मानसिक उद्दोलन से आप क्या समझते हैं? विवेचना करें। (What do you understand by Brain Storming? )
मानसिक उद्दोलन, अध्यापक द्वारा अध्यापन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली योग्यता या साधन है जो छात्र की भागीदारी में बढ़ोत्तरी करता है जब वह किसी विषय पर अपने व्यक्तिगत विचारों को प्रकट कर रहा होता है। छात्र द्वारा दिए गए विचारों का मूल्यांकन इसमें नहीं होता है।
1. कोई भी विचार सही या गलत नहीं होता (No idea is right or wrong)— मानसिक उद्दोलन व्यक्ति के मस्तिष्क या विचारों का शुद्धिकरण या उन पर मंथन किया जाता है। इससे नये विचारों का उद्भव होता है। विभिन्न परिस्थितियों के पक्षों के अनुसार विभिन्न पक्षों पर विचार तथा ध्यान केन्द्रित करता है। इसका परिणाम नये विचारों का उद्भव और सृजन या इसी जैसे नयी चीजों या नये प्रतिमानों में सृजन होता है।
मानसिक उद्दोलन, कक्षा में किसी व्यक्ति (शिक्षक या वरिष्ठ छात्र ) का संयोजन का सामूहिक प्रयास है मानसिक उद्दोलन की प्रक्रिया पूर्णत: एक बौद्धिक गतिविधि है जहाँ पर ‘विविध विचारों’ का मुख्य केन्द्र होता है।
आइए कक्षा में इस्तेमाल की जाने वाली मानसिक उद्दोलन की क्षमता की मुख्य अवधारणाओं और विशेषताओं का वर्णन करें ।
2. मानसिक उद्दोलन की मूल मान्यताएं (Underlying Assumptions in Brain storming) – जो भी विधि या क्षमता का अभ्यास किया जाता है वह कुछ अध्ययन सम्बन्धी बातों का भी अभ्यासकर्ता तथा शोधार्थियों द्वारा प्रकटीकरण होता है। इसकी मुख्य मान्यताएँ निम्नलिखित हैं :
(i) किसी भी विचार/विषय पर प्रश्न उठाना या चर्चा इत्यादि मानसिक क्रिया को शुरू करने के पहले व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक विरोध होते हैं।
(ii) जैसे ही वह विरोध समाप्त होता है, मानसिक ऊर्जा या विचारों का प्रवाह चलने लगता है।
(iii) जब भी मानसिक स्थिति को छात्र प्राप्त कर लेता है, नये विचार उसमें आने लगते हैं। यह क्रियाशील विचार की स्थिति है।
(iv) यह विचारों का निर्विरोध प्रवाह/प्रकट करना छात्र को संतुष्टि की स्थिति प्रदान करता है।
(v) शिक्षक द्वारा विचारों का निर्णय या मूल्यांकन “मनोवैज्ञानिक साँचा’ का निर्माण करने में सहायक होता है जो इसमें भाग लेते हैं।
मानसिक उद्दोलन की विशेषताएँ (Characteristics of Brain storming)
(i) यह व्यक्ति के मन या मस्तिष्क से सम्बन्धित है।
(ii) यह एक बौद्धिक क्रिया
(iii) ज्यादातर छात्र या सभी छात्र इसमें भाग लेते हैं।
(iv) हर छात्र अपने निजी विचार देता है।
(v) कोई भी विचार गलत या सही नहीं होता है।
(vi) मूल्यांकन द्वारा हर विचार को उसी सन्दर्भ में ठीक किया जाता है।
(vii) छात्रों के विचार श्यामपट्ट्/ श्वेतपट्ट या हरे पट्ट पर लिखे जाते हैं।
मानसिक उद्दोलन (BS) सेशन को प्रयोग करने के सामान्य नियम (General Rules for Conducting Brain storming (BS) Session)
कक्षा में मानसिक उद्दोलन को सृजित करने के लिए कुछ आधारभूत नियमों को जानने की जरूरत है। निम्नलिखित नियम अध्यापक को अच्छे परिणाम प्राप्त करने के काबिल बनाते हैं
1. मानसिक उद्दोलन सेशन शुरू करने से पहले मानसिक रूप से शांत हो जाएँ ।
2. मजाक कीजिए।
3. हँसिये।
4. सहयोगी वातावरण का निर्माण कीजिए।
5. अपने मन को पूर्णतः स्वतंत्र रख लीजिये ।
6. सेशन शुरू करने से पहले जल्दी से नियम बता दीजिए।
7. आशिक शब्दों जैसे “OK” का प्रयोग।
8. मुख्य शब्द “OK”।
9. सेशन के बीच में विघ्न मत डालें।
10. कुछ भी छोड़ने की जरूरत नहीं। 11. अंतरिम मूल्यांकन को छोड़ें।
12. कम समय का सेशन रखें (20 मिनट) ।
10 13. शांति में विचारों का सृजन
14. विभिन्न ध्वनियाँ कीजिए ।
मानसिक उद्दोलन की प्रक्रिया (Process of Brain storming)
मानसिक उद्दोलन को कैसे प्रयोग करें? यह प्रश्न हमें मस्तिष्क मंथन को अध्यापन में एक क्षमता के रूप में प्रयोग करने या अभ्यास करने की प्रक्रिया को समझकर प्रयोग करने पर केन्द्रित करता है।
1. मानसिक उद्दोलन का इस्तेमाल कैसे करें? (When to use Brain storming)— अध्यापन-अध्ययन प्रक्रिया में अध्यापक के साँचे, लेखक के साँचे और छात्र के साँचे एक सामान्य समस्या है। यह वह है जब सोचने या लिखने के लिए विचार सरलता से नहीं आते । छात्र और शिक्षक एक समय में, विचार से स्थिर से बंधे रह जाते हैं। यह उस समय परेशान करते हैं जब संवाद, अध्ययन या लिखने की शुरूआत करते हैं। यह सामान्य ‘मनोवैज्ञानिक विरोध उपक्रम होता है यहाँ पर मानसिक उद्दोलन की प्रक्रिया आपके अपने उत्तर, विचार, निबन्ध के लिए नये विचार तथा चिन्तित होने से बचाती है। या विचार की प्राप्ति या अध्ययन में रुचि लेने को प्रेरित करती है।
2. मानसिक उद्दोलन का प्रयोग कैसे करें? (How to use Brain Storming?)— एक अध्यापक इस आरम्भिक जुड़ाव को दूर करने के लिए अध्यापन में मानसिक मंथन का प्रयोग क्यों करें ? या यह अध्यापक बच्चों को अच्छा अध्ययन या किसी एक विषय की कल्पना या विचार को बढ़ाती है।
मानसिक उद्दोलन न केवल छात्रों को बौद्धिक गतिविधियों में सक्रिय करने का साधन है बल्कि यह अध्ययन की एक प्रविधि तथा खुशी और सृजन के स्रोत के रूप में भी काम करती है।
यह प्रश्न हमें मानसिक उद्दोलन की प्रक्रिया या इसके प्रकार्यों की ओर ले जाती है। विस्तरित व्याख्या और परिचर्या हमें मानसिक उद्दोलन की प्रक्रिया को तीन ढंग से करने को सही ढंग से समझाती है-
(A) सामूहिकता ( Clustering),
(B) श्रवण (Listenining),
(C) मुक्त लेखन (Free writing)
(A) सामूहिकता (Clustering) — इस चरण में, विचार और शब्दों को निम्न पदों से संग्रहित किया जाता है
(a) विषय (Topic)
(b) उप-विषय (Sub-topic)
(c) उप-विषयों सम्बन्धी विस्तृत जानकारी (More details related to Sub-topics)
(B) श्रवण (Listeninng ) — श्रवण में निम्नलिखित चरण रखे जाते हैं । इन चरणों को समझे और उदाहरणों के द्वारा इन्हें समझने का प्रयास करें:
1. कक्षा में परिचर्चा का मुख्य विषय/निबन्ध के विषय से शुरू करें। उसे श्यामपट्ट्/ श्वेत पट्ट या अपने कागज के शीर्ष पर लिखें।
2. उसके अन्य किसी शब्द या शब्द समूह को लिखें जो उससे सम्बन्धित है । उच्चारण या व्याकरण की चिन्ता न करें। यहाँ पर उद्देश्य केवल लिखना है। जितना हो सके उतने ज्यादा विचारों को लिखने की कोशिश करें।
प्रथम उदाहरण : मैं एक नर्स क्यों बनना चाहती हूँ?
विज्ञान की तरह | कठिन कार्य है |
समस्या समाधान के लिए | उच्चता के अवसर |
नर्सिंग में ज्यादा नौकरी उपलब्ध है | बीमारियों के बारे में पढ़ने में रुचि |
अच्छी तन्ख्वाह | मानव शरीर के बारे में पढ़ने में रुचि |
हॉस्पीटल में काम करना | लोचशील काम करने के घंटे हैं |
अन्य लोगों की मदद करना | हमेशा नया सीखने की चाह है। |
दूसरा उदाहरण : एक सफल भाषा विद्यार्थी कैसे बना जाए?
अन्यों के साथ बोलने का अभ्यास |
अन्य को आपकी गलती को सही करने को कहे |
शब्दों के अर्थ को समझने का प्रयास | अपने प्रयासों को देखें |
दूसरों का निरीक्षण | अपने अध्ययन समय को संगठित करें |
रेडियो को सुनना या टी.वी. देखना | नये शब्दों के लिए विशेष तकनीकों का इस्तेमाल |
तर्कपूर्ण उद्देश्य रखे | जब न समझ आये दुसरे से मदद लें |
प्रयोग से कोताही न बरतें | शब्दकोष का प्रयोग |
विषय से स्पष्ट शब्दों को पढ़ें |
एक अच्छी पाठ्य पुस्तक का चुनाव करें । |
(C) मुक्त लेखन (Free Writing) – मुक्त लेखन तकनीक के लिए निम्नलिखित चरणों को समझना चाहिए :
1. परिचर्चा या निबन्ध के मुख्य विषय से शुरू करना चाहिए। उन शब्दों तथा शब्द समूहों को श्यामपट्ट्/श्वेत पट्ट या कागज के शीर्ष पर लिखना चाहिए।
2. मुक्त लेखन किसी बोर्ड या कागज पर अपने बारे में बातचीत करने जैसा है। जहाँ तक हो सके अपने विषय से सम्बन्धित चीजों के बारे में लिखें न कि विषय के बारे में जो सुना है व्याकरण या संगठन या संरचना के बारे में चिन्ता न करते हुए तेज गति से लिखना चाहिए।
मस्तिष्क उद्बोलन के लाभ एवं गुण (Merits and Advantages of Brain Storming)
मस्तिष्क उद्दोलन व्यूह-रचना निम्नलिखित दृष्टि से लाभदायक एवं अच्छी मानी जाती है:
(1) इस विधि के द्वारा अध्यापकों में सभी सूचनाएँ स्वयं प्रस्तुत करने तथा समस्याओं का हल स्वयं ही बताते रहने की शीघ्रता रहती है। इस प्रकार रटे-रटाये ज्ञान का प्रस्तुत करते रहने सम्बन्धी दोष का इस व्यूह-रचना में स्वतः ही निराकरण हो जाता है। विद्यार्थी शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में सक्रिय भाग लेकर स्वयं अपने प्रयत्नों से समस्या समाधान का प्रयास करते हैं। रटे-रटाये विचारों तथा समाधान को अध्यापक द्वारा उन पर थोपा नहीं जाता।
(2) इस व्यूह-रचना में विद्यार्थियों को सोचने-विचारने, विश्लेषण एवं संश्लेषण करने तथा निष्कर्ष पर पहुँचने की क्षमता को विकसित करने का भली-भाँति अवसर मिलता है। उच्च एवं ज्ञानात्मक क्षमताओं के विकास का मार्ग प्रशस्त करने में यह व्यूह-रचना बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकती है।
(3) इस व्यूह-रचना का सबसे बड़ा लाभ विद्यार्थियों की सृजनात्मक और रचनात्मक क्षमताओं के उचित निदान, पल्लवन और पोषण को लेकर है । यहाँ शिक्षण अधिगम का आयोजन स्मृति एवं बोध स्तर के स्थान पर चिन्तन स्तर पर सम्पन्न होता है तथा विद्यार्थी को अपने विचार एवं समाधान काफी खुलकर बिना किसी संकोच के प्रकट करने का अवसर दिया जाता है। परिणामस्वरूप विचारों की विविधता, नवीनता, मौलिकता, रचनात्मकता तथा समस्या समाधान योग्यता आदि सृजन और रचनात्मक प्रक्रिया को विकसित करने सम्बन्धी गुणों एवं आदतों को विकसित करने की बात जितनी इस व्यूह रचना के द्वारा की जा सकती है उतनी और किसी व्यूह रचना द्वारा नहीं की जा सकती।
(4) इस व्यूह-रचना में विद्यार्थी एक समूह के रूप में एकत्रित होकर विचार-विमर्श द्वारा किसी समस्या समाधान के लिए कार्य कर रहे होते हैं। अतः इसका प्रयोग विद्यार्थियों में सहकारिता, समूहभाव तथा सामाजिक गुणों के समुचित विकास हेतु उपयुक्त अवसर प्रदान करने की क्षमता रखता है।
मस्तिष्क उद्दोलन के दोष या सीमाएँ (Demerits or Limitations of Brain Storming)
मस्तिष्क उद्दोलन व्यूह-रचना निम्नलिखित प्रकार के दोषों और न्यूनताओं से ग्रस्त मानी जाती है :
(1) समस्या का समाधान खोजने हेतु समूह के सभी सदस्य एक जैसी रुचि रखें और तत्परता दिखाएँ ऐसा होना सम्भव नहीं है, फलस्वरूप इस व्यूह-रचना द्वारा अपेक्षित लाभ उठाने में सन्देह रहता है।
(2) समस्या समाधान हेतु आवश्यक मानसिक स्तर, ज्ञान और कौशलों को लेकर समूह के सदस्यों में पर्याप्त विषमताएँ देखने को मिल सकती हैं और इसके रहते हुए मानसिक रूप से शिक्षण-अधिगम के उद्देश्यों की प्राप्ति में बाधाएँ आ सकती हैं
(3) ऐसा भी हो सकता है कि समूह के सदस्य अपने-अपने विचार तथा समस्या समाधान प्रस्तुत करने हेतु आगे ही न आएँ। इस अवस्था में इस व्यूह-रचना को उपयोग में लाने में बहुत असुविधा हो सकती है।
(4) मस्तिष्क उद्दोलन नीति का उपयोग करते हुए ऐसा भी हो सकता है कि समूह किसी उचित निष्कर्ष पर पहुँचने में सक्षम सिद्ध न हो। समूह चर्चा के दौरान सदस्य विचारों में मतभेद को लेकर एक-दूसरे से उलझ जाएँ तथा कोई आम राय नहीं बन सके। ऐसी बात मस्तिष्क उद्दोलन सत्र की समाप्ति के बाद चलने वाले समूह चर्चा सत्र में भी घट सकती है।
(5) संज्ञानात्मक और भावात्मक उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु उचित अवसर प्राप्त न होने की स्थिति भी इस व्यूह-रचना में अच्छी तरह उभरकर आ सकती है और ऐसा होने पर व्यूह-रचना के आयोजन में सम्मिलित सभी सदस्यों की समझ एवं शक्ति का अकारण ही अपव्यय होता है।
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