिवर्तन (Alternation of Procedure) — इस स्तर पर पूर्ण विधि में परिवर्तन किया जाता है। अध्यापक, निरीक्षण, कौशल-शिक्षण और विषय में परिवर्तन किया जाता है। प्रत्येक विद्यार्थी को अध्यापक विद्यार्थी और निरीक्षक की भूमिका निभाने का अवसर दिया जाता है।

अनुरूपित शिक्षण के लाभ (Advantages of Simulated Teaching) :

शिक्षण प्रशिक्षण की अनुरूपित प्रविधि के निम्नांकित लाभ हैं-

1. अनुरूपित समस्या शिक्षार्थी को बहुत प्रेरणा देती है। वे कक्षा की क्रियाओं को सीखने में रुचि और उत्सुकता दिखाते हैं।

2. यह समस्या स्थितियों के अनुभव के लिए उत्तम है।

3. परम्परागत कक्षा शिक्षण में अध्यापक का आधिपत्य होता है। अनुरूपण में वह स्वयं सहायक होता है। भाग लेने वाले विभिन्न प्रतिपुष्टि विधियों से अपनी उन्नति देख सकते हैं। अध्यापक केवल मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है ।

4. अनुरूपण न केवल विद्यालयीय उपलब्धि को प्रभावित करता है बल्कि वह सीखने वालों के दृष्टिकोण को भी प्रभावित करता है। प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले अध्यापक शिक्षण के प्रति अनुकूल दृष्टिकोण विकसित कर समझते हैं ।

5. यह समस्या प्रधान स्थिति में सीखने वाले की निर्णय लेने की योग्यता का विकास करती है।

6. सीखने वाले अनुरूपण के द्वारा गहराई से तथ्य सीखते हैं। शिक्षण और सीखने की स्थिति में उनकी सूझ-बूझ बढ़ती है।

7. अनुरूपित प्रविधि प्रतिभाशाली और धीमे सीखने वालों के लिए लाभकारी है। प्रतिभाशाली इसके द्वारा ऊँचा उठ सकते हैं और धीमे सीखने वाले उतना सीख सकते हैं जिससे कि उनका निर्वाह हो जाए।

8. यह शिक्षण के सिद्धान्त और प्रयोग की खाई को भरता है।

9. यह छात्राध्यापकों में आत्म-विश्वास उत्पन्न करता

10. यह विभिन्न शिक्षण कौशलों के विकास के लिए उन्हें पुनर्बलन प्रदान करता है।

11. आरम्भ में प्रत्येक छात्राध्यापक को कौशलों का सीमित ज्ञात होता है परन्तु धीरे-धीरे प्रशिक्षण की प्रक्रिया द्वारा छात्र – अध्यापक उन कौशलों से पूर्ण परिचित हो जाते हैं। इस प्रकार वे कौशलों में निपुण हो जाते हैं।

12. अनुरूपित अध्यापक में, प्रत्येक छात्राध्यापक को पाठ परीक्षण का अवसर मिलता है । यह प्रत्येक को अध्यापन-अध्ययन स्थितियों में जिम्मेदारी उठाने हेतु तैयार करता है।

अनुरूपित शिक्षण की सीमाएँ (Limitations of Simulated Teaching) :

अनुरूपित शिक्षण की सीमाएँ निम्नलिखित हैं-

1. जब प्रशिक्षण अनुरूपित प्रविधि का प्रयोग किया जाता है, कुछ युवा स्कूल के विद्यार्थी की भूमिका निभाते हैं, कुछ लोगों को यह बुरा लगता है।

2. जो विद्यार्थी निरीक्षक की भूमिका कर रहा होता है, वह गलत रिकॉर्डिंग भी कर सकता है।

3. अनुरूपण पाठ्यक्रम के सभी विषयों के लिए प्रयोग किया जा सकता है। कला और चित्रकला के शिक्षण के लिए इसका प्रयोग नहीं किया जा सकता।

4. अनुरूपण एक खेल है । जब इस प्रविधि का प्रयोग किया जाता है, सिखने की गम्भीरता कम हो जाती है।

5. इस प्रविधि की सफलता के लिए दृश्य-श्रव्य सहायक सामग्री आवश्यक होती है भारत वर्ष में ऐसी सामग्री उपलब्ध होना कठिन है।

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